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An Indian Morning
Sunday January 14th, 2018 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. The first 30 minutes of the program features classical, religious as well as regional and popular music. The second

An Indian Morning celebrates not only the music of India but equally its various arts and artisans, poets and potters, kings and patriots. नमस्ते स्वागत है आपका। Welcome to 2244th edition of An Indian Morning on CKCU FM on 93.1. 01-SIGNIFICANCE OF MAKAR SANKRANTI CD MISC-20180114 TRACK#01 3:02 SHAMROCK-EDUCATIONAL-2017; ANIMATION https://www.youtube.com/watch?v=iJoif0LxCbc हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, धन्यवाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। 'An Indian Morning' के सभी श्रोता को किशोर संपट का प्यार भरा नमस्कार। लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति की पूर्वसंध्या पर इस त्यौहार का उल्लास रहता है। रात्रि में खुले स्थान में परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बना कर बैठते हैं। इस समय रेवड़ी, मूंगफली, लावा आदि खाए जाते हैं। यह प्राय: १२ या १३ जनवरी को पड़ता है। यह मुख्यत: पंजाब का पर्व है, यह द्योतार्थक (एक्रॉस्टिक-ACROSTIC) शब्द लोहड़ी की पूजा के समय व्यवहृत होने वाली वस्तुओं के द्योतक वर्णों का समुच्चय जान पड़ता है, जिसमें ल (लकड़ी) +ओह (गोहा = सूखे उपले) +ड़ी (रेवड़ी) = 'लोहड़ी' के प्रतीक हैं। पूस-माघ की कड़कड़ाती सर्दी से बचने के लिए आग भी सहायक सिद्ध होती है-यही व्यावहारिक आवश्यकता 'लोहड़ी' को मौसमी पर्व का स्थान देती है। Punjabi farmers regard Lohri as the financial new year. New agricultural tenancies commence on Lohri and rents are collected on this day. Punjabis regard the day of winter solstice as a new year which is celebrated on Maghi the next day. It is traditional to eat Gajak, Sarson da saag with Makki di roti, radish, ground nuts and jaggery. It is also traditional to eat "til rice" which is made by mixing jaggery, sesame seeds and rice. 02-LOHRI CD MISC-20180114 TRACK#02 5:08 ASA NU MAAN WATNA DA-2004; HARBHAJAN MANN, JASPINDER NARULA; JAIDEV KUMAR; BABU SINGH MAAN, GILL SURJIT https://www.youtube.com/watch?v=PjxVSmyYdhY किसानों का त्यौहार पोंगल मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। चार दिनों तक मनाया जानेवाला यह त्यौहार कृषि एवं फसल से संबंधित देवता को समर्पित है। पारंपरिक रूप से संपन्नता को समर्पित इस त्यौहार के दिन भगवान सूर्यदेव को जो प्रसाद भोग लगाया जाता है उसे पोगल कहा जाता है, जिस कारण इस त्यौहार का नाम पोंगल पड़ा। इस वर्ष पोंगल 13 जनवरी 2017 को मनाया जाएगा। पोंगल त्यौहार मुख्यतः चार तरह का होता है: * भोगी पोंगल * सूर्य पोंगल * मट्टू पोंगल * कन्या पोंगल पोंगल पर्व मुख्यतः चार दिन मनाया जाता है। Thai refers to the name of the tenth month in the Tamil calendar, Thai (தை). Pongal usually means festivity or celebration; more specifically Pongal is translated as "boiling over" or "overflow." Pongal is also the name of a sweetened dish of rice boiled with lentils that is ritually consumed on this day. Symbolically, pongal signifies the gradual heating of the earth as the Sun travels northward toward the equinox. This day coincides with Makara Sankranthi which is celebrated throughout India. 03-PONGALO PONGAL CD MISC-20180114 TRACK#03 2:32 MAHANADHI-1984; K S CHITRA; ILLYARAJA; VAALI https://www.youtube.com/watch?v=6u32X7r4WkE ब्राह्मणों में इस दिन तिल, चावल और दाल को दान करने का विशेष महत्व है। ब्राह्मण समाज की महिलाएं पूजा करते वक्त सुहाग की निशानियों को चढ़ाती हैं और फिर इन्हें 13 सुहागनों को बांटते हैं। महाराष्ट्रीयन परिवारों में सुहागन महिलाएं पुण्यकाल में स्नान कर तुलसी की आराधना और पूजा करती हैं। इस दिन मिट्टी से बना छोटा घड़ा, जिसे सुहाणा चा वाण कहते हैं। इसमें तिल के लड्डू, सुपारी, अनाज, खिचड़ी और दक्षिणा रखकर महिलाएं दान का संकल्प लेती हैं। कायस्थ समाज की महिलाएं संक्रांति की सुबह पानी में तिल डालकर स्नान करते हैं। साथ ही स्नान के बाद आग में तेल डालकर हाथ सेंकते हैं। संक्रांति के दिन सबेरे 5 बजे जागकर सभी स्नान करते हैं और गाय को डालते हैं। खाने में दाल-बाटी बनाई जाती है। मिठाई में जलेबी एवं तिल के लड्डू आदि बनाए जाते हैं। सबसे पहले ये व्यंजन भानजे को खिलाए जाते हैं। गुजराती रीति-रिवाज में संक्रांति मौज-मस्ती से भरपूर होती है। इस दिन पूरा परिवार घर की छत पर सामूहिक रूप से भोजन करता है। इस रिवाज के साथ ही पुरुष-महिलाएं पतंगें उड़ाते हैं। तिल-गुड के लड्डुओं के अंदर अंदर सिक्के रखकर दान करने का भी रिवाज है। सिंधी समाज में मकर संक्रांति को बेटियों का खास त्योहार कहा जाता है। संक्रांति पर सबसे अधिक कन्याओं एवं पंडितों को दान दिया जाता है। इस दिन पूर्वजों के नाम पर बेटियों को आटे के लड्डू, तिल के लड्डू, चिक्की और मेवा (स्यारो) दान स्वरूप दी जाती है। 04-CHALI CHALI RE DEKHO APNI PATANG CD MISC-20180114 TRACK#04 6:25 TAARAK MEHTA KA ULTA CHASHMAH-2016; VARIOUS ARTISTS https://www.youtube.com/watch?v=TeTfpD28bYs वो हैं ज़रा खफ़ा खफ़ा-शागिर्द १९६७ यह वर्ष 1967 की बात है। निर्माता सुबोध मुखर्जी बना रहे थे फ़िल्म 'शागिर्द'। उन दिनों लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी के बीच मनमुटाव चल रहा था। रॉयल्टी के किस्से को लेकर दोनों में न केवल बातचीत बन्द थी, बल्कि एक दूसरे के साथ गीत गाना भी बन्द कर दिया था। ऐसे में जब भी लता-रफ़ी डुएट की बारी आती किसी फ़िल्म में, या तो लता की जगह सुमन कल्याणपुर की आवाज़ ली जाती या फिर रफ़ी के बदले महेन्द्र कपूर या मुकेश की। तो 'शागिर्द' फ़िल्म के कुल 6 गीतों में से 5 गीतों को तो एकल गीतों के रूप में ही निपटा लिया गया, पर रोमान्टिक फ़िल्म में एक भी युगल गीत न हो, यह भी किसी को गवारा नहीं हो रहा था। तय हुआ कि रफ़ी साहब और सुमन कल्याणपुर की ही आवाज़ों में एक युगल गीत रेकॉर्ड कर लिया जाये। तैयारियाँ होने लगी थीं कि इंडस्ट्री में ख़बर फैल गई कि लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी का झगड़ा खत्म हो चुका है और दोनों एक दूसरे के साथ गाने के लिए अब तैयार हैं। इस ख़बर के फैलते ही संगीतकारों ने जैसे चैन की साँस ली और जैसे एक होड़ सी लग गई लता-रफ़ी के डुएट्स रेकॉर्ड करने की। यह 1967 का ही वर्ष था। इस वर्ष लता-रफ़ी के पुनर्मिलन के बाद जो तीन सर्वाधिक लोकप्रिय गीत रेकॉर्ड हुए, वो थे सचिन देव बर्मन के संगीत में फ़िल्म 'ज्वेल थीफ़' का "दिल पुकारे, आ रे आ रे आ रे", कल्याणजी-आनन्दजी के संगीत में 'आमने-सामने' फ़िल्म का "कभी रात-दिन हम दूर थे, दिन रात का अब साथ है" तथा तीसरा गीत था लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल के निर्देशन में फ़िल्म शागिर्द का - "वो हैं ज़रा ख़फ़ा-ख़फ़ा, सो नैन यूँ चुराये हैं..."। इन तीनों गीतों के बोलों पर अगर ध्यान दिया जाये तो अहसास होता है कि ये तीनों गीत लता-रफ़ी के पुनर्मिलन या नाराज़गी के क़िस्से की तरफ़ इशारा करते हैं। वाक़ई इत्तेफ़ाक़ की बात है, है ना? बाक़ी दो गीतों का नहीं कह सकते, पर फ़िल्म 'शागिर्द' के इस युगल गीत के बोल इत्तेफ़ाकन नहीं थे। यह लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल, मजरूह सुल्तानपुरी और सुबोध मुखर्जी के नटखट दिमाग़ की उपज थी। सुनते हैं लक्ष्मी प्यारे के संगीत वाला फिल्म शागिर्द से। फिल्म में जॉय मुखर्जी और सायरा बानो की जोड़ी है। 05-WHO HAIN ZARA KHAFA KHAFA CD MISC-20180114 TRACK#05 6:25 SHAAGIRD-1967; LATA MANGESHKAR, MOHAMMAD RAFI; LAXMIKANT-PYARELAL; MAJROOH SULTANPURI https://www.youtube.com/watch?v=A3LS3bhVgtQ साँसों की ज़रूरत है जैसे आशिकी १९९० सन १९९० की म्यूजिकल हिट आशिकी से अगला गीत सुनते हैं जिसे परदे पर राहुल रॉय और पार्श्व में कुमार सानू ने गाया है। फिल्म इसी गीत से शुरू होती है। 06-SANSON KI ZAROORAT HAI JAISE BAS EK SANAM CHAHIYE CD MISC-20180114 TRACK#06 5:51 AASHIQUI-1990; KUMAR SANU; NADEEM-SHRAVAN; RAVI MALIK https://www.youtube.com/watch?v=XXNegdg5Ddg इन लम्हों के दामन में-जोधा अकबर २००८ फिल्म जोधा अकबर से एक गीत सुनते हैं जिसे सोनू निगम और मधुश्री ने गाया है. जावेद अख्तर के बोल हैं और ऐ आर रहमान का संगीत है। 07-IN LAMHO KE DAAMAN MEIN CD MISC-20180114 TRACK#07 7:39 JODHA AKBAR-2008; SONU NIGAM, MADHUSHREE; A.R.RAHMAN; JAVED AKHTAR https://www.youtube.com/watch?time_continue=3&v=EN5_OM0uONA 08-KAI PO CHHE CD MISC-20180114 TRACK#08 4:42 HUM DIL DE CHUKE SANAM-1999; SHANKAR MAHADEVAN, K.K., DAMAYANTI BARDAI, JYOTSNA HARDIKAR; ISMAIL DARBAR; MEHBOOB https://www.youtube.com/watch?v=A4g-Wpqe2EM THE END समाप्त
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