Tune to Asian Sounds with guest host KishoreSampat..6 to 7 p.m. Wednesdays broadcast live from the studios of ckcu 93.1fm, Ottawa.
01-MAHA MRITYUNJAY MANTRA CD MISC-20180110 TRACK#01 15:37
HAR HAR MAHADEV-2014; LAT MANGESHKAR, SHANKER MAHADEVAN; MEENA KHADIKAR; CHANDRASHEKAR SANEKAR
https://www.youtube.com/watch?v=nJUrhZ04Y3k
Play for 90 seconds…
Voice Over…
We are profoundly saddened to share the news of passing away of Dr. Shiv Chopra. A true community activist, fearless leader, who was always thinking of community and the society we all live in. It is great loss for the East Indian community at large. We express our profound sorrow and grief, and pray to THE ALMIGHTY GOD to give the family members strength and courage to face the grief and challenge.
श्रीमती निर्मला चोपड़ा और उनके परिवार के सभी सदस्यों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को इस गहरी क्षति को सहने की क्षमता दे।
asato ma sadgamaya
tamaso ma jyotirgamaya
mrtyorma amrtam gamaya
Lead me from the asat to the sat.
Lead me from darkness to light.
Lead me from death to immortality.
02-ASATO MA SADGAMAYA CD MISC-20180110 TRACK#02 15:37
EARLY MORNING CHANTS-2014; SANJEEVANI BHELANDE; KAMLESH BHADKAMKAR; TRADITIONAL
https://www.youtube.com/watch?v=Vwyo62x9yC4
Play for about 2 minutes….
हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, धन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए।
हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, धन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए।
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है बहुत बहुत आप सभी का 'Asian Sounds' की इस सुरीली महफ़िल में। आज हमने सोचा कि सुरीले प्यार भरे युगल गीतों से सजायी जाये। जब से फ़िल्म संगीत की शुरुआत हुई है, तभी से प्यार भरे युगल गीतों का भी रिवाज़ चला आ रहा है, और उस ज़माने से लेकर आज तक ये प्रेम गीत ना केवल फ़िल्मों की शान हैं, बल्कि फ़िल्म के बाहर भी सुनें तो एक अलग ही अनुभूति प्रदान करते हैं। और जो लोग प्यार करते हैं, उनके लिए तो जैसे दिल के तराने बन जाया करते हैं ऐसे गीत। तो आइए आज हम सुनें ३० के दशक से लेकर ८० के दशक तक में बनने वाली कुछ बेहद लोकप्रिय फ़िल्मी युगल रचनाएँ, जिन्हें हमने आज तक अपने सीने से लगाये रखा है। वैसे तो इनके अलावा भी बेशुमार सुमधुर युगल गीत हैं, बस युं समझ लीजिए कि आँखें बंद करके समुंदर से एक मुट्ठी मोतियाँ हम निकाल लाये हैं, और आँखें खोलने पर ही देखा कि ये मोती कौन कौन से हैं।
जैसा कि हमने कहा कि हम युगल गीतों का यह सफ़र ३० के दशक से शुरु करेंगे, तो फिर ऐसे में फ़िल्म 'अछूत कन्या' के उस यादगार गीत से ही क्यों ना शुभारम्भ की जाए! "मैं बन की चिड़िया बनके बन बन बोलूँ रे, मैं बन का पंछी बनके संग संग डोलूँ रे"। अशोक कुमार और देविका रानी के गाये इस गीत का उल्लेख आज भी कई जगहों पर चल पड़ता है। और इस गीत को सुनते ही आज भी पेड़ की टहनी पर बैठीं देविका रानी और उनके पीछे खड़े दादामुनि अशोक कुमार का वह दृष्य जैसे आँखों के सामने आ जाता है।
'अछूत कन्या' १९३६ की फ़िल्म थी जो बनी थी 'बॊम्बे टॊकीज़' के बैनर तले। संगीतकार थीं सरस्वती देवी। तो लीजिए दोस्तों, आज 'Asian Sounds' पर प्रस्तुत है हिंदी सिने संगीत का ना केवल पहला मशहूर युगल गीत, बल्कि यु कहें कि पहला मशहूर गीत। अशोक कुमार और देविका रानी के साथ साथ सरस्वती देवी को भी सलाम।
क्या आप जानते हैं...
कि सरस्वती देवी का असली नाम था ख़ुरशीद मंचशेर मिनोचा होमजी (Khursheed Manchersher Minocher Homji)। उस समय पारसी महिलाओं को फ़िल्म और संगीत में जाने की अनुमति नहीं थी। इसलिए उन्हें अपना नाम बदल कर इस क्षेत्र में उतरना पड़ा।
मैं बन की चिड़िया बन के.....ये गीत है उन दिनों का जब भारतीय रुपहले पर्दे पर प्रेम ने पहली करवट ली थी
03-MEIN BAN KI CHIDIYA BAN KE CD MISC-20180110 TRACK#03 2:01
ACHHUT KANYA-1936; ASHOK KUMAR, DEVIKA RANI; SARASWATI DEVI; J.S.KASHYAP
https://www.youtube.com/watch?v=ABth5XKNoyE
हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाये....और धीरे धीरे प्रेम में गुजारिशों का दौर शुरू हुआ
आइए दूसरी कड़ी में पाँव रखें ४० के दशक में। सन् १९४७ में देश के बंटवारे के बाद बहुत से कलाकार भारत से पाक़िस्तान चले गये, बहुत से कलाकार वहाँ से यहाँ आ गये, और बहुत से कलाकार अपने अपने जगहों पर कायम रहे। ए. आर. कारदार और महबूब ख़ान यहीं रह जाने वालों में से थे। लेकिन नूरजहाँ जैसी गायिका अभिनेत्री को जाना पड़ा। लेकिन जाते जाते १९४७ में वो दो फ़िल्में हमें ऐसी दे गईं जिनकी यादें आज धुंधली ज़रूर हुई हैं, लेकिन आज भी इनका ज़िक्र छिड़ते ही हमें ऐसा करार मिलता है कि जैसे किसी बहुत ही प्यारे और दिलअज़ीज़ ने अपना हाथ हमारे सीने पर रख दिया हो! शायद आप समझ रहे होंगे कि आज हम आपको कौन सा गाना सुनवाने जा रहे हैं। जी हाँ, नूरजहाँ और जी. एम. दुर्रानी की युगल आवाज़ों में १९४७ की फ़िल्म 'मिर्ज़ा साहिबाँ' का "हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाये, दिल के उजड़े हुए गुलशन में बहार आ जाये"। आइए सुनते हैं दुर्रानी साहब के साथ नूरजहाँ का गाया फ़िल्म 'मिर्ज़ा साहिबाँ' का यह युगल गीत।
क्या आप जानते हैं...
कि जी. एम. दुर्रानी का पूरा नाम ग़ुलाम मुस्तफ़ा दुर्रानी था। १९३५ में ३० रुपय महीने पर सोहराब मोदी की कंपनी 'मिनर्वा' में उन्हें नौकरी मिल गई। उनका गाया हुआ पहला मशहूर गाना था "नींद हमारी ख़्वाब तुम्हारे" (नई कहानी, १९४३)।
04-HAATH SEENE PE JO RAKH DO TO KARAR AA JAYE CD MISC-20180110 TRACK#04 3:39
MIRZA SAHIBAN-1947; NOOR JEHAN, G.M.DURANI; PANDIT AMARNATH, HUSNLAL BHAGATRAM; AZIZ KASHMIRI
https://www.youtube.com/watch?v=CMdC70WsVvU
भुला नहीं देना जी भुला नहीं देना, जमाना खराब है दगा नहीं देना....कुछ यही कहना है हमें भी
३० और ४० के दशकों से एक एक मशहूर युगल गीत सुनने के बाद हम क़दम रख रहे हैं ५० के दशक में। इस दशक में युगल गीतों की संख्या इतनी ज़्यादा बढ़ गई कि एक से बढ़कर एक युगल गीत बनें और अगले दशकों में भी यही ट्रेण्ड जारी रहा। अनिल बिस्वास, नौशाद, सी. रामचन्द्र, सचिन देव बर्मन, शंकर जयकिशन, रोशन, ओ. पी. नय्यर, हेमन्त कुमार, सलिल चौधरी जैसे संगीतकारों ने एक से एक नायाब युगल गीत हमें दिए। अब आप ही बतायें कि इस दशक का प्रतिनिधित्व करने के लिए हम इनमें से किस संगीतकार को चुनें। भई हमें तो समझ नहीं आ रहा। इसलिए हमने सोचा कि क्यों ना किसी कमचर्चित संगीतकार की बेहद चर्चित रचना को ही बनाया जाये ५० के दशक का प्रतिनिधि गीत! क्या ख़याल है? तो साहब आख़िरकार हमने चुना लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी का गाया फ़िल्म 'बारादरी' का एक बड़ा ही ख़ूबसूरत युगलगीत "भुला नहीं देना जी भुला नहीं देना, ज़माना ख़राब है दग़ा नहीं देना जी दग़ा नहीं देना"। संगीतकार हैं नौशाद नहीं, नाशाद। नाशाद का असली नाम था शौक़त अली। १९५३ में निर्देशक और गीतकार नक्शब जराचवी ने उनका नाम बदलकर नाशाद कर दिया, और यह नाम आख़िर तक उनके साथ बना रहा। आज के प्रस्तुत गीत ने तो कमाल ही कर दिया था। अजीत और गीता बाली पर फ़िल्माया यह गीत १९५५ के सबसे लोकप्रिय युगल गीतों में शामिल हुआ। ख़ुमार बाराबंकवी ने 'बारादरी' के गानें लिखे थे। मैंडोलीन का बड़ा ही ख़ूबसूरत और असरदार प्रयोग इस गीत में नाशाद ने किया है और बंदिश भी कितनी प्यारी है।
क्या आप जानते हैं...
कि नाशाद १९६६ में पाक़िस्तान स्थानांतरित हो गये थे और वहाँ जाकर 'सालगिरह', 'ज़ीनत', 'नया रास्ता', 'रिश्ता है प्यार का', 'फिर सुबह होगी' जैसी कुछ पाक़िस्तानी फ़िल्मों में संगीत दिया था।
05-BHULA NAHI DENA JI BHULA NAHI DENA CD MISC-20180110 TRACK#05 4:03
BARADARI-1955; LATA MANGESHKAR, MOHAMMAD RAFI; NAASHAD; KHUMAR BARABANKAWI
https://www.youtube.com/watch?v=zTvv1wdJGgo
दीवाना हुआ बादल, सावन की घटा छायी...जब स्वीट सिक्सटीस् में परवान चढा प्रेम
जीव जगत की तमाम अनुभूतियों में सब से प्यारी, सब से सुंदर, सब से सुरीली, और सब से मीठी अनुभूति है प्रेम की अनुभूति, प्यार की अनुभूति। यह प्यार ही तो है जो इस संसार को अनंतकाल से चलाता आ रहा है। ज़रा सोचिए तो, अगर प्यार ना होता, अगर चाहत ना होती, तो क्या किसी अन्य चीज़ की कल्पना भी हम कर सकते थे! फिर चाहे यह प्यार किसी भी तरह का क्यों ना हो। मनुष्य का मनुष्य से, मनुष्य का जानवरों से, प्रकृति से, अपने देश से, अपने समाज से। दोस्तों, यह 'Asian Sounds' की महफ़िल है, जो बुना हुआ है फ़िल्म संगीत के तार से। और हमारी फ़िल्मों और फ़िल्मी गीतों का केन्द्रबिंदु भी देखिए प्रेम ही तो है। प्रेमिक-प्रेमिका के प्यार को ही केन्द्र में रखते हुए यहाँ फ़िल्में बनती हैं, और इसलिए ज़ाहिर है कि फ़िल्मों के ज़्यादातर गानें भी प्यार-मोहब्बत के रंगों में ही रंगे होते हैं। ३०, ४० और ५० के दशकों से एक एक गीत सुनने के बाद अब हम क़दम रख रहे हैं ६० के दशक में। ६० का दशक, जिसे हम 'स्वीट सिक्स्टीज़' भी कहते हैं, और इस दशक में ही सब से ज़्यादा लोकप्रिय गीत बनें हैं। इसलिए हम इस दशक से एक नहीं बल्कि तीन तीन युगल गीत आपको एक के बाद एक सुनवाएँगे। इन गीतों का आधार हमने लिया है उन तीन गायिकाओं का जो इस दशक में सब से ज़्यादा सक्रीय रहे। ये गायिकाएँ हैं लता मंगेशकर, आशा भोसले और सुमन कल्याणपुर।
प्रस्तुत है आशा भोसले और मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ों में फ़िल्म 'कश्मीर की कली' का सदाबहार युगल गीत "दीवाना हुआ बादल, सावन की घटा छायी"। युं तो यह १९६४ की फ़िल्म है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है जैसे इस फ़िल्म के गीतों पर वक़्त की ज़रा सी भी आंच नहीं लग पायी है। ओ. पी. नय्यर के ६० के दशक की शायद यह सफलतम फ़िल्म रही होगी। शम्मी कपूर, शर्मीला टैगोर और नज़ीर हुसैन अभिनीत इस फ़िल्म के गीत लिखे थे एस.एच. बिहारी साहब ने। शक्ति दा, यानी शक्ति सामंत की यह फ़िल्म थी।
क्या आप जानते हैं...
कि 'कश्मीर की कली' फ़िल्म साइन करने के वक़्त शर्मीला टैगोर की उम्र केवल १४ वर्ष थी।
06-DEEWANA HUA BADAL, SAWAN KI GHATA CHHAYI CD MISC-20180110 TRACK#06 5:41
KASHMIR KI KALI-1964; MOHAMMAD RAFI, ASHA BHOSLE; O.P.NAYYAR; S.H.BIHARI
https://www.youtube.com/watch?v=beqTRIpoos8
आसमां के नीचे हम आज अपने पीछे, प्यार का जहाँ बसा के चले...लता और किशोर दा
कुछ सदाबहार युगल गीतों से सज रही है 'Asian Sounds' की महफ़िल। ये वो प्यार भरे तराने हैं, जिन्हे प्यार करने वाले दिल दशकों से गुनगुनाते चले आए हैं। ये गानें इतने पुराने होते हुए भी पुराने नहीं लगते। तभी तो इन्हे हम कहते हैं 'सदाबहार नग़में'। इन प्यार भरे गीतों ने वो कदमों के निशान छोड़े हैं कि जो मिटाए नहीं मिटते। हमने अब एक ऐसे ही गीत को चुना है जिसने भी अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की सदाबहार जोड़ी का यह सदाबहार नग़मा है फ़िल्म 'ज्वेल थीफ़' का - "आसमाँ के नीचे, हम आज अपने पीछे, प्यार का जहाँ बसाके चले, क़दम के निशाँ बनाते चले"। मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे इस गीत को दादा बर्मन ने स्वरबद्ध किया था। तो चलिए जो गीत हमने चुना है उसे सुन लेते हैं। लता जी, किशोर दा, बर्मन दा और मजरूह साहब के साथ साथ याद करते हैं देव साहब और वैजयंतीमाला जी के प्यार भरे टकरारों की भी।
क्या आप जानते हैं...
कि लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने साथ में कुल ३२७ युगल गीत गाए हैं।
07-AASMAN KE NICHE, HUM AAJ APNE PICHHE, PYAR KA JAHAN BASAKE CHALE CD MISC-20180110 TRACK#07 4:53
JEWEL THIEF-1967; LATA MANGESHKAR, KISHORE KUMAR; S.D.BURMAN; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=VqZO__oc7uQ
तुझे प्यार करते हैं करते रहेंगें.... जब प्यार में कसमें वादों का दौर चला
रोमांटिक फ़िल्मी गीतों में जितना ज़्यादा प्रयोग "दिल" शब्द का होता आया है, शायद ही किसी और शब्द का हुआ होगा! और क्यों ना हो, प्यार का आख़िर दिल से ही तो नाता है। हमारे फ़िल्मी गीतकारों को जब भी इस तरह के हल्के फुल्के प्यार भरे युगल गीत लिखने के मौके मिले हैं, तो उन्होनें "दिल", "धड़कन", "दीवाना" जैसे शब्दों को जीने मरने के क़सम-ए-वादों के साथ मिला कर इसी तरह के गानें तैयार करते आए हैं। आज हमने जो गीत चुना है, वह भी कुछ इसी अंदाज़ का है। गीत है तो बहुत ही सीधा और हल्का फुल्का, लेकिन बड़ा ही सुरीला और प्यारा। हसरत जयपुरी साहब रोमांटिक गीतों के जादूगर माने जाते रहे हैं, जिनकी कलम से न जाने कितने कितने हिट युगल गीत निकले हैं, जिन्हे ज़्यादातर लता-रफ़ी ने गाए हैं। लेकिन आज हम उनका लिखा हुआ जो गीत आप तक पहुँचा रहे हैं उसे रफ़ी साहब ने लता जी के साथ नहीं, बल्कि सुमन कल्याणपुर के साथ मिलकर गाया है फ़िल्म 'अप्रैल फ़ूल' के लिए। शंकर जयकिशन के संगीत निर्देशन में यह गीत है "तुझे प्यार करते हैं करते हैं करते रहेंगे, के दिल बनके दिल में धड़कते रहेंगे"। 'अप्रैल फ़ूल' १९६४ की फ़िल्म थी जिसके मुख्य कलाकार थे बिस्वजीत और सायरा बानो। सुबोध मुखर्जी निर्मित व निर्देशित इस फ़िल्म का शीर्षक गीत आज भी बेहद लोकप्रिय है जिसे हम हर साल पहली अप्रैल के दिन याद करते हैं।
क्या आप जानते हैं...
कि सुमन कल्याणपुर ने सन् १९५४ में संगीतकार मोहम्मद शफ़ी के निर्देशन में फ़िल्म 'मंगू' में पहली बार गीत गाया था और उस गीत के बोल थे "कोई पुकारे धीरे से तुझे"।
08-TUJHE PYAR KARTE HAIN KARTE RAHENGE CD MISC-20180110 TRACK#08 5:30
APRIL FOOL-1964; MOHAMMAD RAFI, SUMAN KALYANPUR; SHANKAR-JAIKISHAN; HASRAT JAIPURI
https://www.youtube.com/watch?v=vAD33F3s1VM
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है....मीर ने दी चिंगारी तो मजरूह साहब ने बात कर दी आम इश्क वाली
फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के सदाबहार युगल गीतों से सजी इस शृंखला में अब बारी ७० के दशक की। यह कडी हम समर्पित कर रहे हैं १८-वीं शताब्दी के मशहूर शायर मीर तक़ी मीर के नाम। जी हाँ, उनकी लिखी हुई एक मशहूर ग़ज़ल से प्रेरीत होकर मजरूह सुल्तानपुरी ने यह गीत लिखा था - "पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने ना जाने गुल ही ना जाने बाग़ तो सारा जाने है"। यह पूरा मुखड़ा मीर के उस ग़ज़ल का पहला शेर है। आगे गीत के तीन अंतरे मजरूह साहब ने ख़ुद लिखे हैं। इन्हे आप गीत को सुनते हुए जान ही लेंगे।
लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ों में यह फ़िल्म 'एक नज़र' का गीत है। गीतकार का नाम तो हम बता ही चुके हैं, संगीतकार हैं लक्ष्मीकांत प्यारेलाल। 'एक नज़र' शीर्षक से दो फ़िल्में बनीं हैं। एक १९५७ में, जिसमें रवि का संगीत था और जिसमें तलत महमूद के गाए कुछ अच्छे गानें भी थे। आज का गीत १९७२ की 'एक नज़र' का है जिसमें मुख्य कलाकार थे अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी। यह फ़िल्म उन दोनों के करीयर के साथ साथ काम किया हुआ सब से बड़ी फ़्लॊप फ़िल्म साबित हुई। इसी समय इन दोनों ने 'बंसी बिरजु' फ़िल्म में भी काम किया था और वह भी असफल रही। आज 'एक नज़र' फ़िल्म को अगर कोई याद करता है तो बस इस दिलकश गीत की वजह से। दोस्तों, आइए सुनते हैं स्वर कोकिला लता जी और गायकी के शहंशाह रफ़ी साहब की आवाज़ें! लेकिन गीत सुनने से पहले ...
क्या आप जानते हैं...
कि लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी ने साथ में कुल ४४० युगल गीत गाए हैं।
09-PATTA PATTA BOOTTA BOOTA HAAL HAMARA JAANE HAI CD MISC-20180110 TRACK#09 6:24
EK NAZAR-1972; LATA MANGESHKAR, MOHAMMAD RAFI; LAXMIKANT-PYARELAL; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=M7gxUpB5knk
एक मैं और एक तू, दोनों मिले इस तरह....ये था प्यार का नटखट अंदाज़ सत्तर के दशक का
अगली कड़ी में अब एक और ७० के दशक का गीत पेश-ए-ख़िदमत है। दोस्तों, फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर की गायक-गायिका जोड़ियों में जिन चार जोड़ियों का नाम लोकप्रियता के पयमाने पर सब से उपर आते हैं, वो हैं लता-किशोर, लता-रफ़ी, आशा-किशोर और आशा-रफ़ी। ७० के दशक में इन चार जोड़ियों ने एक से एक हिट डुएट हमें दिए हैं। लता-रफ़ी के गाये गीत के बाद आज आइए आशा-किशोर की जोड़ी के नाम किया जाये यह गीत। और ऐसे में फ़िल्म 'खेल खेल में' के उस गीत से बेहतर गीत और कौन सा हो सकता है! "एक मैं और एक तू, दोनों मिले इस तरह, और जो तन मन में हो रहा है, ये तो होना ही था"। नये अंदाज़ में बने इस गीत ने इस क़दर लोकप्रियता हासिल की कि जवाँ दिलों की धड़कन बन गया था यह गीत और आज भी बना हुआ है। उस समय ऋषी कपूर और नीतू सिंह की कामयाब जोड़ी बनी थी और एक के बाद एक कई फ़िल्में इस जोड़ी के बने। 'खेल खेल में' १९७५ में बनी थी जिसका निर्देशन किया था रवि टंडन ने। इस फ़िल्म में राकेश रोशन, अरुणा ईरानी और इफ़्तेखार ने भी अहम भूमिकाएँ अदा की थी। वैसे आपको यह भी बता दें कि इस फ़िल्म की कहानी मूल अंग्रेज़ी उपन्यास 'गूड चिल्ड्रेन डोण्ट किल' से ली गई है जिसके लेखक थे लूई थॊमस, जो नेत्रहीन थे, और यह उपन्यास सन् १९६७ में प्रकाशित हुआ था।
'खेल खेल में' फ़िल्म में संगीत था राहुल देव बर्मन का और गीत लिखे गुल्शन बावरा ने। बड़ा ही पेपी नंबर है, एक हल्का फुल्का रोमांटिक डुएट, जिसमें किशोर दा की मीठी शरारती अंदाज़ भी है और आशा जी की शोख़ी भी। सुनते हैं...
क्या आप जानते हैं...
कि फ़िल्म 'खेल खेल में' में मिथुन चक्रवर्ती ने एक 'एक्स्ट्रा' के तौर पे अभिनय किया था।
10-EK MAIN EK TU, DONO MILE IS TARAH CD MISC-20180110 TRACK#10 6:12
KHEL KHEL MEIN-1975; KISHORE KUMAR, ASHA BHOSLE; R.D.BURMAN; GULSHAN BAWRA
https://www.youtube.com/watch?v=XeKU6gAqF70
हम बने तुम बनें एक दूजे के लिए....और एक दूजे के लिए ही तो हैं आवाज़ और उसके संगीत प्रेमी श्रोता
फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के चुने हुए युगल गीतों को सुनते हुए हम क़दम रख रहे हैं ८० के दशक में। ७० के दशक के मध्य भाग के आते आते युगल गीतों का मिज़ाज बदलने लगा था। उससे पहले फ़िल्म के नायक नायिका की उम्र थोड़ी ज़्यादा दिखाई जाती थी, लेकिन धीरे धीरे फ़िल्मी कहानियाँ स्कूल-कालेजों में भी समाने लगी और इस तरह से कॊलेज स्टुडेण्ट्स के चरित्रों के लिए गीत लिखना ज़रूरी हो गया। नतीजा, वज़नदार शायराना अंदाज़ को छोड़ कर फ़िल्मी गीतकार ज़्यादा से ज़्यादा हल्के फुल्के और आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करने लगे। कुछ लोगों ने इस पर फ़िल्मी गीतों के स्तर के गिरने का आरोप भी लगाया, लेकिन क्या किया जाए, जैसा समाज, जैसा दौर, फ़िल्म और फ़िल्म संगीत भी उसी मिज़ाज के बनेंगे। ख़ैर, आज हम बात करते हैं ८० के दशक की। इस दशक के शुरुआती दो तीन सालों तक तो अच्छे गानें बनते रहे और लता और आशा सक्रीय रहीं। ८० के इस शुरुआती दौर में जो सब से चर्चित प्रेम कहानी पर बनी फ़िल्म आई, वह थी 'एक दूजे के लिए'। यह फ़िल्म तो जैसे एक ट्रेण्डसेटर सिद्ध हुई। सब कुछ नया नया सा था इस फ़िल्म में। नई अभिनेत्री रति अग्निहोत्री रातों रात छा गईं और दक्षिण के कमल हासन ने बम्बई में अपना सिक्का जमा लिया। और साथ ही गायक एस. पी. बालसुब्रह्मण्यम ने भी तो अपना जादू चलाया था इस फ़िल्म में। आनंद बक्शी के लिखे गीत, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के सुपरडुपर हिट संगीत ने ऐसी धूम मचाई जिसकी गूँज आज तक सुनाई देती है। वैसे एल.पी को इस फ़िल्म के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार तो नहीं मिला था, लेकिन सब से बड़ा पुरस्कार इनके लिए तो यही है कि आज भी आये दिन इस फ़िल्म के गीत कहीं ना कहीं से सुनाई दे जाते हैं। चाहे "तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन हो" या "हम तुम दोनों जब मिल जाएँगे", "मेरे जीवन साथी प्यार किए जा" हो या "सोलह बरस की बाली उमर को सलाम", या फिर फ़िल्म का सब से लोकप्रिय शीर्षक गीत "हम बने तुम बने एक दूजे के लिए"। तो आइए दोस्तों, ८० के दशक को सलाम करते हुए आज इसी गीत को सुना जाए लता और एस.पी की युगल आवाज़ों में।
क्या आप जानते हैं...
कि एस. पी. बालसुब्रहमण्यम को 'एक दूजे के लिए' फ़िल्म के गायन के लिए १९८२ का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
11-HUM BANE TUM BANE EK DUUJE KE LIYE CD MISC-20180110 TRACK#11 5:14
EK DUUJE KE LIYE-1981; LATA MANGESHKAR, S.P.BALASUBRAMANIAM; LAXMIKANT-PYARELAL; ANAND BAKSHI
https://www.youtube.com/watch?v=c9_mV-aJ1SA
तू मेरा जानूँ है तू मेरा हीरो है.....८० के दशक का एक और सुमधुर युगल गीत
८० के दशक के ही एक और लैण्डमार्क डुएट के साथ हम समापन कर रहे हैं इस शृंखला का। यह वह गीत है दोस्तों जिसने लता और आशा के बाद की पीढ़ी के पार्श्वगायिकाओं का द्वार खोल दिया था। इस नयी पीढ़ी से हमारा मतलब है अनुराधा पौड़वाल, अल्का याज्ञ्निक, साधना सरगम और कविता कृष्णमूर्ती। आज हम चुन लाये हैं अनुराधा और मनहर उधास की आवाज़ों में १९८३ की फ़िल्म 'हीरो' का गीत "तू मेरा जानू है... मेरी प्रेम कहानी का तू हीरो है"। युं तो इस गीत से पहले भी अनुराधा ने कुछ गीत गाये थे, लेकिन इस गीत ने उन्हें पहली बार अपार सफलता दी जिसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखने की ज़रूरत नहीं पड़ी। 'एक दूजे के लिए' ही की तरह 'हीरो' भी एक कामयाब युवा फ़िल्म है, और इस फ़िल्म के ज़रिए जैकी श्रॊफ़ और मीनाक्षी शेषाद्री ने फ़िल्मी दुनिया में क़दम रखा था। 'हीरो' के गीतों की अपार कामयाबी ने एक बार फिर साबित किया कि ८० के दशक में भी एल.पी का संगीत उतना ही पुरअसर है जितना पिछले दो दशकों में था "निंदिया से जागी बहार" की शास्त्रीयता से भरी सुमधुर धुन, रेशमा की आवाज़ में कलेजे को चीर कर रख देने वाली "लम्बी जुदाई", लता-मनहर का गाया "प्यार करने वाले कभी डरते नहीं", तथा अनुराधा-मनहर के गाये दो गीत - "तू मेरा जानू है" और "डिंग डॊंग" जैसे गीतों के लिए एल. पी को बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
क्या आप जानते हैं...
कि अनुराधा पौडवाल ने अपना पहला फ़िल्मी एकल गीत गाया था संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत निर्देशन में, हेमा मालिनी - शशि कपूर अभिनीत फ़िल्म 'आप बीती' में।
12-TU MERA JAANU HAI, TU MERA HERO HAI CD MISC-20180110 TRACK#12 7:54
HERO-1983; ANURADHA PAUDWAL, MANHAR UDHAS; LAXMIKANT-PYARELAL; ANAND BAKSHI
https://www.youtube.com/watch?v=-4WoGYgv924
अपने इस दोस्त किशोर संपट को अनुमति दीजिए, नमस्कार, आपका आज का दिन और आने वाला सप्ताह शुभ हो!
THE END समाप्त
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