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An Indian Morning
Sunday June 26th, 2016 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
Devotional, Classical, Ghazals, Theme based, Bollywood old/new popular film songs, Community Announcements and more

Celebrating not only the "Music of India", but equally so its diverse rich art, artisans, culture and people and keeping the SPIRIT OF INDIA throbbing.... एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए । मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन – 8 : जन्मदिन पर विशेष प्रस्तुति “बाद मुद्दत के ये घड़ी आई, आप आए तो ज़िन्दगी आई...” शनिवार 25 जून को मदन मोहन का 93वाँ जन्मदिन था । इस उपलक्ष्य में आज हम आपको राग छायानट के स्वरों में पिरोये गए 1964 में प्रदर्शित फिल्म “जहाँआरा” से एक गीत का रसास्वादन कराएँगे। इस राग आधारित युगलगीत को स्वर दिया है, मोहम्मद रफी और सुमन कल्याणपुर ने। अब बात “जहाँआरा” के उस गीत की जिसे आज हमने चुना है। राग छायानट और कहरवा ताल पर आधारित मोहम्मद रफ़ी और सुमन कल्याणपुर की आवाज़ों में यह गीत है "बाद मुद्दत के यह घड़ी आई, आप आए तो ज़िन्दगी आई..."। यह उन चार-पाँच सालों का वह दौर था जब रॉयल्टी वाले मामले में मतभेद की वजह से रफ़ी साहब और लता जी साथ में नहीं गा रहे थे। इस बात को लेकर और ख़ास कर इस गीत को लेकर मदन मोहन दुविधा में पड़ गए कि अब क्या होगा, यह गीत तो उन्होंने इन दो गायकों को ध्यान में रख कर बनाया है, और वो अपने इन दो मनपसन्द गायकों से ही यह गीत गवाना चाहते थे। पर लता जी और रफ़ी साहब वाली बात इतनी बढ़ चुकी थी कि इनमें से कोई राज़ी नहीं थे एक दूसरे के साथ गाने के लिए। इस वजह से 60 के दशक के मध्य भाग के अधिकतर युगलगीत मदन मोहन ने दूसरे गायकों से गवाए। अगर लता किसी गीत के लिए अत्यावश्यक होती तो वो मन्ना डे, तलत महमूद या महेन्द्र कपूर को लेते (जैसा कि ’सुहागन’, ’वो कौन थी’, ’दुल्हन एक रात की’ और ’जहाँआरा’ में उन्होंने किया) और अगर रफ़ी साहब किसी गीत के लिए ज़रूरी होते तो गायिकाओं में आशा भोसले (’नीला आकाश’, ’नींद हमारी ख़्वाब तुम्हारे’) या सुमन कल्याणपुर (’ग़ज़ल’, ’जहाँआरा’) को लिया जाता। प्रस्तुत गीत में रफ़ी साहब के उपस्थिति की ज़रूरत के मद्देनज़र मदन जी ने लता जी से इस बात का ज़िक्र किया और उनकी जगह सुमन कल्याणपुर से इस गीत को गवाने का निर्णय लिया। सुमन कल्याणपुर की गायकी से मदन जी ख़ुश हुए और फ़िल्म ’गज़ल’ में भी उनसे गीत गवाया। लीजिए, अब आप वही युगलगीत सुनिए। 01-Baad Muddat Ke Ye Ghadi Aayee CD MISC-20160626 Track#01 5:12 JHANARA-1964; Mohammad Rafi, Suman Kalyanpur; Madan Mohan; Rajinder Krishan “An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। हर दौर में शायरों ने, गुलुकारों ने, क़व्वालों ने इस अदबी रवायत को बरकरार रखने की पूरी कोशिशें की हैं। यह वह कहकशाँ है जिसके सितारों की चमक कभी फ़ीकी नहीं पड़ती और ता-उम्र इनकी रोशनी इस दुनिया के लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ को सुकून पहुँचाती चली आ रही है। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ। "मिट्टी दा बावा नइयो बोलदा वे नइयो चालदा...", इस नज़्म ने न जाने कितनों को रूलाया है, कितनों को ही किसी खोए हुए अपने की याद में डूबो दिया है। अपने जिगर के टुकड़े को खोने का क्या दर्द होता है, वह इस नज़्म में बख़ूबी झलकता है। तभी तो गायिका मिट्टी का एक खिलौना बनाती है ताकि उसमें अपने खोए बेटे को देख सके, लेकिन मिट्टी तो मिट्टी ठहरी, उसमें कोई जान फूँके तभी तो इंसान बने। यह गाना बस ख़्यालों में ही नहीं है, बल्कि यथार्थ में उस गायिका की निजी ज़िंदगी से जु्ड़ा है। ८ जुलाई १९९० को अपने बेटे "विवेक" को एक दु्र्घटना में खोने के बाद वह गायिका कभी भी वापस गा नहीं सकी। संगीत से उसने हमेशा के लिए तौबा कर लिया और खुद में ही सिमट कर रह गईं। उस गायिका या कहिए उस फ़नकारा ने अब अध्यात्म की ओर रूख़ कर लिया है ताकि ईश्वर से अपने बेटे की ग़लतियों का ब्योरा ले सके। भले ही आज वह नहीं गातीं, लेकिन फ़िज़ाओं में अभी भी उनकी आवाज़ की खनक मौजूद है और हम सबको यह अफ़सोस है कि उनके बाद "जगजीत सिंह" जी की गायकी का कोई मुकम्मल जोड़ीदार नहीं रहा। जी आप सब सही समझ रहे हैं, हम "जगजीत सिंह" की धर्मपत्नी और मशहूर गज़ल गायिका "चित्रा सिंह" की बात कर रहे हैं। चित्रा सिंह, जिनका वास्तविक नाम "चित्रा दत्ता" है, मूलत: एक बंगाली परिवार से आती हैं। घर में संगीत का माहौल था इसलिए ये भी संगीत की तरफ़ चल निकलीं। १९६० में "द अनफौरगेटेबल्स" एलबम की रिकार्डिंग के दौरान जगजीत सिंह के संपर्क में आईं और वह संपर्क शादी में परिणत हो गया। जगजीत सिंह और चित्रा सिंह ने एक साथ न जाने कितनी ही गज़लें गाई हैं; जगजीत सिंह का संगीत और दो सदाबहार आवाज़, इससे ज़्यादा कोई क्या चाह सकता है! इनकी गज़लें बस हिंदी तक ही सीमित नहीं रही, इन्होंने पंजाबी और बंगाली में भी बेहतरीन नज़्में और गज़लें दी हैं। चित्रा जी आवाज़ में है ऐसा जादू कि कोई एक बार सुन ले तो फिर इनका फ़ैन हो जाए। आज की गज़ल चित्रा जी के संगीत सफ़र के अंतिम दिनों की गज़ल है। १९९० में जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की साथ में एक एलबम आई थी.. "समवन समवेयर(someone somewhere)"| इस एलबम में शामिल सारी ग़ज़लें एक से बढ़कर एक थीं। आप खुद मानेंगे कि दुनिया में प्यार एक ऐसी ही चीज है, जो ना चाहते हुए भी सब कुछ में शामिल है। "फ़ासला तो है मगर कोई फ़ासला नहीं" - यह ग़ज़ल भी इसी प्यार के कोमल भावों से ओत-प्रोत है। "शमिम करबानी" साहब ने हर प्रेमी की दिली ख़्वाहिश कागज़ पर उतार दी है। तो अगर आपका इश्क़ चुप है, आपका हबीब ख़ामोश है तो पहले उसे मनाइये, ख़ुदा का क्या है, इश्क़ उसे मना ही लेगा: तुम बोलो कुछ तो बात बने, जीने लायक हालात बने। ये तो हुए मेरे जज़्बात, अब हम "शमिम" साहब के जज़्बातों में डूबकी लगाते हैं और जगजीत-चित्रा के मौजों का मज़ा लेते हैं: 02-Fasila To Hai Magar Koi Fasila Nahin CD MISC-20160626 Track#02 6:42 SOMEONE SOMEWHERE-1990; Jagjit Singh, Chitra Singh; Shamim Karbani गायिका सुधा मल्होत्रा : [गायकों का पहला / आखिरी गाना- 13] गायकों का पहला / आखिरी गाना- 13 Sudha Malhotra : First / Last Song फिल्मों की गायिका सुधा मल्होत्रा 30 नवम्बर,1936 को दिल्ली में पैदा हुई! रेडिओ लाहौर में एक बाल कलाकार [गायिका] के रूप में काम शुरू किया ! 6 साल की उम्र में कानन बाला के गाने से स्टेज पर गाना शुरू किया था ! गुलाम हैदर जी ने उन्हें गाने के मंच पर पहला मौका दिया था ! 13 साल की उम्र में अपने माता-पिता के साथ मुम्बई आयीं, तब संगीतकार अनिल बिस्वास जी ने उन्हें पहला पार्श्वगायन- 'मिला गये नैन, मिला गये नैन' फिल्म- 'आरजू' (1950) के लिए मौका दिया ! इसे शशिकला पर फिल्माया गया था ! पहला ही गाना बहुत लोकप्रिय हुआ और गौरतलब है कि शशिकला जी और तलत महमूद की भी यह पहली फिल्म थी : 03-Mila Gaye Nain, Mila Gaye Nain CD MISC-20160626 Track#03 2:36 ARZOO-1950; Sudha Malhotra; Anil Biswas; Majrooh Sultanpuri इस बड़े ब्रेक के बाद उन्हें कई फिल्मों में गाने का मौका मिला ! संगीतकार हुस्नलाल जी के कहने पर पटियाला घराने से शास्त्रीय संगीत की तालीम ली ! फिल्म- 'बरसात की रात' (1960) में कव्वाली- 'न तो कारवां की तलाश है..' जिसकी लगातार 23 घंटे रिकॉर्डिंग हुई थी ! फ़िल्मी गीतों के अलावा उन्होंने बहुत से भजन और ग़ज़ल भी गाये हैं ! गीता जी के साथ फिल्म- 'काला बाज़ार' (1960) के लिए उनका गाया 'न मैं धन चाहूँ न रतन चाहूँ' बहुत लोकप्रिय भजन रहा ! शायर साहिर लुध्यानवी के प्रोत्साहन को वह अपने करियर के लिए बहुत बड़ा सहायक मानती हैं ! साहिर के लिखे फ़िल्म- 'दीदी' (1959) के गीत 'तुम मुझे भूल भी जाओ' का संगीत भी सुधा मल्होत्रा जी ने खुद बनाया था ! यही उनका पहले दौर का आखिरी गीत था। 1960 में शादी के उपरान्त गाना छोड़ देने के बाद राज कपूर की फिल्म- 'प्रेम रोग' फिल्म के लिए 'ये प्यार था या और कुछ और था' गीत के साथ फिल्मों में वापसी की ! यही उनका फिल्मों में अब तक का आखिरी गाना है : 78 वर्षीय सुधा जी इन दिनों मुम्बई के खार (पश्चिम) में अपने बेटे व नाती-पोतों के साथ रह रही हैं, 4 वर्ष पूर्व उनके पति गिरधर मोटवानी का निधन हो चुका है ! भारत सरकार ने 2013 में सुधा जी को हिंदी फ़िल्म संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। 04-Ye Pyar Thha Ya Kuchh Aur Thha CD MISC-20160626 Track#04 7:12 PREMROG-1982; Sudha Malhotra, Anwar; Laxmikant-Pyarelal; Santosh Anand मुहावरा - घर की मुर्गी दाल बराबर] घर की मुर्गी दाल बराबर : घर की वस्तु या व्यक्ति का उचित आदर नहीं होता। घर की मुर्गी दाल बराबर (Ghar ki murgi daal barabar)- Used when someone undervalue things which he owns. Another similar meaning idioms is दूर के ढोल सुहाने होते हैं (door ke dhol suhane hote hain) or "Grass is greener on other side." Ghar Ki Murgi Daal Barabar, Koyi Na Pooche Baat Bhi Aakar घर की मुर्गी दाल बराबर, कोई ना पूछे बात भी आकर 05-Ghar Ki Murgi Daal Barabar, Koyi Na Pooche Baat Bhi Aakar CD MISC-20160626 Track#05 3:03 STREET SINGER-1966; Mohammad Rafi; Shankar-Jaikishan; Hasrat Jaipuri हंसी-मजाक के गीत : (Funny / Comedy Songs Collection) बाहर है प्राब्लम, घर में है प्राब्लम, आगे-पीछे आजु-बाजू प्राब्लम ही प्राब्लम, डोंट वरी बी हैप्पी HAKUNA MATATA - NO WORRIES 06-Don’t Worry Be Happy CD MISC-20160626 Track#06 6:55 TOOFAN-1989; Manhar Udhas, Amitabh Bachchan; Anu Malik; Indeevar ताजा-सुर ताल रमन राघव 2.0 - RAMAN RAGHAV 2.0 'रमन राघव 2.0' सीरियल किलर रमन राघव पर आधारित न होकर उससे प्रेरित है जिसने 60 के दशक में मुंबई में 41 लोगों की हत्याएं की थी। अनुराग कश्यप ने रमन राघव के किरदार को 60 के दशक से उठाकर आज के दौर में फिट किया है। Raman Raghav 2.0 starts on a trippy note with Sona Mohapatra kick-starting the proceedings with 'Qatl-E-Aam'. A club song with a difference, it is a fusion mix with Sona's voice integrating well with the Western arrangements that have been incorporated in this dark number that has a strong element of seduction to it. While Yash Divecha is roped in to render just a couple of words (Qatl-E-Aam), what really catches your attention is the 'unplugged version' which is indeed worth the time that you spend in hearing it first and then revisiting it repeatedly. Easy on ears and lyrically quite strong, this one deserves to be heard. 07-Qatl-E-Aam CD MISC-20160626 Track#07 4:05 RAMAN RAGHAV 2.0-2016; Sona Mohapatra, Yash Divecha; Ram Sampath; Varun Grover THE END समाप्त
Baad Muddat Ke Ye Ghadi Aayee
Mohammad Rafi, Suman Kalyanpur; Madan Mohan; Rajinder Krishan - JHANARA-1964
Fasila To Hai Magar Koi Fasila Nahin
Jagjit Singh, Chitra Singh; Shamim Karbani - SOMEONE SOMEWHERE-1990
Mila Gaye Nain, Mila Gaye Nain
Sudha Malhotra; Anil Biswas; Majrooh Sultanpuri - ARZOO-1950
Ye Pyar Thha Ya Kuchh Aur Thha
Sudha Malhotra, Anwar; Laxmikant-Pyarelal; Santosh Anand - PREMROG-1982
Ghar Ki Murgi Daal Barabar, Koyi Na Pooche Baat Bhi Aakar
Mohammad Rafi; Shankar-Jaikishan; Hasrat Jaipuri - STREET SINGER-1966
Don’t Worry Be Happy
Manhar Udhas, Amitabh Bachchan; Anu Malik; Indeevar - TOOFAN-1989
Qatl-E-Aam
Sona Mohapatra, Yash Divecha; Ram Sampath; Varun Grover - RAMAN RAGHAV 2.0-2016 New
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