An Indian Morning
Sunday October 8th, 2017 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second one hour features community announcements and ear pleasing music from old/new & popular Indian films.
An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind".
01-MHARO PRANAM CD MISC-20171008 Track#01 4:11
MHARO PRANAM-1984; KISHORI AMONKAR
https://www.youtube.com/watch?v=z7RHhWaeQTY
एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए ।
Words and interpretation:
Mharo pranaam Banke Bihari ji
Mharo pranaam
Mor mukut mathya tilak biraja
Kundal alaka kari ji
Mharo pranaam Banke Bihari ji
Adhar madhur dhar bansi bajav
Ri jhiri jhawa braj nari ji
Mharo pranaam Banke Bihari ji
Ya chhab dekhya mohya Meera
Mohan giriwardhari ji
Mharo pranaam Banke Bihari ji
Interpretation:
My respects to Banke Bihari, Who has a crown of peacock-feathers,
a tilaka mark on the forehead and locks of hair hanging over his earring hoops.
With His sweet lips He holds and plays the flute
And playfully entices His dear Radha.
This image captivates Meera—this image of Mohana,
Who lifted Govardhana Mountain
That was a beautiful rendition of Meerabai's bhajan in raag Yaman-Kalyani by Kishori Amonkar.
एक ज़माना था जब हिन्दी फ़िल्मी गीतों में शास्त्रीय रागों का समावेश होता था। राग आधारित रचनाओं ने उन फ़िल्मों के ऐल्बमों के स्तर को ही केवल उपर नहीं उठाया बल्कि सुनने वालों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया। फिर धीरे धीरे बदलते समय के साथ-साथ फ़िल्मी गीतों का चदल बदला; पाश्चात्य संगीत उस पर हावी होने लगा और 80 के दशक के आते-आते जैसे शास्त्रीय संगीत फ़िल्मी गीतों से पूरी तरह से ग़ायब ही हो गया। फिर भी समय-समय पर फ़िल्म की कहानी, चरित्र और ज़रूरत के हिसाब से भारतीय शास्त्रीय संगीत आधारित रचनाएँ हमारी फ़िल्मों में आती रही हैं। आज के दौर की फ़िल्मों में भी कई गीत शास्त्रीय संगीत की छाया लिए होते हैं।
भले इनमें रागों का शुद्ध रूप से प्रयोग ना हो, लेकिन एक छाया उनमें ज़रूर होती है। आज अनुजा कामत और उनकी लघु शृंखला “OUT OF THE SHRUTI BOX – MUSIC & मोर” आपका परिचय करवायेंगे राग यमन और इस राग को किस तरह बॉलीवुड फिल्मों में उपयोग किया गया है।
02- RAAG YAMAN AND BOLLYWOOD SONGS CD MISC-20171008 TRACK#02 7:57
THE SHRUTI BOX – MUSIC & MOR – 2017; ANUJA KAMAT
https://www.youtube.com/watch?v=DuaHd2dj10g&feature=youtu.be
20 सितंबर 2017 को गुज़रे ज़माने की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री शकीला का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 1 जनवरी 1936 को जन्मीं शकीला के पूर्वज अफ़गानिस्तान और ईरान के शाही खानदान से ताल्लुक रखते थे। राजगद्दी पर कब्ज़े के खानदानी झगड़ों में शकीला के दादा-दादी और माँ मारे गए थे। शकीला तीन बहनों में सबसे बड़ी थी और तीनों बच्चियों को साथ लेकर उनके पिता और बुआ जान बचाकर मुम्बई भाग आए थे। शकीला की उम्र उस वक़्त क़रीब 4 साल की थी। शकीला के पिता भी बहुत जल्द गुज़र गए। उनकी बुआ फ़िरोज़ा बेगम ज़िंदगी भर अविवाहित रह कर तीनों अनाथ भतीजियों का पालन पोषण किया।
ए. आर. कारदार और महबूब ख़ान जैसे फ़िल्मकारों के साथ पारिवारिक सम्बन्ध होने की वजह से एक बार कारदार ने ही शकीला को फ़िल्म ‘दास्तान’ में एक 13-14 साल की लड़की का रोल करने को कहा था और इस तरह साल 1950 में प्रदर्शित हुई फिल्म ‘दास्तान’ से शकीला का अभिनय सफ़र शुरू हो गया। और बहुत जल्द एक सशक्त अभिनेत्री के रूप में वो उभर कर सामने आयीं। आइए आज ’An Indian Morning’ के इस अंक में शकीला जी पर फ़िल्माए गए चंद सदाबहार फ़िल्मी गीतों की बातें करे। आज का यह अंक समर्पित है शकीला जी की पुण्य स्मृति को।
बाबूजी धीरे चलना, प्यार में ज़रा संभलना - AAR PAAR-1954
1954 की फ़िल्म ’आर पार’ के इसी कामोत्तेजक गीत ने शकीला को रातों रात स्टार बना दिया था। ओ. पी. नय्यर का दिलकश संगीत और गीता दत्त की नशीली गायकी, और उस पर शकीला के मनमोहक अभिनय ने इस गीत को अमर बना दिया और आज 63 बरस बाद भी यह गीत उसी चाव से सुना जाता है जैसा उस ज़माने में सुना जाता था। मज़े की बात यह है कि इस गीत का संगीत नय्यर साहब की मूल रचना नहीं है, बल्कि एक पाश्चात्य धुन पर आधारित है जिसे समय समय पर अलग अलग बोलों के साथ गाया गया है। उदाहरत: डॉरिस डे ने इसे “perhaps perhaps” गाया था और नैट कोल ने इसे “quizas quizas quizas” गाया था। नय्यर साहब ने इस धुन का ऐसा भारतीय फ़िल्मीकरण किया कि हर किसी ने इसे हाथों हाथ ग्रहण किया। ’आर पार’ गुरु दत्त की हल्के-फुल्के चरित्र वाले फ़िल्मों में से एक है।
03-BABUJI DHIRE CHALNA, PYAR MEIN JHARA SAMBHALNA CD MISC-20171008 TRACK#03 3:14
AAR PAAR-1954; GEETA DUTT; O.P.NAYYAR; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=rIX_UGulNK8
हूँ अभी मैं जवान ऐ दिल - AAR PAAR-1954
फ़िल्म ’आर पार’ में ही शकीला पर फ़िल्माया एक और सेन्सुअस गीत है "हूँ अभी मैं जवान ऐ दिल, ख़ामोश हूँ बिन पीये, कल का है ग़म किसलिए"। अगर हमारी ऐसी धारणा है कि फ़िल्मों में किसी नारी चरित्र द्वारा मद्यपान का दृश्य 60 के दशक से शुरू हुआ था तो यह ग़लत धारणा है। 50 के दशक से ही इसका चलन शुरू हो चुका था। यह गीत इसका प्रमाण है। मदिरा के नशे में धुत शकीला और चेन स्मोकर गुरु दत्त इस गीत में नज़र आते हैं। उस ज़माने में सिगरेट के दृश्यों को फ़ैशनेबल माना जाता था, इसलिए कई क्लब गीतों में सिगरेट के धुएँ के दृश्य रखे जाते थे। इन दोनो ही गीतों में शायर मजरूह सुल्तानपुरी ने एक सिड्युसिव क्लब डान्सर के जज़बात को बख़ूबी उजागर किया है। सबसे ख़ास बात यह है कि ये गीत कामोत्तेजक, कामुक, आकर्षण-युक्त होते हुए भी अश्लील बिल्कुल नहीं है। और यही बात इन गीतों को अमर बनाता है। क्या सुन्दर अदाकारी है शकीला की इस गीत में। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस गीत के पीछे मजरूह, नय्यर और गीता दत्त का जितना योगदान है, परदे पर इसे सजीव करने में शकीला का भी उतना ही योगदान है।
04-HOON ABHI MEIN JAWAAN AYE DIL CD MISC-20171008 TRACK#04 3:43
AAR PAAR-1954; GEETA DUTT; O.P.NAYYAR; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=97aQQbcAzxU
आँखों ही आँखों में इशारा हो गया - C.I.D. - 1956
फ़िल्म ’आर पार’ की सफलता के बाद जैसे मजरूह, नय्यर, गीता दत्त और गुरु दत्त की एक टीम ही बन गई थी। दो साल बाद 1956 में आई अगली हिट फ़िल्म ’सी. आइ. डी’ जिसके गीत-संगीत ने एक बार फिर से तहल्का मचा दिया। इस बार फ़िल्म के नायक गुरु दत्त नहीं बल्कि देव आनन्द थे और शकीला ही एकमात्र नायिका थीं। यूं तो इस फ़िल्म के सभी गीत सुपरहिट हैं, देव आनन्द और शकीला पर फ़िल्माया गया युगल गीत "आँखों ही आँखों में इशारा हो गया" एक ख़ास मुकाम रखता है। यह गीत इसलिए भी ख़ास है क्योंकि यह इस फ़िल्म का एकमात्र ऐसा गीत है जो फ़िल्म के नायक और नायिका, दोनों पर फ़िल्माया गया है। नय्यर और गीता दत्त की जोड़ी का वह सुनहरा दौर था और दोनों मिल के एक के बाद एक हिट गीत देते चले जा रहे थे। रफ़ी तो थे ही कैम्प में। और हाँ, एक और ख़ास बात इस गीत से जुड़ी, वह यह कि इस फ़िल्म के सभी गीत मजरूह ने लिखे थे सिवाय इस गीत के जिसे लिखा था जाँ निसार अख़्तर ने। एक हल्का-फुल्का चुलबुला सा गीत, लेकिन बहुत ही असरदार और सदाबहार! देव आनन्द और शकीला की अदाकारी ने इस गीत का मुकाम और बुलन्द कर दिया।
05-AANKHON AANKHON MEIN ISHAARA HO GAYA CD MISC-20171008 TRACK#05 3:44
C.I.D.-1956; MOHAMMAD RAFI, GEETA DUTT; O.P.NAYYAR; JAN NISAR AKHTAR
https://www.youtube.com/watch?v=J9ANgzH9Pwc
बार बार देखो हज़ार बार देखो - CHINA TOWN - 1962
गुरु दत्त और देव आनन्द के बाद अब एक ऐसा गीत जिसमें शकीला के नायक हैं शम्मी कपूर। यह तो सर्वविदित है कि शम्मी कपूर के हर फ़िल्म के गाने सुपरहिट हुआ करते थे और वो ख़ुद फ़िल्म के निर्माण के दौरान फ़िल्म के गीतों पर कड़ी नज़र रखते थे। 1962 की फ़िल्म ’चाइना टाउन’ में शम्मी कपूर पर फ़िल्माया गीत "बार बार देखो हज़ार बार देखो" एक सदाबहार नग़मा है जिसकी चमक आज तक कम नहीं हो पायी है। और इस गीत में बार बार, हज़ार बार जिस चेहरे को देखने को कहा जा रहा है, वह चेहरा है शकीला का। जी हाँ, शम्मी कपूर की नायिका शकीला इस गीत में पार्टी में नज़र आती हैं और शम्मी कपूर पार्टी की मध्यमणि के रूप में डान्स करते हुए, झूमते हुए यह गीत गा रहे हैं। शकीला उनके इस अंदाज़ से शर्मा रही है, अजीब महसूस कर रही है। शक्ति सामन्त की इस फ़िल्म में संगीतकार हे रवि और इस फ़िल्म में कुल दस गीत थे लेकिन इस गीत को जितनी शोहरत हासिल हुई, वह शोहरत फ़िल्म के अन्य गीतों को नहीं मिली।
06-BAAR BAAR DEKHO, HAZAAR BAAR DEKHO CD MISC-20171008 TRACK#06 4:54
CHINA TOWN-1962; MOHAMMAD RAFI; RAVI; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=k6pYkSh2NcA
नींद ना मुझको आए, दिल मेरा घबराए - POST BOX 999 - 1958
1958 की फ़िल्म ’पोस्ट बॉक्स 999' में कई बेहद ख़ूबसूरत गीत हुए। इनमें से एक गीत है हेमन्त कुमार और लता मंगेशकर का गाया - "नींद ना मुझको आए, दिल मेरा घबराए, चुपके चुपके कोई आके सोया प्यार जगाए..."। दिल को सुकून से भर देने वाला यह गीत फ़िल्माया गया था शकीला और सुनिल दत्त पर। प्यारेलाल संतोषी के बोलों को सुरीली धुनों से सजाया था संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनन्दजी ने जो उन दिनों इंडस्ट्री में नए नए स्वतंत्र संगीतकार बने थे। गीत का सिचुएशन कुछ ऐसा है कि नायक और नायिका एक दूसरे से जुदा हैं और रात को दोनों को ही नींद नहीं आ रही है एक दूसरे की याद में। बिस्तर पर लेटी शकीला की क्या ख़ूबसूरत मासूम अदाएँ हैं इस गीत में| फ़िल्म संगीत के इतिहास की यह कालजयी रचना ’विविध भारती’ पर अक्सर आज भी सुनने को मिल जाती है। और क्यों ना मिले, एक एवरग्रीन रोमान्टिक डुएट जो ठहरी!
07-NEEND NA MUJKO AAYE, DIL MERA GHBARAAE CD MISC-20171008 TRACK#07 4:09
POST BOX 999-1958; HEMANT KUMAR, LATA MANGESHKAR; KALYANJI-ANANDJI; P.L.SANTOSHI
https://www.youtube.com/watch?v=RG3i3InLEUo
सौ बार जनम लेंगे, सौ बार फ़ना होंगे – USTAADON KE USTAAD - 1963
शकीला ने अपने ज़माने के सभी छोटे-बड़े नायकों के साथ काम किया है। गुरु दत्त, देव आनन्द, शम्मी कपूर और सुनिल दत्त की बात हम कर चुके हैं। 1963 की फ़िल्म ’उस्तादों के उस्ताद’ में शकीला अभिनेता प्रदीप कुमार की नायिका बनीं। हिन्दी फ़िल्मों के इतिहास में कई हौन्टिंग् गीत ऐसे बने हैं जो फ़िल्माया गया है नायक के उपर, लेकिन पार्श्व में एक महिला कंठ का गीत बज रहा होता है जैसे कि ’गुमनाम’, ’बीस साल बाद’, ’कोहरा’ आदि फ़िल्मों में हमने देखा है। लेकिन इस गीत में मामला उल्टा है। गीत रफ़ी साहब की आवाज़ में है लेकिन फ़िल्माया गया है शकीला पर जो इस गीत में एक जलप्रपात के पास टहलती हुईं दिखती हैं। सस्पेन्स थ्रिलर फ़िल्मों के थीम सॉंग् ही की तरह यह गीत है जो मर कर भी जुदा ना होने की बात कहता है। एक अजीब से हलचल, रहस्य और दर्द पैदा करता है यह गीत। असद भोपाली की गीत रचना और रवि का संगीत, निस्सन्देह यह रफ़ी साहब के गाए अमर गीतों में से एक है।
08-SAU BAAR JANAM LENGE, SAU BAAR FANAAH HONGE CD MISC-20171008 TRACK#08 5:24
USTAADON KE USTAAD-1963; MOHAMMAD RAFI; RAVI; ASAD BHOPALI
https://www.youtube.com/watch?v=CTprvBjARLY
लागी छूटे ना अब तो सनम चाहे जाए जिया तेरी क़सम – KAALI TOPI LAAL RUMAAL - 1959
1959 की फ़िल्म ’काली टोपी लाल रूमाल’ में शकीला के नायक बने चन्द्रशेखर। फ़िल्म में कुमकुम ने भी अभिनय किया।फ़िल्म कम बजट की थी, लेकिन मजरूह के गीतों और चित्रगुप्त के संगीत से सजे फ़िल्म के गीतों से फ़िल्म को अमर बना दिया। "दगा दगा वई वई वई" के अलावा एक लता-रफ़ी डुएट "लागी छूटे ना अब तो सनम चाहे जाए जिया तेरी क़सम..." ख़ासा लोकप्रिय हुआ जो शकीला-चन्द्रशेखर पर फ़िल्माया गया था। यहाँ फ़िल्म की अन्य अभिनेत्री कुमकुम का भी उल्लेख करना ज़रूरी है क्योंकि उनका शकीला के साथ एक समानता रही है और वह यह कि 1954 की फ़िल्म ’आर पार’ में ही गुरु दत्त ने शकीला के साथ साथ कुमकुम को भी उनका पहला बड़ा ब्रेक दिया था और फ़िल्म का लोकप्रिय गीत "कभी आर कभी पार लागा तीर-ए-नज़र" उन पर फ़िल्माया गया। कुमकुम और शकीला 1956 की फ़िल्म ’सी.आइ.डी’ में भी साथ-साथ नज़र आयीं।
09-LAAGI CHHUTE NAA AB TO SANAM CD MISC-20171008 TRACK#09 4:09
KAALI TOPI LAAL RUMAAL-1959; MOHAMMAD RAFI, LATA MANGESHKAR; CHITRAGUPT; MAJROOH SULTANPURI
https://www.youtube.com/watch?v=k5wuLq3O0z8
ऐ मेरे दिल-ए-नादाँ, तू ग़म से ना घबराना - TOWER HOUSE - 1962
1962 की फ़िल्म ’टावर हाउस’ एक सस्पेन्स थ्रिलर फ़िल्म थी। ’उस्तादों के उस्ताद’ फ़िल्म की तरह इस फ़िल्म में शकीला नायिका थीं, गीतकार थे असद भोपाली और संगीतकार रवि। उस ज़माने में इस तरह की फ़िल्मों में लता मंगेशकर का गाया एक हौन्टिंग् गीत ज़रूर होता था जैसे कि "कहीं दीप जले कहीं दिल", "गुमनाम है कोई", "नैना बरसे रिमझिम रिमझिम", "आएगा आनेवाला", "झूम झूम ढलती रात" वगेरह। इस तरह के गीतों में दर्द, जुदाई और इन्तज़ार के अंडरकरण्ट बहती हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए असद भोपाली ने इस फ़िल्म के लिए लिखा "ऐ मेरे दिल-ए-नादाँ, तू ग़म से ना घबराना, एक दिन तो समझ लेगी दुनिया तेरा अफ़साना"। हालाँकि इस गीत को उस वर्ष के ’बिनाका गीतमाला’ में कोई स्थान नहीं मिला था, लेकिन अच्छे संगीत के रसिक आज भी इस गीत को बहुत सम्मान के साथ सुनते हैं। यह फ़िल्म असफल सिद्ध हुई, लेकिन आज अगर इस फ़िल्म को लोगों ने याद रखा है तो सिर्फ़ और सिर्फ़ इस एक गीत की वजह से।
10-AYE MERE DIL-E-NAADAN, TU GHAM SE NA GHABARANA CD MISC-20171008 TRACK#10 3:31
TOWER HOUSE-1962; LATA MANGESHKAR; RAVI; ASAD BHOPALI
https://www.youtube.com/watch?v=Nkd3rEwkVL8
दिल को लाख सम्भाला जी, फिर भी दिल मतवाला जी - GUEST HOUSE - 1959
1959 की फ़िल्म ’गेस्ट हाउस’ में अजीत और शकीला मुख्य कलाकार थे। प्रेम धवन के गीत और चित्रगुप्त के संगीत ने आज तक इस असफल फ़िल्म को ज़िन्दा रखे हुए हैं। फ़िल्म इंडस्ट्री में कोई भी कलाकार बहुत जल्दी टाइपकास्ट हो जाता है और शकीला के साथ भी यही हो रहा था। एक के बाद एक सस्पेन्स और मिस्ट्री वाली फ़िल्मों में उन्हें काम मिल रहा था। ’गेस्ट हाउस’ भी ऐसी ही एक फ़िल्म थी। इस फ़िल्म के बाक़ी के गीत लोकप्रिय नहीं हुए पर फ़िल्म का एक गीत आज तक ज़िन्दा है - "दिल को लाख सम्भाला जी, फिर भी दिल मतवाला जी, कल तक मेरा था अज वो तेरा हो गया"। पहले पहले प्यार की अनुभूति से सजा यह गीत जब भी सुने दिल को प्रसन्न कर जाता है।
11-DIL KO LAAKH SAMBHAALA JI, PHIR BHI DIL MATWAALA JI CD MISC-20171008 TRACK#11 3:16
GUEST HOUSE-1959; LATA MANGESHKAR; CHITRAGUPT; PREM DHAWAN
https://www.youtube.com/watch?v=j3YDnxUk4dM
ज़ुल्फ़ों की घटा लेकर सावन की परी आई - RESHMI RUMAL - 1961
’काली टोपी लाल रूमाल’ के बाद ’रेशमी रूमाल’ नामक फ़िल्म भी जल्द ही बन गई। साल था 1961। अब की बार शकीला के हीरो बने मनोज कुमार। शराब के बुरे असर की सबक पर आधारित यह फ़िल्म व्यावसायिक रूप से ख़ास नहीं चली थी पर संगीतकार बाबुल और गीतकार योगेश की जोड़ी ने इस फ़िल्म में कुछ बेहद कर्णप्रिय रचनाएँ हमें दी। उनमें से एक है मन्ना डे और आशा भोसले का गाया "ज़ुल्फ़ों की घटा लेकर साव की परी आई" जो शकीला और मनोज कुमार पर ही फ़िल्माया गया। एक तरफ़ नवोदित मनोज कुमार की ख़ूबसूरती और पौरुष और दूसरी तरफ़ शकीला की मनमोहक अदाएँ और अंदाज़, बड़ा ही मसूम और सुन्दर अभिव्यक्ति दोनों अदाकारों की इस गीत में। यह सच है कि बतौर नायिका शकीला की अधिकतर फ़िल्में ही बॉक्स ऑफ़िस पर पिट गईं, लेकिन उन फ़िल्मों में कुछ गीत ऐसे आए जो इतने कामयाब रहे कि उन्हीं की वजह से आज तक लोगों ने उन फ़िल्मों को याद रखा है। ऐसी ही दस सदाबहार नग़मों को और थोड़ा करीब से हमने जाना जिनका फ़िल्मांकन शकीला पर हुआ था। “An Indian Morning” की ओर से स्वर्गीया शकीला जी को विनम्र नमन!
12-ZULFON KI GHATA LEKAR, SAWAN KI PARI AAYI CD MISC-20171008 TRACK#12 4:24
RESHMI RUMAL-1961; MANNA DEY, ASHA BHOSLE; BABUL; RAJA MEHDI ALI KHAN
https://www.youtube.com/watch?time_continue=75&v=8YfCMTmtTto
13-CHAND CHHUPA BADAL MEIN CD MISC-20171008 TRACK#13 2:45
HUM DIL DE CHUKE SANAM-1999; UDIT NARAYAN, ALKA YAGNIK; ISMAIL DARBAR; MEHBOOB
https://www.youtube.com/watch?time_continue=13&v=2n_Zw3Mi05A
THE END समाप्त
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ऊपर दिये हुए गीत कीन रागोंपे आधारित है?
3:11 AM, October 15th, 2017