An Indian Morning
Sunday March 20th, 2016 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
Devotional, Classical, Ghazals, Folklore, Old/New Popular Film/Non-Film Songs, Community Announcements and more...
Celebrating not only the "Music of India", but equally so its rich art, artisans and culture. Maintaining the "Spirit of India".....
एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए।
काली घोड़ी द्वारे खड़ी...काली बाईक का जिक्र और थाट काफ़ी
दस थाट, दस राग और दस गीत’ शृंखला # 747- काली घोड़ी द्वारे खड़ी...
“An Indian Morning” पर जारी भारतीय संगीत के आधुनिक काल में प्रचलित थाटों की श्रृंखला “दस थाट, दस राग और दस गीत” की आज की कड़ी में हम “काफी” थाट का परिचय प्राप्त करेंगे और इस थाट के आश्रय राग “काफी” पर आधारित एक फिल्मी गीत का आनन्द भी लेंगे।
संगीत की परिभाषा में थाट को संस्कृत ग्रन्थों में मेल अर्थात स्वरों का मिलाना या इकट्ठा करना कहते हैं। काफी थाट के स्वर हैं- सा, रे, ग॒, म, प, ध, नि॒। काफी थाट का आश्रय राग “काफी” होता है।
आज हम आपको राग काफी पर आधारित एक फिल्म-गीत सुनवाते हैं, जिसे हमने १९८१ में प्रदर्शित फिल्म “चश्म-ए-बद्दूर” से लिया है। फिल्म के संगीत निर्देशक राजकमल हैं, जिन्हें राजश्री की कई पारिवारिक फिल्मों के माध्यम से पहचाना जाता है। राजश्री के अलावा राजकमल ने निर्देशिका सई परांजपे की अत्यन्त चर्चित फिल्म “चश्म-ए-बद्दूर” में भी उत्कृष्ट स्तर का संगीत दिया था। इस फिल्म में उन्होने इन्दु जैन के लिखे दो गीतों को राग मेघ और काफी के स्वरों पर आधारित कर संगीतबद्ध किया था। आज हम आपको राग काफी पर आधारित गीत- “काली घोड़ी द्वारे खड़ी...” सुनवाते हैं, जिसे येसुदास और हेमन्ती शुक्ला ने स्वर दिया है।
गीत सितारखानी ताल में में निबद्ध है। आप यह गीत सुनिये और गीत का शब्दों पर ध्यान दीजिएगा। गीत में “काली घोड़ी” शब्द का प्रयोग “मोटर साइकिल” के लिए हुआ है। आइए आप भी सुनिए यह मनोरंजक किन्तु राग काफी के स्वरों पर आधारित यह गीत-
01-Kali Ghodi Dwar Khadi CD MISC-20160320 Track#01 5:36
CHASM-E-BADUR-1981; Yesudas, Hemanti Shukla; Rajashri; Indu Jain
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है....मीर ने दी चिंगारी तो मजरूह साहब ने बात कर दी आम इश्क वाली
'एक मैं और एक तू' शृंखला # 557- पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है....
'एक मैं और एक तू' - फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के सदाबहार युगल गीतों से सजी इस लघु शृंखला में आज बारी ७० के दशक की। आज का यह अंक हम समर्पित कर रहे हैं १८-वीं शताब्दी के मशहूर शायर मीर तक़ी मीर के नाम। जी हाँ, उनकी लिखी हुई एक मशहूर ग़ज़ल से प्रेरीत होकर मजरूह सुल्तानपुरी ने यह गीत लिखा था - "पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने ना जाने गुल ही ना जाने बाग़ तो सारा जाने है"। यह पूरा मुखड़ा मीर के उस ग़ज़ल का पहला शेर है। आगे गीत के तीन अंतरे मजरूह साहब ने ख़ुद लिखे हैं। इन्हे आप गीत को सुनते हुए जान ही लेंगे।
लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ों में यह फ़िल्म 'एक नज़र' का गीत है। गीतकार का नाम तो हम बता ही चुके हैं, संगीतकार हैं लक्ष्मीकांत प्यारेलाल। 'एक नज़र' शीर्षक से दो फ़िल्में बनीं हैं। एक १९५७ में, जिसमें रवि का संगीत था और जिसमें तलत महमूद के गाए कुछ अच्छे गानें भी थे। आज का गीत १९७२ की 'एक नज़र' का है जिसमें मुख्य कलाकार थे अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी। यह फ़िल्म उन दोनों के करीयर के साथ साथ काम किया हुआ सब से बड़ी फ़्लॊप फ़िल्म साबित हुई। आज 'एक नज़र' फ़िल्म को अगर कोई याद करता है तो बस इस दिलकश गीत की वजह से। दोस्तों, प्यार भरे युगल गीतों की इस शृंखला में आइए आज सुनते हैं स्वर कोकिला लता जी और गायकी के शहंशाह रफ़ी साहब की आवाज़ें!
क्या आप जानते हैं...
कि लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी ने साथ में कुल ४४० युगल गीत गाए हैं।
02-Patta Patta Butta Butta Haal Hamara Jaane Hai CD MISC-20160320 Track#02 5:02
EK NAZAR-1972; Lata Mangeshkar, Mohammad Rafi; Laxmikant-Pyarelal; Majrooh Sultanpuri
क्या जानूँ सजन होती है क्या गम की शाम....जब जल उठे हों मजरूह के गीतों के दिए तो गम कैसा
“...और कारवाँ बनता गया” शृंखला # 667- क्या जानूँ सजन होती है क्या गम की शाम....
फ़िल्म-संगीत इतिहास के सुप्रसिद्ध गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को समर्पित 'An Indian Morning' की लघु शृंखला '...और कारवाँ बनता गया' की सातवीं कड़ी में एक ऐसे संगीतकार की रचना लेकर आज हम उपस्थित हुए हैं जिस संगीतकार के साथ भी मजरूह साहब नें एक सफल और बहुत लम्बी पारी खेली है। आप हैं राहुल देव बर्मन। इन दोनों के साथ की बात बताने से पहले यह बताना ज़रूरी है कि इस जोड़ी को मिलवाने में फ़िल्मकार नासिर हुसैन की मुख्य भूमिका रही है। वैसे कहीं कहीं यह भी सुनने/पढ़ने में आता है कि मजरूह साहब नें पंचम की मुलाक़ात नासिर साहब से करवाई। उधर ऐसा भी कहा जाता है कि साहिर लुधियानवी नें नासिर साहब की आलोचना की थी उनकी व्यावसायिक फ़िल्में बनाने के अंदाज़ की। नासिर साहब नाराज़ होकर साहिर साहब से यह कह कर मुंह मोड़ लिया कि साहिर साहब चाहते हैं कि हर निर्देशक गुरु दत्त बनें। नासिर हुसैन को अपना स्टाइल पसंद था, जिसमें वो कामयाब भी थे, तो फिर किसी और फ़िल्मकार के नक्श-ए-क़दम पर क्यों चलना! और इस तरह से मजरूह बन गये नासिर हुसैन की पहली पसंद और उन्होंने मजरूह साहब से दस फ़िल्मों में गीत लिखवाये। इन दस फ़िल्मों में जिनमें राहुल देव बर्मन का संगीत था, उनमें शामिल हैं 'तीसरी मंज़िल', 'बहारों के सपने', 'यादों की बारात', 'प्यार का मौसम', 'हम किसी से कम नहीं', 'कारवाँ', 'ज़माने को दिखाना है', 'मंज़िल मंज़िल', और 'ज़बरदस्त'।
आइए आज राहुल देव बर्मन और मजरूह सुल्तानपुरी की जोड़ी को समर्पित एक गीत सुना जाये फ़िल्म 'बहारों के सपने' से। लता मंगेशकर की आवाज़ में यह गीत है "क्या जानू सजन होती है क्या ग़म की शाम, जल उठे सौ दीये जब लिया तेरा नाम"। इस गीत में पंचम नें उस ज़माने के हिसाब से एक अनूठा और नवीन प्रयोग किया। उस ज़माने में सुपरिम्पोज़िंग् या मिक्सिंग् की तकनीक विकसित नहीं हुई थी। लेकिन पंचम नें समय से पहले ही इस बारे में सोचा और इसे अपने तरीके से सच कर दिखाया। इस गीत को सुनते हुए आप महसूस करेंगे कि मुख्य गीत के पार्श्व में भी अंतरे में एक गायिका की आवाज़ निरंतर चलती रहती है। पंचम नें गीत को लता की आवाज़ में ईरेज़िंग् हेड को हटाकर रेकॉर्ड किया। उसके बाद दोबारा लता जी से ही आलाप के साथ उसी रेकॉडिंग् पर रेकॉर्ड किया। मिक्सिंग् की तकनीक के न होते हुए भी पंचम नें मिक्सिंग् कर दिखाया था। लेकिन शायद यह बात कुछ लोगों के पल्ले नहीं पड़ी और उन्होंने इस गीत की विनाइल रेकॉर्ड पर लता मंगेशकर के साथ साथ उषा मंगेशकर को भी क्रेडिट दे दी। और लोग यह समझते रहे कि पार्श्व में गाया जा रहा आलाप उषा जी का है। लता जी के ट्विटर पर आने के बाद किसी नें उनसे जब इस बारे में पूछा था कि क्या उषा जी की आवाज़ उस गीत में शामिल है, तो उन्होंने सच्चाई बता दी कि गीत को सिर्फ़ और सिर्फ़ उन्होंने ही गाया था और दो बार इसकी रेकॉर्डिंग् हुई थी। इसी बात से पंचम के सृजनशीलता का पता चलता है। तो आइए इस ख़ूबसूरत गीत को सुनें और सलाम करें मजरूह-पंचम की इस जोड़ी को। सचमुच ऐसे लाजवाब गीतों को सुनते हुए जैसे सौ दीये जल उठते हैं हमारे मन में।
क्या आप जानते हैं...
कि मजरूह सुल्तानपुरी नें करीब करीब ३५० फ़िल्मों में करीब ४००० गीत लिखे हैं।
03-Kya Janoon Sajan Hoti Hai Kya Ghum Ki Sham CD MISC-20160320 Track#03 5:37
BAHARON KE SAPNE-1967; Lata Mangeshkar; R.D. Burman; Majrooh Sultanpuri
कतरा कतरा मिलती है.....खुशी और दर्द के तमाम फूलों को समेट लेता है "वो" आकर
“एक पल की उम्र लेकर” शृंखला# 717- कतरा कतरा मिलती है.....
'An Indian Morning' के सभी श्रोता-पाठकों को किशोर संपट का प्यार भरा नमस्कार! आज इस सुरीली महफ़िल की शमा जलाते हुए पेश कर रहे हैं लघु शृंखला 'एक पल की उम्र लेकर' की सातवीं कड़ी।
इसमें कोई शक़ नहीं कि उस एक इंसान की आँखों में ही अपनी परछाई दिखती है, अपना दर्द बस उसी की आँखों से बहता है। जिस झिलमिलाते कतरे की हम कर रहे हैं , वह कतरा कभी प्यास बुझाती है तो कभी प्यास और बढ़ा देती है। यह सोचकर दिल को सुकून मिलता है कि कोई तो है जो मेरे दर्द को अपना दर्द समझता है, और दूसरी तरफ़ यह सोचकर मन उदास हो जाता है कि मेरे ग़मों की छाया उस पर भी पड़ रही है, उसे परेशान कर रही है। यह कतरा कभी सुकून बन कर तो कभी परेशानी बनकर बार बार आँखों में झलक दिखा जाता है। और कतरे की बात करें तो यह जीवन भी तो टुकड़ों में, कतरों में ही मिलता है न?
शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे हमेशा लगातार जीवन में ख़ुशी, सफलता, यश, धन की प्राप्ति होती होगी। समय सदा एक जैसा नहीं रहता। जीवन में हर चीज़ टुकड़ों में मिलती है, और सबको इसी में संतुष्ट भी रहना चाहिए। अगर सबकुछ एक ही पल में, एक साथ मिल जाए फिर ज़िंदगी का मज़ा ही क्या! ज़िंदगी की प्यास हमेशा बनी रहनी चाहिए, तभी इंसान पर ज़िंदगी का नशा चढ़ा रहेगा। फ़िल्म 'इजाज़त' में गुलज़ार साहब नें कतरा कतरा ज़िंदगी की बात कही थी - "कतरा कतरा मिलती है, कतरा कतरा जीने दो, ज़िंदगी है, बहने दो, प्यासी हूँ मैं प्यासी रहने दो"। आशा भोसले का गाया और राहुल देव बर्मन का स्वरबद्ध किया यह गीत 'सुपरिम्पोज़िशन' का एक अनूठा उदाहरण है। आइए सुना जाए!
04-Katra Katra Milti Hai CD MISC-20160320 Track#04 6:05
IJAAZAT-1988;Asha Bhosle; R.D.Burman;Gulzar
अलबेला मौसम कहता है स्वागतम....ताकि आप रहें खुश और तंदरुस्त
“गान और मुस्कान” शृंखला # 657- अलबेला मौसम कहता है स्वागतम....
फ़िल्म संगीत में हँसी मज़ाक की बात हो, और किशोर कुमार का नाम ही न आये, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। 'An Indian Morning' के दोस्तों, नमस्कार, और स्वागत है इस सुरीली महफ़िल में। इन दिनों इसमें जारी है शृंखला 'गान और मुस्कान' और जैसा कि आपको पता है इसमें हम ऐसे गानें शामिल कर रहे हैं जिनमें गायक गायिका की हँसी सुनाई देती है। किशोर कुमार नें बेहिसाब मज़ाइया और हास्य रस के गीत गाये हैं। उनके गाये हास्य गीतों को सुनते हुए कई बार हम हँसते हँसते पेट पकड़ लेते हैं।
लेकिन अगर आपसे यह पूछें कि उनकी हँसी किस गीत में सुनाई पड़ी है, तो शायद आपको कुछ समय लग जाये याद करने में। सबसे पहले जो गीत ज़हन में आता है वह है फ़िल्म 'पड़ोसन' का "एक चतुर नार", जिसे हम 'An Indian Morning' पर भी बजा चुके हैं। आज के अंक के लिए हमने किशोर दा का जो गीत चुना है, वह कोई हास्य गीत नहीं है, बल्कि यह एक फ़मिली सॉंग् है, एक पारिवारिक गीत। एक आदर्श छोटा परिवार, जिसमें है माँ-बाप और एक छोटा सा प्यारा सा बच्चा। कुछ इसी पार्श्व पर ८० के दशक का एक गीत है किशोर कुमार, लता मंगेशकर और बेबी कविता की आवाज़ों में फ़िल्म 'तोहफ़ा' में, "अलबेला मौसम, कहता है स्वागतम"। बप्पी लाहिड़ी का संगीत और इंदीवर के बोल। गाना फ़िल्माया गया है जीतेन्द्र और जया प्रदा पर। गीत के अंतरों से पहले बेबी कविता नर्सरी राइम बोलती है जिसके बाद किशोर दा और लता जी ज़ोर से हँसते हैं।
'तोहफ़ा' १९८४ की ब्लॉकबस्टर फ़िल्म थी जिसके निर्देशक थे के. राघवेन्द्र राव। तो आइए इस गीत को सुनें और लता जी और किशोर दा की हँसी का एक साथ आनंद लें। क्या इस तरह का कोई और गीत है जिसमें लता और किशोर की हँसी सुनाई पड़ती है? मुझे लिख भेजिएगा ज़रूर!
क्या आप जानते हैं...
कि बप्पी लाहिड़ी नें केवल १६ वर्ष की आयु में एक बंगला फ़िल्म 'दादू' में संगीत दिया था जिसमें लता, आशा और उषा, तीनों मंगेशकर बहनों से गवाया था।
05-Albela Mausam Kehta Hai Swagatam CD MISC-20160320 Track#05 4:02
TOHFA-1984; Lata Mangeshkar, KishoreKumar, Baby Kavita; Bappi Lahiri; Indeevar
1) “ दस थाट, दस राग और दस गीत” 2) “एक मैं और एक तू” 3) “...और कारवाँ बनता गया” 4) “एक पल की उम्र लेकर” 5) “गान और मुस्कान”
Today is the International Happiness Day, celebrated internationally. So why not play some Bollywood Hindi songs that bring joy and happiness. Being happy is very important in life. By making it a habit to remain happy and cheerful only we can face the challenges of life and allow our hurts and wounds to heal with time.
As part of the annual International Day of Happiness, the United Nations put together a list of The Ten Keys to Happier Living based on an extensive review of the latest findings from the science of wellbeing. These are all areas which research shows tend to make a big difference to our happiness and are within our control.
1. Giving 2. Relating 3. Exercising 4. Appreciating 5. Trying out
6. Direction 7. Resilience 8. Emotion 9. Acceptance 10. Meaning
किसी ने फूल से पूछा जब तुम्हें कोई तोडता हैं तो दर्द नहीं होता
फूल ने कहा दर्द तो होता है परंतु, मैं उस वक्त अपना दर्द भूल जाता हूँ जब मेरी वजह से कोई खुश होता है।
"Maston Ka Jhund"
After joining the Indian Army, Milkha Singh (Farhan Akhtar) finds life has turned into a series repetitive drills - exercise, bathing, washing clothes - to get the troops into shape. Despite difficult daily workouts, he and his fellow soldiers are always in the mood to have some fun.
Key to Happiness: #3 - Exercising. Take care of your body
Film: Bhaag Milkha Bhaag (2013)
Music by: Shankar-Ehsaan-Loy
Lyrics by: Prasoon Joshi
Sung by: Divya Kumar
06-Maston Ka Jhund CD MISC-20160320 Track#06 4:34
BHAAG MILKA BHAAG-2013; Divya Kumar;Shankar-Ehsaan-Loy;Prasoon Joshi
The first recipe for happiness is: avoid too lengthy meditation on the past. -Andre Maurois
Kurte Ki Baiyaan Ko Oopar Chadhaaike (Qila - 1998) :
A jovial song on which Dilip Kumar has performed so brilliantly at the age of 76 years that it startles even his admirers. In the company of Mukul Dev and others, the Tragedy King of Hindi cinema has brightened up the screen in this song (in his last movie) which has been sung by Udit Narayan and chorus, penned by Dev Kohli and composed by Anand Raj Anand.
07-Kurte Ki Baiyaan Ko Oopar Chadhaaike CD MISC-20160320 Track#07 5:02
QILA-1998; Udit Narayan, Amit Kumar, Preeti Uttam Singh; Anand Raj Anand; Dev Kohli
Be happy for this moment. This moment is your life. -Omar Khayyam
Uthein Sabke Kadam, Dekho Rum Pum Pum, Aji Aise Geet Gaaya Karo (Baaton Baaton Mein - 1979 :
And finally, the unforgettable joyous song - Uthein Sabke Kadam, Dekho Rum Pum Pum, Aji Aise Geet Gaaya Karo (Baaton Baaton Mein – 1979) written by Amit Khanna, composed by Rajesh Roshan and sung by Lata, Amit Kumar and Pearl Padamsee and filmed on Amol Palekar, Tina Munim, Ranjit Chowdhury and Pearl Padamsee.
08-Uthein Sabke Kadam, Dekho Rum Pum Pum, Aji Aise Geet Gaaya Karo CD MISC-20160320 Track#08 4:22
BAATON BAATON MEIN-1979; Lata Mangeshkar, Amit Kumar, Pearl Padamsee; Rajesh Roshan; Amit Khanna
THE END समाप्त
Kali Ghodi Dwar Khadi Yesudas, Hemanti Shukla; Rajashri; Indu Jain - CHASM-E-BADUR-1981CHASM-E-BADUR-1981 |
Patta Patta Butta Butta Haal Hamara Jaane Hai Lata Mangeshkar, Mohammad Rafi; Laxmikant-Pyarelal; Majrooh Sultanpuri - EK NAZAR-1972 |
Kya Janoon Sajan Hoti Hai Kya Ghum Ki Sham Lata Mangeshkar; R.D. Burman; Majrooh Sultanpuri - BAHARON KE SAPNE-1967 |
Katra Katra Milti Hai Asha Bhosle; R.D.Burman;Gulzar - IJAAZAT-1988 |
Albela Mausam Kehta Hai Swagatam Lata Mangeshkar, KishoreKumar, Baby Kavita; Bappi Lahiri; Indeevar - TOHFA-1984 |
Maston Ka Jhund Divya Kumar;Shankar-Ehsaan-Loy;Prasoon Joshi - BHAAG MILKA BHAAG-2013 |
Kurte Ki Baiyaan Ko Oopar Chadhaaike Udit Narayan, Amit Kumar, Preeti Uttam Singh; Anand Raj Anand; Dev Kohli - QILA-1998 |
Uthein Sabke Kadam, Dekho Rum Pum Pum, Aji Aise Geet Gaaya Karo Lata Mangeshkar, Amit Kumar, Pearl Padamsee; Rajesh Roshan; Amit Khanna - BAATON BAATON MEIN-1979 |