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An Indian Morning
Sunday May 27th, 2018 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the Music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first half of the program features classical and religious music as well as regional and popular music. The seco

An Indian Morning celebrates not only the Music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first half of the program features classical and religious music as well as regional and popular music. The second half features community announcements, Ghazals, Themes, Popular Old & New Bollywood Films music and more. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind". 01-SHYAM TERI BANSI PUKARE CD MISC-20180527 TRACK#01 5:23 GEET GAATA CHAL-1973; AARTI MUKHERJI, JASPAL SINGH; RAVINDRA JAIN https://www.youtube.com/watch?v=XJqKbDxAa3U एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए “An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। कुछ फ़नकार ऎसे होते हैं जिनके बारे में लिखने चलो तो न आपको मस्तिष्क के घोड़े दौड़ाने पड़ते हैं और न ही आपको अतिशयोक्ति का सहारा लेना होता है, शब्द खुद-ब-खुद ही पन्ने पर उतरने लगते हैं। यूँ तो आलेख लिखते समय लेखक को कभी भी भावुक नहीं होना चाहिए, लेकिन आज के जो फ़नकार हैं उनकी लेखनी का मैं इस कदर दीवाना हूँ कि तन्हाई में भी मेरे इर्द-गिर्द उनके ही शब्द घूमते रहते हैं। आज हम जिनकी बात कर रहे हैं, वह गाने के संगीतकार या गायक नहीं बल्कि इसके गीतकार हैं। आज हम पद्म भूषण श्री संपूरण सिंह "गुलज़ार" की बात कर रहे हैं। २००६ में गु्लज़ार साहब (इन्हें अमूमन इसी नाम से संबोधित किया जाता है) और जगजीत सिंह जी की ग़ैर-फिल्मी गानों की एक एलबम आई थी "कोई बात चले"। यूँ तो जगजीत सिंह ग़ज़ल-गायकी के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस एलबम के गीतों को ग़ज़ल कहना सही नहीं होगा, इस एलबम के गीत कभी नज़्म हैं तो कभी त्रिवेणी। त्रिवेणी को तख़्लीक़-ए-गुलज़ार भी कहते हैं क्योंकि इसकी रचना और संरचना गुलज़ार साहब के कर-कमलों से ही हुई है। त्रिवेणी वास्तव में क्या है, क्यों न गु्लज़ार साहब से ही पूछ लें। बकौल गु्लज़ार साहब : "शुरू शुरू में जब ये फ़ार्म बनाई थी तो पता नहीं था यह किस संगम तक पहुँचेगी - त्रिवेणी नाम इसलिए दिया था कि पहले दो मिसरे गंगा, जमुना की तरह मिलते हैं और एक ख़्याल, एक शेर को मुकम्मल करते हैं। लेकिन इन दो धाराओं के नीचे एक और नदी है - सरस्वती, जो गुप्त है, नज़र नहीं आती। त्रिवेणी का काम सरस्वती दिखाना है। तीसरा मिसरा कहीं पहले दो मिसरों में गुप्त है, छुपा हुआ है।" "ज़िंदगी क्या है जानने के लिए" प्रस्तुत गीत में गुलज़ार साहब इन्हीं मुद्दों पर अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं। तो लीजिए आप सबके सामने पेश-ए-खिदमत है ज़िंदगी की बेबाक तस्वीर: आदमी बुलबुला है पानी का 02-ZINDAGI KYA HAI CD MISC-20180527 TRACK#02 4:51 KOI BAAT CHALE-2006; JAGJIT SINGH; GULZAR https://www.youtube.com/watch?v=P8Je2dsI5JY कहूँ दोस्त से दोस्त की बात क्या.. क्या.. आबिदा परवीन Kahoon Dost se Dost Ki Baat Kya Kya : Abida Parveen कल आबिदा परवीन जी को सुन रहा था। बाबा ज़हीन साहब ताजी का लिखा कलाम गा रही थीं "कहूँ दोस्त से दोस्त की बात क्या.. क्या.." । ग़ज़ल तो मतले के बाद किसी और रंग में रंग गयी पर इस मिसरे ने माज़ी के उन लमहों की याद ताजा कर दी जब जब इस शब्द की परिभाषा पर कोई ख़रा उतरा था। बचपन के दोस्तों की खासियत या फिर एक सीमा कह लीजिए कि वो जीवन के जिस कालखंड में हमसे मिले बस उसी के अंदर की छवि को मन में समाए हम जीवन भर उन्हें स्नेह से याद कर लिया करते हैं। हाईस्कूल के दोस्तों में दो तीन से ही संपर्क रह पाया है। बाकी सब कहाँ है पता नहीं। पर उनका ख्याल रह रह कर ज़हन में आता रहता है। ये नहीं कि वे मेरे बड़े जिगरी दोस्त थे पर बस इतना भर जान लेना कि वो कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं मन को बड़ा संतोष देता है। कॉलेज के दोस्तों की बात जुदा है। वो जब भी मिलें जितने सालों के बाद मिले उनसे गप्प लड़ाना उन बेफिक्र पलों को फिर से कुछ देर के लिए ही सही पा लेना होता है। वो पढ़ाई का तनाव, साझा क्रश, फालतू की शैतानियाँ, नौकरी पाने की जद्दोज़हद कितना कुछ तो हमेशा रहता है फिर से उन स्मृतियों में गोते लगाने के लिए। ये तो हुई गुजरे वक़्त की बातें। आज तो अंतरजाल पर हजारों किमी दूर बैठे किसी शख्स को आप चुटकियों में दोस्त बना लेते हैं। पर दोस्तों की इसभारी भीड़ में अगर कोई ये पूछे कि इनमें से कितनों के साथ आपके मन के तार जुड़े हैं? कौन हैं वो जो बिना बोले आपकी मन की भावनाओं को समझ लेते हैं? अपनी हताशा अपनी पीड़ा को किसके सामने बिना झिझक के बाँट सकते हैं आप? तो लगभग एक सा ही जवाब सुनने को मिलेगा। हममें से हर किसी के लिए ये संख्या उँगलिओं पे गिनी जा सकती है। कहूँ दोस्त से दोस्त की बात क्या.. क्या.. रही दुश्मनों से मुलाकात क्या क्या आबिदा जी की गायिकी हमेशा से बेमिसाल रही है। इस गीत में जिस तरह से उन्होंने 'कहूँ', 'क्या क्या' या 'गुफ्तगू' जैसे टुकड़ों को अलग अलग तरीके से भावनाओं डूब कर दोहराया है कि मन सुन कर गदगद हो जाता है। अगर आपने कोक स्टूडियो के सीजन सात में उनकी ये प्रस्तुति नहीं देखी तो जरूर देखिए.. 03-KAHOON DOST SE DOST KI BAAT KYA KYA CD MISC-20180527 TRACK#03 6:33 COKE STUDIO SEASON 7 EPISODE 3-2014; ABIDA PARVEEN; BABA JAHEEN https://www.youtube.com/watch?v=hzb6uI7xRA8 इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा : जब मोत्सार्ट का रंग चढ़ा सलिल चौधरी पर Itna na mujhse tu pyar badha सलिल चौधरी के गीतों के बारे में लिखते हुए पहले भी मैं आपको बता चुका हूँ कि कैसे उनका बचपन अपने डाक्टर पिता के साथ रहते हुए असम के चाय बागान में बीता। पिता संगीत के रसिया थे। उनके एक आयरिश मित्र थे जो वहाँ से जाते समय अपना सारा पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का खजाना सलिल दा के पिता को दे गए थे। उनके संग्रह से ही सलिल को मोत्सार्ट, शोपिन, बीथोवन जैसे पश्चिमी संगीतकारों की कृतियाँ हाथ लगी थीं। सलिल के गीतों की खास बात ये थी कि उनकी मधुरता लोक संगीत और भारतीय रागों से बहकर निकलती थी पर जो मुखड़े या इंटरल्यूड्स में वाद्य यंत्रों का संयोजन होता था वो पश्चिमी संगीत से प्रभावित रहता था । उन्होंने अपने कई गीतों में मोत्सार्ट (Mozart)) से लेकर शोपिन (Chopin) की धुन से प्रेरणा ली। आज के संगीतकार भी कई बार ऐसा करते हैं पर अपने आप को किसी धुन से प्रेरित होने की बात स्वीकारने में झिझकते हैं। आज के इस इंटरनेट युग में सलिल दा को अपने इस मोत्सार्ट प्रेम पर कुछ मुश्किल सवालों के जवाब जरूर देने पड़ते पर सलिल दा ने अपने संगीत में मोत्सार्ट के प्रभाव को कभी नहीं नकारा। वो तो अपने आप को फिर से पैदा हुआ मोत्सार्ट ही कहते थे। आज उनके ऐसे ही एक गीत की बात आप को बताना चाहता हूँ जिसे लिखा था राजेंद्र कृष्ण ने। ये युगल गीत था फिल्म छाया से जो वर्ष 1961 में प्रदर्शित हुई थी। गीत के बोल थे इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा..सलिल दा ने इस गीत के मुखड़े की धुन मोत्सार्ट सिम्फोनी 40 G Minor 550 से हूबहू इस्तेमाल की थी। खुद मोत्सार्ट ने इस सिम्फोनी को वर्ष 1788 में विकसित किया था। मोत्सार्ट की इस मूल धुन को पहले पियानो और फिर छाया फिल्म के इस युगल गीत में सुनिए। समानता साफ दिखेगी। इस गीत को आवाज़े दी थीं तलत महमूद और लता मंगेशकर ने। युगल गीत को गीतकार राजेंद्र कृष्ण ने एक सवाल जवाब की शक्ल में ढाला था। बिम्ब भी बड़े खूबसूरत चुने थे उन्होंने नायक नायिका के लिए। जहाँ नायक अपने आप को आवारा बादल बताता है तो वहीं नायिका बादल के अंदर छिपी जलधारा में अपनी साम्यता ढूँढती है। इस गीत को फिल्माया गया था आशा पारिख और सुनील दत्त की जोड़ी पर। 04-MOZART SYMPHONY 40 IN G MINOR CD MISC-20180527 TRACK#04 1:13 MOZART SYMPHONY 40 IN G MINOR KV 550 PIANO VERSION https://www.youtube.com/watch?time_continue=48&v=werQQ01SXI0 05-ITNA NNA MUJHSE TU PYAR JATA CD MISC-20180527 TRACK#05 3:50 CHHAYA-1961; LATA MANGESHKAR, TALAT MEHMOOD; SALIL CHAUDHARY; RAJINDER KRISHAN https://www.youtube.com/watch?time_continue=57&v=ClAXd0itpsA गायक सुबीर सेन (गुमनाम गायक/गायिका) Singer Subir Sen पचास के दशक में गायक सुबीर सेन ने फिल्म आस का पंक्षी, कठपुतली, छोटी बहन, ओये तेरा क्या कहना, मासूम, अर्धांगनी, जैसी कुछ फिल्मों में मधुर गाने गाये ! संगीत प्रेमियों में उनकी आवाज़ को लेकर भ्रम रहा और उनके गाये गीतों को मुकेश और हेमंत कुमार का गाया हुआ समझते रहे ! 06-MANJIL WOHI HAI PYAR KI CD MISC-20180527 TRACK#06 4:08 KATHPUTLI-1957; SUBIR SEN; SHANKAR-JAIKISHAN; SHAILENDRA https://www.youtube.com/watch?v=DGri715PSF4 JAB KOI BAAT BIGAD JAAYE (JURM, 1990) Ekta Kapoor still uses this song in the background of many of her soaps! That should tell you something about the brilliance of this number. The fact that the lyrics say exactly what human beings have been saying to their loved ones for as long as we can remember. 07-JAB KOI BAAT BIGAD JAAYE CD MISC-20180517 TRACK#07 7:52 JURM-1990; KUMAR SANU, SADHANA SARGAM; RAJESH ROSHAN; INDEEVAR https://www.youtube.com/watch?v=2iX_WAvNm0k THE END समाप्त
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