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An Indian Morning
Sunday August 23rd, 2020 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second

Namaste! It has been said that adornment is a right and a ritual for us, a passion and a pleasure for us in India. We adorn our temples, we adorn our homes and our havelis, we adorn our bodies and our possessions. But we can also adorn our words and our songs, our thoughts and our wishes. This Sunday morning let us adorn the radio waves of Radio-Carleton with the songs and sounds of India. Welcome to an Indian Morning. A-DR DEHEJIA’S MISC-20200823 30:05 1. MANGALACHARANAM; PANIGRAHI 2. HAVELI SANGEET-VRAJ VASANTAM; PANDIT JASRAJ 3. HOTON KA PYALA; PANKAJ MALIK 4. YEH DAULAT BHI LE LO; USTAD SHUJAAT HUSSAIN KHAN 5. TARANA; KATYA KALIJAT GHUSLI; MAHESH KALE, SAVANI SHENDE; SHANKAR-EHSAAN-LOY B-ANNOUNCEMENTS MISC-20200823 15:31 HAPPY GANESH CHATURHI! Happy Ganesh Chaturthi Everyone Please join SHIV SHAKTI DURGA MANDIR on 55 Clarey Avenue in Ottawa for **Shri Ganpati Festival ** from Saturday, August 22nd, 2020 to Monday, August 31, 2020. Ganpati Sthapana will be held on Saturday, August 22nd, and Ganpati Visarjan will be done on Monday, August 31, 2020. Shri Ganpati Aarti will be done every day (Mon-Sat) at 7 PM and on Sunday's it will be done at 1 PM. If you would like to sponsor a Day/Aarti, Please contact Parmod Chhabra at 613-850-4068. Please note that due to COVID19 restrictions, you must wear a face mask and sanitize your hands before entering the temple for Darshan. *Please also note that we may need to restrict the number of people in the temple as per City of Ottawa guidelines.* 01-SHREE SIDDHIVINAYAK MANTRA & AARTI CD MISC-20200823 TRACK#01 7:14 SHREE SIDDHIVINAYAK TEMPLE-2016; AMITABH BACHCHAN; SANJAYRAJ GAURINANDAN; TRADITIONAL https://www.youtube.com/watch?v=H9tWRGxuKTw एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए । श्वेतांबर और दिगंबर जैन समाज के पर्युषण पर्व भाद्रपद मास में मनाए जाते हैं। श्वेतांबर के व्रत समाप्त होने के बाद दिगंबर समाज के व्रत प्रारंभ होते हैं। श्वेतांबर के पर्युषण 22 अगस्त 2020 को समाप्त हो रहे हैं और दिगंबर जैन समाज के व्रत 23 अगस्त से प्रारंभ हो रहे हैं। श्वेतांबर समाज 8 दिन तक पर्युषण पर्व मनाते हैं जबकि दिगंबर 10 दिन तक मनाते हैं जिसे वे 'दसलक्षण' कहते हैं। श्वेतांबर समाज पर्युषण पर्व के समापन पर 'विश्व-मैत्री दिवस' अर्थात संवत्सरी पर्व मनाते हैं। अंतिम दिन दिगंबर जैन 'उत्तम क्षमा' तो श्वेतांबर 'मिच्छामि दुक्कड़म्' कहते हुए लोगों से क्षमा मांगते हैं। 02-MICHHAMI DUKKADAM CD MISC-20200823 TRACK#02 6:23 AMRUT NISHAR https://www.youtube.com/watch?v=ESE2kal7RJM मैं तो प्यार से तेरे पिया मांग सजाऊँगी....नौशाद का रचा ये शृंगार रस से भरपूर गीत है सभी भारतीय नारियों के लिए खास युं तो लता जी के गाए असंख्य शृंगार रस के गानें हैं जिनकी लिस्ट बनाने बैठें तो पता नहीं कितने दिन लग जाएँगे, लेकिन हमने इस कड़ी के लिए एक ऐसा गीत चुना है जो हमारे ख़याल इस रस की व्याख्या करने के लिए एक बेहद असरदार गीत है। और यह हम नहीं बल्कि महिलाएँ ख़ुद कह रही हैं। जी हाँ, नौशाद साहब ने ख़ुद इस गीत का ज़िक्र करते हुए ऐसा कहा था। लीजिए, शृंगार रस से भरा हुआ लता जी की मीठी आवाज़ में सुनिए फ़िल्म 'साथी' का यह गीत, मजरूह - नौशाद की रचना, इस फ़िल्म से संबंधित जानकारी हम फिर कभी देंगे जब इस फ़िल्म का कोई और गीत इस महफ़िल में शामिल होगा। 03-MAIN TO PYAR SE TERE PIYA MAANG SAZAAONGI CD MISC-20200823 TRACK#03 3:20 SAATHI-1968; LATA MANGESHKAR; NAUSHAD; MAJROOH https://www.youtube.com/watch?v=22fVp6AjHNQ अजीब दास्ताँ है ये.....अद्भुत रस में छुपी जीवन की गुथ्थियां जिन्हें सुलझाने में बीत जाती है उम्र सारी अद्भुत रस का अर्थ है वह भाव जिसमें समाया हुआ है आश्चर्य, कौतुहल, राज़। सभ्यता जब से शुरु हुई है, तभी से मानव जाति नए नए चीज़ों के बारे में जानने की कोशिश करती आई है और आज भी यह परम्परा जारी है। किसी ने इस रस के बारे में ठीक ही कहा है कि "THE FEELING OF WONDER COMES WHEN ONE RECOGNIZES ONE'S OWN IGNORANCE. BY CULTIVATING THE RIGHT ATTITUDE TOWARDS THE MIRACLE OF LIFE, THE ADBHUTA RASA CAN BE A PERMANENT COMPANION." दोस्तों, अभी जो गीत ज़हन में आया है, वह है फ़िल्म 'दिल अपना और प्रीत पराई' का, "अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरु कहाँ ख़तम, ये मंज़िले हैं कौन सी, ना वो समझ सके ना हम"। तो लीजिए दोस्तों, अब आप भी इस गीत का आनंद लीजिए! 04-AJEEB DAASTAN HAI YEH CD MISC-20200823 TRACK#04 4:29 DIL APNA AUR PREET PARAI-1960; LATA MANGESHKAR; SHANKAR-JAIKISHAN; SHAILENDRA https://www.youtube.com/watch?v=d-TQkJYzMog चील चील चिल्लाके कजरी सुनाए.....हास्य रस में सराबोर होकर सुनिए ये गीत, हंसिये, हंसायिये और खुश रहिये बारी हास्य रस की। हास्य रस, यानी कि ख़ुशी के भाव जो अंदर से हम महसूस करते हैं। बनावटी हँसी को हास्य रस नहीं कहा जा सकता। हास्य रस इतना संक्रामक होता है कि आप इस रस को अपने आसपास के लोगों में भी पल में आग की तरह फैला सकते हैं। दोस्तों, हिंदी फ़िल्म इतिहास में अगर हास्य रस की बात करें, तो हरफ़नमौला कलाकार किशोर कुमार से बेहतर नाम और क्या हो सकता है! एक ज़बरदस्त गायक तो वो थे ही, साथ ही अभिनय में भी माशाल्लाह! उनके गाए तमाम गीतों में से आज के लिए हमने जिस गीत को चुना है वह है सन् १९६२ की फ़िल्म 'हाफ़ टिकट' का, और गीत के बोल हैं "चील चील चिल्लाके कजरी सुनाए, झूम झूम कौवा भी ढोलक बजाए", जो फ़िल्म में भी उन्होंने ही गाया है और साथ में प्राण साहब भी हैं। गीतकार शैलेन्द्र और संगीत सलिल चौधरी का। इस गीत के बारे में ज़्यादा कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है, बस सुनिए और खिलखिलाइए। 05-CHEEL CHEEL CHILLAKE KAJARI SUNAYE CD MISC-20200823 TRACK#05 3:47 HALF TICKET-1962; KISHORE KUMAR; SALIL CHAUDHARY; SHAILENDRA https://www.youtube.com/watch?v=GhFvsgNu-CM गुमनाम है कोई....जब पर्दों में छुपा हो रहस्य, और भय के माहौल में सुरीली आवाज़ गूंजे लता की When there is nothing to lose, there is nothing to fear. डर मन-मस्तिष्क का एक ऐसा भाव है जो उत्पन्न होता है अज्ञानता से या फिर किसी दुष्चिंता से। भय से बचने के लिए हमें चाहिए कि अच्छे मित्र बनाएँ, आत्मीय जनों से प्रेम का रिश्ता रखें ताकि ज़रूरत के वक़्त वे हमारे साथ खड़े हों। "गुमनाम है कोई, बदनाम है कोई, किसको ख़बर, कौन है वो, अंजान है कोई"। हसरत जयपुरी का लिखा गीत और संगीत शंकर जयकिशन का। १९६५ की इस सुपरहिट सस्पेन्स थ्रिलर को निर्देशित किया था राजा नवाथे ने और फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे मनोज कुमार, नंदा, हेलेन, प्राण, महमूद प्रमुख। दोस्तों, जब मैं यह आलेख लिख रहा हूँ, इस वक़्त रात के डेढ़ बज रहे हैं, एक डरावना माहौल सा पैदा हो गया है मेरी आसपास और शायद मेरे अंदर, इसलिए यह आलेख अब यहीं पे ख़त्म करता हूँ, फिर मिलेगे गर ख़ुदा लाया तो। 06-GUMNAAM HAI KOI CD MISC-20200823 TRACK#06 5:12 GUMNAAM-1965; LATA MANGESHKAR; SHANKAR-JAIKISHAN; HASRAT JAIPURI https://www.youtube.com/watch?v=Kjyr9JYd3-I फूल अहिस्ता फैको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं....इसे कहते है नाराज़ होने, शिकायत करने का लखनवी शायराना अंदाज़ नौ रसों में कुछ रस वो होते हैं जो अच्छे होते है, और कुछ रस ऐसे हैं जिनका अधिक मात्रा में होना हमारे मन-मस्तिष्क के लिए हानिकारक होता हैं। शृंगार, हास्य, शांत, वीर पहली श्रेणी में आते हैं जबकि करुण, विभत्स और रौद्र रस हमें एक मात्रा के बाद हानी पहुँचाते हैं। दोस्तों नमस्कार, आज बातें रौद्र रस की। जब हमारी आशाएँ पूरी नहीं हो पाती, तब हमें लगता है कि हमें नकारा गया है और यही रौद्र रस का आधार बनता है। रौद्र रस पर आधारित कोई गीत याद आता है आपको? फ़िल्म 'नगीना' का "मैं तेरी दुश्मन दुश्मन तू मेरा, मैं नागिन तू सपेरा", या फिर फ़िल्म 'राम लखन' का "बेक़दर बेख़बर बेवफ़ा बालमा, ना मैं तुझको मारूँगी, ना मैं तुझको छोडूँगी...", या फिर 'मेरा गाँव मेरा देश' फ़िल्म का "मार दिया जाए के छोड़ दिया जाए", जैसे बहुत से गानें हैं। लेकिन हमने जिस गीत को चुना है, वह यकायक सुनने पर शायद रौद्र रस का ना लगे, लेकिन ध्यान से सुनने पर और शब्दों पर ग़ौर करने पर पता चलता है कि किस ख़ूबसूरती से, बड़े ही नाज़ुक तरीके से रौद्र को प्रकट किया गया है इस गीत में। फ़िल्म 'प्रेम कहानी' का युगल गीत "फूल आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाज़ुक होते हैं"। लता-मुकेश की आवाज़ें, आनंद बख्शी के बोल और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का संगीत। मेरा ख़याल है कि बख्शी साहब के लिखे सब से ख़ूबसूरत गीतों में से एक है यह गीत। पता नहीं आप मुझसे सहमत होंगे या नहीं, लेकिन कहने को दिल चाहता है कि जिस तरह से मख़्दूम मोहिउद्दिन ने "फिर छिड़ी रात बात फूलों की" ग़ज़ल लिखी थी, ठीक वैसे ही फूल शब्द के इस्तेमाल में फ़िल्मी गीतों के जगत में यह गीत उसी तरह का मुक़ाम रखता है। आइए सुना जाए यह गीत जो आधारित है राग मिश्र शिवरंजनी पर। 07-PHOOL AHISTA PHENKO CD MISC-20200823 TRACK#07 3:47 PREM KAHANI-1975; LATA MANGESHKAR, MUKESH; LAXMIKANT-PYARELAL; ANAND BAKSHI https://www.youtube.com/watch?v=OvZpOZvCA5I 97-ANTMEIN-SIGNOFF – 1:54 98-SPONSORS – RINAG – VAISHALI’S – 2:28 THE END समाप्त
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