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An Indian Morning
Sunday April 29th, 2018 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the Music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first half of the program features classical and religious music as well as regional and popular music. The seco

An Indian Morning celebrates not only the Music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first half of the program features classical and religious music as well as regional and popular music. The second half features community announcements, Ghazals, Themes, Popular Old & New Bollywood Films music and more. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind". 01-AHM BRAHAMASMI CD MISC-20180429 TRACK#01 2:00 KISNA-2005; SUKHVINDER SINGH, ALKA YAGNIK; ISMAIL DARBAR; JAVED AKHTAR https://www.youtube.com/watch?v=k2bYBOLAL-Y&list=RDk2bYBOLAL-Y&index=1 एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। फिर छिड़ी रात बात फूलों की......तलत अज़ीज़ और खय्याम से सुनिए इस गज़ल के बनने की कहानी “An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ। आज इस शृंखला की कड़ी में मख़्दूम के ग़ज़ल की बारी, जिसे फ़िल्म 'बाज़ार' के लिए स्वरबद्ध किया था ख़य्याम साहब ने। फ़िल्म 'बाज़ार' के सभी ग़ज़लें कंटेम्पोररी शायरों की ग़ज़लें हैं। "फिर छिड़ी रात बात फूलों की", यह मख़्दूम मोहिउद्दिन की बहुत मशहूर ग़ज़ल है, और मख़्दूम साहब बहुत ही रोमांटिक शायर हुए हैं। और हैदराबाद से ताल्लुख़, और बहुत रेवोल्युशनरी शायर। जी हाँ, बिलकुल, अपने राइटिंग में भी, और अपने किरदार में भी। वो चाहते थे कि हर आम आदमी को उसका हक़ मिले। तो दोस्तों, इसी ग़ज़ल को आज हम आपको सुनवा रहे हैं जिसे युगल आवाज़ें दी हैं लता जी और मशहूर ग़ज़ल गायक तलत अज़ीज़ ने। फूलों पर लिखी गई ग़ज़लों में मेरे ख़याल से इससे ख़ूबसूरत ग़ज़ल कोई और नहीं। फिर छिड़ी रात, बात फूलों की, रात है या बारात फूलों की। फूल के हार, फूल के गजरे, शाम फूलों की, रात फूलों की। आपका साथ, साथ फूलों का, आपकी बात, बात फूलों की। फूल खिलते रहेंगे दुनिया में, रोज़ निकलेगी बात फूलों की। नज़रें मिलती हैं जाम मिलते हैं, मिल रही हैं हयात फूलों की। ये महकती हुई ग़ज़ल मख़्दूम, जैसे सेहरा में रात फूलों की। क्या आप जानते हैं... कि तलत अज़ीज़ के सब से पसंदीदा संगीतकार हैं मदन मोहन। उन्होने यह 'जयमाला' कार्यक्रम ना केवल ये बात बताई बल्कि उनके स्वरबद्ध जिन दो गीतों को उसमें शामिल किया वो थे "वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई" (संजोग) और "जो हमने दास्ताँ अपनी सुनाई आप क्यों रोये" (वो कौन थी)। 02-PHIR CHHIDI RAAT BAAT PHOOLON KI CD MISC-20180429 TRACK#02 4:02 BAZAAR-1982; LATA MANGESHKAR, TALAT AZIZ; KHAYYAM; MAKHDOOM MOHIUDDIN https://www.youtube.com/watch?v=p-st4_8SIfM 17 अप्रैल 2018 को जानेमाने फ़िल्मकार भीमसेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। भारत में ऐनिमेशन के भीष्म-पितामह का दर्जा रखने वाले भीमसेन 70 के दशक में समानान्तर सिनेमा का आंदोलन छेड़ने वाले फ़िल्मकारों में भी एक सम्माननीय नाम हैं। मुल्तान (वर्तमान पाकिस्तान में) में वर्ष 1936 में जन्में भीमसेन खुराना देश विभाजन के बाद लखनऊ स्थानान्तरित हो गए थे। कलाकारों के परिवार से ताल्लुख़ रखने की वजह से संगीत और कला उन्हें विरासत में ही मिली। ललित कला और शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त करने की वजह से जीवन भर वो एक अच्छी जगह पर बने रहे। 1961 में भीमसेन ने बम्बई का रुख़ किया और Films Division में बैकग्राउंड पेन्टर की नौकरी कर ली। वहीं पर उन्होंने ऐनिमेशन कला की बारीकियाँ सीख ली। 1971 में भीमसेन स्वतंत्र रूप से फ़िल्म-निर्माण के कार्य में उतरे और अपनी पहली ऐनिमेटेड लघु फ़िल्म ’The Climb' बनाई जिसके लिए उन्हें Chicago Film Festival में "Silver Hugo Award" से सम्मानित किया गया। इस फ़िल्म की कामयाबी से प्रेरित होकर उन्होंने ’Climb Films' के नाम से अपनी बैनर बनाई और फिर पीछे मुड़ कर कभी नहीं देखा। 1974 की उनकी ’एक अनेक एकता’ ऐनिमेशन फ़िल्म को आज भी भारत के लोकप्रियतम ऐनिमेटेड फ़िल्मों में गिना जाता है। अनगिनत लघु फ़िल्म, वृत्तचित्र, टीवी सीरीज़, और ऐनिमेटेड फ़िल्मों के साथ-साथ भीमसेन ने दो बॉलीवूड फ़िल्मों का भी निर्माण किया - 1977 में ’घरौंदा’ और 1979 में ’दूरियाँ’। 16 राष्ट्रपति प्रदत्त राष्ट्रीय पुरस्कारों व कई अन्तराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित भीमसेन भारतीय फ़िल्म-निर्माण के एक लौहस्तंभ रहे हैं। आइए आज “An Indian Morning” में बातें करें फ़िल्म ’घरौंदा’ की। 40 वर्ष पूर्व निर्मित यह फ़िल्म आज के दौर में भी पूरी तरह से प्रासंगिक है। आज का यह अंक समर्पित है स्वर्गीय भीमसेन की पुण्य स्मृति को! आज जब भी हम ऊंचे-ऊंचे निर्माणाधीन हाउसिंग् कॉमप्लेक्स के सामने से गुज़रते हैं, या जब भी अपना नया फ़्लैट ख़रीदने के बारे में सोचते हैं, तो यकायक हमें फ़िल्म ’घरौंदा’ याद आ जाती है। जहाँ अपने जीवन की सारी जमा पूंजी लगा देनी हो, वहाँ सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी होता है। शायद इसीलिए फ़िल्म ’घरौंदा’ का वह दृश्य आँखों के सामने आ जाता है जिसमें बिल्डर फ़्लैट ख़रीदारों के सारे पैसे लेकर फ़रार हो जाता है और जिस वजह से कई ख़रीदार आत्महत्या भी कर लेते हैं। इस दृश्य का ख़याल आते ही जैसे पूरे शरीर में एक कंपन सी दौड़ जाती है। 40 साल पहले, 1977 में यह फ़िल्म बनी थी, उस समय यह फ़िल्म जितनी प्रासंगिक थी, शायद आजे के समय में इसकी प्रासंगिकता और भी ज़्यादा बढ़ गई है। आज इस फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक भीमसेन हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके जाने के बाद उनकी यह फ़िल्म बार बार याद आ रही है और आज की शहरी ज़िन्दगी की सच्चाई से हमारा एक बार फिर से परिचय करवा रही है। फ़िल्म के गीतों की बात करें तो इसमें बस तीन ही गाने थे लेकिन तीनों असरदार। सुदीप और छाया के घर ढूंढ़ने और अपनी नई दुनिया के सपने देखने को गुलज़ार ने बड़ी ख़ूबसूरती से "दो दीवाने शहर में, रात में और दोपहर में..." गीत के ज़रिए उभारा है। "आब-ओ-दाना" (पानी और रोटी/खाद्य) के फ़िल्मी गीत में इस पहले इस्तमाल से गीत में एक चमक आई है। 03-DO DEEWANE SHAHAR MEIN CD MISC-20180429 TRACK#03 4:13 GHARONDA-1977; RUNA LAILA, BHUPINDER SINGH; JAIDEV; GULZAR https://www.youtube.com/watch?v=TzUOhFWhaAo इसी गीत का निराश संस्करण "एक अकेला इस शहर में..." सुदीप के अकेलेपन और हताशा को ज़ाहिर करता है। इस गीत में गुलज़ार लिखते हैं - "जीने की वजह तो कोई नहीं, मरने का बहाना ढूंढ़ता है..." जो कुछ हद तक शहरयार के लिखे "सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है, इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यों है" से मिलता-जुलता है जो अगले ही साल (1978 में) फ़िल्म ’गमन’ के लिए लिखा गया था। 04-EK AKELA IS SHAHAR MEIN CD MISC-20180429 TRACK#04 5:07 GHARONDA-1977; BHUPINDER SINGH; JAIDEV; GULZAR https://www.youtube.com/watch?v=wKY0KLumyoY तीसरा गीत नक्श ल्यालपुरी का लिखा हुआ है - "तुम्हें हो ना हो मुझको तो इतना यकीं है...", जो सुदीप और छाया की दोस्ती से लेकर प्यार तक की दूरी को मिटाने का काम करता है। जयदेव के संगीत में भूपेन्द्र और रुना लैला के गाए ये तीन गीत आज सदाबहार बन चुके हैं। वैसे ’घरौंदा’ के गीत फ़िल्म की कथानक के विपरीत भी सुनाई देते हैं। फ़िल्म के बाहर अगर इन गीतों को सुना जाए तो फ़िल्म के बारे में एक अलग ही धारणा बनती है। भीमसेन ने इस गीतों के लिए फ़िल्म में एक आसान सा रवैया रखा जिसमें कोई नाटकीयता नहीं, कोई आंत संबंधी अर्थ नहीं। इस नज़्म यानि 'तुम्हें हो ना हो....' को नक़्श लायलपुरी (Naqsh Lyallpuri) ने लिखा था। क्या कमाल के लफ़्ज दिये थे नक़्श साहब ने। दिल और दिमाग की कशमकश को बिल्कुल सीधे बोलों से मन में उतार दिया था उन्होंने.. ....अब दिमाग अपने अहम का शिकार होकर लाख मना करता रहे कि वो प्रेम से कोसों दूर है पर बेचैन दिल की हरकतें खुद बा खुद गवाही दे जाती हैं। गौर करें की इस गीत में धुन के रूप में सीटी का कितना सुंदर इस्तेमाल हुआ है। इस गीत की भावनाएँ, गीत में आते ठहरावों और फिर अनायास बढती तीव्रता से और मुखर हो कर सामने आती है। जहाँ ठहराव दिल में आते प्रश्नों को रेखांकित करते हैं वहीं गति दिल में प्रेम के उमड़ते प्रवाह का प्रतीक बन जाती है। इस गीत को फिल्म में एक बार पूरे और दूसरी बार आंशिक रूप में इस्तेमाल किया गया है। सच्चाई यही है कि भीमसेन ने ’घरौंदा’ के रूप में फ़िल्म जगत को एक अनमोल भेंट दी है जो आनेवाले समय में भी समानान्तर या बेहतर शब्दों में "middle of the road" सिनेमा के शौकीनों को चमत्कृत करती रहेगी और फ़िल्मकारों को अच्छी वास्तविक जीवन की फ़िल्में बनाने के लिए प्रेरित करती रहेगी। “An Indian Morning” करती है स्वर्गीय भीमसेन को सलाम! तो सुनिए पूरा गीत… 05-TUMHE HO NA HO MUJKO TO ITNA YAKEEN HAI CD MISC-20180429 TRACK#05 4:01 GHARONDA-1977; RUNA LAILA; JAIDEV; NAQSH LYAALPURI https://www.youtube.com/watch?v=AZXSBVWQ8wo पास आओ ना-चला मुरारी हीरो बनने १९७७ सन १९७७ की असरानी निर्देशित फिल्म से अगला गीत सुनते हैं जो असरानी और सिमी ग्रेवाल पर फिल्माया गया है। योगेश के लिखे गीत को आशा भोंसले ने गाया है। संगीत है पंचम का। गीत में जो बहुत सारा कुछ दिखलाई दे रहा है उसमें एक बड़ी सी कार और फिल्म की हीरोईन बिंदिया गोस्वामी भी नज़र आती हैं। A rendezvous of life with Simi Garewal. A super dreamy song from Chala Murari Hero Banane sung by Asha Bhosle, interspersed with the monologues from the celebrity seductress. 06-PAAS AAO NA CD MISC-20180429 TRACK#06 3:35 CHALA MURARI HERO BANANE-1977; ASHA BHOSLE; R. D. BURMAN; YOGESH https://www.youtube.com/watch?v=vOJKzP5ucog मेरी मुहब्बत जवाँ रहेगी-जानवर १९६५ शंकर जयकिशन के संगीत निर्देशन में रफ़ी के कई हिट गीत हैं जिनमें सबसे ज्यादा शायद रोमांटिक गीत हैं। आज जो आप सुनेंगे वो भी एक रोमांटिक गीत है जिसमें प्रेमी बड़े दावे के साथ अपनी मोहब्बत के बारे में बहुत कुछ कह रहा है। गीत हसरत जयपुरी का लिखा हुआ है जिसे शम्मी कपूर परदे पर गा रहे हैं। नायिका को आप पहचान ही लेंगे ऐसा हमारा विश्वास है। 07-MERI MOHABBAT JAWAN RAHEGI CD MISC-20180429 TRACK#07 4:50 JAANWAR-1965; MOHAMMAD RAFI; SHANKAR-JAIKISHAN; HASRAT JAIPURI https://www.youtube.com/watch?time_continue=1&v=R6CfqBsqgzA पंडित जी ने हाथ मेरा-लोफर १९९६ शादी ब्याह का सीज़न चल रहा है अतः कोई शादी वाला या उसके उल्लेख वाला गीत भी होना चाहिए न। इलाहाबाद के पंडे तो फेमस हैं, नैनीताल के बारे में इस गीत में ही सुना पहली बार। सुनते हैं उदित नारायण और अलका याग्निक का गाया हुआ युगल गीत इस फिल्म से। समीर के बोल हैं और गीत की धुन आनंद मिलिंद ने तैयार की है। 08-PANDITJI NE HAATH MERA CD MISC-20180429 TRACK#08 5:25 LOAFER-1996; UDIT NARAYAN, ALKA YAGNIK; ANAND-MILIND; SAMEER https://www.youtube.com/watch?time_continue=1&v=FwYZ4sz9qUs The wedding is an important celebration in everyone’s life. In India, weddings have special customs and they all are performed with music and joy. In all the weddings, there must be music and songs to make it look lively. Even the choice of the Hindi wedding song has to perfectly go with the ambiance. Wedding is the peak of memorable events in human life. To make it the best memory, one needs to create the heavenly atmosphere so that everyone can enjoy themselves to the fullest and make every moment count. Wedding songs are an integral part of weddings. 09-LONDO THUMAKDA CD MISC-20180429 TRACK#08 3:34 QUEEN-2014; SONU KAKKAR, NEHA KAKKAR, LABH JANJUA; AMIT TRIVEDI; ANVITA DUTT https://www.youtube.com/watch?time_continue=44&v=udra3Mfw2oo THE END समाप्त
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