An Indian Morning
Sunday May 5th, 2024 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning, celebrating and seeking the spirit of India thru sounds, stories, music & songs.
The colour of an Indian morning is that of the first rays of the sun. The fragrance of an Indian morning is that of puja flowers. The mantra of an Indian morning is that of the Gayatri.
The raga of An Indian Morning is the sound of temple bells.
To that Indian morning, we bid you a fond welcome.
A-DR DEHEJIA’S MISC-20240505 28:20
01-KRISHNA BHAJAN; KANHA KARVU CHHE MANNE DARSHAN TAARU; MANOJ DESAI; HARSHA V DEHEJIA
02-UNKNOWN
03-TERE SUR AUR MERE GEET; GOONJ UTHI SHEHNAI; LATA MANGESHKAR; VASANT DESAI; BHARAT VYAS
04-RABINDRA SANGEET; HINDI & BENGALI; MEENA
05-DEKHA EK KHAWAB; SILSILA-1981; KISHORE KUMAR, LATA MANGESHKAR, AMITABH BACHCHAN; SHIV-HARI; JAVED AKHTAR
B-ANNOUNCEMENTS MISC-20240505 15:56
BACKGROUND MUSIC: INSTRUMENTAL-RAGA BHUPAL TODI-SANTOOR-PANDIT SHIV KUMAR SHARMA
आज ५ मई रविवार का दिन है, आप की ज़िन्दगी का एक और नया दिन।
धीरे धीरे सुबह हुई -हैसियत १९८४
समय की रफ़्तार ऐसी है कि पीछे छूटी कई बातें याद नहीं आती तो कभी कुछ बातें परमानेंट घाव जैसी बन जाया करती हैं और भुलाये नहीं बनती।
येसुदास का गाया गीत फिल्म हैसियत से जिसकी धुन बप्पी लहरी ने बनाई है। गीत लिखा है इन्दीवर ने।
01-DHIRE DHIRE SUBHA HUI CD MISC-2018506 TRACK#01 5:33
HAISIYAT-1984; YESUDAS; BAPPI LAHIRI; INDEEVAR
https://www.youtube.com/watch?v=iy-1Ul1ThQE
एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए।
जहाँ एक तरफ़ फ़िल्म-संगीत का अपना अलग अस्तित्व है, वहीं दूसरी तरफ़ फ़िल्म-संगीत अन्य कई तरह के संगीत पर भी आधारित रही है। शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और पाश्चात्य संगीत का प्रभाव फ़िल्म-संगीत पर हमेशा से रहा है। उधर बंगाल की संस्कृति में रबीन्द्र संगीत एक अहम धारा है; गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर की रचनाओं के बिना बांगला संगीत, नृत्य और साहित्य अधूरा है। समय-समय पर हिन्दी सिने संगीत जगत के संगीतकारों ने भी रबीन्द्र-संगीत को अपने फ़िल्मी गीतों का आधार बनाया है। आगामी 7 मई को कविगुरु रबीन्द्रनाथ ठाकुर के जन्म-जयंती के उपलक्ष्य में आइए आजसे ’An Indian Morning’ में हम उन हिन्दी फ़िल्मी गीतों पर एक नज़र डालें जो रबीन्द्र संगीत की धुनों से प्रेरित हैं।
संगीतकार सचिन देव बर्मन ने रबीन्द्र-संगीत का हू-ब-हू प्रयोग ज़्यादा गीतों में नहीं किया। यह ज़रूर है कि उनके द्वारा स्वरबद्ध कई गीतों में रबीन्द्र-संगीत की छाया मिलती है। रबीन्द्र-संगीत पर आधारित दादा बर्मन का सर्वाधिक लोकप्रिय गीत है 1973 की फ़िल्म 'अभिमान' का "तेरे मेरे मिलन की ये रैना..." जो रबीन्द्रनाथ रचित "जोदी तारे नाइ चिनी गो..." गीत पर आधारित है।
02-TERE MERE MILAN KI YE RAINA CD MISC-20240505 TRACK#02 4:47
ABHIMAN-1973; LATA MANGESHKAR, KISHORE KUMAR; S. D. BURMAN; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=p90ek9GtLYE
सचिन दा के बेटे राहुल देव बर्मन ने बंगाल और नेपाल के लोक-संगीत का ख़ूब प्रयोग किया है अपने गीतों में, पर एक-आध बार रबीन्द्र-संगीत की तरफ़ भी झुके हैं। फ़िल्म 'जुर्माना' का लता के गाये "छोटी सी एक कली खिली थी एक दिन बाग़ में..." गीत के लिए पंचम ने जिस रबीन्द्र-रचना को आधार बनाया, उसके बोल हैं "बसन्ते फूल गांथलो आमार जयेर माला..."। इस मूल रबीन्द्र-रचना को 1944 की बांगला फ़िल्म 'उदयेर पथे' में शामिल किया गया था। 'उदयेर पथे' दरसल बांगला-हिन्दी द्विभाषी फ़िल्म थी, जिसका हिन्दी में 'हमराही' के नाम से निर्माण हुआ था। इस फ़िल्म के एक गीत की चर्चा हम उपर कर चुके हैं। राहुल देव बर्मन ने 1982 की फ़िल्म 'शौकीन' में आशा-किशोर से "जब भी कोई कंगना बोले..." गीत गवाया था जो रबीन्द्रनाथ रचित "ग्राम छाड़ा ओइ रांगा माटीर पथ..." की धुन पर आधारित था।
'1942 - A Love Story' में कविता कृष्णमूर्ति का गाया "क्यों नए लग रहे हैं ये धरती गगन..." को भी रबीन्द्र-संगीत से प्रेरित पंचम ने ही एक साक्षात्कार में बताया था पर मूल रबीन्द्र-रचना की पहचान नहीं हो पायी है।
03-KYON NAYE LAG RAHE HAIN YE DHARATI GAGAN CD MISC-20240505 TRACK#03 4:42
1942 A LOVE STORY-1994; KAVITA KRISHNAMURTHY; R. D. BURMAN; JAVED AKHTAR
https://www.youtube.com/watch?v=y2APh_a_sGo
अब तक हिन्दी फ़िल्म-संगीत में रबीन्द्र-संगीत के प्रयोग की जितनी चर्चा हमने की है, उसमें जितने भी संगीतकारों का नाम आया है, वो सब बंगाल से ताल्लुख रखने वाले थे। बंगाल के बाहर केवल राजेश रोशन ही एक ऐसे संगीतकार हुए जिन्होंने रबीन्द्र-संगीत का प्रयोग कई बार अपने गीतों में किया। वैसे राजेश रोशन का बंगाल से रिश्ता तो ज़रूर है। उनकी माँ इरा रोशन बंगाली थीं। 1981 की फ़िल्म 'याराना' में राजेश रोशन द्वारा स्वरबद्ध गीत "छू कर मेरे मन को, किया तूने क्या इशारा" का मुखड़ा रबीन्द्रनाथ रचित "तोमार होलो शुरू, आमार होलो शाड़ा..." से प्रेरित था। यूं तो इस रबीन्द्र-रचना को कई गायकों ने गाया, पर किशोर कुमार का गाया संस्करण सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ था, और राजेश रोशन ने भी अपने गीत को किशोर दा से ही गवाया। भले राजेश रोशन ने केवल मुखड़े की धुन को ही प्रयोग में लाया, पर कलकत्ते की जनता को क्रोधित करने में यही काफ़ी था।
दरसल राजेश रोशन ने इस धुन के इस्तमाल के लिए विश्वभारती से अनुमति नहीं ली थी, जिस वजह से बंगाल में यह हंगामा हुआ। पर बंगाल के बाहर इस गीत ने इतनी लोकप्रियता हासिल की कि राजेश रोशन को कोई फ़र्क नहीं पड़ा।
04-CHHOOKAR MERE MANN KO KIYA TUNE KYA YE ISHARA CD MISC-20240505 TRACK#04 4:13
YAARANA-1981; KISHORE KUMAR; RAJESH ROSHAN; ANJAAN
https://www.youtube.com/watch?v=_ijpI8-p8Mo
1997 की फ़िल्म 'युगपुरूष' में राजेश रोशन ने दो गीतों में रबीन्द्र-संगीत की छटा बिखेरी। इनमें एक था आशा भोसले का गाया "कोई जैसे मेरे दिल का दर खटकाए..." (मूल रबीन्द्र रचना - "तुमि केमोन कोरे गान कोरो हे गुणी...") और दूसरा गीत था प्रीति उत्तम का गाया "बंधन खुला पंछी उड़ा, आगे सुनो अजी फिर क्या हुआ" (मूल रबीन्द्र रचना - "पागला हावा बादल दिने पागोल आमार मोन नेचे ओठे...")। "पगला हावार..." एक अत्यन्त लोकप्रिय रबीन्द्र-रचना है और बंगाल के बहुत सारे कलाकारों ने समय समय पर इसे गाया है।
05-BANDHAN KHULA PANCHHI UDAA CD MISC-20240505 TRACK#05 4:14
YUGPURUSH-1998; PREETI UTTAM, RAVINDRA SATHE; RAJESH ROSHAN; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=8jPLt3J6i6c
इस बात से शायद ही कोई इंकार करे कि जब जब रबीन्द्र-संगीत की धुनें हिन्दी फ़िल्मी गीतों में सुनाई दी है, वो सभी गीत बेहद मधुर व कर्णप्रिय बने हैं। रबीन्द्र-संगीत इस देश की अनमोल धरोहर है जिसे हमें सहेज कर रखना है। जिन जिन संगीतकारों ने रबीन्द्र-संगीत का प्रयोग अपने गीतों में प्रयोग कर इसे बंगाल के बाहर पहुँचाने का महत्वपूर्ण काम किया है, उन्हें हमारा सलाम।
मुस्कुराने की वजह-सिटीलाइट्स २०१४
आजकल के गानों में अंतर करना मुश्किल होता है वैसे ही नए गायक गायिकाओं के गानों में फर्क करना भी आसान काम नहीं है।
प्रस्तुत गीत दो गानों का मिक्सचर जैसा है मगर सुनने में अच्छा है। अरिजीत सिंह नए गायकों में सबसे बेहतर सुनाई देते हैं उसकी वजह उनकी रेंज है। उसके अलावा सुर भी औरों से ज्यादा सधा हुआ है, टोनल क्वालिटी भी बेहतर है। फिल्म सिटी लाइट्स के लिए इसे लिखा रश्मि सिंह ने और धुन तैयार की है जीत गांगुली ने।
06-MUSKOORANE KI WAJAH TUM HO CD MISC-20240505 TRACK#06 5:39
CITYLIGHTS-2014; ARIJIT SINGH; JEET GANGULI; RASHMI SINGH
https://www.youtube.com/watch?v=8z22VIi2Qrw
आइए डूबें श्रेया और राहत के साथ मेलोडी की दुनिया में !
सिंह इज किंग के इस युगल गीत में श्रेया का साथ दिया हैं जनाब राहत फतेह अली खाँ साहब ने। कोकिल कंठी श्रेया की मीठी रूमानी आवाज़ के पार्श्व से जब राहत जी की बुलंद आवाज़ उभरती है तो इन दोनों आवाजों का संगम एक समां बाँध देता है जिसकी तासीर घंटों ज़ेहन में विद्यमान रहती है। इस गीत के बोल लिखे हैं मयूर पुरी ने जो एक नवोदित गीतकार के साथ साथ संवाद लेखन का भी काम करते हैं।
तो आइए सुनें ये प्रेम से ओतप्रोत ये गीत...
07-TERI ORE CD MISC-20240505 TRACK#07 5:23
SINGH IS KINNG-2008; SHREYA GHOSHAL, RAHAT FATEH ALI KHAN; PRITAM; MAYUR PURI
https://www.youtube.com/watch?v=_Ne20y2thhs
PAL PAL DIL KE PAAS (BLACKMAIL-1973)
एक निहायत रोमांटिक गीत सुनिए जो बेहद लोकप्रिय भी है। ये किशोर कुमार की आवाज़ में है और धर्मेन्द्र के ऊपर फिल्माया गया है। १९७३ से ये गीत निरंतर रेडियो चैनल पर बजता आ रहा है । इसको एक बार और सुनिए और आनंद उठाइये । और एक बात-इस गीत को राजेंद्र कृष्ण ने लिखा है।
08-PAL PAL DIL KE PAS TUM REHTI HO CD MISC-20240505 TRACK#08 5:14
BLACKMAIL-1973; KISHORE KUMAR; KALYANJI-ANANDJI; RAJINDER KRISHAN
https://www.youtube.com/watch?v=AMuRRXCuy-4
97-ANTMEIN-SIGNOFF – 2:07
BACKGROUND MUSIC: INSTRUMENTAL-SAXOPHONE; PAL PAL DIL KE PAAS; PRASANNA S. J.
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अंत मे छोटी सी बात ‘An Indian Morning’ की तरफसे:
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“A small body of determined spirits fired by an unquenchable faith in their mission can alter the course of history.”
-Mahatma Gandhi
“अपने लक्ष्य के प्रति अदम्य विश्वास से प्रेरित दृढ़ संकल्पी लोगों का एक छोटा सा समूह भी इतिहास का प्रवाह बदल सकता है।”
-महात्मा गाँधी
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हमारा आपके साथ आज यहीं तक का सफर था. तो चलिए आपसे अब हम विदा लेते है. अगली मुलाकात तक खुश रहिये, स्वस्थ रहिये और हाँ An Indian Morning पर हमसे मिलते रहिये. हंसते रहिये, क्योंकि हंसना निशुल्क है और एक सुलभ दवा है।
Well, that's all the time we have with you today! We thank you and hope you have enjoyed our company on this Indian Morning! Please join us next Sunday from 10:00 AM till 11:30 AM for another edition (#2569). ‘Seeking the Spirit of India’ through sounds, stories, music & songs with Dr. Harsha Dehejia and Rakesh Misra, I am Kishore Sampat wishing you a wonderful week ahead!
STAY safe STOP the spread SAVE lives!
STAY TUNED FOR
“MUSIC FROM THE GLEN”
जिसका मन मस्त है..!
उसके पास समस्त है..!
आप स्वस्थ रहे, सदा मस्त रहे
आपका आज का दिन और आने वाला सप्ताह शुभ हो, नमस्कार!
THE END समाप्त
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