An Indian Morning
Sunday March 13th, 2022 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning, celebrating and seeking the spirit of India thru sounds, stories, music & songs.
Namaste!
And a poet and a potter were searching for a perfect material from which could arise sonorous words and beautiful shapes which were not only useful but inspiring and they found that in a handful of Earth of An Indian Morning!
A-DR DEHEJIA’S MISC-20220313 28:05
1. ATAH SWAGATAM SUKH SWAGATAM; ASIAD CHORUS; PANDIT RAVI SHANKAR
2. OM NAMOH BHAGWATE; GHATAM; SRINIVASAN
3. PRABHU MORO GUN AVGUN CHIT NA DHARO; RAGHUNATH PANIGRIHI; SANT SURDAS
4. BADAL GHUMAD AAYO; SHABANA AZMI
5. AANCHAL SE KYON BAANDH LIYA MUJH PARDESI KA PYAAR; HEMAN KUMAR
6. TAARI AANKH THI DARNARO, TAARI VAAT THI BINARO; PATNI MATE PREM GEET; GUJARATI SONG
B-ANNOUNCEMENTS MISC-20220313 15:37
BACKGROUND MUSIC; FEELINGS; SANTOOR; PANDIT SHIVKUMAR SHARMA
आप सभी को किशोर सम्पट का प्यार भरा नमस्कार
आज 13 मार्च रविवार का दिन है, आप की ज़िन्दगी का एक और नया दिन
आज का दिन शुभ और मंगल मई हो
काली घोड़ी द्वारे खड़ी...काली बाईक का जिक्र और थाट काफ़ी
आज हम आपको राग काफी पर आधारित एक फिल्म-गीत सुनवाते हैं, जिसे हमने १९८१ में प्रदर्शित फिल्म “चश्म-ए-बद्दूर” से लिया है। फिल्म के संगीत निर्देशक राजकमल हैं, जिन्हें राजश्री की कई पारिवारिक फिल्मों के माध्यम से पहचाना जाता है। राजश्री के अलावा राजकमल ने निर्देशिका सई परांजपे की अत्यन्त चर्चित फिल्म “चश्म-ए-बद्दूर” में भी उत्कृष्ट स्तर का संगीत दिया था। इस फिल्म में उन्होने इन्दु जैन के लिखे दो गीतों को क्रमशः राग मेघ और काफी के स्वरों पर आधारित कर संगीतबद्ध किया था। आज हम आपको राग काफी पर आधारित गीत- “काली घोड़ी द्वारे खड़ी...” सुनवाते हैं, जिसे येसुदास और हेमन्ती शुक्ला ने स्वर दिया है। गीत सितारखानी ताल में निबद्ध है। आप यह गीत सुनिये और गीत का शब्दों पर ध्यान दीजिएगा। गीत में “काली घोड़ी” शब्द का प्रयोग “मोटर साइकिल” के लिए हुआ है। आइए आप भी सुनिए यह मनोरंजक किन्तु राग काफी के स्वरों पर आधारित यह गीत--
01-KALI GHODI DWAR KHADI CD MISC-20220313 TRACK#01 4:07
CHASM-E-BADDOOR-1981; YESUDAS, HEMANTI SHUKLA; RAJ KAMAL; INDU JAIN
https://www.youtube.com/watch?v=4Vi91ao-S8g
एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए।
“An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ।
आज जो ग़ज़ल गुंज रही है, वह है हरिहरन की आवाज़ में | बातों बातों में रूठी हो कहीं - जिसे संगीत से परोसा है बिक्रम घोष ने और शब्द है सुगाता गुहा के |
02-BAATON BAATON MEIN RUTHI HO KAHIN CD MISC-20220313 TRACK#02 3:59
ISHQ-SUFI SCORE-2021; HARIHARAN; BIKRAM GHOSH; SUGATA GUHA
https://www.youtube.com/watch?v=dWYqeBgJMCA
हम रोज़ाना न जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और उन्हें गुनगुनाते हैं। पर ऐसे बहुत कम ही गीत होंगे जिनके बनने की कहानी से हम अवगत होंगे। फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है “An Indian Morning” का साप्ताहिक स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।
बेटे के वियोग में गीत बनाया , बन गया प्रेमियों का सबसे अमर गाना* :-
साल था 1957। फ़िल्म "जनम जनम के फेरे" रिलीज हुई। यह म्यूज़िकल हिट साबित हुई। इस फ़िल्म के एक गाने *"ज़रा सामने तो आओ छलिये"* ने तो जैसे उस दौर में तहलका मचा दिया। यह गाना इतना सुपरहिट साबित हुआ कि उस साल की *'बिनाका गीत माला" का यह नम्बर 1 गीत* बन गया।
इस गाने का अनोखा किस्सा है। इस गाने को लिखा था पंडित भरत व्यास ने। तो हुआ यों था कि पंडित भरत व्यास जी के एक बेटा था श्याम सुंदर व्यास ! श्याम सुंदर बहुत संवेदनशील था। एक दिन भरत जी से किसी बात पर नाराज़ होकर बेटा श्याम सुंदर घर छोड़ कर चला गया।
भरत जी ने उसे लाख ढूंढा। रेडियो और अख़बार में विज्ञापन दिया। गली गली दीवारों पर पोस्टर चिपकाए। धरती, आकाश और पाताल सब एक कर दिया। ज्योतिषियों, नजूमियों से पूछा। मज़ारों, गुरद्वारे, चर्च और मंदिरों में मत्था टेका। लेकिन वो नहीं मिला। ज़मीन खा गई या आसमां निगल गया। आख़िर हो कहां पुत्र? तेरी सारी इच्छाएं और हसरतें सर आंखों पर। तू लौट तो आ। बहुत निराश हो गए भरत व्यास।
उस समय भरत व्यास जी कैरियर के बेहतरीन दौर से गुज़र रहे थे। ऐसे में बेटे के अचानक चले जाने से ज़िंदगी ठहर सी गई। किसी काम में मन नहीं लगता। निराशा से भरे ऐसे दौर में एक निर्माता भरत जी से मिलने आया और उन्हें अपनी फिल्म में गाने लिखने के लिए निवेदन किया। भरत जी ने पुत्र वियोग में उस निर्माता को अपने घर से निकल जाने को कह दिया ।
लेकिन उसी समय भरत जी की धर्मपत्नी वहां आ गई । उन्होंने उस निर्माता से क्षमा मांगते हुए यह निवेदन किया कि वह अगले दिन सुबह पुनः भरत जी से मिलने आए। निर्माता मान गए। इसके पश्चात उनकी धर्मपत्नी ने भरत जी से यह निवेदन किया की पुत्र की याद में ही सही उन्हें इस फिल्म के गीत अवश्य लिखना चाहिए । ना मालूम क्या हुआ कि पंडित भरत व्यास ने अपनी धर्मपत्नी कि इस आग्रह को स्वीकार करते हुए गाने लिखना स्वीकार कर लिया ।
उन्होंने गीत लिखा - *"ज़रा सामने तो आओ छलिये, छुप-छुप छलने में क्या राज़ है, यूँ छुप न सकेगा परमात्मा, मेरी आत्मा की यह आवाज़ है.… "* । इसे 'जन्म जन्म के फेरे' (1957 ) फ़िल्म में शामिल किया गया। *रफ़ी और लता* जी ने इसे बड़ी तबियत से , दर्द भरे गले से गाया था। बहुत मशहूर हुआ यह गीत। लेकिन अफ़सोस कि बेटा फिर भी न लौटा।
03-ZARA SAMNE TO AAO CHHALIYE; CD MISC-20220313; TRACK#03 3:27
JANAM JANAM KE PHERE-1957; MOHAMMAD RAFI, LATA MANGESHKAR; S. N. TRIPATHI; BHARAT VYAS
https://www.youtube.com/watch?v=syS7SupX5mY
मगर व्यासजी ने हिम्मत नहीं हारी। फ़िल्म 'रानी रूपमती' (1959 ) में उन्होंने एक और दर्द भरा गीत लिखा - *"आ लौट के आजा मेरे मीत, तुझे मेरे गीत बुलाते हैं, मेरा सूना पड़ा ये संगीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं.…"।* इस गीत में भी बहुत दर्द था, और कशिश थी। इस बार व्यास जी की दुआ काम कर गई। *बेटा घर लौट आया।*
लेकिन आश्चर्य देखिये कि वियोग के यह गाने उस दौर के युवा प्रेमियों के सर चढ़कर बोलते थे । यह पंडित व्यास जी की कलम का ही जादू था ।
04-AA LAUT KE AAJA MERE MEET CD MISC-20220313; TRACK#04 4:29
RANI RUPMATI-1959; MUKESH; S. N. TRIPATHI; BHARAT VYAS
https://www.youtube.com/watch?v=hyIVG9SM46Y
लिखे जो ख़त तुझे-कन्यादान १९६८
फिल्म कन्यादान से गीत सुनते हैं इसे नीरज ने लिखा है। खत, कोरियर, पार्सल श्रेणी का ये एक उम्दा गीत है और बेहद लोकप्रिय भी ।
कोई नगमा कहीं गूँजा कहा दिल ने के तू आई
कहीं चटकी कली कोई मैं ये समझा तू शरमाई
कोई ख़ुशबू कहीं बिख़री लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई
05-LIKHE JO KHAT TUJE; CD MISC-20220313; TRACK#05 4:12
KANYADAN-1968; MOHAMMAD RAFI; SHANKAR-JAIKISHAN; NEERAJ
https://www.youtube.com/watch?v=vTQkB6MvKZc
मीठी मीठी अंखियों से-महा चोर १९७६
विडम्बना है कि कभी कभी महान दिखाई सुनाई देने वालों की कलई खुलती है तो वो जनता को महा-चोर नज़र आते हैं। जीवन में जो उजागर है ज़रूरी नहीं वो सही हो और जो छुपा हुआ हो वो झूठ होना ज़रूरी नहीं।
सन १९७६ की फिल्म है महाचोर जिसमें काका और नीतू सिंह प्रमुख कलाकार हैं। नरेन्द्र बेदी निर्देशित इस फिल्म में कलाकारों की अगली पिछली दो पीढ़ी के ढेर सारे कलाकार मौजूद हैं-मनोरमा, प्रेम चोपड़ा, कामिनी कौशल, अनवर हुसैन, प्रतिमा देवी, पिंचू कपूर, नर्बदा शंकर, जगदीश राज, विजू खोटे, बीरबल, सोनिया साहनी इत्यादि। फिल्म के अवयय सारे मौजूद हों तो भी ज़रूरी नहीं फिल्म बड़ी हिट हो जाए।
कहीं ना कहीं ऐसा कुछ रह जाता है जिसे जनता ढूंढती रह जाती है। एक तो समय भी फेक्टर है जैसे आपकी आज मटर आलू की सब्जी खाने का मन हो और आप उसे तीन दिन बाद खाएं। वो एनथूसीयाज्म नहीं होता ३ दिन के बाद। दर्शकों का मन पकड़ना वैसा ही है जैसे १०० किलोमीटर की रफ़्तार से चलती हवा में ये ढूँढना कि उसमें धूल उड़ रही है या पराग कण।
गीत सुन्ब्ते हैं जिसे आनंद बक्षी ने लिखा है और इसका संगीत तैयार किया है आर डी बर्मन ने। किशोर और आशा इसके गायक हैं। गीत की पञ्च लाइन है-राम तेरा भला करे।
06-MEETHI MEETHI ANKHIYON SE CD MISC-20220313 TRACK#06 4:00
MAHACHOR-1976; KISHORE KUMAR, ASHA BHOSLE; R. D. BURMAN; ANAND BAKSHI
https://www.youtube.com/watch?v=QoNhaDkTtis
भँवरे की गुंजन है मेरा दिल-कल आज और कल १९७१
कुछ गीत अपने शुरूआती शब्द से अनूठे और अलग सुनाई देते हैं। ऐसा एक गीत है रणधीर कपूर और बबीता अभिनीत फिल्म कल आज और कल से किशोर कुमार का गाया हुआ।
भँवरे को गीतकार समय समय पर याद कर लिया करते हैं। ये भँवरे कविताओं और गीतों में कलियों पर ज्यादा मंडराया करते हैं। शायद भंवरों को फूलों पर मंडराना उतना पसंद नहीं है जितना तितलियों को।
गुंजन का अर्थ है हमिंग। धीरे धीरे गुनगुनाने को भी हम हमिंग कहते सकते हैं और धीरे धीरे भुनभुनाने को भी। हसरत जयपुरी के बोल हैं और शंकर जयकिशन का संगीत।
07-BHANWARE KI GOONJAN HAI MERA DIL CD MISC-20220313 TRACK#07 4:12
KAL AAJ AUR KAL-1971; KISHORE KUMAR; SHANKAR-JAIKISHAN; HASRAT JAIPURI
https://www.youtube.com/watch?time_continue=3&v=6aMH-zOmTh8
ख़्वाब हो तुम या कोई हक़ीक़त, कौन हो तुम बतलाओ - तीन देवियाँ 1965
देर से कितनी दूर खड़ी हो, और करीब आ जाओ सुबह पे जिस तरह, शाम का हो गुमां…
Lovely Song! Each and every word in this song counts! What a way to describe a beautiful woman to just begin a talk and impress her. Dev Anand was at his best. Kishor Kumar’s voice in this song is just mind blowing. Sachin Burman has given a lovely music to this song. I like this song very much from my youth and still today like to hum it.
08-KHWAB HO TUM YA KOI HAQEEQAT CD MISC-20220313 TRACK#08 6:02
TEEN DEVIAN-1965; KISHORE KUMAR; S.D.BURMAN; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=Jw4wLVnFJ-E
97-ANTMEIN-SIGNOFF – 2:12
BACKGROUND MUSIC: TANI AVARTHANAM; MRIDANGAM, GHATAM & MORSING; A FITTING FINALE!
----------------------------------------------------------अंत मे छोटी सी बात ‘An Indian Morning’ की तरफसे:
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“Being mortal, never pray for an untroubled life. Rather, ask the God to give you an enduring heart.”
-Menander
“हम नश्वरता को प्राप्त होंगे, इसलिए कभी भी बाधारहित जीवन की प्रार्थना न करें। बल्कि भगवान से एक धैर्यवान हृदय प्रदान करने की प्रार्थना करें।”
-मेनान्डर
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हमारा आपके साथ आज यहीं तक का सफर था. तो चलिए आपसे अब हम विदा लेते है. अगली मुलाकात तक खुश रहिये, स्वस्थ रहिये और हाँ An Indian Morning पर हमसे मिलते रहिये. हंसते रहिये, क्योंकि हंसना निशुल्क है और एक सुलभ दवा है।
Well, that's all the time we have with you today! We thank you and hope you have enjoyed our company on this Indian Morning! Please join us next Sunday from 10:00 AM till 11:30 AM for another edition (#2457) of “An Indian Morning. ‘Seeking the Spirit of India’ through sounds, stories, music & songs with Dr. Harsha Dehejia and Rakesh Misra, I am Kishore Sampat wishing you a wonderful week ahead!
STAY safe STOP the spread SAVE lives!
STAY TUNED FOR
“MUSIC FROM THE GLEN”
आपका आज का दिन और आने वाला सप्ताह शुभ हो, नमस्कार!
98-SPONSORS-RINAG-VAISHALI’S 2:28
THE END समाप्त
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