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An Indian Morning
Sunday May 24th, 2020 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second

An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second one hour features community announcements and ear pleasing music from old/new & popular Indian films. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind". 00-A-DR DEHEJIA’S MISC-20200524 29:16 00-B-ANNOUNCEENTS MISC-20200524 12:31 01-VASUDHAIVA KUTUMBAKAM MISC-20200524 TRACK#01 3:34 BHARAT SYMPHONY-2020; L. SUBRAMANIAM, LONDON SYMPHONY ORCESHTRA & VARIOUS ARTISTS https://www.youtube.com/watch?v=dOlf-Ho6Kw4 VASUDHAIVA KUTUMBAKAM! "THE WORLD IS ONE FAMILY". Bharat Symphony is a tapestry of Indian culture in four movements, symbolizing the four major periods of Indian (musical) heritage, namely: Prehistoric Vedic period, Mughal period, British Raj period and Post-Independence period. Vasudhaiva Kutumbakam is a Sanskrit phrase which means – “The world is one family.” The original verse appears in Maha Upanishad (Chapter 6, verse 71) and also in the Vedas. This is considered one of the most important moral values in Indian society. This verse of Maha Upanishad is engraved in the entrance hall of the parliament of India. वसुधैव कुटुम्बकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है - "दुनिया एक परिवार है।" मूल छंद महा उपनिषद (अध्याय 6, श्लोक 71) और वेदों में भी दिखाई देता है। यह भारतीय समाज में सबसे महत्वपूर्ण नैतिक मूल्यों में से एक माना जाता है। महा उपनिषद का यह श्लोक भारत की संसद के प्रवेशद्वार में उत्कीर्ण है। वसुधा ईवा कुटुम्बकम = दुनिया उनका परिवार है "यह एक मेरा रिश्तेदार है, कि एक नहीं है!" इस प्रकार क्षुद्र लोगों को लगता है। लेकिन शानदार दिलों के लिए, पूरी दुनिया उनका परिवार है। “This one is my relative, that one is not!” Thus the petty-minded people think. But for the magnanimous hearts, the whole world is their family. Featuring- Pt. Jasraj, K J Yesudas, Begum Parveen Sultana, S P Balasubrahmanyam, Usha Uthup, Kavita Krishnamurti Subramaniam, Hariharan, Anup Jalota, Suresh Wadkar, Sonu Nigam, Bindu Subramaniam, and Mahati Subramaniam. It also features Pt. Birju Maharaj and Hema Malini with the London Symphony Orchestra, London Voices. This song has over a hundred musicians in addition to the featured soloists! - This composition is from the last movement of 'Bharat Symphony', composed by Dr. L Subramaniam, recorded with the London Symphony Orchestra, which will be released later part of this year. एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। दोस्तों "कहकशां" का ऑडियो स्वरुप लेकर हम हाज़िर हैं, "महफिल ए कहकशां" के रूप में । बहुत सारी पसंदीदा ग़ज़लें होती हैं जिनके तीन चार अशआर डॉयरी के पन्नों पर नोट कर हम उन्हें पूरा मान लेते हैं। बरसों वहीं अशआर हमारे ज़हन में रह रह कर उठते और पलते रहते हैं। ऐसे में जब उसी ग़ज़ल के चंद और अशआर अचानक से सामने आ जाते हैं तो लगता है कि बैठे बिठाए कोई सौगात मिल गयी हो। US MOD SE SHUROO KAREN YE ZINDAGI- RARE MOMENTS 1999 पेश-ऐ-खिदमत है सुदर्शन फ़किर लिखी हुई ग़ज़ल "उस मोड़ से शुरू करें यह ज़िन्दगी" | इस ग़ज़ल को गया है जगजीत सिंह और चित्रा सिंह ने | सुदर्शन फ़कीर मल्लिका-ए-ग़ज़ल’ बेगम अख्तर के पसंदीदा कवि थे, उन्होंने अपनी पाँच ग़ज़लें गाई थीं। वे जगजीत सिंह के सह-यात्री भी थे, जो कि 1982 में “वो कागज़ की किश्ती, वो बरीश का पानी” से शुरू हुआ था। एक पूर्णतावादी, उन्होंने अपनी कविता पर कड़ी मेहनत की। फ़कीर संभवतः लुप्त हो चुके कवियों की जमात में से एक है, जो कविता के लिए रहते थे और यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपनी कविता को एक संवेदना में एक साथ रखा और एक बहुप्रतिक्षित कवि बनने के बाद ही उन्होंने अपना पहला ’दीवान’ प्रकाशित किया। 02-US MOD SE SHUROO KAREN YE ZINDAGI CD MISC-20200524 TRACK#02 5:39 RARE MOMENTS - 1999; JAGJIT SINGH, CHITRA SINGH; SUDARSHAN FAAKIR https://www.youtube.com/watch?v=Ww0tB11DOpM An Indian Morning की दुनिया के मेरे दोस्तों, आज हम सलाम करते है फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के उन बेशकीमती गीतों को जिनसे फ़िल्म संगीत संसार आज तक महका हुआ है। इस अंतर्गत हम न केवल आपको उस गुज़रे दौर के लोकप्रिय गाने सुनवायेंगे, बल्कि उन गीतों की थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे। चुप चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है...पहली मुलाकात है जी...पहली मुलाकात है... दोस्तों, आज हम एक ऐसे संगीतकार जोडी को याद कर रहे हैं जिनकी जोडी फिल्म संगीत की दुनिया की पहली संगीतकार जोडी रही है। और यह जोडी है हुस्नलाल और भगतराम की। साल 1949 हुस्नलाल भगतराम के संगीत सफ़र का एक महत्वपूर्ण साल रहा। इस साल उनके संगीत से सजी कुल 10 फिल्में आईं - अमर कहानी, बड़ी बहन, बालम, बाँसुरिया, हमारी मंज़िल, जल तरंग, जन्नत, नाच, राखी, और सावन भादों। इनमें से फेमस पिक्चर्स के 'बॅनर' तले बनी फिल्म बड़ी बहन ने जैसे पुर देश भर में हंगामा मचा दिया। इस फिल्म के गीत इतने ज़्यादा प्रसिद्ध हुए कि हर गली गली में गूंजने लगे, इनके चर्चे होने लगे। डी डी कश्यप द्वारा निर्देशित इस फिल्म में सुरैय्या और गीता बाली ने दो बहनों की भूमिका अदा की, और नायक बने रहमान। गीतकार क़मर जलालाबादी और हुस्नलाल भगतराम की जोडी बड़ी बहन में एक साथ आए और एक बार फिर चारों तरफ छा गये। सुरैय्या उस दौर की सबसे कामयाब और सबसे महंगी अदाकारा थी। इस फिल्म में उनका गाया "वो पास रहे या दूर रहे नज़रों में समाए रहते हैं" उनके सबसे लोकप्रिय गीतों में माना जाता है। इसी फिल्म में लता मंगेशकर, प्रेमलता और साथियों की आवाज़ों में एक ऐसा गीत भी था जो ना तो गीता बाली पर फिल्माया गया और ना ही सुरैय्या पर। फिल्म की 'सिचुयेशन' ऐसी थी कि सुरैय्या रहमान से रूठी हुई थी। तभी गानेवाली लड़कियों की एक टोली वहाँ से गुज़रती है और यह गीत गाती हैं। पहले पहले प्यार की पहली पहली मुलाक़ात का यह अंदाज़-ए-बयान लोगों को खूब खूब पसंद आया और यह गीत बेहद मक़बूल हुया। लेकिन यह गीत क़मर जलालाबादी ने नहीं, बल्कि राजेंदर कृष्ण ने लिखा था। ऐसा कहा जाता है कि फिल्म के निर्माता इस गीत से इतने खुश हुए कि उन्होने राजेंदर कृष्ण साहब को एक ऑस्टिन गाडी भेंट में दे दी। तो आप भी इस गीत का आज आनंद उठाइये। 03-CHUP CHUP KHADE HO MISC-20200524 TRACK#03 2:39 BADI BAHEN-1949; LATA MANGESHKAR, PREMLATA; HUSNLAL-BHAGATRAM; RAJINDER KRISHAN https://www.youtube.com/watch?v=r4CThlHhu6U वो हमसे चुप हैं...हम उनसे चुप हैं...मनाने वाले मना रहे हैं... यह गीत है सन् 1950 में बनी फिल्म "सरगम" का जिसे लता मंगेशकर और चितलकर ने गाया था। जी हाँ, यह वही चितलकर हैं जिन्हे आप संगीतकार सी रामचंद्र के नाम से भी जानते हैं। फिल्मीस्तान के 'बॅनर' तले बनी इस फिल्म में राज कपूर और रेहाना थे, और इस फिल्म के गाने लिखे थे पी एल संतोषी ने। उन दिनों पी एल संतोषी और सी रामचंद्र की जोडी बनी हुई थी और इन दोनो ने एक साथ कई 'हिट' फिल्मों में काम किया। तो अब आप बेक़रार हो रहे होंगे इस गीत को सुनने के लिए। हमें यकीन है कि इस गीत को आप ने एक बहुत लंबे अरसे से नहीं सुना होगा, तो लीजिए गुज़रे दौर के उस ज़माने को याद कीजिए और सुनिए सी रामचंद्रा का स्वरबद्ध किया हुया यह लाजवाब गीत सिर्फ़ और सिर्फ़ An Indian Morning में। 04-WOH HUMSE CHUP HAI HUM UNSE CHUP HAI MISC-20200524 TRACK#04 3:13 SARGAM-1950; LATA MANGESHKAR, CHITALKAR; C. RAMCHANDRA; P. L. SANTOSHI https://www.youtube.com/watch?v=GQblX2TmEZI एक मंजिल राही दो, फिर प्यार न कैसे हो.... दोस्तों, एक और कडी के साथ हम हाज़िर हैं. आज का गीत लता मंगेशकर और मुकेश की आवाज़ों में एक बेहद खूबसूरत युगल गीत है जिसमें यह बताया जा रहा है कि अगर मंज़िल एक है, तो फिर ऐसे मंज़िल को तय करनेवाले दो राही के दिलों में प्यार कैसे ना पनपे. अब इसके आगे शायद मुझे और कुछ बताने की ज़रूरत नहीं, आप ने गीत का अंदाज़ा ज़रूर लगा लिया होगा! जी हाँ, 1961 में बनी फिल्म "संजोग" के इस गीत को लिखा था राजेंदर कृष्ण ने और संगीत में पिरोया था मदन मोहन साहब ने. प्रमोद चक्रवर्ती निर्देशित इस फिल्म में प्रदीप कुमार और अनीता गुहा ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई. यह गीत मदन मोहन के स्वरबद्ध दूसरे गीतों से बहुत अलग हट्के है. आम तौर पर उनके गीतों में साज़ों का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल नहीं होता था. लेकिन इस गीत में उन्होने अच्छे ख़ासे 'ऑर्केस्ट्रेशन' का प्रयोग किया. कई साज़ प्रयोग में लाए गये. शायद खुश-मिज़ाज और खुश-रंग इस गीत की यही ज़रूरत थी. पहले और तीसरे 'इंटरल्यूड' में 'सॅक्सफोन' का खूबसूरत प्रयोग हुया है, तो दूसरे 'इंटरल्यूड' में 'वोइलिन' और 'अकॉर्डियन' इस्तेमाल में लाया गया है. कुल मिलाकर इस गीत का संगीत संयोजन बेहद सुरीला और चमकदार है जिसे सुनकर दिल खुश हो जाता है. तो अब आप भी खुश हो जाइए और सुनिए यह गीत. 05-EK MANZIL RAHI DO MISC-20200524 TRACK#05 3:31 SANJOG-1951; LATA MANGESHKAR, MUKESH; MADAN MOHAN; RAJINDER KRISHAN https://www.youtube.com/watch?v=LkfBfhGXLdg खुद ढूंढ रही है शम्मा जिसे क्या बात है उस परवाने की... हमें यकीन है अगला गीत आपके कानो में से होकर सीधे दिल में उतर जायेगा। आशा भोसले और ओ पी नय्यर के सुरीले संगम से निकला एक और अनमोल मोती है यह गीत। यह गीत है 1963 की फिल्म "फिर वोही दिल लाया हूँ" का। जॉय मुखेर्जी और आशा पारेख अभिनीत नसीर हुसैन की इस फिल्म ने 'बॉक्स ऑफिस' पर कामयाबी के झन्डे गाडे। मजरूह सुल्तानपुरी ने बडे ही शायराना अंदाज़ में "फिर वोही दिल लाया हूँ" फिल्म के इस गाने को लिखा है। हर किसी के ज़िंदगी में ऐसा एक पल आता है जब दिल को लगता है कि जिसका बरसों से दिल को इंतज़ार था उसकी झलक शायद दिल को अब मिल गयी है। और दिल उसी की तरफ मानो खींचता चला जाता है, दुनिया जैसे एकदम से बदल जाती है। मजरूह सुल्तनुपरी, ओ पी नय्यर और आशा भोंसले को सलाम करते हुए लीजिए सुनिए "फिर वोही दिल लाया हूँ" से दिल में उतर जानेवाला यह खूबसूरत नग्मा। 06-AANKHON SE JO UTARI HAI DIL MEIN MISC-20200524 TRACK#06 3:37 PHIR WOHI DIL LAYA HOON-1963; ASHA BHOSE; O. P. NAYYAR; MAJROOH SULTANPURI https://www.youtube.com/watch?v=pK1JHfPkvlY कर ले प्यार कर ले के दिन हैं यही...आशा का जबरदस्त वोईस कंट्रोल हेलेन का अंदाज़ और आशा भोंसले की आवाज़. ऐसा लगता है जैसे आशाजी की आवाज़ हेलेन के अंदाज़ों की ही ज़ुबान है. इसमें कोई शक़ नहीं कि अपनी आवाज़ से अभिनय करनेवाली आशा भोंसले ने हेलेन के जलवों को पर्दे पर और भी ज़्यादा प्रभावशाली बनाया है. चाहे ओ पी नय्यर हो या एस डी बर्मन, या फिर कल्याणजी आनांदजी, हर संगीतकार ने समय समय पर इस आशा और हेलेन की जोडी को अपने दिलकश धुनों से बार बार सजीव किया है हमारे सामने. आज An Indian Morning में आशा भोंसले, हेलेन और एस डी बर्मन मचा रहे हैं धूम फिल्म "तलाश" के एक 'क्लब सॉंग' के ज़रिए. ऐसे गीतों के लिए उस ज़माने में आशा भोंसले के अलावा किसी और गायिका की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. सुनिए फिल्म तलाश का यह मचलता नग्मा. 07-KAR LE PYAR KAR LE KE DIN HAI YAHI MISC-20200524 TRACK#07 6:26 TALASH-1969; ASHA BHOSLE; S. D. BURMAN; MAJROOH SULTANPURI https://www.youtube.com/watch?v=s_GV9MPuj80 98-SPONSORS – RINAG – VAISHALI’S – 2:28 THE END समाप्त
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