An Indian Morning
Sunday April 8th, 2018 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the Music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first half of the program features classical and religious music as well as regional and popular music. The seco
An Indian Morning celebrates not only the Music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first half of the program features classical and religious music as well as regional and popular music. The second half features community announcements, Ghazals, Themes, Popular Old & New Bollywood Films music and more.
The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind".
01-MAN TARPAT HARI DARSHAN KO AAJ CD MISC-20180408 TRACK#01 4:45
BAIIJU BAWRA-1952; MOHAMMAD RAFI; NAUSHAD; SHAKEEL BADAYUNI
https://www.youtube.com/watch?v=OyLdgQinxpY
एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए।
न वैसे गीतकार रहे न वैसे संगीतकार ही रहे, जब तक जहाँ रहे रफ़ी को सुनते ही रहें। मन तरपत हरी दर्शन को आज शक़ील, नौशाद व मो. रफ़ी द्वारा तैयार किया गया कृष्ण भजन है जो की राग मालकौंस का सटीक उदाहरण है।
चली गोरी पी के मिलन को चली...राग भैरवी में पी को ढूंढती हेमन्त दा की
“An Indian Morning” पर जारी श्रृंखला “दस थाट, दस राग और दस गीत” के नए सप्ताह में सभी रसिकों का मैं किशोर संपट एक बार फिर हार्दिक स्वागत करता हूँ।
आधुनिक उत्तर भारतीय संगीत में राग-वर्गीकरण के लिए प्रचलित दस थाट प्रणाली पर केन्द्रित इस श्रृंखला में अब तक आप कल्याण, बिलावल, खमाज, भैरव, पूर्वी, मारवा, काफ़ी, आसावरी और तोड़ी थाट का परिचय प्राप्त कर चुके हैं। आज बारी है, दसवें थाट अर्थात “भैरवी” की।
आइए आज आपका परिचय “भैरवी” थाट से कराते हैं। “भैरवी”, जिसमें सा, रे॒, ग॒, म, प, ध॒, नि॒ स्वरों का प्रयोग होता है, अर्थात ऋषभ, गांधार, धैवत और निषाद स्वर कोमल और शेष स्वर शुद्ध। “भैरवी” थाट का आश्रय राग भैरवी नाम से ही पहचाना जाता है।
इस थाट के अन्य कुछ प्रमुख राग हैं- मालकौस, धनाश्री, विलासखानी तोड़ी आदि। यूँ तो इसके गायन-वादन का समय प्रातःकाल, सन्धिप्रकाश बेला में है, किन्तु अनेक वर्षों से राग “भैरवी” का गायन-वादन किसी संगीत-सभा अथवा समारोह के अन्त में किये जाने की परम्परा बन गई है। राग “भैरवी” को ‘सदा सुहागिन राग’ भी कहा जाता है।
ठुमरी, दादरा, सुगम संगीत और फिल्म संगीत में राग भैरवी का सर्वाधिक प्रयोग मिलता है। आज आपको सुनवाने के लिए राग भैरवी पर आधारित जो गीत हमने चुना है वह सुप्रसिद्ध फ़िल्मकार बी.आर. चोपड़ा की १९५६ में बनी फिल्म “एक ही रास्ता” से है। इस फिल्म के संगीतकार हेमन्त कुमार थे, जिन्होने मजरूह सुल्तानपुरी की लोक-स्पर्श करते गीत को भैरवी के स्वरों में बाँधा था। गीत में कहरवा की लयकारी अत्यन्त आकर्षक है। इस गीत की एक विशेषता यह भी है की संगीतकार हेमन्त कुमार ने गीत को स्वयं अपना ही कोमल और मधुर स्वर दिया है। गीत के बोल हैं- “चली गोरी पी के मिलन को चली...”।
लीजिए अब आप सुनिए, श्रृंखला “दस थाट, दस राग और दस गीत” की इस समापन कड़ी में थाट “भैरवी” के आश्रय राग “भैरवी” पर आधारित यह गीत-
02-CHALI GORI PEE SE MILAN KO CHALI CD MISC-20180408 TRACK#02 3:49
EK HI RAASTA-1956; HEMANT KUMAR; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=_5yvCq2knLA
तेरा हिज्र मेरा नसीब है... जब कब्बन मिर्ज़ा से गवाया खय्याम साहब और कमाल अमरोही ने
“An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ।
'रज़िया सुल्तान' कमाल अमरोही की एक महत्वाकांक्षी फ़िल्म थी, लेकिन बदक़िस्मती से फ़िल्म असफल रही। हाँ फ़िल्म के गानें बेहद सराहे गए और आज इस फ़िल्म को केवल इसके गीतों और ग़ज़लों की वजह से ही याद किया जाता है। 'कहकशाँ' शृंखला में आज सुनिए हेमा मालिनी व धर्मेन्द्र अभिनीत सन् १९८३ की इसी फ़िल्म से एक ग़ज़ल कब्बन मिर्ज़ा की आवाज़ में। ख़य्याम साहब का संगीत और निदा फ़ाज़ली का क़लाम। दोस्तों, पहले निदा साहब से उनके ख़यालात जान लें इस ग़ज़ल से जुड़ी हुई!
"बात दरअसल है कि जब घर से बेघर हो गया तो हर शहर एक सा हो गया। और मैं भटकता रहा। और उस वक़्त मसला, न सियासत था, न तासूत था, ना मुल्की तफ़सीम थी, सिर्फ़ मसला था रोटी की, कपड़ों की, और सर पे छत का। आम हिंदुस्तानी की ज़िंदगी में हर चीज़ बड़ी लेट आती है। मेरे साथ भी यही हुआ। जब मैं यहाँ बम्बई आया, तो ले दे के एक ही काम आता था कि क़लम से लिखना और अख़्बारों में छपवाना। मालूम पड़ा कि उस पीरियड में जगह जगह मैसेज मिलती था कि 'Mr Kamal Amrohi wants to meet Nida Fazli'। तो मैं सोच नहीं पाता था कि कमाल अमरोही, इतने मशहूर डिरेक्टर मुझसे क्यों मिलना चाहते हैं। बहरहाल मैं ज़रूरतमंद था और वो ज़रूरतें पूरी करने वाले डिरेक्टर थे। मैं पहुँच गया और जब पहुँचा तो मालूम पड़ा कि वो खाना खाने के बाद आधा घंटा आराम फ़रमाते हैं।
बहरहाल उनके ऐसिस्टैण्ट ने मुझे इंतेज़ार करने को कहा। मैं गया तो ज़ाहिर है कि मैंने कहा कि 'अमरोही साहब, मैं हाज़िर हूँ, मेरा नाम निदा फ़ाज़ली है, आप ने मुझे याद किया'। बोले 'जी, तशरीफ़ रखिए, आप से कुछ नग़मात तहरीर करवाना है'। तो ऐसे नस्तारीख़ ज़बान, जो मैं पढ़ता था किताबो में, बम्बई में आके भूल गया था, तो उनके जुमले से। मैंने कहा मैं हाज़िर हूँ। उन्होने कहा कि एक बात का ख़याल रखिये, कि मुझे मुक़म्मल शायर की ज़रूरत है, लेकिन इस शर्त के साथ कि अदबी शायरी और होती है और फ़िल्मी शायरी और। अदबी शायरी के आपको मेरे मिज़ाज की शिनाख़्त बहुत ज़रूरी है। जाँ निसार अख़्तर मेरे मिज़ाज को पहचान गए थे, अल्लाह को प्यारे हो गए। मैंने कहा मैं यह शर्त पूरी करने वाला नहीं हूँ, लेकिन कोशिश करूँगा कि आपके मिज़ाज के मुताबिक़ गीत लिख सकूँ। मैंने वो ग़ज़ल लिखी थी "तेरा हिज्र ही मेरा नसीब है, तेरा ग़म ही मेरी हयात है"।
तेरा हिज्र ही मेरा नसीब है, तेरा ग़म ही मेरी हयात है,
मुझे तेरी दूरी का ग़म हो क्यों, तू कहीं भी हो मेरे साथ है।
मेरे वास्ते तेरे नाम पर, कोई हर्फ़ आए नहीं नहीं,
मगर मेरे रू-ब-रू तेरी ज़ात है, मेरे रू-ब-रू तेरी ज़ात है।
तेरा वस्ल ऐ मेरी दिलरुबा, नहीं मेरी क़िस्मत तो क्या हुआ,
मेरी महजबीं यही कम है क्या, तेरी हसरतों का तो साथ है।
तेरा इश्क़ मुझ पे है महरबाँ, मेरे दिल को हासिल है दो जहाँ,
मेरी जान-ए-जाँ इसी बात पर, मेरी जान जाए तो बात है।
Parting from you, my fate it may be
Longing for you, the only life I see
Why should I despair of farness though,
Wherever you are, you are close to me...
For my sake your name is clouded,
I will never allow this to be
I may not be afraid of this world,
but your virtue is at the heart of me...
I am not sad, o my darling,
being with you was not to be
It is no less for me, my love,
that yearning for you is my destiny…
क्या आप जानते हैं...
कि कब्बन मिर्ज़ा किसी ज़माने में विविध भारती के उद्घोषक हुआ करते थे और उनकी गम्भीर और अनूठी आवाज़ दूसरे उद्घोषकों के मुक़ाबले बिलकुल अलग सुनाई पड़ती थी।
03-TERA HIJR HI MERA NASEEB HAI CD MISC-20180408 TRACK#03 4:20
RAZIA SULTAN-1983; KABAN MIRZA; KHAYYAM; NIDA FAZLI
https://www.youtube.com/watch?v=5dXfVXJBsz4
वो दिन याद करो-हमराही १९६३
आम तौर पर फिल्मों में हास्य कलाकारों के ऊपर जो गीत फिल्माए जाते हैं उनमें हास्य का पुट ज़रूर होता है। प्रस्तुत गीत अपवाद सरीखा है क्यूंकि ये एक सामान्य रोमांटिक गीत है और इसी वजह से ये काफी लोकप्रिय हुआ।
हसरत जयपुरी के बोल, शंकर जयकिशन का संगीत और लता रफ़ी की आवाजों वाला ये गीत महमूद और शुभा खोटे पर फिल्माया गया है। हास्य आपको अभिनय में अवश्य मिलेगा मगर नपा-तुला और नियंत्रित।
04-WOH DIN YAAD KARO CD MISC-20180408 TRACK#04 4:00
HUMRAHI-1963; MOHAMMAD RAFI, LATA MANGESHKAR; SHANKAR-JAIKISHAN; HASRAT JAIPURI
https://www.youtube.com/watch?time_continue=1&v=CmnZESJyN9A
एक नज़र बस एक नज़र-मुनीमजी १९५५
सन १९५५ में कई म्यूजिकल हिट फ़िल्में आयीं उनमें से एक है मुनीमजी। इस फिल्म के अधिकाँश गाने जो है वो लोकप्रिय हैं। एस डी बर्मन भक्तों के अनुसार इसके सभी गीत लोकप्रिय एवं हिट हैं।
सुनते हैं फिल्म से लता मंगेशकर का गाया हुआ एक गीत जिसे लिखा है साहिर लुधियानवी ने।
05-EK NAZAR BAS EK NAZAR CD MISC-20180408 TRACK#05 4:10
MUNIMJI-1955; LATA MANGESHKAR; S. D. BURMAN; SAHIR LUDHIANAVI
https://www.youtube.com/watch?time_continue=47&v=dupDUNY-De8
चाहा है तुझको-मन १९९९
चाह, चाहना इत्यादि थीम के अंतर्गत अगला गीत सुनते हैं जो फिल्म मन से है। १९९९ की फिल्म मन में आमिर खान और मनीषा कोइराला की मुख्या भूमिकाएं हैं।
फिल्म के सभी गीत लोकप्रिय हैं और इन्हीं में से आज सुनेंगे जो उदित नारायण और अनुराधा पौडवाल का गाया हुआ है। समीर के बोल और संजीव दर्शन का संगीत है।
06-CHAHA HAI TUJHKO CHAHOONGA HARDAM CD MISC-20180408 TRACK#06 4:53
MANN-1999; UDIT NARAYAN, ANURADHA PAUDWAL; SANJEEV-DARSHAN; SAMEER
https://www.youtube.com/watch?v=Gk7eFVeB7dU
हमेशा तुमको चाहा-देवदास २००२
चलचित्र कथानक देवदास के नवीनतम संस्करण से एक गीत सुनते हैं आज। शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का उपन्यास बीसवी सदी की सबसे चर्चित कृतियों में से एक है। उल्लेखनीय है ये उपन्यास उन्होंने १७ वर्ष की उम्र में लिखा डाला था।
देवदास उपन्यास पर फ़िल्में कई भाषाओँ में बनायीं का चुकी है। उपन्यास पर सबसे पहले मूक युग में फिल्म बनी थी। १९३६ की देवदास बनने के पहले इसे बंगाली भाषा में बनाया जा चुका था।
नुसरत बद्र के बोल हैं और इस्माईल दरबार का संगीत। इसे गाया है कविता कृष्णमूर्ति और उदित नारायन ने।
07-HAMESHA TUMKO CHAHA CD MISC-20180408 TRACK#07 6:04
DEVDAS-2002; KAVITA KRISHNAMURTHY, UDIT NARAYAN; ISMAIL DARBAR; NUSRAT BADR
https://www.youtube.com/watch?time_continue=76&v=mcILZ21m6Wk
मित्रों, आज हम ’An Indian Morning’ में फिर से पिछले साल पर नज़र डाल रहे हैं। पिछले साल की फ़िल्मों के कुछ अच्छे गीतों को दोबारा सुन लिया जाए। इस लिए हम वर्ष 2017 के 25 श्रेष्ठ गीतों की सूची पर पहुँचे। ये 25 गीत किसी पायदान रूपी क्रम में नहीं सजाए गए हैं, और ना ही हम किसी काउन्टडाउन के स्वरूप में इन्हें पेश कर रहे हैं। बस यूं समझ लीजिए कि ’An Indian Morning’ द्वारा चुने गए वर्ष 2017 की ये श्रेष्ठ रचनाएँ हैं। तो हर हप्ते हम सुनवाऐंगे दो या तीन बीते बरस 2017 के श्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्मी गीत।
कुछ तूने सी है मैंने की है रफ़ू ये डोरियाँ Rafu
वर्ष 2017 के पच्चीस शानदार गीतों के इस तीन महीने से चल रहे सफ़र का आख़िरी पड़ाव आ चुका है और इस साल के सरताज गीत का सेहरा बँधा है तीन ऐसे नए कलाकारों के ऊपर जो वैसे तो अपनी अपनी विधा में बेहद गुणी हैं पर हिंदी फिल्मी गीतों में जिनकी भागीदारी शुरु ही हुई है। अब आप ज़रा बताइए कि क्या शांतनु घटक, रोंकिनी गुप्ता और अनूप सातम का नाम आपने पहले कभी सुना था? पर शांतनु ने गीत की धुन और बोल, रोंकिनी ने अपनी बेमिसाल गायिकी और अनूप ने गिटार पर अपनी कलाकारी का जो सम्मिलित जौहर दिखलाया है वो इस गीत को 2017 का सरताज गीत बनाने में कामयाब रहा है।
08-KUCHH TOONE SI HAI MAINE KI HAI RAFU YEH DORIYAN CD MISC-20180408 TRACK#08 2:54
TUMHARI SULU-2017; RONKINI GUPTA; SHANTANU GHATAK, ANUP SATAM
https://www.youtube.com/watch?v=m6XWGn43HKo
ताज़ा - सुरताल
The music of Baaghi had done well and hence when second in the franchise is arriving, one expects the team to deliver something exciting all over again that compliments the ‘masala’ genre of the film. As is the trend, multiple composers, lyricists and singers join hands to put together as many as half a dozen songs for this Sajid Nadiadwala film which has Ahmed Khan taking over the mantle to direct Tiger Shroff.
Yesteryear chartbuster ‘Mundiyan’ is heard all over again more than a decade and a half after it turned popular, what with Sandeep Shirodkar picking up the mantle to recreate it.
Navraj Hans and Palak Muchhal pair up for this Punjabi dance number featuring Tiger Shroff and Disha Patani which has Ginny Diwan as the lyricist. There are quite a few variations that are brought in the 2018 version and you don’t mind that.
09-MUNDIYAN CD MISC-20180408 TRACK#09 4:21
BAAGI 2-2018; NAVRAJ HANS, PALAK MUCHHAL; SANDEEP SHIRODKAR; GINNY DIWAN
https://www.youtube.com/watch?v=gpX-wmBIa94
THE END समाप्त
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