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An Indian Morning
Sunday September 1st, 2019 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second

An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second one hour features community announcements and ear pleasing music from old/new & popular Indian films. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind". एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए । गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है। जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन खूबसूरत दुनिया में लाते हैं। कहा जाता है कि जीवन के सबसे पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है, लेकिन जीने का असली सलीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं। सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। 01-HAR KAAMYABI KE PICHHE CD MISC-20190901 TRACK#01 3:14 MOHABBATEIN-2000; AMITABH BACHCHAN https://www.youtube.com/watch?v=Cdlj92rTSGA 02-MATA SARASWATI SHARDA CD MISC-20190901 TRACK#02 3:22 ALAAP-1977; YESUDAS, DILJIT KAUR, MADHURANI; JAIDEV; RAHI MASOOM RAZA https://www.youtube.com/watch?v=GuDXlV0EcFw हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्‍सा मांगेंगे, इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे। यां पर्वत-पर्वत हीरे हैं, यां सागर-सागर मोती हैं ये सारा माल हमारा है, हम सारा खजाना मांगेंगे। वो सेठ व्‍यापारी रजवारे, दस लाख तो हम हैं दस करोड ये कब तक अमरीका से, जीने का सहारा मांगेंगे। जो खून बहे जो बाग उजडे जो गीत दिलों में कत्‍ल हुए, हर कतरे का हर गुंचे का, हर गीत का बदला मांगेंगे। जब सब सीधा हो जाएगा, जब सब झगडे मिट जायेंगे, हम मेहनत से उपजायेंगे, बस बांट बराबर खायेंगे। हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्‍सा मांगेंगे, इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे। -फैज अहमद 'फैज' HAPPY LABOUR DAY! 03-HUM MEHNAT KASH IS DUNIYA SE CD MISC-20190901 TRACK#03 3:53 MAZDOOR-1983; MAHENDRA KAPOOR; R. D. BURMAN; HASAN KAMAAL https://www.youtube.com/watch?v=ZVCdc3MpRXo गणेश चतुर्थी 'विनायक चतुर्थी' के नाम से भी जानी जाती है। भाद्रपद चतुर्थी तिथि से दस दिन तक अर्थात अनंत चतुर्दशी तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन अब दक्षिण भारत व उत्तर भारत में भी बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। लोग श्रद्धा से गणेश जी की मूर्ति की स्थापना अपने घर, गली, मोहल्ले में करते हैं और रोज उनकी पूजा, आरती व रंगारंग कार्यक्रमों से वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं। तीन, पांच या दस दिन बाद मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन करने के पीछे मान्यता है कि जिस प्रकार मेहमान घर में आते हैं तो कुछ लेकर आते हैं इसी प्रकार भगवान को भी हम हर वर्ष अपने घर बुलाते हैं, वे घर में पधारते हैं तो जरूर सभी के लिए कुछ न कुछ लेकर आते हैं इस प्रकार घर में खुशहाली व सुख-समृद्धि कायम रहती है। गणपति - गण+पति। 'पति' यानी पालन करने वाला। 'गण' शब्द के विभिन्न अर्थ हैं - महर्षि पाणिनि अनुसार : 'गण, यानी अष्टवस्तुओं का समूह। वसु यानी दिशा, दिक्‌पाल (दिशाओं का संरक्षक) या दिक्‌देव। अतः गणपति का अर्थ हुआ दिशाओं के पति, स्वामी। गणपति की अनुमति के बिना किसी भी देवता का कोई भी दिशा से आगमन नहीं हो सकता, इसलिए किसी भी मंगल कार्य या देवता की पूजा से पहले गणपति पूजन अनिवार्य है। गणपति द्वारा सर्व दिशाओं के मुक्त होने पर ही पूजित देवता पूजा के स्थान पर पधार सकते हैं। इसी विधि को महाद्वार पूजन या महागणपति पूजन कहते हैं। भगवान गणपति का पूजन किए बगैर कोई कार्य प्रारंभ नहीं होता। विघ्न हरण करने वाले देवता के रूप में पूज्य गणेश जी सभी बाधाओं को दूर करने तथा मनोकामना को पूरा करने वाले देवता हैं। 04-MANGALAM GANESHAM CD MISC-20190901 TRACK#03 4:30 DEV-2004; ABHIJEET; AADESH SRIVASTAVA; SAAWAN KUMAR https://www.youtube.com/watch?v=3uUdZLIEONg सितम्बर ३, १९४० को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में जन्में प्यारेलाल (लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जोड़ी के) का बचपन बेहद संघर्षभरा रहा। उनका माँ का देहांत छोटी उम्र में ही हो गया था। उनके पिता पंडित रामप्रसाद जी ट्रम्पेट बजाते थे और चाहते थे कि प्यारेलाल वोयलिन सीखे। पिता के आर्थिक हालात ठीक नही थे, वे घर घर जाते थे जब भी कहीं उन्हें बजाने का मौका मिलता था और साथ में प्यारे को भी ले जाते। उनका मासूम चेहरा सबको आकर्षित करता था। एक बार पंडित जी उन्हें लता जी के घर लेकर गए। लता जी प्यारे के वोयलिन वादन से इतनी खुश हुई कि उन्होंने प्यारे को ५०० रुपए इनाम में दिए जो उस जमाने में बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी। वो घंटों वोयलिन का रीयाज़ करते। अपनी मेहनत के दम पर उन्हें मुंबई के रंजीत स्टूडियो के ओर्केस्ट्रा में नौकरी मिल गई जहाँ उन्हें ८५ रुपए मासिक वेतन मिलता था। अब उनके परिवार का पालन इन्हीं पैसों से होने लगा। उन्होंने एक रात्रि स्कूल में सातवें ग्रेड की पढाई के लिए दाखिला लिया पर ३ रुपये की मासिक फीस उठा पाने की असमर्थता के चलते छोड़ना पड़ा। मुश्किल हालातों ने भी उनके हौसले कम नही किए, वो बहुत महत्वकांक्षी थे, अपने संगीत के दम पर अपने लिए नाम कमाना और देश विदेश की यात्रा करना उनका सपना था। In an interview with Annu Kapoor recently, he has mentioned that he was quite an adept violinist and expert in western form of music. Pyarelal even thought to try his fortune in the West and wanted to become a regular orchestra player with a renowned group. Lakshmikant dissuaded him and then they started the amazing journey of music for Indian cinema. दोस्तों, प्यारेलाल जी अपने सांझीदार लक्ष्मीकांत के जाने के बाद ६ सालों तक बीमार और अस्वस्थ रहे। पर अब धीरे धीरे स्वस्थ लाभ पा रहे हैं, और शराब और तम्बाकू से भी निजात पा चुके हैं। उम्मीद है कि जल्दी ही वो सक्रिय होकर काम करेंगे और इस नई पीढी को भी अपने जादू भरे संगीत से परिचित होने का मौका अवश्य देंगे। सुनते हैं एल पी यादगार नग्मा | 05-EK PYAR KA NAGMA HAI CD MISC-20190901 TRACK#05 5:59 SHOR-1972; LATA MANGESHKAR, MUKESH; LAXMIKANT-PYARELAL; SANTOSH ANAND https://www.youtube.com/watch?v=zTUjZ7d0mf0 60 के दशक के अन्तिम सालों में संगीतकार लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल तेज़ी से उपर चढ़ रहे थे। 1969 की ऋषीकेश मुखर्जी निर्देशित फ़िल्म ’सत्यकाम’ में एल.पी का संगीत था और फ़िल्म के तीनों गीत लिखे कैफ़ी आज़मी ने। दो गीत लता की एकल आवाज़ में और तीसरा गीत है मुकेश, किशोर कुमार और महेन्द्र कपूर की आवाज़ों में एक जीवन दर्शन आधारित ख़ुशमिज़ाज गीत जिसे बस में सवार दोस्तों की टोली गाता है। "ज़िन्दगी है क्या बोलो" गीत में धर्मेन्द्र का पार्श्वगायन किया है मुकेश ने जबकि किशोर कुमार बने असरानी की आवाज़। महेन्द्र कपूर ने अन्य कलाकारों का प्लेबैक दिया। 06-ZINDAGI HAI KYA BOLO MISC-20190901 TRACK#06 4:25 SATYAKAM-1969; MUKESH, KISHORE KUMAR, MAHENDRA KAPOOR; LAXMIKANT-PYARELAL; KAIFI AZMI https://www.youtube.com/watch?v=skaepcQg1vs The life-as-a-journey theme has been played out in a great many Hindi film songs – Suhana Safar is a popular, happy sing-along choice, as is Zindagi Ek Safar Hai Suhana. The dominant emotion is one of reassurance and positivity. Life is beautiful, just look around you. In Yun Hi Chala Chal Rahi from Swades (2004), a dishevelled fakir sings of the joys of life during a road trip with a US-returned scientist who is on a quest of his own. 07-YUN HI CHALA CHAL RAHI MISC-20170813 TRACK#07 7:25 SWADES-2004; UDIT NARAYAN, HARIHARAN, KAILASH KHER; A. R. RAHMAN; JAVED AKHTAR https://www.youtube.com/watch?v=eEeX2QMlSlo As far as I can recollect, there has never been a film based on the musical instrument 'banjo'. Hence, when a film comes with this title, it is prudent that 'banjo' plays a good part in the entire soundtrack. Vishal- Shekhar made this possible for the Riteish Deshmukh starrer and Amitabh Bhattacharya wrote the lyrics. It is good to see a single team coming together for this so one expects certain consistency in the sound. There is a definite 80s touch to the manner in which 'banjo' is played right at the beginning of 'Bappa'. This one is quite popular on Ganesh Chaturthi. Vishal Dadlani brings on good ferocity to the manner in which he goes about singing this devotional number with a contemporary touch to it. The 'dhol' beats are just right too and the presence of 'banjo' right through the song makes it all the more exciting. 08-BAPPA CD MISC-20160904 TRACK#08 3:42 BANJO-2016; VISHAL DADLANI, NAKASH AZIZ; VISHAL-SHEKHAR; AMITABH BHATTACHARYA https://www.youtube.com/watch?v=sHkd4XxKPdU THE END समाप्त
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