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An Indian Morning
Sunday January 24th, 2016 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
Devotional, Classical, Ghazals, Folklore, Old/New Popular Film/Non-Film Songs, Community Announcements and more...

Celebrating not only the "Music of India', but equally so its varied rich art, culture and people. Keeping the "Spirit of India" alive.... एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। नवकल्पना नव रूप से...हम कर रहे हैं एक नई शृंखला का आरंभ शम्भू सेन के इस गीत से ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 741-“ दस थाट, दस राग और दस गीत” “An Indian Morning” के समस्त संगीत-प्रेमी श्रोताओं का एक बार पुनः मैं किशोर संपट हार्दिक स्वागत करता हूँ। दोस्तों, अपने देश में संगीत की हजारों वर्ष पुरानी समृद्ध परम्परा है। आज नई पीढ़ी के सामने संगीत के अनेक विकल्प हैं। इस पीढ़ी ने नए विकल्पों को सहर्ष अपनाया है। नवीन विकल्पों को समझने का प्रयास करना अच्छी बात है, परन्तु प्राचीन समृद्ध संगीत परम्परा की उपेक्षा उचित नहीं है। आपने “An Indian Morning” पर परम्परागत भारतीय संगीत पर आधारित कुछ श्रृंखलाओं का आनन्द लिया है और इन्हें सराहा भी है। ऐसी श्रृंखलाओं को प्रस्तुत करने का हमारा उद्येश्य आपको संगीत का विद्वान बनाना कदापि नहीं है। हमारी अपेक्षा है कि आप संगीत के एक अच्छे श्रोता बनें और उसकी सराहना कर सकें। आज से आरम्भ हो रही श्रृंखला- “दस थाट, दस राग और दस गीत” में भी हमारा यही प्रयास रहेगा कि शास्त्रीय संगीत आपके लिए अनबूझ पहेली बन कर न रह जाय। यह तो आप जानते ही हैं कि भारतीय संगीत के सबसे प्रमुख तत्त्व सात स्वर और इन स्वरों से बनने वाले राग होते हैं। संगीत के प्रचलित, कम प्रचलित, अप्रचलित और लुप्तप्राय रागों की संख्या हजारों में है। इन रागों को वर्गीकृत करने के लिए 'थाट' पद्यति का प्रयोग किया जाता है। आधुनिक संगीत में पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे ने रागों के वर्गीकरण के लिए दस ‘थाट’ पद्यति की स्थापना की थी। इस श्रृंखला- “दस थाट, दस राग और दस गीत” में इन्हीं दस थाटों का सरल परिचय देने का प्रयास करेंगे। हर हफ्ते एक थाट, एक राग, एक गीत। भातखण्डे जी द्वारा निर्धारित दस थाट क्रमानुसार हैं- कल्याण, बिलावल, खमाज, भैरव, पूर्वी, मारवा, काफी, आसावरी, भैरवी, और तोड़ी। इन दस थाटों के क्रम में पहला थाट है कल्याण। कल्याण थाट के स्वर होते हैं- सा, रे,ग, म॑, प ध, नि। कल्याण थाट का आश्रय राग कल्याण अथवा यमन होता है। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ अन्य प्रमुख राग हैं- भूपाली, हिंडोल, हमीर, केदार, कामोद, छायानट, गौड़ सारंग आदि। इस थाट के आश्रय राग कल्याण अथवा यमन में सभी सात स्वरों का प्रयोग होता है। कल्याण थाट के आश्रय राग कल्याण अथवा यमन पर आधारित एक गीत अब हम आपको सुनवाते हैं। यह गीत १९७५ में प्रदर्शित फिल्म “मृगतृष्णा” का है। इस गीत के संगीतकार और गीतकार हैं शम्भु सेन। मोहक साहित्यिक शब्दों से युक्त इस गीत को मोहम्मद रफी ने स्वर दिया है और गीत पर अभिनेत्री हेमा मालिनी ने नृत्य किया है। लीजिए, आप भी सुनिए “कल्याण” राग पर आधारित यह गीत- 01-Navkalpana Navroop Se CD MISC-20160124 Track#01 6:15 MRIG TRISHNA-1975; Mohammad Rafi; Shambhu Sen मैं बन की चिड़िया बन के.....ये गीत है उन दिनों का जब भारतीय रुपहले पर्दे पर प्रेम ने पहली करवट ली थी ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 551-'एक मैं और एक तू' नमस्कार दोस्तों! स्वागत है बहुत बहुत आप सभी का 'An Indian' की इस सुरीली महफ़िल में। आज एक और नई लघु शृंखला का आग़ाज़ हम कर रहे हैं। जब से फ़िल्म संगीत की शुरुआत हुई है, तभी से प्यार भरे युगल गीतों का भी रिवाज़ चला आ रहा है, और उस ज़माने से लेकर आज तक ये प्रेम गीत ना केवल फ़िल्मों की शान हैं, बल्कि फ़िल्म के बाहर भी सुनें तो एक अलग ही अनुभूति प्रदान करते हैं। और जो लोग प्यार करते हैं, उनके लिए तो जैसे दिल के तराने बन जाया करते हैं ऐसे गीत। तो आइए आज से अगले दस अंकों में हम सुनें ३० के दशक से लेकर ८० के दशक तक में बनने वाली कुछ बेहद लोकप्रिय फ़िल्मी युगल रचनाएँ, जिन्हें हमने आज तक अपने सीने से लगाये रखा है। वैसे तो इनके अलावा भी बेशुमार सुमधुर युगल गीत हैं, बस युं समझ लीजिए कि आँखें बंद करके समुंदर से एक मुट्ठी मोतियाँ हम निकाल लाये हैं, और आँखें खोलने पर ही देखा कि ये मोती कौन कौन से हैं। पेश-ए-ख़िदमत है लघु शृंखला 'एक मैं और एक तू'। हम युगल गीतों का यह सफ़र ३० के दशक से शुरु करेंगे, तो फिर ऐसे में फ़िल्म 'अछूत कन्या' के उस यादगार गीत से ही क्यों ना शुभारम्भ की जाए! "मैं बन की चिड़िया बनके बन बन बोलूँ रे, मैं बन का पंछी बनके संग संग डोलूँ रे"। अशोक कुमार और देविका रानी के गाये इस गीत का उल्लेख आज भी कई जगहों पर चल पड़ता है। और इस गीत को सुनते ही आज भी पेड़ की टहनी पर बैठीं देविका रानी और उनके पीछे खड़े दादामुनि अशोक कुमार का वह दृष्य जैसे आँखों के सामने आ जाता है। 'अछूत कन्या' १९३६ की फ़िल्म थी जो बनी थी 'बॊम्बे टॊकीज़' के बैनर तले। संगीतकार थीं सरस्वती देवी। तो लीजिए दोस्तों, आज 'An Indian Morning' पर प्रस्तुत है हिंदी सिने संगीत का ना केवल पहला मशहूर युगल गीत, बल्कि यु कहें कि पहला मशहूर गीत। अशोक कुमार और देविका रानी के साथ साथ सरस्वती देवी को भी 'An Indian Morning' का सलाम। 02-Mein Banki Chidiya Banke CD MISC-20160124 Track#02 3:11 ACHHUT KANYA-1936; Ashok Kumar, Devika Rani; Sarswati Devi; J.S.Kashyap जब उसने गेसु बिखराये...एक अदबी शायर जो दशक दर दशक रचता गया फ़िल्मी गीतों का कारवाँ भी ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 661-“...और कारवाँ बनता गया” वो तो है अलबेला, हज़ारों में अकेला"। फ़िल्म 'कभी हाँ कभी ना" के गीत के ये शब्द ख़ुद उन पर भी लागू होते हैं जिन्होंने इसे लिखा है। १९४६ से लेकर अगले पाँच दशकों तक एक से एक कामयाब, लाजवाब, सदाबहार गीत देने वाले इस फ़िल्मी गीतकार का शुमार अदबी शायरों में भी होता है। और केवल लेखन ही नहीं, हकीम शास्त्र में भी पारंगत इस लाजवाब शख़्स को हम सब जानते हैं मजरूह सुल्तानपुरी के नाम से। आज से 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर शुरु हो रही है उनके लिखे दस अलग अलग संगीतकारों की स्वरबद्ध फ़िल्मी रचनाओं पर आधारित हमारी नई लघु शृंखला '...और कारवाँ बनता गया'। हर हफ्ते एक संगीतकार, एक गीत। तो दोस्तों, आइए मजरूह साहब के लिखे इस पहले पहले गीत से ही इस शृंखला का शुभारंभ किया जाये। शम्शाद बेगम की आवाज़ में है यह गीत "जब उसने गेसु बिखराये"। बस इतना ही कहेंगे कि "मजरूह सिर्फ़ उर्दू के शायर ही नहीं थे, वो तो हाफ़िज़-ए-क़ुरान थे साहब! कोई मसला पूछना हो तो वो अरबी-फ़ारसी से रेफ़्रेन्स दिया करते थे। फ़नकार कभी मरता नहीं है, अपने फ़न से वो हमेशा ज़िंदा रहता है और मजरूह अपने गीतों के ज़रिये अमर रहेंगे।" आइए मजरूह साहब के लिखे गीतों का कारवाँ शुरु करते हैं शमशाद बेगम के गाये इस गीत के साथ। 03-Jab Usne Gesoon Bikhraaye CD MISC-20160124 Track#03 2:55 SHAHJAHAN-1946; Shamshad Begum; Naushad; Majrooh दिन ढल जाए हाय रात न जाए....सरफिरे वक्त को वापस बुलाती रफ़ी साहब की आवाज़ ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 711-“एक पल की उम्र लेकर” शाम की उदासी, रात की तन्हाइयाँ, अंधेरों में बहती आँसू की नहरें जिन्हें अंधेरे में कोई दूसरा देख नहीं सकता, बस वो ख़ुद बहा लेता है, दिल का बोझ कम कर लेता है। किसी अपने की याद इस हद तक घायल कर देती है कि जीने की जैसे उम्मीद ही खोने लगती है। और फिर कभी अचानक मन में आशा की कोई किरण भी चमक उठती है कि उसकी याद की तरह शायद कभी वो ही लौट आये, क्योंकि वक़्त तो सरफिरा होता है न? कभी कभी दाम्पत्य जीवन में छोटी-छोटी ग़लतफ़हमिओं और अहम की वजह से पति-पत्नी में भी अनबन हो जाती है, रिश्ते में दरार आती है, और कई बार दोनों अलग भी हो जाते हैं। लेकिन कुछ ही समय में होता है पछतावा, अनुताप। और ऐसे में अपने साथी की यादों के सिवा कुछ नहीं होता करीब। ऐसी ही एक सिचुएशन बनी थी फ़िल्म 'गाइड' में। हमारी एक और लघु शृंखला '... एक पल की उम्र लेकर '। हर हफ्ते एक गीत। गीतकार शैलेन्द्र की कलम नें देव आनन्द साहब की मनस्थिति को कुछ इन शब्दों में क़ैद किया था - "दिन ढल जाये हाये रात न जाये, तू तो न आये तेरी याद सताये"। तो आइए सुना जाये फ़िल्म 'गाइड' का यह सदाबहार गीत रफ़ी साहब की आवाज़ में। 04-Din Dhhal Jaaye Haaye Raat Na Jaaye CD MISC-20160124 Track#04 4:44 GUIDE-1965; Mohammad Rafi; S.D.Burman; Shailendra जानू जानूं रे काहे खनके है तोरा कंगना.....आपसी छेड़ छाड और गीत में गूंजते हँसी ठहाके ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 651-'गान और मुस्कान' “An Indian Morning” के दोस्तों, नमस्कार! मनुष्य मन अपनी हर अनुभूति को किसी न किसी तरह से व्यक्त करता है। दुख में आँसू, सुख में हँसी, और अशांत मन में कभी कभी क्रोध उत्पन्न होती है। इनमें से जो सब से हसीन अभिव्यक्ति है, वह है हमारी मुस्कान, हमारी हँसी। कहा जाता है कि एक छोटी सी मुस्कान दो दिलों के बीच पनप रही दूरी को पलक झपकते ही ख़त्म देने की शक्ति रखता है। पिछले आठ दशकों में कई गीत ऐसे बने हैं जिनमें गायक या अभिनेता की हँसी गीत में सुनाई पड़ी है या फिर उनकी मुस्कुराहट महसूस की जा सकती है, चाहे हास्य रस के प्रसंग में हो या फिर किसी और प्रसंग में। ऐसे ही कुछ गीतों को संजो कर हम आज से 'An Indian Morning' की एक और लघु शृंखला शुरु कर रहे हैं 'गान और मुस्कान'। इसमें शामिल होने वाले गीत ज़रूरी नहीं कि हास्य रस के हों, लेकिन गीत में आप गायक/गायिका की हँसी ज़रूर सुन पायेंगे, जो कभी आपको गुदगुदा जायेंगे और एक आध गीत में दर्द का आभास भी करा जायेंगे। 'गान और मुस्कान' शृंखला का पहला गीत एक फ़ीमेल डुएट है। अक्सर सखी सहेलियों में हँसी-मज़ाक होता हैं, नोक-झोक, मीठी तकरारें, एक दूसरे की खिंचाई, छेड़-छाड़, ये सभी लड़कियों की मनपसंद चीज़ें हैं। और आज के इस गीत में भी यही सब कुछ आप महसूस कर सकते हैं। गायिका गीता दत्त और आशा भोसले की युगल आवाज़ों में यह है १९५९ की फ़िल्म 'इंसान जाग उठा' का गीत "जानू जानू री काहे खनके है तोरा कंगना"। शैलेन्द्र के बोल और सचिन देव बर्मन का संगीत। शक्ति सामंत निर्देशित इस फ़िल्म में यह गीत मधुबाला और मीनू मुमताज़ पर फ़िल्माया गया है। तो लीजिए, अब आप इस गीत का आनंद लीजिये, और मुझे भी यह गीत बहुत पसंद है। 05-Jaanoo Jaanoo Ri Kahe Khanke Hai Tora Kangana CD MISC-20160124 Track#05 3:58 INSAAN JAAG UTHA-1959; Geeta Dutt, Asha Bhosle; S.D.Burman; Shailendra 1) “ दस थाट, दस राग और दस गीत” 2) “एक मैं और एक तू” 3) “...और कारवाँ बनता गया” 4) “एक पल की उम्र लेकर” 5) “गान और मुस्कान” वार्षिक संगीतमाला 2015 पॉयदान #25 : सपना है निज़ाम का ..अपने तुर्रम खाँ का Turram Khan तो मेहरबान और कद्रदान हो जाइए तैयार An Indian Morning की वार्षिक संगीतमाला के साथ। पिछले साल प्रदर्शित मेरी पसंद के पच्चीस गीतों का ये सिलसिला कुछ महीनों तक ज़ारी रहेगा। हर हफ्ते एक या दो गीत प्रस्तुत होंगे, आपकी खिदमत में। पच्चीस वीं पॉयदान के लिए मैंने जो गाना चुना है वो है फिल्म हवाईज़ादा का। अगर गीत का शीर्षक सुनते आपके चेहरे पर मुस्कुराहट की रेखा उभर आई है तो यक़ीन मानिए इसे सुनने के बाद गीत की मस्ती से अपने आप को अछूता नहीं रख पाएँगे। पिछले साल जनवरी में प्रदर्शित ये फिल्म एक ऐसे शख़्स की कहानी है जिसका सपना एक हवाईजहाज बनाने का है जिसमें बैठ कर लोग उड़ सकें। पर एक गरीब आदमी क्या इतने बड़े सपने देख सकता है? यही वज़ह थी कि फिल्म के निर्देशक व गीतकार विभु वीरेंद्र पुरी के मन में गीत के लिए तुर्रम खाँ का चरित्र उभरा। वैसे अगर आपने बचपन में शेखचिल्ली की कहानियाँ पढ़ी हों तो वहाँ भी एक तुर्रम खाँ हुआ करते थे जो तीसमार खाँ के अग्रज होने के आलवा बड़े बड़े कामों को अंज़ाम दिया करते थे। गीत का संगीत दिया हे रोचक कोहली ने। चंडीगढ़ से ताल्लुक रहने वाले रोचक पिछले तीन चार सालों से आयुष्मान खुराना के साथ संगीत संयोजन करते रहें हैं। तो चलिए आपको सुनाते हैं ये हल्का फुल्का नग्मा.. 06-Turram Khan CD MISC-20160124 Track#06 3:56 HAWAIZAADA-2015; Papon, Ayushman Khurana, Monali Thakur; Rochak Kohli; Vibhu Virendra Puri वार्षिक संगीतमाला 2015 पॉयदान #24 : मूँछ बनानी हो कि मूँछ कटानी है, पतली गली आना Patli Gali Aana अगली पॉयदान पे जो गीत है उसमें मस्ती के वो तेवर बरक़रार हैं पर इन अगर आप सिर्फ इस अटपटे से गीत के बाहरी स्वरूप तक अपने आप को सीमित रखेंगे तो उस पतली गली तक बिल्कुल नहीं पहुँच पाएँगे जहाँ ये गीत आपको ले जाना चाहता है। दरअसल फिल्म तलवार के लिए गुलज़ार का लिखा ये गीत सहज शब्दों के बीच ढेर सारे ऐसे प्रतीकों को समेटे हुए है जो हमारे आस पास के समाज का हिस्सा हैं। गुलज़ार साहब ने व्यंग्य की धार पर इस गीत को कसा और विशाल भारद्वाज के संगीत और सुखविंदर की गायिकी ने उन शब्दों में जैसे जान सी डाल दी। गुलज़ार ने आख़िरी अंतरे में एक ही पंक्ति में जिस तरह 'आम' शब्द का प्रयोग उसके दोनों अर्थों यानि साधारण जन व एक फल के रूप में किया है वो काबिलेतारीफ़ है। आप भी ज़रा गौर फ़रमाएँ, तो अब और देर करना ठीक नहीं चलते हैं पतली गली के इस सफ़र पर.. 07-Patli Gali Aana CD MISC-20160124 Track#07 3:56 TALVAR-2015; Sukhvinder Singh; Vishal Bhardwaj; Gulzar ताजा-सुरताल... Atrangi Yaari from Wazir is a song on friendship sung by Amitabh Bachchan and Farhan Akhtar, composed by Rochak Kohli and written by Deepak Ramola & Gurpreet Saini. 08-Atrangi Yaari CD MISC-20160124 Track#08 3:56 WAZIR-2016; Amitabh Bachchan, Farhan Akhtar; Rochak Kohli; Deepak Ramola & Gurpreet Saini बॉलीवुड 2015 : बिछड़े सभी बारी-बारी 09-Alaap CD MISC-20160124 Track#09 0:23 YAADEIN-2001; Sunidhi Chauhan; Anu Malik 10-Yaadein Yaad Aati Hai CD MISC-20160124 Track#10 5:12 YAADEIN-2001; Hariharan; Anu Malik; Anand Bakshi 11-Yaadein-Theme Music CD MISC-20160124 Track#11 3:46 YAADEIN-2001; Instrumental; Anu Malik THE END समाप्त
01-Navkalpana Navroop Se
Mohammad Rafi; Shambhu Sen - MRIG TRISHNA-1975
02-Mein Banki Chidiya Banke
Ashok Kumar, Devika Rani; Sarswati Devi; J.S.Kashyap - ACHHUT KANYA-1936
03-Jab Usne Gesoon Bikhraaye
Shamshad Begum; Naushad; Majrooh - SHAHJAHAN-1946
04-Din Dhhal Jaaye Haaye Raat Na Jaaye
Mohammad Rafi; S.D.Burman; Shailendra - GUIDE-1965
05-Jaanoo Jaanoo Ri Kahe Khanke Hai Tora
Geeta Dutt, Asha Bhosle; S.D.Burman; Shailendra - INSAAN JAAG UTHA-1959
06-Turram Khan
Papon, Ayushman Khurana, Monali Thakur; Rochak Kohli; Vibhu Virendra Puri - HAWAIZAADA-2015
07-Patli Gali Aana
Sukhvinder Singh; Vishal Bhardwaj; Gulzar - TALVAR-2015
08-Atrangi Yaari
Amitabh Bachchan, Farhan Akhtar; Rochak Kohli; Deepak Ramola & Gurpreet Saini - WAZIR-2016 New
09-Alaap
Sunidhi Chauhan; Anu Malik - YAADEIN-2001
10-Yaadein Yaad Aati Hai
Hariharan; Anu Malik; Anand Bakshi - YAADEIN-2001
11-Yaadein-Theme Music
Instrumental; Anu Malik - YAADEIN-2001
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