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An Indian Morning
Sunday February 4th, 2018 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second

An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second one hour features community announcements and ear pleasing music from old/new & popular Indian films. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind". 01-SUNDAR GOPALAM CD MISC-20180204 TRACK#01 6:20 DIVINE CHANTS OF KRISHNA-2004; DEVAKI PANDIT; HEMANT MATTANI; TRADITIONAL https://www.youtube.com/watch?v=A_eHoXRMBjA एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। अब क्या मिसाल दूं...वाकई बेमिसाल है ये गीत और इस गीत में रफ़ी साहब की आवाज़ “An Indian Morning” के समस्त संगीत-प्रेमी श्रोताओं का एक बार पुनः मैं किशोर संपट हार्दिक स्वागत करता हूँ। दोस्तों, अपने देश में संगीत की हजारों वर्ष पुरानी समृद्ध परम्परा है। आपने “An Indian Morning” पर परम्परागत भारतीय संगीत पर आधारित कुछ श्रृंखलाओं का आनन्द लिया है और इन्हें सराहा भी है। हमारी अपेक्षा है कि आप संगीत के एक अच्छे श्रोता बनें और उसकी सराहना कर सकें। पिछले सप्ताह से आरम्भ हुई श्रृंखला- “दस थाट, दस राग और दस गीत” में भी हमारा यही प्रयास रहेगा कि शास्त्रीय संगीत आपके लिए अनबूझ पहेली बन कर न रह जाय। इस श्रृंखला- “दस थाट, दस राग और दस गीत” में इन्हीं दस थाटों का सरल परिचय देने का प्रयास करेंगे। हर हफ्ते एक थाट, एक राग, एक गीत। इस श्रृंखला में हमने आपको “कल्याण” और “बिलावल” थाट का परिचय दे चुके हैं। आज तीसरा थाट है- “खमाज”। खमाज थाट के स्वर होते हैं- सा, रे ग, म, प ध, नि॒। इस थाट का आश्रय राग ‘खमाज’ कहलाता है। ‘खमाज’ राग में निषाद कोमल और शेष सभी स्वर शुद्ध होते हैं। इसका आरोह- सा, गम, प, ध नि सां और अवरोह- सांनि धप, मग, रेसा होता है। वादी स्वर गांधार और संवादी स्वर निषाद होता है। इस राग के गायन-वादन का समय रात्रि का दूसरा प्रहर होता है। खमाज थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ प्रमुख राग है- झिंझोटी, तिलंग, रागेश्वरी, गारा, देस, जैजैवन्ती, तिलक कामोद आदि। आज हम आपको राग “खमाज” पर आधारित जो गीत सुनवाने जा रहे हैं, वह १९६३ में प्रदर्शित फिल्म “आरती” से लिया गया है। इस फिल्म के संगीत निर्देशक रोशन थे। हिन्दी फिल्म के जिन संगीतकारों ने राग आधारित गीतों की उत्तम रचनाएँ की हैं, उनमें रोशन का नाम सर्वोपरि है। रोशन द्वारा संगीतबद्ध अनेक राग आधारित गीत आज कई दशक बाद भी लोकप्रिय हैं। आज हमने राग “खमाज” पर आधारित, फिल्म ‘आरती’ का जो गीत आपको सुनवाने के लिए चुना है, उसे रोशन ने ही संगीतबद्ध किया था। गीत के बोल हैं- “अब क्या मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की...”। इसके गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी हैं और इसे मोहम्मद रफी ने स्वर दिया है। आइए सुनते हैं, राग “खमाज” पर आधारित यह गीत- 02-AB KYA MISAL DOON MEIN TUMHARE SHABAB KI CD MISC-20180204 TRACK#03 3:14 AARTI-1963; MOHAMMAD RAFI; ROSHAN; MAJROOH SULTANPURI https://www.youtube.com/watch?v=X6fvCGfmoyc मोहब्बत रंग लाएगी जनाब आहिस्ता आहिस्ता....इसी विश्वास पे तो कायम है न दुनिया के तमाम रिश्ते “An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। हर दौर में शायरों ने, गुलुकारों ने, क़व्वालों ने इस अदबी रवायत को बरकरार रखने की पूरी कोशिशें की हैं। और यही वजह है कि आज हमारे पास एक बेश-कीमती ख़ज़ाना है इन सुरीले फ़नकारों के फ़न का। यह वह कहकशाँ है जिसके सितारों की चमक कभी फ़ीकी नहीं पड़ती और ता-उम्र इनकी रोशनी इस दुनिया के लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ को सुकून पहुँचाती चली आ रही है। पर वक्त की रफ़्तार के साथ बहुत से ऐसे नगीने मिट्टी-तले दब जाते हैं। बेशक़ उनका हक़ बनता है कि हम उन्हें जानें, पहचानें और हमारा भी हक़ बनता है कि हम उन नगीनों से नावाकिफ़ नहीं रहें। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ। तो क्यों ना रफ़ी साहब की गायी हुई ८० के दशक के एक ग़ज़ल से ही कर दी जाए! ऐसे में बस एक ही यादगार ग़ज़ल ज़हन में आती है। चन्द्राणी मुखर्जी के साथ उनकी गायी हुई फ़िल्म 'पूनम' की ग़ज़ल "मोहब्बत रंग लाएगी जनाब आहिस्ता आहिस्ता"। अनु मलिक का संगीत, और वह भी उनका पहला पहला गीत। इस ग़ज़ल को लिखा था अनु मलिक के मामा, यानी गीतकार और शायर हसरत जयपुरी साहब ने। 'पूनम' १९८१ की फ़िल्म थी जिसके मुख्य कलाकार थे राज बब्बर और पूनम ढिल्लों। फ़िल्म तो नहीं चली, लेकिन यह ग़ज़ल सदाबहार बन कर रह गया। भी तो तुम झिझकते हो, अभी तो तुम सिमटते हो, के जाते जाते जाएगा हिजाब आहिस्ता आहिस्ता। हिजाब अपनों से होता है, नहीं होता है ग़ैरों से, कोई भी बात बनती है जनाब आहिस्ता आहिस्ता। 03-MOHABBAT RANG LAYEGI JANAB AHISTA AHISTA CD MISC-20180204 TRACK#03 4:44 POONAM-1981; MOHAMMAD RAFI, CHANDRANI MUKHERJEE; ANU MALIK; HASRAT JAIPURI https://www.youtube.com/watch?v=ScrOw2UfTJQ जीना तो है उसी का जिसने ये राज़ जाना....कि गाते सुनते गुनगुनाते उम्र गुजरे तो है सफर ये सुहाना क़व्वाली के विशेषताओं, या फिर युं कहिए कि नियमों को, क़व्वाली की परिभाषा के लिए जिन्हें श्रेय दिया जाता है वो हैं अल-ग़ज़ली। हालाँकि उनसे पहले भी दूसरे इस्लामी विशेषज्ञों ने इस तरह के संगीत के आध्यात्मिक पक्ष पर प्रकाश डाल चुके थे। लेकिन आज जो हम उनकी क़व्वाली लेकर आए हैं वह एक ऐसी क़व्वाली है जिसे बहुत ज़्यादा नहीं सुना गया। यह एक दार्शनिक क़व्वाली है; इस विषय पर बहुत सारे गीत लिखे गए हैं, लेकिन क़व्वाली की बात करें तो इस तरह की यह एकमात्र फ़िल्मी क़व्वाली ही मानी जाएगी। १९७१ की फ़िल्म 'अधिकार' की यह क़व्वाली है "जीना तो है उसी का जिसने यह राज़ जाना, है काम आदमी का औरों के काम आना"। एस. नूर निर्मित 'अधिकार' का निर्देशन किया था एस. एम. सागर ने। अशोक कुमार, नंदा और देब मुखर्जी अभिनीत इस लो बजट फ़िल्म के संवाद व गानें लिखे रमेश पंत ने। मोहम्मद रफ़ी और साथियों की आवाज़ों में यह एक बहुत ही ख़ूबसूरत क़व्वाली है, जिसे असली क़व्वालों से गवाया गया है। रफ़ी साहब ने भी क्या पैशन और डूब कर गाया है इस क़व्वाली को कि इसमें जान फूँक दी है। फ़िल्म के सिचुएशन के मुताबिक़ यह क़व्वाली एक बच्चे के जन्म की ख़ुशी पर हो रहे जलसे में गाया जा रहा है, जैसे कि शुरुआती पंक्तियों में कहा गया है कि "ऐसी चीज़ सुनाए कि महफ़िल दे ताली पे ताली, वरना अपना नाम नहीं है बन्ने ख़ाँ भोपाली, मुन्ने मिया बधाई बनो ख़ूब होनहार, दोनों जहाँ की नेमतें हों आप पे निसार, बचपन हो ख़ुशगवार, जवानी सदा बहार, अल्लाह करे यह दिन आए हज़ार बार"। इस तरह से इसे हम 'हैप्पी बर्थडे क़व्वाली' भी कह सकते हैं और यह आम "हुस्न" और "इश्क़" जैसी विषयों से बिलकुल अलग हट कर है। फ़िल्म के पर्दे पर इसे अंजाम दिया है प्राण साहब ने जिन्होंने क़व्वाल बन्ने ख़ाँ भोपाली का किरदार निभाया था। क्या आप जानते हैं... कि रमेश पंत को १९७१ की फ़िल्म 'अमर प्रेम' में संवाद लिखने के लिए सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिया गया था। 04-JEENA TO HAI USKI JISNE YE RAAZ JAANA CD MISC-20180204 TRACK#04 6:24 ADHIKAR-1971; MOHAMMAD RAFI; R.D.BURMAN; RAMESH PANT https://www.youtube.com/watch?v=Mi_zD3M3Yo0 मित्रों, आज हम ’An Indian Morning’ में फिर से पिछले साल पर नज़र डाल रहे हैं। पिछले साल की फ़िल्मों के कुछ अच्छे गीतों को दोबारा सुन लिया जाए। इस लिए हम वर्ष 2017 के 25 श्रेष्ठ गीतों की सूची पर पहुँचे। ये 25 गीत किसी पायदान रूपी क्रम में नहीं सजाए गए हैं, और ना ही हम किसी काउन्टडाउन के स्वरूप में इन्हें पेश कर रहे हैं। बस यूं समझ लीजिए कि ’An Indian Morning’ द्वारा चुने गए वर्ष 2017 की ये श्रेष्ठ रचनाएँ हैं। तो हर हप्ते हम सुनवाऐंगे दो या तीन बीते बरस 2017 के श्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्मी गीत। ये इश्क़ है - फ़िल्म – रंगून - गायक - अरिजीत सिंह - गीतकार – गुलज़ार - संगीतकार - विशाल भारद्वाज 05-YEH ISHQ HAI CD MISC-20180204 TRACK#05 4:39 RANGOON-2017; ARIJIT SINGH; VISHAL BHARDWAJ; GULZAR https://www.youtube.com/watch?v=QSnTWImnPPE जोगी - फ़िल्म - शादी में ज़रूर आना - गायक - यासिर देसाई, आकांशा शर्मा गीतकार – ऑर्को -संगीतकार – ऑर्को 06-JOGI CD MISC-20180204 TRACK#06 2:43 SHAADI MEIN ZAROOR AANA-2017; YASIR DESAI, AANKAANSHA SHARMA; ARKO; ARKO https://www.youtube.com/watch?v=q5gGKGyQM9Y तू बन जा गली बनारस की - फ़िल्म - शादी में ज़रूर आना - गायक - असित त्रिपाठी, शशि गीतकार - शकील आज़मी - संगीतकार - राशिद ख़ान 07-TU BAN JA GALI BANARAS KI CD MISC-20180204 TRACK#07 4:09 SHAADI MEIN ZAROOR AANA-2017; ASIT TRIPATHI; RASHID KHAN; SHAQIL AZMI https://www.youtube.com/watch?v=RNVb5DgQqw4 ताज़ा - सुरताल The moment Pragati Joshi, Deepti Rege and Mayuri Kudalkar come together to render the word ‘Superhero’, you know that the small town feel would be quite prevalent in ‘The Pad Man Song’. Introducing the character played by Akshay Kumar as a superhero of a different kind who doesn’t have to jump from buildings to prove his might, this musical piece is just the right fit for Pad Man. Mika Singh sings this one with his heart in and rest assured the song too would feature at quite a few places in the film, especially around the interval point and whenever the central protagonist wins in his pursuit of excellence. 08-THE PADMAN SONG CD MISC-20180204 TRACK#08 2:15 PADMAN-2018; MIKA SINGH; AMIT TRIVEDI; KAUSAR MUNIR https://www.youtube.com/watch?v=8ktEOccsbbI THE END समाप्त
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