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An Indian Morning
Sunday April 1st, 2018 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second one hour features community announcements and ear pleasing music from old/new & popular Indian films.

An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind". Background Music during Announcements: 01-HANUMAN CHALISA CD MISC-20180401 TRACK#01 27:18 INSTRUMENTAL - HANUMAN CHALISA (SITAR, FLUTE & SANTOOR)-2014; RAKESH CHAURASIA (FLUTE), NILADRI KUMAR (SITAR), ULHAS BAPAT (SANTOOR) & PT BHAWANI SHANKAR (PAKHAWAJ) https://www.youtube.com/watch?v=9Am1iq5a9D8 02-HANUMAN CHALISA CD MISC-20180401 TRACK#02 4:57 HANUMAN DA DAMDAR-2017; SNEHA PANDIT, MILIND BORWANKAR, NIHAR SHEMBEKAR, TAHER SHABBIR AND RUCHI NARAIN; SNEHA KHANWALKAR; TRADITIONAL https://www.youtube.com/watch?v=yTHJnbEtq7g यह गीत है "हनुमान चालीसा" जिसे स्नेहा पंडित, मिलिन्द बोरवनकर, निहार शेम्बेकर, रुचि नारायण और ताहिर शब्बीर ने गाया है। बाल आवाज़ में ’हनुमान चालीसा’ का आधुनिक संस्करण आकर्षक है जिसमें गीटार और ड्रम्स ने फ़्युज़न की सृष्टि की है। एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। जागो रे जागो प्रभात आया...मन और जीवन के अंधेरों को प्रकाशित करता एक गीत “An Indian Morning” पर जारी श्रृंखला “दस थाट, दस राग और दस गीत” के नए सप्ताह में सभी रसिकों का मैं किशोर संपट एक बार फिर हार्दिक स्वागत करता हूँ। आधुनिक उत्तर भारतीय संगीत में राग-वर्गीकरण के लिए प्रचलित दस थाट प्रणाली पर केन्द्रित इस श्रृंखला में अब तक आप कल्याण, बिलावल, खमाज, भैरव, पूर्वी, मारवा, काफ़ी और आसावरी थाट का परिचय प्राप्त कर चुके हैं। आज बारी है, नववें थाट अर्थात “तोड़ी” की। आइए आज आपका परिचय “तोड़ी” थाट से कराते हैं। इस थाट में प्रयोग होने वाले स्वर हैं- सा, रे॒, ग॒, म॑, प, ध॒, नि अर्थात ऋषभ, गांधार और धैवत स्वर कोमल, मध्यम तीव्र तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है। इस थाट का आश्रय राग “तोड़ी”’ ही कहलाता है। तोड़ी के अलावा इस थाट का एक अन्य प्रमुख राग है- मुलतानी। इस राग का वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर गांधार होता है तथा राग के गायन-वादन का समय दिन का दूसरा प्रहर माना जाता है। आज की कड़ी में हम आपको राग तोड़ी पर आधारित एक मोहक गीत सुनवाएँगे, जिसके बोल हैं- “जागो रे जागो प्रभात आया...”। यह गीत हमने १९६४ में प्रदर्शित फिल्म “सन्त ज्ञानेश्वर” से लिया है, जिसके संगीतकार लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल हैं। फिल्म “सन्त ज्ञानेश्वर” इस संगीतकार जोड़ी की प्रारम्भिक फिल्मों में से एक थी। इस दौर में लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल ने राग आधारित कई अच्छे गीतों को संगीतबद्ध किया था। शास्त्रीयता को सुगम धुनों में ढालने की कला में कुशल इस संगीतकर जोड़ी ने फिल्म “सन्त ज्ञानेश्वर” में राग शिवरंजिनी, भैरवी और तोड़ी रागों पर आधारित अच्छे गीतों की रचना की थी, इन्हीं में एक राग तोड़ी पर आधारित यह गीत भी सम्मिलित है। गायक मन्ना डे के स्वरों में यह गीत अधिक भावपूर्ण बन गया है। एकताल में निबद्ध इस गीत के गीतकार भरत व्यास हैं। आइए सुना जाये, राग “तोड़ी”’ पर आधारित यह गीत- 03-JAAGO RE JAAGO PRABHAT AAYA CD MISC-20180401 TRACK#03 3:14 SANT GYANESHWAR-1964; MANNA DEY; LAXMIKANT-PYARELAL; BHARAT VYAS https://www.youtube.com/watch?v=5RztzpNzbzQ तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जाएगा...इफ़्तिख़ार साहब का दर्द और चित्रा सिंह की सशक्त अभिव्यक्ति “An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ। पिछले सप्ताह आपने जगजीत सिंह की आवाज़ सुनी थी। दोस्तों, जिस तरह से बहुत सारे संगीतकार जोड़ी के रूप में फ़िल्म जगत के मैदान पर उतरे हैं और आज भी उतर रहे हैं, वैसे ही ग़ज़लों की दुनिया में भी कुछ गायक अपने पार्टनर के साथ सामने आए हैं। दो ऐसी जोड़ियाँ जो सब से ज़्यादा लोकप्रिय रही हैं, वो हैं भूपेन्द्र और मिताली की जोड़ी, और जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की जोड़ी। इन दोनों जोड़ियों के जोड़ीदार व्यक्तिगत ज़िंदगी में पति-पत्नी भी हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि मैं ये सब यहाँ लेकर क्यों बैठ गया। भई हम बस इतना कहना चाहते हैं कि जब जगजीत जी की आवाज़ शामिल हो ही चुकी है, तो क्यों ना आज उनकी पत्नी और सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायिका चित्रा सिंह की भी आवाज़ सुन ली जाए। चित्रा सिंह ने जहाँ एक तरफ़ जगजीत जी के साथ बहुत सी युगल ग़ज़लें गायी हैं, उनकी एकल ग़ज़लों की फ़ेहरिस्त भी छोटी नहीं है। फ़िल्मों की बात करें तो 'साथ साथ' और 'अर्थ' चित्रा जी के करीयर की दो महत्वपूर्ण फ़िल्में रही हैं। 'साथ साथ' की ग़ज़ल तो हमने पिछले सप्ताह ही सुनी थी, तो आज क्यों ना फ़िल्म 'अर्थ' की एक बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल हो जाए चित्रा जी की एकल आवाज़ में। वैसे अगर पिछले सप्ताह आपने ग़ौर फ़रमाया होगा तो पिछले सप्ताह की ग़ज़ल के शुरुआती लाइनों के आलाप में चित्रा जी की आवाज़ को ज़रूर पहचान लिया होगा। ख़ैर, आज की ग़ज़ल है "तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जाएगा, दूर तक तन्हाइयों का सिलसिला रह जाएगा"। मौसीकार हैं कुलदीप सिंह। 'अर्थ' महेश भट्ट निर्देशित फ़िल्म थी जिसमें मुख्य कलाकार थे शबाना आज़्मी, कुलभूषण खरबंदा, स्मिता पाटिल, राज किरण, रोहिणी हत्तंगड़ी प्रमुख। अपनी आत्मकथा पर आधारित इस फ़िल्म की कहानी लिखी थी ख़ुद महेश भट्ट ने (उनके परवीन बाबी के साथ अविवाहिक संबंध को लेकर)। इस फ़िल्म को बहुत सारे पुरस्कार मिले। फ़िल्मफ़ेयर के अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (शबाना आज़्मी), सर्बश्रेष्ठ स्कीनप्ले (महेश भट्ट) और सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री (रोहिणी हत्तंगड़ी)। शबाना आज़्मी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार (सिल्वर लोटस) भी मिला था इसी फ़िल्म के लिए। और अब हम आते हैं इस ग़ज़ल के शायर पर। यह ग़ज़ल किसी फ़िल्मी गीतकार ने नहीं लिखी है, बल्कि यह कलाम है इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दिक़ी का। सिद्दिक़ी साहब को उर्दू साहित्य के एक सशक्त स्तंभ माना जाता है। उर्दू मासिक पत्रिका 'शायर' के सम्पादक के रूप में उन्होने इस भाषा की जो सेवा की है, वो उल्लेखनीय है। उनको ये शेर-ओ-शायरी विरासत में ही मिली थी। उनके दादा अल्लामा सीमब अकबराबादी और पिता इजाज़ सिद्दिक़ी जाने माने शायर रहे। दोस्तों, आपको सुनवा रहे हैं चित्रा सिंह की गायी यह ग़ज़ल फ़िल्म 'अर्थ' से। तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जाएगा, दूर तक तन्हाइयों का सिलसिला रह जाएगा। दर्द की सारी तहें और सारे गुज़रे हादसे, सब धुआँ हो जाएँगे एक वाक़िया रह जाएगा। युं भी होगा वो मुझे दिल से भुला देगा मगर, ये भी होगा ख़ुद से उसी में एक ख़ला रह जाएगा। दायरे इंकार के इकरार की सरग़ोशियाँ, ये अगर टूटे कभी तो फ़ासला रह जाएगा। क्या आप जानते हैं... कि चित्रा सिंह और जगजीत सिंह ने साथ मिलकर अपना पहला ऐल्बम सन् १९७६ में जारी किया था जिसका शीर्षक था 'दि अनफ़ॊरगेटेबलस'। 04-TU NAHIN TO ZINDAGI MEIN AUR KYA RAH JAYEGA CD MISC-20180401 TRACK#04 5:22 ARTH-1982; CHITRA SINGH; KULDIP SINGH; IFTIKHAR IMAM SIDDIQI https://www.youtube.com/watch?v=4EE_ebfaOlI ऐसी भी क्या जल्दी है-राजा १९६३ प्रेम धवन का लिखा एक गीत सुनते हैं सन १९६३ की फिल्म राजा से। एस एन त्रिपाठी इसके संगीतकार हैं और आशा भोंसले गायिका। गीत के शुरू शुरू में आशा भोंसले ने तरह तरह की आवाजें निकाली हैं जिनमें वो भी शामिल है जैसी किसी के सर पर ठंडा पानी डालने के बाद उसके मुंह से निकलती हैं। गीत में हाथी के चिंघाड जैसी भी कुछ ध्वनियाँ हैं जो एक वाद्य यन्त्र द्वारा निकाली गई हैं। 05-AISI BHI KYA JALDI HAI CD MISC-20180401 TRACK#05 4:20 RAJA-1963; ASHA BHOSLE; S. N. TRIPATHI; PREM DHAWAN https://www.youtube.com/watch?v=bpxrNbTWWvo चाहा तो बहुत न चाहें तुझे-इम्तिहान १९९४ आज एक युगल गीत सुनते हैं सन १९९४ की फिल्म इम्तिहान से। चाहना और ना चाहना ये दोनों भाव इसके मुखड़े में मौजूद हैं। वो कहते हैं किसी का बस ना चलना। कई चीज़ें ऑटो-मेटिकली होती हैं जिन पर किसी का बस, ट्रक या जोर नहीं चलता। गीत गाया है कुमार सानू और बेला सुलाखे ने। फैज़ अनवर की रचना है और अन्नू मलिक का संगीत। 06-CHAAHA TO BAHUT NA CHAAHEN TUJHE CD MISC-20180401 TRACK#06 6:15 IMTIHAAN-1994; KUMAR SANU, BELA SULAKHE; ANNU MALIK; FAIZ ANWAR https://www.youtube.com/watch?v=0BabPoiDNO8 सरकाए लेयो खटिया-राजा बाबू १९९४ हिंदी फिल्मों के कुछ गीत ऐसे हैं जिन्हें कम कैलोरी जलाने वाला गीत भी कह सकते हैं। अगर आप उन मूवमेंट्स को फोलो करें तो अच्छी खासी कसरत हो सकती है। आपको फिर एक्सरसाइज़ के किसी वीडियो देखने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। गीत सुनते हैं राजा बाबू फिल्म से जिसमें गीत के पहले इस फिल्म की नायिका शोले फिल्म में धर्मेन्द्र वाला ड्रामा कर रही है। हमारी फिल्मों का कैसा भाई-बहन जैसा अटूट सम्बन्ध होता है। ये कुछ कुछ ऐसा भी है मानो किसी दृश्य विशेष का रिवीज़न करवाया जा रहा हो। इस गीत के बोल पर एक समय काफी चर्चा हुई थी। आज के समय के हिसाब से ये सोबर कहलाने लगा है। सर्दी का मौसम है और मुझे सर्दी पर कोई गीत नहीं सूझ रहा था इसलिए आपके लिए ये प्रस्तुत कर रहा हूँ। गौरतलब है इस सर्दी वाले गीत में शाल, रजाई, कम्बल इत्यादि का प्रयोग नहीं हुआ है। पतले से कपड़ों और पतली ओढने की चादर में तो सर्दी लगेगी ही। गीत कुमार सानू और पूर्णिमा ने गाया है। आनंद मिलिंद इसके संगीतकार हैं और ये क्लासिक गीत लिखा है समीर ने। 07-SARKAI LEYO KHATIYA CD MISC-20180401 TRACK#07 4:44 RAJA BABU-1994; KUMAR SANU, POORNIMA; ANAND-MILIND; SAMEER https://www.youtube.com/watch?time_continue=94&v=Be_It32jfOQ मित्रों, आज हम ’An Indian Morning’ में फिर से पिछले साल पर नज़र डाल रहे हैं। पिछले साल की फ़िल्मों के कुछ अच्छे गीतों को दोबारा सुन लिया जाए। इस लिए हम वर्ष 2017 के 25 श्रेष्ठ गीतों की सूची पर पहुँचे। ये 25 गीत किसी पायदान रूपी क्रम में नहीं सजाए गए हैं, और ना ही हम किसी काउन्टडाउन के स्वरूप में इन्हें पेश कर रहे हैं। बस यूं समझ लीजिए कि ’An Indian Morning’ द्वारा चुने गए वर्ष 2017 की ये श्रेष्ठ रचनाएँ हैं। तो हर हप्ते हम सुनवाऐंगे दो या तीन बीते बरस 2017 के श्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्मी गीत। ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ हवाएँ - HARRY MET SEJAL - 2017 हवाएँ मन को तरंगित रखती हैं। जिस दिन ये लहरा कर चलती हैं उस दिन मूड ख़ुद ब ख़ुद अच्छा हो जाता है। हवाओं को अपने चेहरे, अपने शरीर पर महसूस करना मन को प्रफुल्लित करता है। जब हवाओं से प्रेम हो तो उनसे जुड़ें गीत तो ज़ाहिर है पसंद होंगे ही। किशोर दा का गाया गीत हवा के साथ घटा के संग संग हो या फिर लता जी का नग्मा उड़ते पवन के रंग चलूँगी, मौसम की मस्त बयार के साथ हम अक़्सर गुनगुनाया करते थे। गुलज़ार का भी एक गीत था ना जिसमें उन्होंने हवाओं को अपना सलाम पहुँचाया है। गीतकार इरशाद कामिल ने भी इन्हीं हवाओं पर एक बार फिर अपनी कलम चलाई और क्या खूब चलाई कि फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' भले ना हिट हुई हो, ये गाना आम जनता की चाहत बन बैठा। इस गाने की जो लय है, बोलों में प्रेम का जो कलकल बहता भाव है वो अरिजीत की आवाज़ में लोगों के होठों पर चढ़ कर बोलता है। ले जाएँ तुझे कहाँ हवाएँ, हवाएँ ले जाएँ मुझे कहाँ हवाएँ, हवाएँ ले जाएँ जाने कहाँ ना मुझको ख़बर, ना तुझको पता प्रीतम के अन्य कई गीतों की तरह इस गीत का संगीत संयोजन भी गिटार पर आधारित है। अरिजीत ने पिछले साल कामयाबी के नए मुकाम रचे हैं और पच्चीस गानों की इस फेरहिस्त में हर तीसरा गाना उनका ही गाया हुआ है। संगीत के लिए दिए जाने वाले Mirchi Music Awards में ये गीत बेहतरीन गायक, गीतकार और संगीतकार तीनों के खिताब अपनी झोली में भर गया। तो आइए सुनते हैं इस गीत को जिसकी शूटिंग बुडापेस्ट में हुई है। 08-LE JAAYEN JAANE KAHAN YEH HAWAYEIN CD MISC-20180401 TRACK#08 4:46 HARRY MET SEJAL-2017; ARIJIT SINGH; PRITAM; IRSHAD KAMIL https://www.youtube.com/watch?v=cYOB941gyXI ताज़ा - सुरताल The music of Baaghi had done well and hence when second in the franchise is arriving, one expects the team to deliver something exciting all over again that compliments the ‘masala’ genre of the film. As is the trend, multiple composers, lyricists and singers join hands to put together as many as half a dozen songs for this Sajid Nadiadwala film which has Ahmed Khan taking over the mantle to direct Tiger Shroff. Yesteryear chartbuster ‘Mundiyan’ is heard all over again more than a decade and a half after it turned popular, what with Sandeep Shirodkar picking up the mantle to recreate it. Navraj Hans and Palak Muchhal pair up for this Punjabi dance number featuring Tiger Shroff and Disha Patani which has Ginny Diwan as the lyricist. There are quite a few variations that are brought in the 2018 version and you don’t mind that. 09-MUNDIYAN CD MISC-20180401 TRACK#09 4:21 BAAGI 2-2018; NAVRAJ HANS, PALAK MUCHHAL; SANDEEP SHIRODKAR; GINNY DIWAN https://www.youtube.com/watch?v=gpX-wmBIa94 THE END समाप्त
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