An Indian Morning
Sunday June 5th, 2016 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
Devotional, Classical, Ghazals, Folklore, Old/New Popular Film/Non-Film Songs, Community Announcements and more...
Celebrating "Music of India" along with its rich art, artisans, culture and people while keeping the "SPIRIT OF INDIA" alive.....
एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए ।
राग ललित : “प्रीतम दरस दिखाओ”..’ : मन्ना डे और लता मंगेशकर : फिल्म – चाचा ज़िन्दाबाद
आज का राग है ललित। इस राग के लिए मदन मोहन के जिस गीत को हमने चुना है, वह है फ़िल्म “चाचा ज़िन्दाबाद” से। लता मंगेशकर और मन्ना डे की युगल आवाज़ों में "प्रीतम दरस दिखाओ..." शास्त्रीय संगीत पर आधारित बनने वाले फ़िल्मी गीतों में विशेष स्थान रखता है। 1959 में निर्मित इस फ़िल्म का गीत-संगीत बिल्कुल असाधारण था। एक तरफ़ "बैरन नींद ना आए..." और "प्रीतम दरस दिखाओ..." जैसी राग आधारित रचनाएँ थीं तो दूसरी तरफ़ Rock 'N' Roll आधारित किशोर कुमार का गाया "ऐ हसीनों, नाज़नीनों..." जैसा गीत था। बदक़िस्मती से फ़िल्म फ़्लॉप हो गई और इसकी कब्र में इसके गानें भी चले गए। पर अच्छी बात यह है कि शास्त्रीय संगीत आधारित फ़िल्म के दोनों गीतों को कम ही सही पर मकबूलियत ज़रूर मिली थी। "प्रीतम आन मिलो..." गीत के बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। फ़िल्म में एक सिचुएशन ऐसी थी कि एक लड़की अपने गुरु से शास्त्रीय संगीत सीख रही है। इस सिचुएशन पर मदन मोहन ने राजेन्द्र कृष्ण से "प्रीतम दरस दिखाओ..." गीत लिखवा कर राग ललित में उसे स्वरबद्ध किया।
उनकी दिली ख़्वाहिश थी कि इस गीत को उस्ताद अमीर ख़ाँ साहब और लता मंगेशकर गाए। लेकिन जब लता जी के कानों में यह ख़बर पहुँची कि मदन जी उनके साथ उस्ताद अमीर ख़ाँ साहब को गवाने की सोच रहे हैं, वो पीछे हो गईं।
उन्होंने निर्माता ओम प्रकाश और मदन मोहन से कहा कि उन्हें इस गीत के लिए माफ़ कर दिया जाए और किसी अन्य गायिका को ख़ाँ साहब के साथ गवाया जाए। मदन मोहन अजीब स्थिति में फँस गए। वो लता जी के सिवाय किसी और से यह गीत गवाने की सोच नहीं सकते थे, और दूसरी तरफ़ ख़ाँ साहब को गवाने की भी उनकी तीव्र इच्छा थी। जब उन्होंने लता जी से कारण पूछा तो लता जी ने उन्हें कहा कि वो इतने बड़े शास्त्रीय गायक के साथ गाने में बहुत नर्वस फ़ील करेंगी जिनकी वो बहुत ज़्यादा इज़्ज़त करती हैं। लता जी ने भले उस समय यह कारण बताया हो, पर कारण कुछ और भी थे। वो नहीं चाहती थीं कि उनके साथ ख़ाँ साहब की तुलनात्मक विश्लेषण लोग करे। दूसरा, एक बार कलकत्ता में बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब के साथ स्टेज शो में लता जी बहुत शर्मनाक स्थिति में पड़ गई थीं जब वहाँ मौजूद दर्शकों ने बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब से ज़्यादा लता जी को तवज्जो देते हुए शोर मचाने लगे थे। ख़ाँ साहब की लता जी बहुत इज़्ज़त करती थीं, पर उस घटना ने उन्हें बेहद लज्जित कर दिया था। लता जी ने क़सम खा लिया कि इसके बाद शास्त्रीय गायकों के साथ कभी शोज़ नहीं करेंगी। ख़ैर, "प्रीतम दरस दिखाओ...” को अन्त में मन्ना डे और लता जी ने गाया। लीजिए, अब आप राग ललित के स्वरों में यह प्यारा युगल गीत सुनिए।
01-Preetam Daras Deekhao CD MISC-20160605 Track#01 4:53
CHACHA ZINDABAD-1959; Lata Mangeshkar, Manna Dey; Madan Mohan; Rajinder Krishan
“An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। हर दौर में शायरों ने, गुलुकारों ने, क़व्वालों ने इस अदबी रवायत को बरकरार रखने की पूरी कोशिशें की हैं। और यही वजह है कि आज हमारे पास एक बेश-कीमती ख़ज़ाना है इन सुरीले फ़नकारों के फ़न का। यह वह कहकशाँ है जिसके सितारों की चमक कभी फ़ीकी नहीं पड़ती और ता-उम्र इनकी रोशनी इस दुनिया के लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ को सुकून पहुँचाती चली आ रही है। पर वक्त की रफ़्तार के साथ बहुत से ऐसे नगीने मिट्टी-तले दब जाते हैं। बेशक़ उनका हक़ बनता है कि हम उन्हें जानें, पहचानें और हमारा भी हक़ बनता है कि हम उन नगीनों से नावाकिफ़ नहीं रहें। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ। आज पेश है ग़ुलाम अली की गाई हुई एक ग़ज़ल।
साल 1983 में पैशन्स (Passions) नाम की ग़ज़लों की एकग ऐल्बम आई थी। उस एलबम में एक से बढ़कर एक कुल नौ गज़लें थी। मज़े की बात है कि इन नौ ग़ज़लों के लिए आठ अलग-अलग गज़लगो थे: प्रेम वरबरतनी, एस एम सादिक़, अहमौम फ़राज़, हसन रिज़वी, मोहसिन नक़्वी, चौधरी बशीर, जावेद कुरैशी और मुस्तफा ज़ैदी। और इन सारे गज़लगो की गज़लों को जिस फ़नकार या कहिए गुलूकार ने अपनी आवाज़ और साज़ से सजाया था आज की यह महफिल उन्हीं को नज़र है। उम्मीद है कि आप समझ ही गए होंगे। जी हाँ, हम आज पटियाला घराना के मशहूर पाक़िस्तानी फ़नकार "ग़ुलाम अली" साहब की बात कर रहे हैं।
ग़ुलाम अली साहब, जो कि बड़े ग़ुलाम अली साहब के शागिर्द हैं और जिनके नाम पर इनका नामकरण हुआ है, गज़लों में रागों का बड़ा ही बढ़िया प्रयोग करते हैं। बेशक़ ही ये घराना-गायकी से संबंध रखते हैं, लेकिन घरानाओं (विशेषकर पटियाला घराना) की गायकी को किस तरह गज़लों में पिरोया जाए, इन्हें बख़ूबी आता है। ग़ुलाम अली साहब की आवाज़ में वो मीठापन और वो पुरकशिश ताज़गी है, जो किसी को भी अपना दीवाना बना दे। अपनी इसी बात की मिसाल रखने के लिए हम आपको “पैशन्स” ऐल्बम से एक गज़ल सुनाते हैं, जिसे लिखा है जावेद कुरैशी ने। हाँ, सुनते-सुनते आप मचल न पड़े तो कहिएगा।
02-Nigahon Se Hamein Samjah Rahen Hain CD MISC-20160605 Track#02 5:09
PASSIONS-1983; Ghulam Ali; Javed Qureshi
“कहकशाँ” की आज की यह पेशकश आपको कैसी लगी, ज़रूर बताइएगा हमें ई-मेल के ज़रिए । हमारा ई-मेल पता है aim931@rogers.com.
गायिका कमल बारोट - [गुमनाम गायक/गायिका ]
Singer Kamal Barot
हिंदी फिल्मों की पार्श्वगायिकाओं में एक भूला-बिसरा सा नाम - 'कमल बारोट',
जिनका नाम सुनते ही सबसे पहले में जो गाना याद आता है वह है - 'हँसता हुआ नूरानी चेहरा' जिसे उन्होंने लता के साथ गाया है !
'दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ' इस गीत में भी उनका साथ आशा ने दिया है ! उनकी विशेषता यह थी कि वह एक छोटे बच्चे के लिए, एक किशोरी के लिए या फिर किसी अल्हड शरारती युवती के लिए अपनी आवाज़ को उसी अंदाज में ढाल लिया करती थीं !
कमल बारोट की आवाज़ एक ऐसे समय में आई जब लता -आशा हिंदी फ़िल्मी संगीत में छायी हुयी थीं ! ऐसे समय में एक अलग सी खनक लिए इस आवाज़ को सोलो कम लेकिन दोगाने अधिक मिले !
आशा भोसले, लता जी, सुमन कल्यानपुर आदि के साथ उनके कई गीत हैं साथ ही रफ़ी, मुकेश, महेंद्र कपूर आदि के साथ भी कई युगल गीत उन्होंने गाये हैं. कोई एक ऐसा सोलो यादगार गीत अगर पूछा जाये जो उनकी आवाज़ में हो तो शायद बता पाना मुश्किल होगा, लेकिन दोगाने ऐसे कई हैं जिन्हे आज भी याद किया जाता है ! मुकेश के साथ उनकी आवाज़ बहुत अच्छी कम्प्लिमेंट करती थी !
संगीतकार चित्रगुप्त के संगीत निर्देशन में उन्होंने कई गीत गाये ! कमल बारोट फ़िल्मी परिवार से थीं, फिर भी उनके फ़िल्मी कैरियर को वो मुकाम नहीं मिला जो मिलना चाहिए था ! उनके भाई चन्द्र बारोट 1978 की फिल्म डॉन के निर्देशक थे !
कमल बारोट जो अब 70 से ऊपर की उम्र की हैं अब भी कभी-कभी देश -विदेश में संगीत के कार्यकर्म देती हैं !
03-Suna Hai Jabse Mausam CD MISC-20160605 Track#03 3:50
RAMU DADA-1961; Kamal Barot; Chitragupt; Majrooh Sultanpuri
फिल्मी गानों में हिंदी मुहावरे / कहावतें
[मुहावरा - नाच न जाने आँगन टेढ़ा]
Meaning : Said of a person without skill who blames his failure on other things
Naach Na Jane Kahe Aangan Tedha, Meri Dhuno Pe Dekho Radha Lahraye
नाच न जाने कहे आँगन टेढ़ा, मेरी धुनों पे देखो राधा लहराये
04-Naach Na Jaane Kahe Aangan Tedha CD MISC-20160605 Track#04 5:59
ZAMANA-1985; Hariharan, Kishore Kumar; Usha Khanna; Majrooh Sultanpuri
हंसी-मजाक के गीत : (Funny / Comedy Songs )
अपने-अपने मियाँ पे सबको बड़ा नाज़ है, पूछ लो किसी से ये खुल्लम खुल्ला राज़ है
Apne Apne Miya Pe Sabko Bada Naaz Hai, Puch Lo Kisi Se
05-Apne Apne Miyan Pe Sabko Bada Naaz Hai CD MISC-20160605 Track#05 4:36
APNA BANA LO-1982; Asha Bhosle; Laxmikant-Pyarelal; Anand Bakshi
ताजा-सुर ताल
The melodious music album from Nagesh Kukunoor's upcoming film 'Dhanak' has been making waves across the country. The soundtrack, composed by Tapas Relia, is infused with local Rajasthani flavours that make for a wonderful blend of musical styles.
14 year old Devu Khan Manganiyar joins Chet Dixon with his fabulous rendition of Dum-A-Dum Mast Qalandar in Relia’s own take on the oft-covered track. It is a pretty neat adaptation that sees a smooth mix of Western and Rajasthani elements.
06-Dum-A-Dum CD MISC-20160605 Track#06 4:40
DHANAK-2016; Chet Dixon, Devu Khan Manganiyar; Tapas Relia; Traditional
07-Dhanak Theme-Instrumental CD MISC-20160605 Track#07 3:00
DHANAK-2016; Tapas Relia
THE END समाप्त
Preetam Daras Deekhao Lata Mangeshkar, Manna Dey; Madan Mohan; Rajinder Krishan - CHACHA ZINDABAD-1959 |
Nigahon Se Hamein Samjah Rahen Hain Ghulam Ali; Javed Qureshi - PASSIONS-1983 |
Suna Hai Jabse Mausam Kamal Barot; Chitragupt; Majrooh Sultanpuri - RAMU DADA-1961 |
Naach Na Jaane Kahe Aangan Tedha Hariharan, Kishore Kumar; Usha Khanna; Majrooh Sultanpuri - ZAMANA-1985 |
Apne Apne Miyan Pe Sabko Bada Naaz Hai Asha Bhosle; Laxmikant-Pyarelal; Anand Bakshi - APNA BANA LO-1982 |
Dum-A-Dum Chet Dixon, Devu Khan Manganiyar; Tapas Relia; Traditional - DHANAK-2016 |
Dhanak Theme-Instrumental Tapas Relia - DHANAK-2016 |