An Indian Morning
Sunday June 2nd, 2019 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second
An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second one hour features community announcements and ear pleasing music from old/new & popular Indian films.
The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind".
01-PIBARE RAMA RASAM CD MISC-20190602 TRACK#01 6:21
VANDE GURU PARAMPARAAM-2015; RAHUL VELLAI; KULDEEP M PAI; SAINT SADASIVA BRAHMENDRA
https://www.youtube.com/watch?v=vJxVWF8KjFI
एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए ।
रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है “An Indian Morning” का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ आज जानिए 1964 की मशहूर फ़िल्म “संगम” के गीत "हर दिल जो प्यार करेगा वो गाना गाएगा..." के बारे में जिसे लता मंगेशकर, मुकेश और महेन्द्र कपूर ने गाया था। बोल शैलेन्द्र के और संगीत शंकर जयकिशन का।
बात 60 के दशक के शुरुआत की होगी, एक स्टेज शो के लिए राज कपूर ताशकन्द गए और अपने साथ महेन्द्र कपूर जी को भी ले गए। ताशकन्द उस समय USSR का हिस्सा हुआ करता था। और रूस में राज कपूर बहुत लोकप्रिय थे। राज कपूर का शो ज़बरदस्त हिट शो, इस शो में राज कपूर ने भी कुछ गाने गाए, उन गानों पर महेन्द्र कपूर ने हारमोनियम बजा कर राज कपूर का साथ दिया।
इस शो के लिए महेन्द्र कपूर ने ख़ास तौर से हिन्दी गानों का रूसी भाषा में अनुवाद करके तैयार कर रखा था।
जब उनके गाने की बारी आई तब उन्होंने फ़िल्म “हमराज़” का गीत "नीले गगन के तले..." को रूसी भाषा में जो गाया तो लोग झूम उठे। और महेन्द्र कपूर का नाम लेकर "once more, once more" का शोर मचाने लगे। जनता का यह RESPONSE देख कर राज कपूर ने महेन्द्र कपूर से कहा कि "देखा, एक कपूर ही दूसरे कपूर को मात दे सकता है!" शायद इसलिए कहा होगा कि राज कपूर की परफ़ॉरमैन्स के बाद महेन्द्र कपूर को रूसी जनता से उनके गीत का जो RESPONSE मिला वो राज कपूर उम्मीद नहीं कर रहे थे। राज कपूर, महेन्द्र कपूर से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने महेन्द्र से कहा कि मैं चाह कर भी मेरे गाने तुमसे नहीं गवा सकता क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि मेरी आवाज़ मुकेश है, मेरे सारे गाने मुकेश ही गाते हैं। महेन्द्र जी बोले, "मुकेश जी मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं, इसलिए मैं चाहता भी नहीं कि उनके गाने मैं गाऊँ"। इस पर राज साहब बोले कि लेकिन मैं एक वादा करता हूँ कि मेरी अगली फ़िल्म में जो दूसरा हीरो होगा, उसके लिए तुम ही गाना गाओगे। महेन्द्र कपूर ने मज़ाक में राज कपूर से कहा कि "राज जी, आप बहुत बड़े आदमी हैं, भारत लौट कर आपको यह वादा कहाँ याद रहेगा?" उस वक़्त राज कपूर सिगरेट पी रहे थे, सिगरेट की एक कश लेकर मुंह से निकाली सिगरेट और जलती हुई सिगरेट से अपने हाथ पे एक निशान दाग़ दिया और बोले, "तुम फ़िकर मत करो, यह जला निशान मुझे अपना वादा भूलने नहीं देगा।"
इस घटना के बाद जब राज कपूर और महेन्द्र कपूर हिन्दुस्तान लौट कर आए तो राज कपूर ने अपने वादे के अनुसार अगली ही फ़िल्म “संगम” में दूसरे नायक राजेन्द्र कुमार के लिए महेन्द्र कपूर की आवाज़ में गाना रेकॉर्ड किया और ताशकन्द में किए अपने वादे को निभाया।
गाना था "हर दिल जो प्यार करेगा, वो गाना गाएगा, दीवाना सैंकड़ों में पहचाना जाएगा..."। लीजिए अब आप फिल्म 'संगम' का वही गीत सुनिए।
02-HAR DIL JO PYAR KAREGA WOH GAANA GAAEGA CD MISC-20190602 TRACK#02 6:33
SANGAM-1964; MUKESH, MAHENDRA KAPOOR, LATA MANGESHKAR; SHANKAR-JAIKISHAN; SHAILENDRA
https://www.youtube.com/watch?v=mj7mr6f2xOo
यादें रवींद्र जैन की : घुँघरू की तरह, बजता ही रहा हूँ मैं.. Ghunghroo Ki Tarah
अक्सर हम अपने मूड के हिसाब से गीतों को सुनते हैं पर कई दफ़ा ऐसा होता है कि चाहे हम किसी भी मूड में हों कोई गीत अचानक बज कर हमें अपने रंग में रंग लेता है। मेरे साथ पिछले हफ्ते ऐसा ही हुआ। Office जाने की तैयारी करते वक़्त घुँघरू की तरह....ये गीत गूँजा और फिर दिन भर मेरे साथ ही रह गया। कॉलेज के ज़माने में किशोर दा के गीतों को हम थोक में सुनते थे। फिल्म चोर मचाए शोर का ये गीत मुझे काफी पसंद था। आजकल जब किशोर दा को सुनना पहले से काफी कम हो गया है तो अचानक इन गीतों को सुनकर वो पुराना वक़्त सामने आ जाता है।
1974 में रिलीज़ हुई इस फिल्म के संगीतकार थे रवींद्र जैन साहब। मुझे नहीं लगता कि हिंदी फिल्म संगीत में रवींद्र जैन के आलावा कोई और संगीतकार हुआ हो जिसने बतौर गीतकार भी अपनी अमिट छाप छोड़ी हो। अलीगढ़ के एक पढ़े लिखे परिवार से ताल्लुक रखने वाले रवींद्र जैन बचपन से ही दृष्टिहीन थे।
घुँघरू की तरह, बजता ही रहा हूँ मैं सुनकर ऐसा लगता है मानो उनके जीवन में सहे गए कष्टों की प्रतिध्वनि मिल गयी हो।
ये गीत राग झिंझोटी पर आधारित है। राग झिंझोटी रात्रि के दूसरे पहर में गाया जाने वाला राग है। किशोर के कई उदास करने वाले लोकप्रिय गीत कोई हमदम ना रहा, कोरा कागज था ये मन मेरा, तेरी दुनिया से हो कर मजबूर चला राग झिंझोटी की स्वरलहरियों के ताने बाने में बुने गए हैं।
बाँसुरी के मधुर स्वर से गीत का प्रील्यूड शुरु होता है। इंटरल्यूड्स में भी वही मधुरता कायम रहती है। जिसने जीवन में दर दर ठोकरें खाई हों, भाग्य के खिलाफ लड़ा हो वो इस सहज पर दिल से लिखे गीत से जरूर मुत्तासिर होगा। इस गीत में रवी्द्र जी ने घुँघरू जैसे रूपक का प्यारा और भावनात्मक प्रयोग किया जिसे किशोर दा की आवाज़ एक अलग मुकाम पर ले गयी। फिल्म में इस गीत के पहले दो अंतरों का इस्तेमाल हुआ है जबकि मुझे तीसरा अंतरा इस गीत का सबसे भावनात्मक हिस्सा लगता है। तो आइए सुनते हैं इस गीत को..
इस गीत को फिल्माया गया था शशि कपूर पर
03-GHOONGHROO KI TARAH CD MISC-20190602 TRACK#03 3:26
CHOR MACHAYE SHOR-1974; KISHORE KUMAR; RAVINDRA JAIN
https://www.youtube.com/watch?v=SRY4oEWaYsk
जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना Songs of Chitchor : Jab Deep Jale Aana …
नौ अक्टूबर 2015 को रवींद्र जैन ने हमसे विदा ली थी। यूँ तो करीब चार दशकों के सक्रिय कैरियर में उन्होंने दर्जनों फिल्में की पर सत्तर के दशक में राजश्री प्रोडक्शन के लिए उन्होंने जो काम किया वो उनका सर्वश्रेष्ठ रहा। कल उनके उसी दौर के संगीतबद्ध गीत सुन रहा था और चितचोर पर आकर मेरी सुई जो अटकी तो अटकी ही रह गयी। ग्रामीण परिवेश में बनाई हुई एक रोमांटिक और संगीतमय फिल्म थी चितचोर। अमोल पालेकर और जरीना वहाब द्वारा अभिनीत इस फिल्म के हिट होने का एक बड़ा कारण इसका संगीत था। यूँ तो सिर्फ चार गीत थे फिल्म में पर रवींद्र जैन ने अपने बोलों और संगीत से श्रोताओं के मन में जो जादू जगाया था वो आज चार दशकों तक क़ायम है।
चितचोर 1976 में आई थी। जिन दो गीतों को आज भी मैं उतने ही चाव से सुनता हूँ उनमें से एक है राग यमन पर आधारित जब दीप जले आना, जब शाम ढले आना..।
यूँ तो हिंदी फिल्मों में येशुदास की आवाज़ को लाने का श्रेय रवींद्र जैन को दिया जाता है । अगर आप येशुदास के सबसे लोकप्रिय गीतों का चुनाव करेंगे तो पाएँगे कि उनमें से लगभग आधे रवींद्र जैन के संगीतबद्ध किए हुए होंगे। इन दो कलाकारों के बीच बड़ा प्यारा सा रिश्ता था जिसे इसी बात से समझा जा सकता है कि रवींद्र जैन ने एक बार ख़्वाहिश ज़ाहिर की थी कि अगर उन्हें कभी देखने का अवसर मिला तो वो सबसे पहले येशुदास को ही देखना चाहेंगे।
ये उस माहौल की बात है जब सांझ आते ही गाँव के हर घर में दीपक जल जाया करते थे। कुछ तो है इस शाम के DNA में । आख़िर यही तो वो वेला होती है जिसमें प्रेमी एक दूसरे को बड़ी विकलता से याद किया करते हैं। रवींद्र जी ने ऍसा ही कुछ सोचकर इस गीत का मुखड़ा दिया होगा।
बाँसुरी के साथ समायोजित उनके इंटरल्यूड्स भी बेहद मधुर हैं। गीत के बोलों में वो अंतरा मुझे बेहद प्यारा लगता है जिसमें रवींद्र बड़ी रूमानियत से लिखते हैं कि मैं पलकन डगर बुहारूँगा, तेरी राह निहारूँगा..मेरी प्रीत का काजल तुम अपने नैनों में मले आना, उफ्फ दिल में कितनी मुलायमियत सँजोये था ये संगीतकार।
फिलहाल तो ये गीत सुनिए येशुदास और हेमलता जी की आवाज़ों में…
04-JAB DEEP JALE AANA CD MISC-20190602 TRACK#04 5:42
CHITCHOR-1976; YESUDAS, HEMLATA; RAVINDRA JAIN
https://www.youtube.com/watch?v=11yh-UCeev4
गायिका कमल बारोट - [गुमनाम गायक/गायिका ]
Singer Kamal Barot
हिंदी फिल्मों की पार्श्वगायिकाओं में एक भूला-बिसरा सा नाम - 'कमल बारोट', जिनका नाम सुनते ही सबसे पहले में जो गाना याद आता है वह है - 'हँसता हुआ नूरानी चेहरा' जिसे उन्होंने लता के साथ गाया है !
'दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ' इस गीत में भी उनका साथ आशा ने दिया है ! उनकी विशेषता यह थी कि वह एक छोटे बच्चे के लिए, एक किशोरी के लिए या फिर किसी अल्हड शरारती युवती के लिए अपनी आवाज़ को उसी अंदाज में ढाल लिया करती थीं !
कमल बारोट की आवाज़ एक ऐसे समय में आई जब लता -आशा हिंदी फ़िल्मी संगीत में छायी हुयी थीं ! ऐसे समय में एक अलग सी खनक लिए इस आवाज़ को सोलो कम लेकिन दोगाने अधिक मिले ! आशा भोसले, लता जी, सुमन कल्यानपुर आदि के साथ उनके कई गीत हैं साथ ही रफ़ी, मुकेश, महेंद्र कपूर आदि के साथ भी कई युगल गीत उन्होंने गाये हैं. कोई एक ऐसा सोलो यादगार गीत अगर पूछा जाये जो उनकी आवाज़ में हो तो शायद बता पाना मुश्किल होगा, लेकिन दोगाने ऐसे कई हैं जिन्हे आज भी याद किया जाता है ! मुकेश के साथ उनकी आवाज़ बहुत अच्छी कम्प्लिमेंट करती थी !
संगीतकार चित्रगुप्त के संगीत निर्देशन में उन्होंने कई गीत गाये ! कमल बारोट फ़िल्मी परिवार से थीं, फिर भी उनके फ़िल्मी कैरियर को वो मुकाम नहीं मिला जो मिलना चाहिए था ! उनके भाई चन्द्र बारोट 1978 की फिल्म डॉन के निर्देशक थे !
05-MILESTONES SONGS OF KAMAL BAROT CD MISC-20190602 TRACK#05 8:13
MILESTONES SONGS OF KAMAL BAROT-2011; KAMAL BAROT & VARIOUS ARTISTS
https://www.youtube.com/watch?v=zRQN8XNenHQ
A time-tested tradition in Hindi films has been the presence of male and female versions of a song. The variation on the happy-sad song (the most recent example is Kalank) has resulted in a healthy contest between voices. Who does it better?
The male version often appears first in the movie and is filmed better than its follow-up female twin. And yet, when you shut out the visuals and let your ears take the decision, the results can be fascinating, as our survey of a dozen male-female songs proves.
Yaadon Ki Baaraat, Yaadon Ki Baaraat (1973)
Lata Mangeshkar’s version cannot hold a candle to the male version by Mohammad Rafi and Kishore Kumar. Yaadon Ki Baraat opens with Mangeshkar’s version performed by the mother of three boys who will get separated within the next few minutes, only to come together as adults, which is when the male version is performed.
If Mangeshkar’s version has a light, lullaby-like quality, the male version is celebratory. The sequence’s sentimental sweep, as three brothers finally find each other after years of searching, adds emotional weight to the moment.
Which is better? You be the judge!
06-YAADON KI BAARAT NIKLI HAI CD MISC-20190602 TRACK#06 3:09
YAADON KI BAARAT-1973; LATA MANGESHKAR, PADMINI KOLHAPURE, SHUSHMA SHRESHTHA; R. D. BURMAN; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=OS3cwT7Vhbc
07-YAADON KI BAARAT NIKLI HAI CD MISC-20190602 TRACK#07 3:11
YAADON KI BAARAT-1973; MOHAMMAD RAFI, KISHORE KUMAR; R. D. BURMAN; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=XfLXAXHK0U8
THE END समाप्त
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