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An Indian Morning
Sunday June 14th, 2020 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second

An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second one hour features community announcements and ear pleasing music from old/new & popular Indian films. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind". 00-A-DR DEHEJIA’S MISC-20200624 29:00 00-B-ANNOUNCEENTS MISC-20200624 12:31 01-VASUDHAIVA KUTUMBAKAM MISC-20200624 TRACK#01 3:34 BHARAT SYMPHONY-2020; L. SUBRAMANIAM, LONDON SYMPHONY ORCESHTRA & VARIOUS ARTISTS https://www.youtube.com/watch?v=dOlf-Ho6Kw4 एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। An Indian Morning की दुनिया के मेरे दोस्तों, आज हम सलाम करते है फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के उन बेशकीमती गीतों को जिनसे फ़िल्म संगीत संसार आज तक महका हुआ है। इस अंतर्गत हम न केवल आपको उस गुज़रे दौर के लोकप्रिय गाने सुनवायेंगे, बल्कि उन गीतों की थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे। बचना ज़रा ज़माना है बुरा...रफी और गीता दत्त में खट्टी मीठी नोंक झोंक जहाँ तक मोहम्मद रफ़ी और गीता दत्त के गाये युगल गीतों की बात है, हमने An Indian Morning में कई बार ऐसे गीत बजाये हैं। और वो सभी के सभी नय्यर साहब के संगीत निर्देशन में थे। आज भी एक रफ़ी-गीता डुएट लेकर हम ज़रूर आये हैं लेकिन ओ. पी. नय्यर के संगीत में नहीं, बल्कि एन. दत्ता के संगीत निर्देशन में। जी हाँ, यह गीत है फ़िल्म 'मिलाप' का। वही देव आनंद - गीता बाली वाली 'मिलाप' जो बनी थी सन् १९५५ में और जिसमें एन. दत्ता ने पहली बार बतौर स्वतंत्र संगीतकार संगीत दिया था। केवल एन. दत्ता का ही नहीं, बल्कि फ़िल्म के निर्देशक राज खोंसला का भी यह पहला निर्देशन था। फ़िल्म 'मिलाप' फ़्रैंक काप्रा के मशहूर कृति 'मिस्टर डीड्स गोज़ टु टाउन' (१९३६) से प्रेरीत था। 'मिलाप' के संगीतकार दत्ता नाइक, जिन्हे हम और आप एन. दत्ता के नाम से जानते हैं, की यह पहली फ़िल्म थी बतौर स्वतंत्र संगीतकार। 'मिलाप' पहली फ़िल्म थी। गीता दत्त और रफ़ी साहब की आवाज़ों में जिस गीत का ज़िक्र हमने किया और जिस गीत को आज हम सुनवा रहे हैं वह गीत है "बचना ज़रा ये ज़माना है बुरा, कभी मेरी गली में ना आना". जॉनी वाकर और गीता बाली पर फ़िल्माये गये इस गीत में राज खोंसला और एन. दत्ता ने वही बात पैदा करने की कोशिश की है जो गुरु दत्त और ओ. पी. नय्यर या बर्मन दादा किया करते थे। फ़िल्म 'मिलाप' के संगीत ने एन. दत्ता को फ़िल्म जगत में काफ़ी हद तक स्थापित कर दिया। तो लीजिये आज An Indian Morning में संगीतकार एन. दत्ता को याद करते हुए सुनिये यह गीत। 02-BACHNA ZARA YEH ZAMANA HAI BURA CD MISC-20200624 TRACK#02 5:55 MILAP-1955; MOHAMMED RAFI, GEETA DUTT; N. DUTTA; SAHIR LUDHIANAVI https://www.youtube.com/watch?v=ON5WPESOTWg जब से मिली तोसे अखियाँ जियरा डोले रे...हो डोले...हो डोले...हो डोले... दोस्तों नमस्कार! एक और कडी के साथ हम हाज़िर हैं. गीत हमने चुना है 1955 में बनी फिल्म "अमानत" से. यह फिल्म बिमल रॉय प्रोडएक्शन के 'बॅनर' तले बनाई गयी थी. इससे पहले बिमल रॉय "दो बीघा ज़मीन" और "नौकरी" जैसे फिल्मों का निर्माण कर चुके थे. "अमानत" फिल्म का निर्देशन किया अरविंद सेन ने, और इसके मुख्य कलाकार थे भारत भूषण और चाँद उस्मानी. दो बीघा ज़मीन और नौकरी की तरह अमानत में भी सलिल चौधुरी का संगीत था. बिमल-दा और सलिल-दा गहरे दोस्त थे और इन दोनो ने कई फिल्मों में साथ साथ काम किया. गीतकार शैलेंद्रा भी इनके काफ़ी अच्छे दोस्त थे और इन फिल्मों में शैलेंद्रा ने ही गाने लिखे. अमानत फिल्म का जो गीत हम आपको आज सुनवाने जा रहे हैं उसे हेमंत कुमार और गीता दत्त ने गाया है. "जब से मिली तोसे अखियाँ जियरा डोले रे डोले हो डोले". यह गीत आधारित है बंगाल के एक मशहूर लोक गीत पर, जिसे अपने कंधों पर पालकी खींचने वाले लोग गाते हैं. उस बांग्ला लोक गीत में "हैया हो हैया" को इस हिन्दी गीत में "डोले हो डोले" कर दिया गया है. गीत तो वैसे ही मधुर है, उस पर बाँसुरी की मधुर तान ने इस गीत में एक ऐसा खूबसूरत समा बाँधा है की इस गीत को सुनते हुए अगर आप अपनी आँखें बंद कर लें तो बंगाल के सुदूर गाँवों का नज़ारा आपके नज़रों के सामने आ जाएगा, और वहाँ की मिट्टी की खुश्बू आप महसूस कर पाएँगे. तो लीजिए चल पडिये बंगाल के उसी गाँव की ओर इस गीत पे सवार होकर. 03-HO JAB SE MILI TOSE ANKHIYA MISC-20200624 TRACK#03 3:33 AMANAT-1955; HEMANT KUMAR, GEETA DUTT; SALIL CHAUDHARY; SHAILENDRA https://www.youtube.com/watch?v=DabaNeH5I7g जवानियाँ ये मस्त मस्त बिन पिए....रफी साहब की नशीली आवाज़ में फ़िल्म जगत और ख़ास कर फ़िल्म संगीत जगत के लिए १९५५ का साल बहुत महत्वपूर्ण साल रहा है क्योंकि इसी साल एक ऐसी तिकड़ी बनी थी तीन कलाकारों की जिन्होने मिल कर फ़िल्म संगीत को एक नयापन दिया, और फ़िल्मी गीतों को एक नये लिबास, एक नये अंदाज़ में पेश किया। ये तिकड़ी थी अभिनेता शम्मी कपूर, संगीतकार ओ. पी. नय्यर और गायक मोहम्मद. रफ़ी की। ये तीनों पहले से ही फ़िल्म जगत में सक्रीय थे लेकिन अब तक तीनों कभी एक साथ में नहीं आए थे। १९५५ की वह पहली फ़िल्म थी 'मिस कोका कोला' जिसमें शम्मी कपूर के साथ जिस फ़िल्म से इस तिकड़ी ने फ़िल्म जगत में हंगामा मचा दिया वह फ़िल्म थी १९५७ की 'तुमसा नहीं देखा'. फ़िल्मिस्तान के बैनर तले बनी इस फ़िल्म का निर्देशन किया था नासिर हुसैन ने और शम्मी कपूर की नायिका इस फ़िल्म में बनीं अमीता। इसी फ़िल्म से शम्मी कपूर की उन जानी-पहचानी ख़ास अदाओं, और उन अनोखे 'मैनरिज़म्स' की शुरुआत भी हुई थी। फ़िल्म 'ब्लाक्बस्टर' साबित हुई और इस कामयाबी के बाद इस तिकड़ी ने कई ऐसे लाजवाब 'म्युज़िकल' फ़िल्में हमें दीं। 'तुमसा नहीं देखा' फ़िल्म का जो गीत आज हमने 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के लिए चुना है वो रफ़ी साहब की एकल आवाज़ में है। यह गीत एक नौजवान दिल के जज़्बात बयाँ करता है। बचपन बीतने के बाद जवानी के आते ही दिल किस तरह से मचल उठता है किसी साथी की तलाश में, उसी का लेखा-जोखा है यह गीत। मजरूह सुल्तानपुरी ने इस गीत में जवानी के इसी मोड़ को अपने हसीन शब्दों में पिरोया है। गाने में एक अजीब नशीलापन है जो रफ़ी साहब की आवाज़ में ढलकर और भी मादक बन पड़ा है। जहाँ तक इस गीत के 'और्केस्ट्रेशन' की बात है, तो नय्यर साहब ने पूरे गाने में 'क्लेरिनेट', 'मेंडोलिन' और 'स्टिंग्स‍' का सुन्दर प्रयोग किया है। तो सुनिये "जवानियाँ ये मस्त मस्त बिन पीये", लेकिन ज़रा संभल के, कहीं लड़खड़ाकर गिर ना जाना! 04-JAWANIYAAN YE MAST MAST BIN PIYA MISC-20200624 TRACK#04 3:43 TUMSA NAHIN DEKHA-1955; MOHAMMAD RAFI; O. P. NAYYAR; MAJROOH SULTANPURI https://www.youtube.com/watch?v=aR6jo2ZdIW4 मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरूं, फक्कड़ घूमूं बन के घुमरूं ... किशोर कुमार ने जब हिन्दी फिल्म संगीत संसार में क़दम रखा तो शायद पहली बार फिल्म जगत को एक खिलंदड, मस्ती भरा गायक मिला था. किशोर के इस खिलंदड रूप को देखकर कई गण्य मान्य लोगों ने उन्हे गायक मानने से इनकार कर दिया. लेकिन किशोर-दा को अपने विरोधियों के इस रुख से कोई फरक नहीं पडा और वो अपनी ही धुन में गाते चले गये. किशोर-दा जैसी 'रेंज' बहुत कम गायकों को नसीब होती है. और कम ही लोगों को इतने तरह के गीत गाने को मिलते हैं. सच-मुच किशोरदा के हास्य गीत तो जैसे उस सुरमे की तरह है जो किसी के भी बेजान आँखों में चमक पैदा कर सकती है. और आज An Indian Morning' में ऐसी ही चमक पैदा करने के लिए हम किशोर-दा के गाए गीतों के ख़ज़ाने से चुनकर लाए हैं फिल्म "झुमरू" का शीर्षक गीत. 1961 में बनी फिल्म "झुमरू" किशोर कुमार के बहुमुखी प्रतिभा की एक मिसाल है. उन्होने न केवल इस फिल्म में अभिनय किया और गाने गाए, बल्कि वो इस फिल्म के संगीतकार भी थे. शंकर मुखेर्जी निर्देशित इस फिल्म में किशोर कुमार और मधुबाला की जोडी पर्दे पर दिखाई दी और इस फिल्म के गाने लिखे मजरूह सुल्तानपुरी ने. तो चलिए अब जल्दी से मस्त हो जाइए किशोर कुमार के साथ. 05-MAIN HOON JHJOOM JHOOM JHUMROO CD MISC-20200624 TRACK#05 3:19 JHUMROO-1961; KISHORE KUMAR; MAJROOH SULTANPURI https://www.youtube.com/watch?v=tYV7wRovPhY मेरी जान तुम पे सदके... 60 के दशक के आखिर में संगीतकार ओ पी नय्यर के स्वरबद्ध गीत कम होने लगे थे. लेकिन जब भी किसी फिल्म को उन्होने अपना पारस हाथ लगाया तो वो जैसे सोना बन गया. 1966 में बनी फिल्म "सावन की घटा" आज अगर याद की जाती है तो सिर्फ़ उसके महकते हुए गीत संगीत के लिए. ओ पी नय्यर और एस एच बिहारी इस फिल्म के संगीतकार और गीतकार थे. इस फिल्म के लगभग सभी गीत 'हिट' हुए थे. आशा भोंसले और मोहम्मद रफ़ी ने ज़्यादातर गीत भी गाए इस फिल्म में. लेकिन एक गीत ऐसा था जिसे नय्यर साहब ने महेंद्र कपूर से गवाया. इसी गीत का एक दूसरा 'वर्जन' भी था जिसे आशाजी ने गाया था. "मेरी जान तुमपे सदके अहसान इतना कर दो, मेरी ज़िंदगी में अपनी चाहत का रंग भर दो". इसमें कोई शक़ नहीं की महेंद्र कपूर ने इस गीत में अपनी गायकी का वो रंग भरा है जो आज तक उतरने का नाम नहीं लेती. सुनिए फिल्म "सावन की घटा" से यह गाना. 06-MERI JAAN TUM PE SADKE CD MISC-20200624 TRACK#06 3:46 SAWAN KI GHATA-1966; MAHENDRA KAPOOR; O. P. NAYYAR; S. H. BIHARI https://www.youtube.com/watch?v=fhHhiA9wGig यार बादशाह...यार दिलरुबा...कातिल आँखों वाले.... ओ पी नय्यर. एक अनोखे संगीतकार. आशा भोसले को आशा भोंसले बनाने में ओ पी नय्यर के संगीत का एक बडा हाथ रहा है, इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता, और यह बात तो आशाजी भी खुद मानती हैं. आशा और नय्यर की जोडी ने फिल्म संगीत को एक से एक नायाब नग्में आज An Indian Morning' में आशा भोंसले और ओ पी नय्यर के सुरीले संगम से उत्पन्न एक दिलकश नग्मा आपके लिए लेकर आए हैं. सन 1967 में बनी फिल्म सी आइ डी 909 का यह गीत हेलेन पर फिल्माया गया था. जब जोडी का ज़िक्र हमने किया तो एक और जोडी हमें याद आ रही है, हेलेन और आशा भोसले की. जी हाँ दोस्तों, हेलेन पर फिल्माए गये आशाजी के कई गाने हैं जो मुख्य रूप से 'क्लब सॉंग्स', 'कैबरे सॉंग्स', 'डिस्को', या फिर मुज़रे हैं. फिल्म सी आइ डी 909 का यह गीत भी एक 'क्लब सॉंग' है. सी आइ डी 909 में कई गीतकारों ने गीत लिखे, जैसे कि अज़ीज़ कश्मीरी, एस एच बिहारी, वर्मा मलिक और शेवन रिज़वी. यह गीत रिज़वी साहब का लिखा हुआ है. इस गीत की अवधि उस ज़माने के साधारण गीतों की अवधि से ज़्यादा है. 5 'मिनिट' और 55 'सेकेंड्स' के इस गीत का 'प्रिल्यूड म्यूज़िक' करीब करीब 1 'मिनिट' और 35 'सेकेंड्स' का है और यही वजह है इस गीत की लंबी अवधि का. तो नय्यर साहब के लगन और मेहनत को सलाम करते हुए सुनिए सी आइ डी 909 फिल्म का गीत "यार बादशाह यार दिलरुबा". 07-YAAR BAADSHAH YAAR DILRUBA CD MISC-20200624 TRACK#07 5:57 C I D 909-1967; ASHA BHOSE; O. P. NAYYAR; SHEVAN RIZVI https://www.youtube.com/watch?v=io1GRv0APQ4 एक चतुर नार करके शृंगार - ऐसी मस्ती क्या कहने... आज तो An Indian Morning' की महफ़िल में होने जा रहा है एक ज़बरदस्त हंगामा, क्योंकि आज हमने जो गीत चुना है उसमें होनेवाला है एक ज़बरदस्त मुक़ाबला. यह गीत ना केवल हंगामाखेज है बल्कि अपनी तरह का एकमात्र गीत है. इस गीत के बनने के बाद आज 52 साल गुज़र चुके हैं, लेकिन इस गीत को टक्कर दे सके, ऐसा कोई गीत अब तक ना बन पाया है और लगता नहीं भविष्य में भी कभी बन पाएगा. ज़्यादा भूमिका ना बढाते हुए आपको बता दें कि यह वही गीत है फिल्म "पड़ोसन" का जिसे आप कई कई बार सुन चुके होंगे, लेकिन जितनी बार भी आप सुने यह नया सा ही लगता है और दिल थाम कर गाना पूरा सुने बगैर रहा नहीं जाता. जी हाँ, आज का गीत है "एक चतुर नार करके शृंगार". 1968 में फिल्म पड़ोसन बनी थी जिसमें किशोर कुमार, सुनील दत्त, सायरा बानो और महमूद ने अभिनय किया था. अभिनय क्या किया था, इन कलाकारों ने तो जैसे कोई हास्य आंदोलन यानी कि 'लाफ रोइट्स' ही छेड दिया था. कहा जाता है कि भले ही राजेंदर कृष्ण ने यह गीत लिखा है और आर डी बर्मन ने संगीतबद्ध किया है, लेकिन इस गीत में किशोर कुमार ने भी कई चीज़ें अपनी ओर से डाली थी और इस गाने का जो अलग अंदाज़ नज़र आता है वो उन्ही की बदौलत है. दोस्तों, आप शायद बेक़रार हो रहे होंगे इस गीत को सुनने के लिए, तो मैं और ज़्यादा आपका वक़्त ना लेते हुए पेश करता हूँ, सुनिए... 08-EK CHATUR NAAR CD MISC-20200624 TRACK#08 6:12 PADOSAN-1968; KISHORE KUMAR, MANNA DEY; R. D. BURMAN; RAJINDER KRISHAN https://www.youtube.com/watch?v=lGfTQ-YFjIE 97-ANTMEIN-SIGNOFF – 1:35 98-SPONSORS – RINAG – VAISHALI’S – 2:28 THE END समाप्त
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