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An Indian Morning
Sunday March 18th, 2018 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
The first half of the program features classical and religious music as well as regional and popular music. The second half features community announcements, Ghazals, Themes, Popular Old & New Bollywood Films music and more.

An Indian Morning celebrates not only the Music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The ethos of the program is summarized by its signature closing line, "Seeking the spirit of India, Jai Hind". 01-GUDI PADWA CD MISC-20180318 TRACK#01 2:02 FESTIVAL IN INDIA-2018 https://www.youtube.com/watch?v=aKwysS-b-2o एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। काली घोड़ी द्वारे खड़ी...काली बाईक का जिक्र और थाट काफ़ी “An Indian Morning” पर जारी श्रृंखला “दस थाट, दस राग और दस गीत” के नए सप्ताह में सभी रसिकों का मैं किशोर संपट एक बार फिर हार्दिक स्वागत करता हूँ। आधुनिक उत्तर भारतीय संगीत में राग-वर्गीकरण के लिए प्रचलित दस थाट प्रणाली पर केन्द्रित इस श्रृंखला में अब तक आप कल्याण, बिलावल, खमाज, भैरव, पूर्वी और मारवा थाट का परिचय प्राप्त कर चुके हैं। आज की कड़ी में हम “काफ़ी” थाट पर चर्चा करेंगे। काफी थाट के स्वर हैं- सा, रे, ग॒, म, प, ध, नि॒। इस थाट में गान्धार और निषाद कोमल और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं। काफी थाट का आश्रय राग ‘काफी’ होता है। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ अन्य प्रमुख राग हैं- “भीमपलासी”, “पीलू”, “बागेश्वरी”, “नायकी कान्हड़ा”, सारंग अंग और मल्हार अंग के कई राग। राग “काफी” में गांधार और निषाद स्वर कोमल प्रयोग किया जाता है। इसके आरोह के स्वर हैं- सारेग॒, म, प, धनि॒सां तथा अवरोह के स्वर हैं- सां नि॒ ध, प, मग॒, रे, सा । इस राग का वादी स्वर पंचम और संवादी स्वर षडज होता है और इसका गायन-वादन समय मध्यरात्रि होता है। काफी थाट का आश्रय राग “काफी” होता है। आज हम आपको राग काफी पर आधारित एक फिल्म-गीत सुनवाते हैं, जिसे हमने १९८१ में प्रदर्शित फिल्म “चश्म-ए-बद्दूर” से लिया है। फिल्म के संगीत निर्देशक राजकमल हैं, जिन्हें राजश्री की कई पारिवारिक फिल्मों के माध्यम से पहचाना जाता है। राजश्री के अलावा राजकमल ने निर्देशिका सई परांजपे की अत्यन्त चर्चित फिल्म “चश्म-ए-बद्दूर” में भी उत्कृष्ट स्तर का संगीत दिया था। इस फिल्म में उन्होने इन्दु जैन के लिखे दो गीतों को क्रमशः राग मेघ और काफी के स्वरों पर आधारित कर संगीतबद्ध किया था। आज हम आपको राग काफी पर आधारित गीत- “काली घोड़ी द्वारे खड़ी...” सुनवाते हैं, जिसे येसुदास और हेमन्ती शुक्ला ने स्वर दिया है। गीत सितारखानी ताल में में निबद्ध है। आप यह गीत सुनिये और गीत का शब्दों पर ध्यान दीजिएगा। गीत में “काली घोड़ी” शब्द का प्रयोग “मोटर साइकिल” के लिए हुआ है। आइए आप भी सुनिए यह मनोरंजक किन्तु राग काफी के स्वरों पर आधारित यह गीत-- 02-KALI GHODI DWARE KHADI CD MISC-20180318 TRACK#02 4:17 CHASHM-E-BADDOOR-1981; YESUDAS, HEMANTI SHUKLA; RAJ KAMAL; INDU JAIN https://www.youtube.com/watch?v=J2BD61GNii0 बरसों के बाद देखा महबूब दिलरुबा सा....जब इकबाल सिद्धिकी ने सुर छेड़े पंचम के निर्देशन में “An Indian Morning” के सभी दोस्तों को हमारा सलाम! दोस्तों, शेर-ओ-शायरी, नज़्मों, नगमों, ग़ज़लों, क़व्वालियों की रवायत सदियों की है। तो पेश-ए-ख़िदमत है नगमों, नज़्मों, ग़ज़लों और क़व्वालियों की एक अदबी महफ़िल, कहकशाँ। आज इस शृंखला में जो ग़ज़ल गूंज रही है, वह है पंचम, यानी राहुल देव बर्मन का कॊम्पोज़िशन। एक फ़िल्म आई थी १९८८ में 'रामा ओ रामा'। फ़िल्म तो नहीं चली, लेकिन इस फ़िल्म के कम से कम तीन गानें उस समय रेडियो पर ख़ूब बजे थे। एक तो था अमित कुमार और जयश्री श्रीराम का गाया फ़िल्म का शीर्षक गीत "रामा ओ रामा, तूने ये कैसी दुनिया बनाई"; दूसरा गीत था मोहम्मद अज़ीज़ की आवाज़ में "ऐ हसीं नाज़नीं गुलबदन महजवीं"; और तीसरी थी गज़ल इक़बाल सिद्दिक़ी की गायी हुई यह ग़ज़ल "बरसों के बाद देखा महबूब दिलरुबा सा"। बिलकुल ग़ुलाम अली स्टाइल की गायकी को अपनाया गया है इस ग़ज़ल में, जिसके शायर हैं आरिफ़ ख़ान। वैसे इस फ़िल्म के बाक़ी गीतों को आनंद बक्शी ने लिखा था। दोस्तों, हमें यकीन है इस ग़ज़ल को आपने बरसों से नहीं सुना होगा और आज इसे यहाँ सुन कर आपकी उस ज़माने की कई यादें ताज़ा हो गई होंगी। क्यों है न? 'रामा ओ रामा' १९८८ में बनी थी और प्रदर्शित हुई थी २४ नवंबर के दिन। इसका निर्देशन किया था हुमायूं मिर्ज़ा और महरुख़ मिर्ज़ा ने। मिर्ज़ा ब्रदर्स कंपनी की बैनर तले इस फ़िल्म का निर्माण हुआ था जिसके मुख्य कलाकार थे राज बब्बर, किमि काटकर और आसिफ़ शेख़। वैसे आपको बता दें इस मिर्ज़ा ब्रदर्स बैनर में हूमायूं मिर्ज़ा और महरुख़ मिर्ज़ा के अलावा एक नाम शाहरुख़ मिर्ज़ा का भी आता है। ख़ैर, आइए सुनते हैं आज की यह ग़ज़ल. बरसों के बाद देखा महबूब दिलरुबा सा, हुस्नो-शबाब उसका क्या है सजा सजा सा क्या आप जानते हैं... कि राहुल देव बर्मन ने एक साक्षात्कार में स्वयं यह कबूल किया था कि उनकी संगीतबद्ध ८० के दशक की २३ फ़िल्में एक के बाद एक फ़्लॊप हुई हैं। 03-BARSON KE BAAD DEKHA MEHBOOB DILRUBA SA CD MISC-20180318 TRACK#03 5:19 RAMA-O-RAMA-1988; IQBAL SIDDIQUI; R.D.BURMAN; ARIF KHAN https://www.youtube.com/watch?v=0n3zn9JlDJg लिखे जो ख़त तुझे-कन्यादान १९६८ फिल्म कन्यादान से गीत सुनते हैं इसे नीरज ने लिखा है। खत, कोरियर, पार्सल श्रेणी का ये एक उम्दा गीत है और बेहद लोकप्रिय भी । कोई नगमा कहीं गूँजा कहा दिल ने के तू आई कहीं चटकी कली कोई मैं ये समझा तू शरमाई कोई ख़ुशबू कहीं बिख़री लगा ये ज़ुल्फ़ लहराई 04-LIKHE KHAT JO TUJHE CD MISC-20180318 TRACK#04 4:12 KANYADAN-1968; MOHAMMAD RAFI; SHANKAR-JAIKISHAN; NEERAJ https://www.youtube.com/watch?v=vTQkB6MvKZc सजदे किये हैं-खट्टा मीठा २०१० अक्षय कुमार पर फिल्माया गया एक गीत सुनते हैं फिल्म खट्टा मीठा से। इसे अक्षय कुमार और तृषा कृष्णन पर फिल्माया गया है। तृषा कृष्णन दक्षिण भारत की फिल्मों में एक जाना पहचाना नाम है। ऊंचे सुरों पर गाने के मामले में प्रवीण दो गायकों ने इसे गाया है-के के और सुनिधि चौहान। इरशाद कामिल के बोल हैं और प्रीतम का संगीत। बोल अलग हट के और अच्छे हैं इस गीत के। 05-SAJDE KIYE HAIN LAKHON CD MISC-20180318 TRACK#04 4:06 KHATTA MEETHA-2010; K.K., SUNIDHI CHAUHAN; PRITAM; IRSHAD KAMIL https://www.youtube.com/watch?v=WCpTtuWjYQc मीठी मीठी अंखियों से-महा चोर १९७६ विडम्बना है कि कभी कभी महान दिखाई सुनाई देने वालों की कलई खुलती है तो वो जनता को महा-चोर नज़र आते हैं। जीवन में जो उजागर है ज़रूरी नहीं वो सही हो और जो छुपा हुआ हो वो झूठ होना ज़रूरी नहीं। सन १९७६ की फिल्म है महाचोर जिसमें काका और नीतू सिंह प्रमुख कलाकार हैं। नरेन्द्र बेदी निर्देशित इस फिल्म में कलाकारों की अगली पिछली दो पीढ़ी के ढेर सारे कलाकार मौजूद हैं-मनोरमा, प्रेम चोपड़ा, कामिनी कौशल, अनवर हुसैन, प्रतिमा देवी, पिंचू कपूर, नर्बदा शंकर, जगदीश राज, विजू खोटे, बीरबल, सोनिया साहनी इत्यादि। फिल्म के अवयय सारे मौजूद हों तो भी ज़रूरी नहीं फिल्म बड़ी हिट हो जाए। कहीं ना कहीं ऐसा कुछ रह जाता है जिसे जनता ढूंढती रह जाती है। एक तो समय भी फेक्टर है जैसे आपकी आज मटर आलू की सब्जी खाने का मन हो और आप उसे तीन दिन बाद खाएं। वो एनथूसीयाज्म नहीं होता ३ दिन के बाद। दर्शकों का मन पकड़ना वैसा ही है जैसे १०० किलोमीटर की रफ़्तार से चलती हवा में ये ढूँढना कि उसमें धूल उड़ रही है या पराग कण। गीत सुन्ब्ते हैं जिसे आनंद बक्षी ने लिखा है और इसका संगीत तैयार किया है आर डी बर्मन ने। किशोर और आशा इसके गायक हैं। गीत की पञ्च लाइन है-राम तेरा भला करे। 06-MEETHI MEETHI ANKHIYON SE CD MISC-20180318 TRACK#06 4:00 MAHA CHOR-1976; KISHORE KUMAR, ASHA BHOSLE; R.D.BURMAN; ANAND BAKSHI https://www.youtube.com/watch?v=QoNhaDkTtis भँवरे की गुंजन है मेरा दिल-कल आज और कल १९७१ कुछ गीत अपने शुरूआती शब्द से अनूठे और अलग सुनाई देते हैं। ऐसा एक गीत है रणधीर कपूर और बबीता अभिनीत फिल्म कल आज और कल से किशोर कुमार का गाया हुआ। भँवरे को गीतकार समय समय पर याद कर लिया करते हैं। ये भँवरे कविताओं और गीतों में कलियों पर ज्यादा मंडराया करते हैं। शायद भंवरों को फूलों पर मंडराना उतना पसंद नहीं है जितना तितलियों को। गुंजन का अर्थ है हमिंग। धीरे धीरे गुनगुनाने को भी हम हमिंग कहते सकते हैं और धीरे धीरे भुनभुनाने को भी। हसरत जयपुरी के बोल हैं और शंकर जयकिशन का संगीत। 07-BHANWARE KI GOONJAN HAI MERA DIL CD MISC-20180318 TRACK#07 4:12 KAL AAJ AUR KAL-1971; KISHORE KUMAR; SHANKAR-JAIKISHAN; HASRAT JAIPURI https://www.youtube.com/watch?time_continue=3&v=6aMH-zOmTh8 ख़्वाब हो तुम या कोई हक़ीक़त, कौन हो तुम बतलाओ - तीन देवियाँ 1965 देर से कितनी दूर खड़ी हो, और करीब आ जाओ सुबह पे जिस तरह, शाम का हो गुमां… Lovely Song! Each and every word in this song counts! What a way to describe a beautiful woman to just begin a talk and impress her. Dev Anand was at his best. Kishor Kumar’s voice in this song is just mind blowing. Sachin Burman has given a lovely music to this song. I like this song very much from my youth and still today like to hum it. 08-KHWAB HO TUM YA KOI HAQEEQAT CD MISC-20180318 TRACK#08 6:02 TEEN DEVIAN-1965; KISHORE KUMAR; S.D.BURMAN; MAJROOH SULTANPURI https://www.youtube.com/watch?v=Jw4wLVnFJ-E मित्रों, आज हम ’An Indian Morning’ में फिर से पिछले साल पर नज़र डाल रहे हैं। पिछले साल की फ़िल्मों के कुछ अच्छे गीतों को दोबारा सुन लिया जाए। इस लिए हम वर्ष 2017 के 25 श्रेष्ठ गीतों की सूची पर पहुँचे। ये 25 गीत किसी पायदान रूपी क्रम में नहीं सजाए गए हैं, और ना ही हम किसी काउन्टडाउन के स्वरूप में इन्हें पेश कर रहे हैं। बस यूं समझ लीजिए कि ’An Indian Morning’ द्वारा चुने गए वर्ष 2017 की ये श्रेष्ठ रचनाएँ हैं। तो हर हप्ते हम सुनवाऐंगे दो या तीन बीते बरस 2017 के श्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्मी गीत। दिल दीयाँ गल्लाँ, आख़िर क्या कहना चाहा है इरशाद कामिल ने इन पंजाबी बोलों में? आज जिस गीत की बात आपसे करने जा रहा हूँ वो दिसंबर से ही लोकप्रियता की सारी सीढ़ियाँ धड़ल्ले से तय करता आ रहा है। ये गीत है फिल्म टाइगर जिंदा है का दिल दीयाँ गल्लाँ। अब एक हल्की फुल्की पंजाबी में लिखा गीत अगर इस तरह से लोगों के ज़ेहन में चढ़ जाए फिर उसकी धुन और गायिकी तो कमाल की होनी ही है। कुछ तो है आतिफ असलम की आवाज़ में जो श्रोताओं को अपनी ओर बार बार खींचता है। आज से ग्यारह साल पहले तेरे बिन मैं यूँ कैसे जिया से दाखिला लेने वाला आतिफ की आवाज़ साल दर साल किसी ना किसी गीत के माध्यम से लोगों के दिल में चढ़ती ही रही है। तेरा होने लगा हूँ (2009), मैं रंग शर्बतों का (2013) दहलीज़ में मेरे दिल की (2015) और तेरे संग यारा (2015) जैसे उनके गाए गीत तो याद ही होंगे आपको। पर विशाल शेखर के साथ गाया उनका ये पहला गीत है। इस गीत की शूटिंग आस्ट्रिया में हुई है और इसे फिल्माया गया है सलमान और कैटरीना पर। वैसे मुझे एक बात ये समझ नहीं आई गीत में नायक रूठी नायिका को प्यार से मना रहा है पर पर्दे पर तो कैटरीना रूठी नहीं दिखतीं। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? 09-DIL DIYAN GALLAN CD MISC-20180318 TRACK#09 3:26 TIGER ZINDA HAI-2017; ATIF ASLAM; VISHAL-SHEKHAR; IRSHAD KAMIL https://www.youtube.com/watch?v=nqUbSvFS1e4 THE END समाप्त
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