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An Indian Morning
Sunday August 27th, 2017 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second one hour features community announcements and ear pleasing music from old/new & popular Indian films. The ethos of the program is summariz

An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind". गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं !! मंगल कर्ता आप पर और आप के परिवार पर आशीर्वाद बनाएं रखें।*_ !! गणपति बप्पा मोर्या !!* 01- SHREE SIDDHIVINAYAK MANTRA AND AARTI MISC-20170827 Track#01 7:14 SHREE SIDDHIVNAYAK-2016; Amitabh Bachchan; Sanjayraj Gaurinandan; Traditional https://www.youtube.com/watch?v=H9tWRGxuKTw हम सभी हर साल गणपति की स्थापना करते हैं, साधारण भाषा में गणपति को बैठाते हैं। लेकिन हम में से बहुत कम लोग जानते हैं कि ऐसा क्यों करते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे का पौराणिक राज... हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है। लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था। अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपति जी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की। गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी। गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पार्थिव गणेश भी पड़ा। महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला। चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ। वेदव्यास ने देखा कि, गणपति का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है, तो वेदव्यास ने उन्हें पवित्र सरोवर में डाल कर शीतल करने की सोची। इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए। तभी से गणपति स्थापना की प्रथा चल पड़ी और इन दस दिनों में इसीलिए गणेश जी को पसंद विभिन्न भोजन अर्पित किए जाते हैं। 02-DEVA HO DEVA MISC-20170827 Track#02 5:48 ILAAKA-1989; Kishore Kumar, Asha Bhosle; Nadeem-Shravan; Anjaan https://www.youtube.com/watch?v=QkwkUuUtasg आज 27 अगस्त फ़िल्म जगत की दो महान हस्तियों की पुण्यतिथि है। सदाबहार फ़िल्मों के सुप्रसिद्ध निर्देशक और निर्माता ऋषीकेश मुखर्जी, तथा सुनहरे दौर के महान पार्श्वगायक मुकेश, दोनों ने इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कहा था 27 अगस्त के दिन; मुकेश 1976 में और ऋषी दा 2006 में। अपनी अपनी विधा के इन दो महान कलाकारों को एक साथ याद करने के लिए आज के “An Indian Morning” में प्रस्तुत है उन गीतों की बातें जिन्हें मुकेश ने ऋषीकेश मुखर्जी की फ़िल्मों में गाया है। आज के “An Indian Morning” का यह अंक समर्पित है इन दो महान फ़नकारों की याद को। 30 सितंबर 1922 को जन्मे ॠषीकेश मुखर्जी ने अपने पूरे फ़िल्मी सफ़र में 42 फ़िल्में निर्देशित की और कई फ़िल्मों का निर्माण भी किया। 40 के दशक के अन्त में कलकत्ता में बी. एन. सरकार के ’न्यु थिएटर्स’ में एक कैमरामैन के रूप में अपना फ़िल्मी सफ़र शुरु करने के बाद वो बम्बई चले आए और बिमल रॉय के साथ फ़िल्म एडिटर व सहायक निर्देशक के रूप में अपना नया सफ़र शुरु किया। बिमल रॉय की कालजयी फ़िल्मों, ’दो बिघा ज़मीन’ और ’देवदास’, में ऋषी दा का भी महत्वपूर्ण योगदान था। 1957 में ऋषी दा ने स्वतन्त्र रूप से अपनी पहली फ़िल्म ’मुसाफ़िर’ का निर्माण व निर्देशन किया। फ़िल्म तो कुछ ख़ास नहीं चली पर फ़िल्म निर्माण में उनकी दक्षता को सब ने देखा और स्वीकारा। नतीजा यह हुआ कि 1959 की बी. लछमन की फ़िल्म ’अनाड़ी’ को निर्देशित करने का मौका उन्हें मिल गया। राज कपूर - नूतन अभिनीत यह फ़िल्म ज़बरदस्त हिट हुई। उधर गायक मुकेश राज कपूर का स्क्रीन वॉयस थे और इस फ़िल्म से मुकेश और ऋषी दा का साथ भी शुरु हुआ। और मज़े की बात देखिए कि इसी फ़िल्म के गीत "सबकुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी" के लिए मुकेश को अपना पहला फ़िल्मफ़ेअर अवार्ड मिला। और उधर ऋषी दा को भी इस फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों के तहत माननीय राष्ट्रपति के हाथों रजत मेडल मिला। इस फ़िल्म में मुकेश के गाए तीन गीत थे। शीर्षक गीत का उल्लेख कर चुके हैं, अन्य दो गीत हैं "किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार... जीना इसी का नाम है" और लता मंगेशकर के साथ गाया "दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से..."। शंकर-जयकिशन के संगीत में शैलेन्द्र के सहज-सरल शब्दों में लिखे ये सभी गीत आज कालजयी बन चुके हैं। फ़िल्म-संगीत के इतिहास में ये गीत मील के पत्थर की तरह हैं और मुकेश के गाए गीतों में ये अहम जगह रखते हैं। 03-KISI KI MUSKOORAAHATON PE HO NISAAR MISC-20170827 Track#03 4:19 ANARI-1959; Mukesh; Shankar-Jaikishan; Shailendra https://www.youtube.com/watch?v=69pPYkGiEAQ ’अनाड़ी’ के बाद मुकेश और ऋषीकेश मुखर्जी का एक बार फिर साथ हुआ 1961 की ऋषी दा निर्मित व निर्देशित फ़िल्म ’मेम दीदी’ में। फ़िल्म के संगीतकार थे सलिल चौधरी और गीत लिखे एक बार फिर शैलेन्द्र ने। सलिल दा के संगीत में मुकेश ने समय-समय पर एक से बढ़ कर एक गीत गाए हैं जिनमें से कई गीत ऋषी दा की फ़िल्मों के लिए हैं। ’मेम दीदी’ मुकेश-सलिल-ऋषी की तिकड़ी की पहली फ़िल्म है। इस फ़िल्म में कुल छह गीत हैं, लेकिन मुकेश की आवाज़ बस एक ही गीत में है लता मंगेशकर के साथ "मैं जानती हूँ तुम झूठ बोलते हो..."। केसी मेहरा और तनुजा पर फ़िल्माया यह गीत ज़्यादा लोकप्रिय नहीं हुआ, इसकी वजह शायद फ़िल्म का फ़्लॉप होना है। लेकिन इसी साल ए. वी. मय्यप्पम निर्मित और ऋषीकेश मुखर्जी निर्देशित फ़िल्म आई ’छाया’ जिसके गीतों ने लोकप्रियता की सारी सीमाएँ पार कर दी। सलिल चौधरी के संगीत में राजेन्द्र कृष्ण के लिखे गीत हर रेडियो स्टेशन से बजने लगे। हालाँकि लता और तलत महमूद का गाया "इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा" फ़िल्म का सर्वाधिक लोकप्रिय गीत रहा, पर लता और मुकेश का गाया "दिल से दिल की डोर बांधे चोरी चोरी जाने हम तुम तुम हम संग संग चले आज कहाँ" भी ख़ूब सुना गया। इस गीत की धुन पर बनने वाला मूल बांग्ला गीत "दुरन्तो गुर्निर एइ लेगेछे पाक" हेमन्त मुखर्जी (हेमन्त कुमार) ने गाया था। 04-DIL SE DIL KI DOR BANDHE CHORI CHORI MISC-20170827 Track#04 4:50 CHHAYA-1961; Mukesh, Lata Mangeshkar; Salil Chaudhary; Rajinder Krishan https://www.youtube.com/watch?v=pErE2rnrjrI 1962 में ऋषी दा को विजय किशोर दुबे व बनी रिउबेन निर्मित फ़िल्म ’आशिक़’ को निर्देशित करने का मौक़ा मिला। राज कपूर, पद्मिनी और नन्दा अभिनीत इस फ़िल्म के गीत-संगीत का भार शैलेन्द्र-हसरत-शंकर-जयकिशन पर था। लता और मुकेश ने फ़िल्म के गीतों को अंजाम दिया जो बेहद चर्चित हुए। मुकेश की एकल आवाज़ में कुल चार गीत थे - "तुम जो हमारे मीत न होते, गीत ये मेरे गीत न होते", "तुम आज मेरे संग हँस लो", "ये तो कहो कौन हो तुम", और फ़िल्म का शीर्षक गीत "मैं आशिक़ हूँ बहारों का, फ़िज़ाओं का, नज़ारों का..."। और लता मंगेशकर के साथ इस फ़िल्म में मुकेश के गाए दो गीत थे - "ओ शमा मुझे फूंक दे" और "महताब तेरा चेहरा किस ख़्वाब में देखा था"। ये सभी गीत अपने ज़माने के मशहूर नग़में रहे हैं और आज भी आए दिन रेडियो पर सुनने को मिल जाते हैं। 05-MAIN AASHIQ HOON BAHAARON KA MISC-20170827 Track#05 4:49 AASHIQ-1962; Mukesh; Shankar-Jaikishan; Shahryar https://www.youtube.com/watch?v=zhVbJHWY6GY इस फ़िल्म के बाद ऋषी दा और मुकेश जी का साथ कई बरसों के बाद हुआ। 1966 की फ़िल्म ’बीवी और मकान’ का निर्माण किया था गायक-संगीतकार हेमन्त कुमार ने। ज़ाहिर सी बात है कि फ़िल्म का संगीत उन्होंने स्वयम् ही तैयार किया तथा फ़िल्म के निर्देशन के लिए ऋषीकेश मुखर्जी को साइन किया और फ़िल्म में गीत लिखवाए नवोदित गीतकार गुलज़ार से। फ़िल्म में कुल ग्यारह गीत थे और फ़िल्म के चरित्रों को ध्यान में रखते हुए कई गायक-गायिकाओं ने फ़िल्म के गीत गाए। मुकेश की आवाज़ फ़िल्म के दो गीत में थी। पहला गीत है "अनहोनी बात थी हो गई है, बस मुझको मोहब्बत हो गई है", इसमें मुकेश के साथ तलत महमूद, मन्ना डे, हेमन्त कुमार और जोगिन्दर की आवाज़ें भी शामिल हैं। यह एक हास्य गीत है जिसमें मुकेश ने आशिष कुमार का प्लेबैक किया है और मन्ना डे ने महमूद का। औरत बने बिस्वजीत और बद्री प्रसाद का पार्श्वगायन किया जोगिन्दर और हेमन्त कुमार ने। मुकेश इसमें अपने पहले गीत "दिल जलता है तो जलने दो" की लाइन भी गाई। और दूसरा गीत भी एक हास्य गीत है "आ था जब जनम लिया था पी होके मर गई" जिसमें मुकेश, हेमन्त कुमार और मन्ना डे की आवाज़ें हैं। 06-ANHONI BAAT THI HO GAYI HAI MISC-20170827 Track#06 3:45 BIWI AUR MAKAN-1966; Mukesh, Talat Mahmood, Manna Dey, Joginder, Hemant Kumar; Hemant Kumar; Gulzar https://www.youtube.com/watch?v=LrFrPrkX5po समय के साथ-साथ फ़िल्मों और फ़िल्म-संगीत की धाराएँ भी बदलीं और नई नई धाराएँ इसमें मिलती चली गईं। 60 के दशक के अन्तिम सालों में संगीतकार लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल तेज़ी से उपर चढ़ रहे थे। 1969 की ऋषीकेश मुखर्जी निर्देशित फ़िल्म ’सत्यकाम’ में एल.पी का संगीत था और फ़िल्म के तीनों गीत लिखे कैफ़ी आज़मी ने। दो गीत लता की एकल आवाज़ में और तीसरा गीत है मुकेश, किशोर कुमार और महेन्द्र कपूर की आवाज़ों में एक जीवन दर्शन आधारित ख़ुशमिज़ाज गीत जिसे बस में सवार दोस्तों की टोली गाता है। "ज़िन्दगी है क्या बोलो" गीत में धर्मेन्द्र का पार्श्वगायन किया है मुकेश ने जबकि किशोर कुमार बने असरानी की आवाज़। महेन्द्र कपूर ने अन्य कलाकारों का प्लेबैक दिया। 07-ZINDAGI HAI KYA BOLO MISC-20170827 Track#07 4:09 SATYAKAM-1969; Mukesh, Kishore Kumar, Mahendra Kapoor; Laxmikant-Pyarelal; Kaifi Azmi https://www.youtube.com/watch?v=2kxsBQYI6dg 1971, ऋषि दा के करीअर का शायद सबसे महत्वपूर्ण फ़िल्म, ’आनन्द’। ऋषी दा द्वारा निर्मित व निर्देशित ’आनन्द’ ने इतिहास रचा तथा राजेश खन्ना व अमिताभ बच्चन के फ़िल्मी सफ़र के भी मील के पत्थर सिद्ध हुए। फ़िल्म के सभी चार गीत सदाबहार नग़में हैं; मुकेश के गाए दो गीत "कहीं दूर जब दिन ढल जाए" (योगेश) और "मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने" (गुलज़ार) उनके गाए 70 के दशक की दो बेहद महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं। 08-MAINE TERE LIYE HI SAAT RANG KE SAPNE CHUNE MISC-20170827 Track#08 3:15 ANAND-1971; Mukesh; Salil Chaudhary; Gulzar https://www.youtube.com/watch?v=SC8DuvNCjbY ’आनन्द’ के बाद मुकेश और ऋषी दा का अगला साथ हुआ 1974 की फ़िल्म ’फिर कब मिलोगी’ में जिसमें संगीतकार थे राहुल देव बर्मन। इस फ़िल्म में मुकेश ने बस एक गीत गाया लता के साथ "कहीं करती होगी वो मेरा इन्तज़ार..."। यह फ़िल्म फ़्लॉप थी और फ़िल्म के अन्य गीत भी ख़ास नहीं चले, पर इस गीत को काफ़ी मक़बूलियत मिली और आगे चल कर इस गीत का गायिका अनामिका ने रीमिक्स वर्ज़न भी बनाया और यह रीमिक्स वर्ज़न भी हिट हुआ। 1975 में ऋषी दा ने ’चुपके चुपके’ फ़िल्म का निर्माण किया। इसमें उन्होंने संगीत का भार सचिन देव बर्मन को दिया। फ़िल्म के कुल चार गीतों में एक गीत मुकेश और लता की युगल स्वरों में था - "बाग़ों में कैसे ये फूल खिलते हैं" जो धर्मेन्द्र और शर्मिला टैगोर पर फ़िल्माया गया था। 1976 में अचानक मुकेश की मृत्यु हो जाने से ऋषीकेश मुखर्जी की आने वाली फ़िल्मों से उनके गीत ग़ायब हो गए। लेकिन एक गीत जो पहले रेकॉर्ड हो चुका था, उसे 1978 की फ़िल्म ’नौकरी’ में शामिल किया गया और फ़िल्म की नामावली में "लेट मुकेश" लिखा गया। फ़िल्म के नायक थे राजेश खन्ना जिनका प्लेबैक दिया किशोर कुमार ने जबकि राज कपूर का प्लेबैक दिया मुकेश ने, शायद आख़िरी बार के लिए। आश्चर्य की बात है कि इस अन्तिम गीत का मुखड़ा था "उपर जाकर याद आई नीचे की बातें, होठों पे आई दिल के पीछे की बातें"। गीत को सुनते हुए ऐसा लगता है कि जैसे मुकेश उपर जा कर अपने अज़ीम दोस्त राज कपूर के लिए यह गीत गा रहे हैं, और परदे पर भी इसे राज कपूर ही अदा कर रहे हैं। इसी गीत के साथ मुकेश का साथ राज कपूर और ऋषीकेश मुखर्जी से ख़त्म होता है। आज 27 अगस्त, मुकेश और ऋषीकेश मुखर्जी की याद का दिन है, और यह दिन हमें याद दिलाती है उन तमाम गीतों की जो इन दोनों के संगम से उत्पन्न हुई थी। मुकेश और ऋषीकेश मुखर्जी को सलाम करती है “An Indian Morning”। 09-BAAGON MEIN KAISE YEH PHOOL KHILTE HAIN MISC-20170827 Track#09 2:57 CHUPKE CHUPKE-1975; Lata Mangeshkar, Mukesh; S.D.Burman; Majrooh Sultanpuri https://www.youtube.com/watch?v=v2lxsXa_Nkk 10-UUPAR JAAKE YAAD AAYI NEECHE KI BAATEIN MISC-20170827 Track#10 4:32 NAUKRI-1978; Mukesh; R.D.Burman; Anand Bakshi https://www.youtube.com/watch?v=V8iBhMRIfIU 11-MANGALAM GANESHAM MISC-20170827 Track#10 4:28 DEV-2004; Abhijeet; Aadesh Srivastava; Nida Fazli https://www.youtube.com/watch?v=1rj-nhCHyo8 THE END समाप्त
SHREE SIDDHIVINAYAK MANTRA AND AARTI
Amitabh Bachchan; Sanjayraj Gaurinandan; Traditional - SHREE SIDDHIVNAYAK-2016
DEVA HO DEVA
Kishore Kumar, Asha Bhosle; Nadeem-Shravan; Anjaan - ILAAKA-1989
KISI KI MUSKOORAAHATON PE HO NISAAR
Mukesh; Shankar-Jaikishan; Shailendra - ANARI-1959
DIL SE DIL KI DOR BANDHE CHORI CHORI
Mukesh, Lata Mangeshkar; Salil Chaudhary; Rajinder Krishan - CHHAYA-1961
MAIN AASHIQ HOON BAHAARON KA
Mukesh; Shankar-Jaikishan; Shahryar - AASHIQ-1962
ANHONI BAAT THI HO GAYI HAI
Mukesh, Talat Mahmood, Manna Dey, Joginder, Hemant Kumar; Hemant Kumar; Gulzar - BIWI AUR MAKAN-1966
ZINDAGI HAI KYA BOLO
Mukesh, Kishore Kumar, Mahendra Kapoor; Laxmikant-Pyarelal; Kaifi Azmi - SATYAKAM-1969
MAINE TERE LIYE HI SAAT RANG KE SAPNE CHUNE
Mukesh; Salil Chaudhary; Gulzar - ANAND-1971
BAAGON MEIN KAISE YEH PHOOL KHILTE HAIN
Lata Mangeshkar, Mukesh; S.D.Burman; Majrooh Sultanpuri - CHUPKE CHUPKE-1975
UUPAR JAAKE YAAD AAYI NEECHE KI BAATEIN
Mukesh; R.D.Burman; Anand Bakshi - NAUKRI-1978
MANGALAM GANESHAM
Abhijeet; Aadesh Srivastava; Nida Fazli - DEV-2004
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