An Indian Morning
Sunday April 3rd, 2016 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
Devotional, Classical, Ghazals, Folklore, Old/New Popular Film/Non-Film Songs, Community Announcements and more...
Celebrating "Music of India" along with its rich art, artisans, culture and people to keep the "SPIRIT OF INDIA" alive...
एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के
दस थाट, दस राग और दस गीत” शृंखला # 749- जागो रे जागो प्रभात आया...
जागो रे जागो प्रभात आया...मन और जीवन के अंधेरों को प्रकाशित करता एक गीत
रागदारी संगीत में प्रचलित थाट प्रणाली पर परिचयात्मक श्रृंखला “दस थाट, दस राग और दस गीत” की नौवीं कड़ी में, मैं किशोर संपट एक बार पुनः आपका स्वागत करता हूँ। आज बारी है थाट “तोड़ी” से परिचय प्राप्त करने की। श्रृंखला की अभी तक की कड़ियों में हमने उत्तर भारतीय संगीत में प्रचलित थाट प्रणाली को रेखांकित करने का प्रयास किया है। आज की कड़ी में हम दक्षिण भारतीय संगीत में प्रचलित प्राचीन थाट व्यवस्था पर चर्चा करेंगे।
दक्षिण भारतीय संगीत पद्यति के विद्वान पण्डित व्यंकटमखी ने थाटों की संख्या निश्चित करने के लिए गणित को आधार बनाया और पूर्णरूप से गणना कर थाटों की कुल संख्या ७२ निर्धारित की। इनमें से उन्होने १९ व्यावहारिक थाटों का चयन किया। व्यंकटमखी की थाट संख्या को दक्षिण भारतीय संगीतज्ञों ने तो अपनाया, किन्तु उत्तर भारत के संगीत पर इसका विशेष प्रभाव नहीं हुआ।
आइए आज आपका परिचय “तोड़ी” थाट से कराते हैं। इस थाट में प्रयोग होने वाले स्वर हैं- सा, रे॒, ग॒, म॑, प, ध॒, नि अर्थात ऋषभ, गांधार और धैवत स्वर कोमल, मध्यम तीव्र तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है। इस थाट का आश्रय राग “तोड़ी” ही कहलाता है।
तोड़ी के अलावा इस थाट का एक अन्य प्रमुख राग है- मुलतानी। “तोड़ी” राग के गायन-वादन का समय दिन का दूसरा प्रहर माना जाता है।
आज की कड़ी में हम आपको राग तोड़ी पर आधारित एक मोहक गीत सुनवाएँगे, जिसके बोल हैं- “जागो रे जागो प्रभात आया...”। यह गीत हमने १९६४ में प्रदर्शित फिल्म “सन्त ज्ञानेश्वर” से लिया है, जिसके संगीतकार लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल हैं। फिल्म “सन्त ज्ञानेश्वर” इस संगीतकार जोड़ी की प्रारम्भिक फिल्मों में से एक थी। इस दौर में लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल ने राग आधारित कई अच्छे गीतों को संगीतबद्ध किया था। राग तोड़ी पर आधारित गायक मन्ना डे के स्वरों में यह गीत अधिक भावपूर्ण बन गया है। इस गीत के गीतकार भरत व्यास हैं। आइए सुना जाये, राग “तोड़ी” पर आधारित यह गीत-
01-Jaago Re Prabhat Aaya CD MISC-20160403 Track#01 3:15
SANT GYANESHWAR-1964; Manna Dey; Laxmikant-Pyarelal; Bharat Vyas
हम बने तुम बनें एक दूजे के लिए....और एक दूजे के लिए ही तो हैं आवाज़ और उसके संगीत प्रेमी श्रोता
'एक मैं और एक तू' शृंखला # 559- हम बने तुम बनें एक दूजे के लिए....
फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के चुने हुए युगल गीतों को सुनते हुए आज हम क़दम रख रहे हैं ८० के दशक में। पिछले हफ्ते के गीत से ही आप ने अंदाज़ा लगाया होगा कि ७० के दशक के मध्य भाग के आते आते युगल गीतों का मिज़ाज किस तरह से बदलने लगा था।
उससे पहले फ़िल्म के नायक नायिका की उम्र थोड़ी ज़्यादा दिखाई जाती थी, लेकिन धीरे धीरे फ़िल्मी कहानियाँ स्कूल-कालेजों में भी समाने लगी और इस तरह से कॊलेज स्टुडेण्ट्स के चरित्रों के लिए गीत लिखना ज़रूरी हो गया। नतीजा, वज़नदार शायराना अंदाज़ को छोड़ कर फ़िल्मी गीतकार ज़्यादा से ज़्यादा हल्के फुल्के और आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करने लगे। कुछ लोगों ने इस पर फ़िल्मी गीतों के स्तर के गिरने का आरोप भी लगाया, लेकिन क्या किया जाए, जैसा समाज, जैसा दौर, फ़िल्म और फ़िल्म संगीत भी उसी मिज़ाज के बनेंगे। ख़ैर, आज हम बात करते हैं ८० के दशक की। इस दशक के शुरुआती दो तीन सालों तक तो अच्छे गानें बनते रहे और लता और आशा सक्रीय रहीं। ८० के इस शुरुआती दौर में जो सब से चर्चित प्रेम कहानी पर बनी फ़िल्म आई, वह थी 'एक दूजे के लिए'। यह फ़िल्म तो जैसे एक ट्रेण्डसेटर सिद्ध हुई। सब कुछ नया नया सा था इस फ़िल्म में। नई अभिनेत्री रति अग्निहोत्री रातों रात छा गईं और दक्षिण के कमल हासन ने बम्बई में अपना सिक्का जमा लिया। और साथ ही गायक एस. पी. बालसुब्रह्मण्यम ने भी तो अपना जादू चलाया था इस फ़िल्म में। आनंद बक्शी के लिखे गीत, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के सुपरडुपर हिट संगीत ने ऐसी धूम मचाई जिसकी गूँज आज तक सुनाई देती है। वैसे एल.पी को इस फ़िल्म के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार तो नहीं मिला था, लेकिन सब से बड़ा पुरस्कार इनके लिए तो यही है कि आज भी आये दिन इस फ़िल्म के गीत कहीं ना कहीं से सुनाई दे जाते हैं। तो आइए दोस्तों, ८० के दशक को सलाम करते हुए आज इसी गीत को सुना जाए लता और एस.पी की युगल आवाज़ों में। तो आइए दोस्तों, ८० के दशक के इस महत्वपूर्ण फ़िल्म का यह सदाबहार युगल गीत सुनते हैं।
02-Hum Bane Tum Bane Ek Duje Ke Liye CD MISC-20160403 Track#02 6:06
EK DUUJE KE LIYE-1981; Lata Mangeshkar, S.P.Balsubhramanian; Laxmikant-Pyarelal; Anand Bakshi
आओ मनाये जश्ने मोहब्बत, जाम उठाये गीतकार मजरूह साहब के नाम
“...और कारवाँ बनता गया” शृंखला # 669- आओ मनाये जश्ने मोहब्बत, जाम उठाये....
मजरूह सुल्तानपुरी एक ऐसे गीतकार रहे हैं जिनका करीयर ४० के दशक में शुरु हो कर ९० के दशक के अंत तक निरंतर चलता रहा और हर दशक में उन्होंने अपना लोहा मनवाया। पिछले हफ्ते हमनें १९७३ की फ़िल्म 'अभिमान' का गीत सुना था। आज भी इसी दशक में विचरण करते हुए हमनें जिस संगीतकार की रचना चुनी है, वो हैं राजेश रोशन। वैसे तो राजेश रोशन के पिता रोशन के साथ भी मजरूह साहब नें अच्छा काम किया, फ़िल्म 'ममता' का संगीत उसका मिसाल है; लेकिन क्योंकि हमें १०-कड़ियों की इस छोटी सी शृंखला में अलग अलग दौर के संगीतकारों को शामिल करना था, इसलिए रोशन साहब को हम शामिल नहीं कर सके, लेकिन इस कमी को हमन उनके बेटे राजेश रोशन को शामिल कर पूरा कर रहे हैं। एक बड़ा ही लाजवाब गीत हमनें चुना है मजरूह-राजेश कम्बिनेशन का, १९७७ की फ़िल्म 'दूसरा आदमी' से। "आओ मनायें जश्न-ए-मोहब्बत जाम उठायें जाम के बाद, शाम से पहले कौन ये सोचे क्या होना है शाम के बाद"। हज़ारों गीतों के रचैता मजरूह सुल्तानपुरी के फ़न की जितनी तारीफ़ की जाये कम है।
ज़िक्र चाहे दोस्त के दोस्ती की हो या फिर महबूब द्वारा अपने महबूबा से छुवन का पहला अहसास, मुश्किल से मुश्किल भाव को भी बड़े ही सहजता से व्यक्त करना उनका कमाल था और बड़ी ख़ूबसूरती के साथ इन अहसासों को वे लफ़्ज़ों में पकड़ लेते थे। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की आवाज़ों में आज का प्रस्तुत गीत भी इन्हीं में से एक है।
गीत के पिक्चराइज़ेशन की बात करें तो यह पार्श्व में चलने वाला गीत है, यानी किसी अभिनेता ने लिप-सींक नहीं किया है। पार्टी में ॠषी कपूर और राखी डांस करते हुए दिखाये जाते हैं और राखी को मन ही मन चाहने वाले परीक्षित साहनी दूर खड़े उन्हें देखते रहते हैं। और घर में तन्हाई में बैठी नीतू सिंह अपने पति ॠषी कपूर के दफ़्तर से वापस लौटने का इंतज़ार कर रही है। वैवाहिक संबंधों के तानेबाने पर केन्द्रित यश चोपड़ा की इस फ़िल्म के सभी गानें लोकप्रिय हुए थे, लेकिन यह गीत फ़िल्म का सब से उत्कृष्ट गीत है हमारी नज़र में, आइए सुना जाये!
क्या आप जानते हैं...
कि मजरूह सुल्तानपुरी के बेटे अंदलिब सुल्तानपुरी फ़िल्म जगत में एक निर्देशक की हैसियत रखते हैं। 'जानम समझा करो' उन्हीं के निर्देशन में बनी पहली फ़िल्म थी।
03-Aao Manayen Jashn-e-Mohabbat CD MISC-20160403 Track#03 3:13
DOOSRA AADMI-1977; Lata Mangeshkar, KishoreKumar; Rajesh Roshan; Majrooh Sultanpuri
फिर किसी शाख ने फेंकी छाँव....और "बहुत देर तक" महकती रही तनहाईयाँ
“एक पल की उम्र लेकर” शृंखला# 719- फिर किसी शाख ने फेंकी छाँव....
'An Indian Morning' के सभी चाहने वालों को किशोर संपट का प्यार भरा नमस्कार! इन दिनों आप आनंद ले रहे हैं लघु शृंखला 'एक पल की उम्र लेकर' में। आज नवी कड़ी के लिए हमने चुनी है कविता 'बहुत देर तक'।
कभी कभी ज़िंदगी यूं करवट लेती है कि जब हमारा साथी हमसे बिछड़ जाता है। हम लाख कोशिश करें उसके दामन को अपनी ओर खींचे रखने की, पर जिसको जाना होता है, वह चला जाता है, अपनी तमाम यादों के कारवाँ को पीछे छोड़े। उसकी यादें तन्हा रातों का सहारा बनती हैं। फिर एक नई सुबह आती है जब कोई नया साथी मिल जाता है। पहले पहले उस बिछड़े साथी के जगह उसे रख पाना असंभव सा लगता है, पर समय के साथ साथ सब बदल जाता है। अब नया साथी भी जैसे अपना सा लगने लगता है जो इस तन्हा ज़िंदगी में रोशनी की किरण बन कर आया है। और जीवन चक्र चलता रहता है। एक बार फिर। "फिर किसी शाख़ नें फेंकी छाँव, फिर किसी शाख़ नें हाथ हिलाया, फिर किसी मोड़ पे उलझे पाँव, फिर किसी राह नें पास बुलाया"। किसी के लिए ज़िंदगी नहीं रुकती। वक़्त के साथ हर ज़ख़्म भरता नहीं, फिर भी जीते हैं लोग कोई मरता नहीं। तो उस राह नें अपनी तरफ़ उसे बुलाया, और वो उस राह पर चल पड़ा, फिर एक बार। आइए सुना जाये राहुल देव बर्मन के संगीत में फ़िल्म 'लिबास' में लता मंगेशकर की आवाज़, गीत एक बार फिर गुलज़ार साहब का।
04-Phir Kisi Shaakh Ne CD MISC-20160403 Track#04 4:43
LIBAAS-1988; Lata Mangeshkar; Rahul Dev Burman; Gulzar
क्या गजब करते हो जी, प्यार से डरते हो जी....मगर जनाब हँसना कभी नहीं छोडना रोने के डर से
“गान और मुस्कान” शृंखला # 659- क्या गजब करते हो जी, प्यार से डरते हो जी....
'गान और मुस्कान' शृंखला में अब तक आपने आठ गीत सुनें जिनके भाव अलग अलग थे, लेकिन जो एक बात उनमें समान थी, वह यह कि हर गीत में किसी न किसी बात पर गायक की हँसी सुनाई दी। आज के अंक के लिए हमने जिस गीत को चुना है, उसमें भी हँसी तो है ही, लेकिन यह हँसी थोड़ी मादकता लिये हुए है। एक सेनशुअस नंबर, एक सिड्युसिंग् नंबर, और इस तरह के गीतों को आशा जी किस तरह का अंजाम देती हैं, इससे आप भली-भाँति वाकिफ़ होंगे। जी हाँ, आज आशा भोसले की मादक आवाज़ में सुनिए १९८१ की फ़िल्म 'लव स्टोरी' से "क्या ग़ज़ब करते हो जी, प्यार से डरते हो जी, डर के तुम और हसीन लगते हो जी"। युं तो फ़िल्म के नायक-नायिका हैं कुमार गौरव और विजेता पंडित, लेकिन यह गीत फ़िल्माया गया है अरुणा इरानी पर, जो नायक कुमार गौरव को अपनी तरफ़ आकर्षित करना चाह रही है, लेकिन नायक साहब कुछ ज़्यादा इंटरेस्टेड नहीं लगते। उस पर नायिका विजेता भी तो पर्दे के पीछे से यह सब कुछ देख रही है, और कुमार गौरव भी उसे देखते हुए देखता है, लेकिन अरुणा इरानी इससे बेख़बर है। इस गीत में आशा जी की शरारती हँसी गीत की शुरुआत में ही सुनाई दे जाती है।
हँसी के अलावा गीत में आगे चलकर आशा जी अंगड़ाई भी लेती है, जिसका भी अपना अलग मादक अंदाज़ है। आनंद बख्शी और राहुल देव बर्मन इस फ़िल्म के गीतकार-संगीतकार रहे।
पंचम नें इन फ़िल्मों में गीतों की कर्णप्रियता के साथ भी कोई समझौता नहीं किया। अब आज के प्रस्तुत गीत को ही ले लीजिये, अगर यह गीत आज के दौर में बना होता तो यकीनन इसको अश्लीलता से भर दिया गया होता, गायकी में भी अश्लील शैली अपनायी गई होती, लेकिन इस गीत को सुनते हुए कभी भी ऐसा नहीं लगता कि कहीं पे कोई ग़लत बात है। गीत मादक और सिड्युसिव ज़रूर है लेकिन अश्लील कदापि नहीं। लीजिए आप भी इसी बात को महसूस कीजिए आशा जी की चंचल, शोख़ और शरारती अंदाज़ में।
क्या आप जानते हैं...
कि एक साक्षात्कार में राहुल देव बर्मन नें यह स्वीकार किया था कि ८० के दशक में एक के बाद एक २३ लगातार फ़िल्मों के लिए उनका संगीत फ़्लॉप रहा।
05-Kya Ghazab Karte Ho Ji, Pyar Se Darte Ho Ji CD MISC-20160403 Track#05 3:26
LOVE STORY-1981; Asha Bhosle; Rahul Dev Burman; Anand Bakshi
1) “ दस थाट, दस राग और दस गीत” 2) “एक मैं और एक तू” 3) “...और कारवाँ बनता गया” 4) “एक पल की उम्र लेकर” 5) “गान और मुस्कान”
वार्षिक संगीतमाला 2015 पॉयदान # 5 : मैं तुझ से प्यार नही करती .. Main Tujhse Pyar Nahin Karti...
क्या किसी से प्यार करने के लिए उसे कहा जाना भी जरूरी है? हाँ जरूर कहना चाहिए। पर कभी हम ये खुल कर स्वीकार करने से हिचकते हैं। हर रिश्ते की अपनी जटिलताएँ होती हैं और चाहते हुए भी हम अपने मन की बात होठों पर नहीं ला पाते।अलबत्ता ये भी सही नहीं कि हम 'डिनायल मोड' में ही चले जाएँ यानि जो कहना चाहते हैं उससे ठीक उलट कहें। दिमाग चाहता भी नहीं है कि स्पष्ट रूप से कह दें और दिल है कि अंदर ही अंदर परेशान किए देता है। भावनाओं का ये विरोधाभास अगर सबसे प्यारे तरीके से किसी गीत में उभरा है तो वो था फिल्म घरौंदा के लिए रूना लैला का गाया, नक़्श ल्यालपुरी का लिखा व जयदेव का संगीतबद्ध अमर अजर गीत मुझे प्यार तुमसे नहीं है नहीं है मगर ये राज मैंने अब तक न जाना..। आज भी उस गीत को ना जाने कितनी बार भी सुन लूँ मन नहीं भरता। क्या गीत था वो भी!
पर साल 2016 की इस संगीतमाला में लगभग चालीस साल पुराने इस गीत को आज मैं क्यूँ याद कर रहा हूँ? दो वज़हें हैं जनाब इसकी। संगीतमाला का प्रस्तुत गीत मन और मस्तिष्क की इसी उधेड़बुन को एक बार फिर सामने ला खड़ा करता है और दूसरी बात ये कि ये गीत एक ऐसी आवाज़ को मेरे सम्मुख ले आया है जिसमें रूना लैला की प्यारी आवाज़ सी एक ख़नक जरूर है और शायद ये आवाज़ ही इस गीत को आप तक पहुँचाने में सफल रही है।
ये अनजाना सा गीत है फिल्म बेबी का ! ना तो इसे टीवी पर प्रमोट किया गया ना ही इसे फिल्म में जगह मिली। बेबी के इस गीत के गीतकार हैं मनोज मुन्तसिर।
इस गीत का संगीत दिया है एम एम करीम यानि एम एम कीरावानी ने। बेबी के इस गीत के लिए उनकी पसंद रहीं राम्या बेहरा ! आख़िर कौन हैं ये राम्या बेहरा?
राम्या का ये गीत फिल्म का तो नहीं पर एलबम का जरूर हिस्सा बना। राम्या हिंदी फिल्मों में और गीत गाने की ख़्वाहिश रखती हैं और जितनी प्यारी उनकी आवाज़ है उन्हें और मौके जरूर मिलने चाहिए।
अगर आपको यकीन नहीं तो ख़ुद ही सुन लीजिए ना इस बेहद संवेदनशील नग्मे और आवाज़ को।
06-Mein TujHse Pyar Nahin Karti CD MISC-20160403 Track#06 4:34
BABY-2015; Ramya Behra; M.M.Kareem; Manoj Muntsir
15 अप्रैल को शाहरुख खान अभिनीत 'फैन' रिलीज होने वाली है और फिल्म का प्रमोशन शुरू हो गया है। फिल्म का एकमात्र गाना जारी हुआ है जिसमें शाहरुख ऐसे किरदार में हैं जो सुपरस्टार शाहरुख खान का दीवाना है। शाहरुख इसमें छोटे शहर के 25 वर्ष के युवक के समान नजर आ रहे हैं। 'जबरा' सांग को शाहरुख के फैंस ने हाथों-हाथ लिया है और फिल्म के प्रति उत्सुकता अचानक बहुत बढ़ गई है।
The music for Fan is composed by Vishal-Shekhar with lyrics written by Varun Grover. The first song "Jabra Fan", was released on 16 February 2016.[22] The full soundtrack album was released on 22 February 2016 which included 7 songs, all of which were different versions of the song "Jabra Fan". The song was in 7 different prominent Indian languages sung by regional singers.
07-Ghaint Fan (Punjabi) CD MISC-20160327 Track#07 3:45
FAN-2016; Harbhajan Mann; Vishal-Shekhar; Varun Grover
THE END समाप्त
Jaago Re Prabhat Aaya Manna Dey; Laxmikant-Pyarelal; Bharat Vyas - SANT GYANESHWAR-1964 |
Hum Bane Tum Bane Ek Duje Ke Liye Lata Mangeshkar, S.P.Balsubhramanian; Laxmikant-Pyarelal; Anand Bakshi - EK DUUJE KE LIYE-1981 |
Aao Manayen Jashn-e-Mohabbat Lata Mangeshkar, KishoreKumar; Rajesh Roshan; Majrooh Sultanpuri - DOOSRA AADMI-1977 |
Phir Kisi Shaakh Ne Lata Mangeshkar; Rahul Dev Burman; Gulzar - LIBAAS-1988 |
Kya Ghazab Karte Ho Ji, Pyar Se Darte Ho Asha Bhosle; Rahul Dev Burman; Anand Bakshi - LOVE STORY-1981 |
Mein TujHse Pyar Nahin Karti Ramya Behra; M.M.Kareem; Manoj Muntsir - BABY-2015 |
Ghaint Fan (Punjabi) Harbhajan Mann; Vishal-Shekhar; Varun Grover - FAN-2016 |