An Indian Morning
Sunday April 15th, 2018 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the Music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first half of the program features classical and religious music as well as regional and popular music. The seco
An Indian Morning celebrates not only the Music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first half of the program features classical and religious music as well as regional and popular music. The second half features community announcements, Ghazals, Themes, Popular Old & New Bollywood Films music and more.
The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind".
01-MAHA MRITYUNJAY MANTRA CD MISC-20180415 TRACK#01 15:37
HAR HAR MAHADEV-2014; LAT MANGESHKAR, SHANKER MAHADEVAN; MEENA KHADIKAR; CHANDRASHEKAR SANEKAR
https://www.youtube.com/watch?v=nJUrhZ04Y3k
Play for 90 seconds…
Voice Over…
We are profoundly saddened to share the news of passing away of Smt. Indu Mehta. A true community activist, she was active in the Indian community, co-founding the India-Canada Association, the Mukul Hindi School, and the Gujarati Cultural Association, of which she was President for two years. She was a gentle soul who possessed exemplary organization skills, a flair for entertaining, and deep compassion for her friends. It is great loss for the East Indian community at large. We express our profound sorrow and grief, and pray to THE ALMIGHTY GOD to give the family members strength and courage to face the grief and challenge.
श्री अनिल मेहता और उनके परिवार के सभी सदस्यों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को इस गहरी क्षति को सहने की क्षमता दे।
asato ma sadgamaya
tamaso ma jyotirgamaya
mrtyorma amrtam gamaya
Lead me from the asat to the sat.
Lead me from darkness to light.
Lead me from death to immortality.
02-ASATO MA SADGAMAYA CD MISC-20180415 TRACK#02 15:37
EARLY MORNING CHANTS-2014; SANJEEVANI BHELANDE; KAMLESH BHADKAMKAR; TRADITIONAL
https://www.youtube.com/watch?v=Vwyo62x9yC4
Play for about 2 minutes….
एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए।
' किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है...हसन कमाल ने कुछ यूँ रंगा ये हिज्र और वस्ल का समां कि आज भी सुनें तो एक टीस सी उभर आती है
“An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ।
आज इस शृंखला की कड़ी में पेश है शायर और गीतकार हसन कमाल का कलाम फ़िल्म 'ऐतबार' से। आशा भोसले और भूपेन्द्र की युगल आवाज़ों में यह ग़ज़ल है। और दोस्तों, इस ग़ज़ल के बहाने 'An Indiam Morning' पर सुनाई दे रहा है संगीतकार बप्पी लाहिड़ी का संगीत। युं तो बप्पी दा डिस्को किंग् का इमेज रखते हैं, और ८० के दशक में फ़िल्म संगीत का स्तर गिराने वालों में उन्हे एक मुख्य अभियुक्त करार दिया जाता है, लेकिन यह बात भी सच है कि भले ही वो डिस्को और पाश्चात्य संगीत पर आधारित गानें ही ज़्यादा बनाए, लेकिन शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और सुगम संगीत पर भी उनकी पकड़ मज़बूत रही है। कुछ ऐसे गीतों की याद दिलाएँ आपको? फ़िल्म - 'आँगन की कली', गीत - "सइयां बिना घर सूना सूना", फ़िल्म - 'झूठी', गीत - "चंदा देखे चंदा तो ये चंदा शरमाए", फ़िल्म - 'मोहब्बत', गीत - "नैना ये बरसे मिलने को तरसे", फ़िल्म - 'अपने पराए', गीत - "हल्के हल्के आई चल के, बोले निंदिया रानी" और "श्याम रंग रंगा रे", फ़िल्म - 'टूटे खिलौने', गीत - "माना हो तुम बेहद हसीं", फ़िल्म - 'सत्यमेव जयते', गीत - "दिल में हो तुम आँख में तुम", फ़िल्म - 'लहू के दो रंग', गीत - "ज़िद ना करो अब तो रुको" और "माथे की बिंदिया बोले"। ऐसे और भी न जाने कितने गानें हैं बप्पी दा के जो बेहद सुरीले हैं और इस देश की ख़ुशबू लिये हुए है। आज फ़िल्म 'ऐतबार' के जिस ग़ज़ल की हम बात कर रहे हैं वह है - "किसी नज़र को तेरा इंतेज़ार आज भी है, कहाँ हो तुम के ये दिल बेक़रार आज भी है"। हसन कमाल की यह एक बेहद मक़बूल फ़िल्मी ग़ज़ल है, और उनके लिखे फ़िल्म 'निकाह' के ग़ज़लों के भी तो क्या कहने! नौशाद साहब की दूसरी आख़िरी फ़िल्म 'तेरी पायल मेरे गीत' में हसन कमाल ने गीत लिखे थे जिन्हे लता जी ने गाया था। और फिर फ़िल्म 'सिलसिला' का वह ख़ूबसूरत गीत भी तो है "सर से सरकी सर की चुनरिया लाज भरी अखियों में"। इसमें हसन कमाल ने "सरकी" और "सर की" का कितनी सुंदरता से प्रयोग किया था।
'ऐतबार' सन् १९८५ की रोमेश शर्मा की फ़िल्म थी जिसका निर्देशन किया था मुकुल आनंद ने। डिम्पल कपाडिया, राज बब्बर, सुरेश ओबेरॊय और डैनी अभिनीत इस फ़िल्म में हसन कमाल के अलावा फ़ारुख़ कैसर ने भी गीत लिखे थे। यह फ़िल्म १९५४ में ऐल्फ़्रेड हिचकॊक की थ्रिलर फ़िल्म 'डायल एम फ़ॊर मर्डर' का रीमेक है। इस हिदी वर्ज़न में थोड़ी सी फेर बदल की गई है। फ़िल्म में सुरेश ओबेरॊय एक ग़ज़ल गायक हैं और उन्ही पर फ़िल्म के दो बेहतरीन गीत - प्रस्तुत ग़ज़ल और "लौट आ गईं फिर से उजड़ी बहारें" फ़िल्माया गया है। इस ग़ज़ल की बात करें तो इसके शायर हसन कमाल ने सच में कमाल ही किया है इसमें। कुल ६ शेर हैं इस ग़ज़ल में और उसके बाद ग़ज़ल को एक आख़िरी सातवें शेर से ख़त्म किया जाता है जिसका मीटर अलग है।
ज़्यादातर इस तरह का शेर ग़ज़ल के शुरुआती शेर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यहाँ ग़ज़ल के अंत में इसका प्रयोग हुआ है और वह भी फ़िल्म के शीर्षक को शेर में लाकर हसन साहब ने अपनी दक्षता का परिचय दिया है।
न जाने देख के क्यों उनको ये हुआ अहसास,
के मेरे दिल पे उन्हे इख़्तियार आज भी है।
वो प्यार जिसके लिए हमने छोड़ दी दुनिया,
वफ़ा की राह में घायल वो प्यार आज भी है।
यकीं नहीं है मगर आज भी ये लगता है,
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी है।
ना पूछ कितने मोहब्बत के ज़ख़्म खाए हैं,
के जिनके सोच में दिल सौगवार आज भी है।
ज़िंदगी क्या कोई निसार करे, किससे दुनिया में कोई प्यार करे,
अपना साया भी अपना दुश्मन है, कौन अब किसका ऐतबार करे।
क्या आप जानते हैं...
कि बप्पी लाहिड़ी ने केवल १६ वर्ष की आयु में एक बंगला फ़िल्म 'दादू' में संगीत दिया था जिसमें तीनों मंगेशकर बहनों (लता, आशा, उषा) से उन्होने गाने गवाए थे।
03-KISI NAZAR KO TERA INTEZAAR AAJ BHI HAI CD MISC-20180415 TRACK#03 7:32
AITEBAAR-1985; ASHA BHOSLE, BHUPINDER SING; BAPPI LAHIDI; HASAN KAMAAL
https://www.youtube.com/watch?v=j8qtywZ6L70
अरे तौबा ये तेरी अदा...हंसती बिजली गाता शोला ये किसने देखा...अरे तौबा...
दोस्तों, आज हम आप को एक ऐसा गीत सुनवाने जा रहे हैं जिसे आप ने एक लंबे अरसे से नहीं सुना होगा, और आप में से कई लोग तो शायद पहली बार यह गीत सुनेंगे। यह जो आज का गीत है वो है तो एक चर्चित फिल्म से ही, लेकिन इस गीत को शायद उतना बढावा नहीं मिला जीतने फिल्म के दूसरे गीतों को मिला। इससे पहले कि इस गीत का ज़िक्र हम करें, गीता दत्त के बारे में चंद अल्फ़ाज़ कहना चाहूँगा। गीता दत्त की आवाज़ की ख़ासियत यह थी कि कभी उसमें वेदना की आह मिलती तो कभी रूमानियत की शोखी, कभी भक्ति रस में लीन हो जाती तो कभी अपनी आवाज़ को लंबा खींचकर लोगों को भाव-विभोर कर देती। संगीतकार ओ पी नय्यर ने पहली बार अपनी पहली ही फिल्म "आसमान" में गीता दत्त से गाने गवाए और यहाँ से शुरू हुई एक नशीली लंबी यात्रा। फिर तो जैसे नय्यर और गीता के 'हिट' गीतों की लडी ही लग गयी, मसलन, आर पार, सी आई डी, मिस्टर एंड मिसिस 55, हावडा ब्रिज, 12 ओ'क्लॉक वैगेरह। आज “An Indian Morning” में 12 ओ'क्लॉक से एक मचलता हुया नग्मा आपकी खिदमत में पेश है।
12 ओ'क्लॉक फिल्म बनी थी 1958 में। प्रमोद चक्रवर्ती की यह 'क्लॅसिक थ्रिलर' कहानी थी वहीदा रहमान अभिनीत लड्की की जिसे ग़लती से अपने भाई के खून के जुर्म में फँसाया गया था, और गुरु दत्त उसके वक़ील बने थे जिन्होने अंत में उसे बेक़सूर साबित करवाया। रोमहर्षक कहानी, जानदार अदाकारी, दिलकश संगीत, कुल मिलाकर जनता को यह फिल्म काफ़ी पसंद आई। इस फिल्म में रफ़ी साहब और गीता दत्त का गाया "तुम जो हुए मेरे हमसफ़र" बेहद मशहूर गीत है। उसकी तुलना में हेलेन पर फिल्माया गया "अरे तौबा यह तेरी अदा" कुछ कमसुना सा रह गया। लेकिन किसी भी दृष्ठि से यह गीत इस फिल्म के अन्य गीतों से कम नहीं है। पाश्चात्य रंग में ढाला हुआ यह गीत 'ऑर्केस्ट्रेशन' की दृष्ठि से काफ़ी ऊँचे स्तर का है और गीता दत्त ने अपनी मचलती आवाज़ से गीत में जान डाल दिया है। तो सुनिए मजरूह सुल्तनुपरी के बोल आज के 'An Indian Morning' में।
04-ARREY TAUBA ARREY TAUBA YEH TERI ADA CD MISC-20180415 TRACK#04 5:02
12 O’CLOCK-1958; GEETA DUTT; O.P.NAYYAR; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=WQz--MWJx7Y
कर ले प्यार कर ले के दिन हैं यही...आशा का जबरदस्त वोईस कंट्रोल
हेलेन का अंदाज़ और आशा भोंसले की आवाज़। ऐसा लगता है जैसे आशाजी की आवाज़ हेलेन के अंदाज़ों की ही ज़ुबान है। इसमें कोई शक़ नहीं कि अपनी आवाज़ से अभिनय करनेवाली आशा भोंसले ने हेलेन के जलवों को पर्दे पर और भी ज़्यादा प्रभावशाली बनाया है। चाहे ओ पी नय्यर हो या एस डी बर्मन, या फिर कल्याणजी आनांदजी, हर संगीतकार ने समय समय पर इस आशा और हेलेन की जोडी को अपने दिलकश धुनों से बार बार सजीव किया है हमारे सामने। आज 'An Indian Morning' में आशा भोंसले, हेलेन और एस डी बर्मन मचा रहे हैं धूम फिल्म "तलाश" के एक 'क्लब सॉंग' के ज़रिए।
ऐसे गीतों के लिए उस ज़माने में आशा भोंसले के अलावा किसी और गायिका की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। लेकिन आशाजी के लिए बर्मन दादा का यह गीत इस अंदाज़ का पहला गीत नहीं है। क्या आप को पता है कि आशाजी ने बर्मन दादा के लिए ही पहली बार एक 'कैबरे सॉंग' गाया था फिल्म टॅक्सी ड्राइवर (1953) में? इतना ही नहीं, आशाजी का गाया हुआ बर्मन दादा के लिए यह पहला गाना भी था। याद है ना आपको वो गीत? चलिए हम याद दिला देते हैं, वो गीत था टॅक्सी ड्राइवर फिल्म का जिसके बोल थे "जीने दो और जियो।।।मारना तो सब को है जीके भी देख ले, चाहत का एक जाम पी के भी देख ले"। इसके बाद जुवेल थीफ में "रात अकेली है" गीत बेहद मशहूर हुआ था। और फिर उसके बाद फिल्म तलाश का यह मचलता नग्मा।
05-KAR LE PYAR KAR LE KE DIN HAI YEHI CD MISC-20180415 TRACK#05 6:27
TALAASH-1969; ASHA BHOSLE; S.D.BURMAN; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=s_GV9MPuj80
निगाहें मिलाने को जी चाहता है...एक श्रेष्ठ फ़िल्मी कव्वाली
जहाँ तक फिल्मी क़व्वालियों का सवाल है, तो फिल्म संगीत में क़व्वाली को लोकप्रिय बनाने में संगीतकार रोशन का महत्वपूर्ण और सराहनीय योगदान रहा है. यूँ तो उनसे पहले भी फिल्मों में कई क़व्वालियाँ आईं, लेकिन उनमें फिल्मी रंग की ज़रा कमी सी थी जिसकी वजह से वो आम जनता में लोकप्रिय तो हुए लेकिन वो मुकाम हासिल ना कर सके जो दूसरे साधारण गीतों ने किये.
रोशन ने क़व्वालियों में वो फिल्मी अंदाज़, वो फिल्मी रंग भरा जो सुननेवालों के दिलों पर ऐसा चढा कि आज तक उतरने का नाम नहीं लेता. हुआ यूँ कि एक बार रोशन ने पाकिस्तान में एक क़व्वाली सुन ली "यह इश्क़ इश्क़ है". यह उन्हे इतनी पसंद आई कि अनुमति लेकर उन्होने इस क़व्वाली को अपनी अगली फिल्म "बरसात की रात" में शामिल कर लिया. यह क़व्वाली इतना लोकप्रिय हुई कि अगली फिल्म "दिल ही तो है" में निर्माता ने उनसे एक और ऐसी ही क़व्वाली की माँग कर बैठे. और एक बार फिर से रोशन ने अपने इस हुनर का जलवा बिखेरा "निगाहें मिलाने को जी चाहता है" जैसी क़व्वाली बनाकर. जी हाँ, आज 'An Indian Morning' में सुनिए यही मशहूर क़व्वाली.
फिल्म "दिल ही तो है" बनी थी सन् 1963 में. बी एल रावल निर्मित और सी एल रावल और पी एल संतोषी निर्देशित इस फिल्म के मुख्य कलाकार थे राज कपूर और नूतन. इस फिल्म का संगीत बेहद मक़बूल हुआ और मन्ना डे का गाया "लागा चुनरी में दाग" तो एक मील का पत्थर है इस गीत से जुडे हर एक कलाकार के संगीत सफ़र की. आशा भोंसले और साथियों का गाया "निगाहें मिलाने को जी चाहता है" एक मशहूर क़व्वाली के रूप में आज भी याद किया जाता है. इस क़व्वाली को लिखा था साहिर लुधियानवी ने. फिल्म "दिल ही तो है" की इस क़व्वाली के फ़िल्मांकन की अगर हम बात करें तो नूतन ने अपना बहुत ही अलग और खूबसूरत अंदाज़ इसमें पेश किया है. नूतन नृत्यांगना नहीं थी और ना ही इस तरह के पात्र उन्होने निभाए थे. बावजूद इसके, उन्होने बहुत ही अच्छे तरीके से इस जमीला बानो के चरित्र को निभाया जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया. अब शायद आपका भी "जी चाह रहा" होगा इस क़व्वाली को सुनने का, तो पेश-ए-खिदमत है...
06-NIGAHEIN MILANE KO JEE CHAHTA HAI CD MISC-20180415 TRACK#06 6:29
DIL HI TO HAI-1963; ASHA BHOSLE; ROSHAN; SAHIR LUDHIANAVI
https://www.youtube.com/watch?v=iWTcJnJsmSU
'Jab Se Tere Naina' from 'Saawariya' is an artistic expression of love. With this movie Bollywood hotties Ranbir Kapoor who does a teaser scene here, and Sonal Kapoor made their career debut. This beautiful love melody features Shaan's voice. Saawariya is an artistic Bollywood romantic drama, produced and directed by Sanjay Leela Bhansali. So Babloo here is ‘Jab Se Tere Naina’ aap ke anurodh pe….
07-JAB SE TERE NAINA CD MISC-20180415 TRACK#07 2:20
SAWARIYA-2007; SHAAN; MONTY SHARMA; SAMEER ANJAAN
https://www.youtube.com/watch?v=3XtUEgQLI5Y
THE END समाप्त
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