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An Indian Morning
Sunday April 10th, 2016 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
Devotional, Classical, Ghazals, Folklore, Old/New Popular Film/Non-Film Songs, Community Announcements and more...

Celebrating not only the "Music of India", but equally so its varied rich art, artisans, culture and people. Maintaining the "SPIRIT OF INDIA"... एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए चली गोरी पी के मिलन को चली...राग भैरवी में पी को ढूंढती हेमन्त दा की आवाज़ दस थाट, दस राग और दस गीत” शृंखला # 750- चली गोरी पी के मिलन को चली... “An Indian Morning” पर चल रही श्रृंखला “दस थाट, दस राग और दस गीत” की समापन कड़ी में, मैं किशोर संपट, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के आरम्भ में हमने आपसे स्पष्ट किया था कि शास्त्रीय संगीत से सम्बन्धित इस प्रकार की लघु श्रृंखलाओं का उद्देश्य श्रोताओं को कलाकार बनाना नहीं है, बल्कि संगीत का अच्छा श्रोता बनाना है। प्रायः लोग कहते मिल जाते हैं कि शास्त्रीय संगीत बहुत जटिल है और सिर के ऊपर से गुज़र जाता है। परन्तु संगीत की थोड़ी प्रारम्भिक जानकारी पाकर भी आप अच्छे श्रोता बन सकते हैं। ऐसी श्रृंखलाएँ प्रस्तुत करने के पीछे हमारा यही उद्देश्य है। आज हम “भैरवी” थाट और राग के बारे में चर्चा करेंगे। दरअसल थाट केवल ढाँचा है और राग एक व्यक्तित्व है। थाट-निर्माण के लिए सप्तक के १२ स्वरों में से कोई सात स्वर क्रमानुसार प्रयोग किया जाता है, जब कि राग में पाँच से सात स्वर प्रयोग किए जाते हैं। साथ ही राग की रचना के लिए आरोह, अवरोह, प्रबल, अबल आदि स्वर-नियमों का पालन किया जाता है। आज का थाट है- “भैरवीf”, जिसमें सा, रे॒, ग॒, म, प, ध॒, नि॒ स्वरों का प्रयोग होता है, अर्थात ऋषभ, गांधार, धैवत और निषाद स्वर कोमल और शेष स्वर शुद्ध। “भैरवी” थाट का आश्रय राग भैरवी नाम से ही पहचाना जाता है। इस थाट के अन्य कुछ प्रमुख राग हैं- मालकौस, धनाश्री, विलासखानी तोड़ी आदि। इसके गायन-वादन का समय प्रातःकाल, सन्धिप्रकाश बेला में है, किन्तु अनेक वर्षों से राग “भैरवी” का गायन-वादन किसी संगीत-सभा अथवा समारोह के अन्त में किये जाने की परम्परा बन गई है। राग “भैरवी” को “सदा सुहागिन राग” भी कहा जाता है। आज आपको सुनवाने के लिए राग भैरवी पर आधारित जो गीत हमने चुना है वह सुप्रसिद्ध फ़िल्मकार बी.आर. चोपड़ा की १९५६ में बनी फिल्म “एक ही रास्ता” से है। इस फिल्म के संगीतकार हेमन्त कुमार थे, जिन्होने मजरूह सुल्तानपुरी की लोक-स्पर्श करते गीत को भैरवी के स्वरों में बाँधा था। इस गीत की एक विशेषता यह भी है की संगीतकार हेमन्त कुमार ने गीत को स्वयं अपना ही कोमल और मधुर स्वर दिया है। गीत के बोल हैं- “चली गोरी पी के मिलन को चली...”। लीजिए अब आप सुनिए, श्रृंखला “दस थाट, दस राग और दस गीत” की इस समापन कड़ी में थाट “भैरवी” के आश्रय राग ‘भैरवी’ पर आधारित यह गीत- 01-Chali Gori Pee Ke Milan Ko Chali CD MISC-20160410 Track#01 5:02 EK HI RAASTA-1956; Hemant Kumar; Majrooh Sultanpuri तू मेरा जानूँ है तू मेरा हीरो है.....८० के दशक का एक और सुमधुर युगल गीत 'एक मैं और एक तू' शृंखला # 560- तू मेरा जानूँ है तू मेरा हीरो है..... 'An Indian Morning' के दोस्तों, नमस्कार! इन दिनों आप इस स्तंभ में सुन रहे हैं फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर की कुछ सदाबहार युगल गीतों से सजी लघु शृंखला 'एक मैं और एक तू', आज ८० के दशक के ही एक और लैण्डमार्क डुएट के साथ हम समापन कर रहे हैं इस शृंखला का। यह वह गीत है दोस्तों जिसने लता और आशा के बाद की पीढ़ी के पार्श्वगायिकाओं का द्वार खोल दिया था। इस नयी पीढ़ी से हमारा मतलब है अनुराधा पौड़वाल, अल्का याज्ञ्निक, साधना सरगम और कविता कृष्णमूर्ती। आज हम चुन लाये हैं अनुराधा और मनहर उधास की आवाज़ों में १९८३ की फ़िल्म 'हीरो' का गीत "तू मेरा जानू है... मेरी प्रेम कहानी का तू हीरो है"। युं तो इस गीत से पहले भी अनुराधा ने कुछ गीत गाये थे, लेकिन इस गीत ने उन्हें पहली बार अपार सफलता दी जिसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखने की ज़रूरत नहीं पड़ी। 'हीरो' एक कामयाब युवा फ़िल्म है, और इस फ़िल्म के ज़रिए जैकी श्रॊफ़ और मीनाक्षी शेषाद्री ने फ़िल्मी दुनिया में क़दम रखा था। 'हीरो' के गीतों की अपार कामयाबी ने एक बार फिर साबित किया कि ८० के दशक में भी एल.पी का संगीत उतना ही पुरअसर है जितना पिछले दो दशकों में था "निंदिया से जागी बहार" की शास्त्रीयता से भरी सुमधुर धुन, रेशमा की आवाज़ में कलेजे को चीर कर रख देने वाली "लम्बी जुदाई", लता-मनहर का गाया "प्यार करने वाले कभी डरते नहीं", तथा अनुराधा-मनहर के गाये दो गीत - "तू मेरा जानू है" और "डिंग डॊंग" जैसे गीतों के लिए एल. पी को बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। और अब फ़िल्म 'हीरो' का वही हिट गीत जिसे शायद आपने कुछ दिनों से नहीं सुना होगा, लीजिए ८० के दशक की यादें फिर एक बार ताज़ा कर लीजिए इस गीत के माध्यम से। और इसी के साथ 'एक मैं और एक तू' शृंखला सम्पन्न होती है। हमें उम्मीद है कि ३० के दशक से लेकर ८० के दशक के ये १० युगल गीत आपको पसंद आये होंगे। आप अपने विचार और सुझाव हमारे ईमेल पते aim931@rogers.com पर अवश्य लिख भेजिएगा। हमें इंतज़ार रहेगा। क्या आप जानते हैं... कि अनुराधा पौडवाल ने अपना पहला फ़िल्मी एकल गीत गाया था संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत निर्देशन में, हेमा मालिनी - शशि कपूर अभिनीत फ़िल्म 'आप बीती' में। 02-Tu Mera Jaanu Hai Tu Mera Hero Hai CD MISC-20160410 Track#02 8:05 HERO-1983; Anuradha Paudwal, Manhar Udhas; Laxmikant-Pyarelal; Anand Bakshi रूठ के हमसे कभी जब चले जाओगे तुम....हर किसी के जीवन को कभी न कभी छुआ होगा मजरूह के इस गीत ने “...और कारवाँ बनता गया” शृंखला # 670- रूठ के हमसे कभी जब चले जाओगे तुम.... "मेरे पीछे ये तो मोहाल है कि ज़माना गर्म-ए-सफ़र न हो, कि नहीं मेरा कोई नक़्श-ए-पाँव जो चिराग़-ए-राह-गुज़र न हो", मजरूह साहब के लेखनी की विविधता ऐसी है कि आने वाली तमाम पीढ़ियाँ उनके लेखनी से प्रभावित होती रहेंगी। 'An Indian Morning' में इन दिनों मजरूह सुल्तानपुरी के गीतों का जो कारवाँ चला जा रहा था, वह कारवाँ आज की कड़ी में जाकर कुछ समय के लिये पड़ाव डाल रहा है। '...और कारवाँ बनता गया' शृंखला की आज है दसवीं और अंतिम कड़ी। १९४६ में 'शाहजहाँ' से जो कारवाँ चल पड़ा था, वह आकर रुका था १९९९ में फ़िल्म 'जानम समझा करो' पे आकर। राहुल देव बर्मन वाले अंक में हमनें ज़िक्र किया था उन फ़िल्मों का जिनमें नासिर हुसैन, मजरूह सुल्तानपुरी और राहुल देव बर्मन की तिकड़ी का संगम था। पंचम को अलग रखें तो नासिर साहब के साथ मजरूह साहब नें पंचम के आने से पहले 'फिर वही दिल लाया हूँ' तथा पंचम के बाद आनंद-मिलिंद के साथ 'क़यामत से क़यामत तक', जतीन-ललित के साथ 'जो जीता वही सिकंदर' और अनु मलिक के साथ 'अकेले हम अकेले तुम' में काम किया। और सिर्फ़ काम ही नहीं किया, अपने हुनर का लोहा भी मनवाया कि ४० के दशक में पारी की शुरुआत करने वाले गीतकार ९० के दशक के आख़िर में भी उतने ही सक्रीय व सफल हैं और गीतों का स्तर भी उतना ही ऊँचा है। तो इस शृंखला को समाप्त करते हुए आज की कड़ी के लिये हमने चुना है १९९२ की फ़िल्म 'जो जीता वही सिकंदर' से जतिन की आवाज़ में "रूठ के हमसे कभी जब चले जाओगे तुम, यह न सोचा था कभी इतने याद आओगे तुम"। भले ही ९० के दशक के गीतों से हम परहेज़ करते हैं 'An Indian Morning' में, लेकिन कभी कभी इस रवायत को तोड़ने को जी चाहता है। गीत अगर सचमुच अच्छा है तो सिर्फ़ दशक का ठप्पा लगा कर उसे नज़रंदाज़ तो नहीं किया जा सकता न! "रूठ के हमसे कभी जब चले जाओगे तुम", भाई-भाई के संबंध को लेकर इस गीत से बेहतर गीत मैंने तो आज तक नहीं सुना! इस गीत को सही तरीके से अनुभव वही कर सकता है जिसका कोई भाई है। फ़िल्म में आमिर ख़ान का बड़ा भाई एक दुर्घटना के बाद अस्पताल में ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है, ऐसे में यह गीत पार्श्व में बज उठता है और आमिर ख़ान अपने बड़े भाई के साथ गुज़ारे बचपन के दिनों को याद करते हैं। आमिर ख़ान के बचपन का रोल पता है किसने निभाया था? जी हाँ, उनके भांजे इमरान ख़ान नें, जो आज के दौर के नायक हैं। मजरूह साहब नें इस गीत में ऐसे बोल लिखे हैं कि गीत को सुनते हुए आँखें भर आती हैं। "मैं तो ना चला था दो क़दम भी तुम बिन, फिर भी मेरा बचपन यही समझा हर दिन, छोड़ के मुझे भला अब कहाँ जाओगे तुम, यह न सोचा था कभी इतने याद आओगे तुम"। मजरूह साहब, आप चाहें शारीरिक तौर से हमारे बीच मौजूद न हों, लेकिन आपका फ़न, आपकी कला, आपके गीतों के ज़रिये अमर हो गया है, जो युगों युगों तक दुनिया की फ़िज़ाओं में आप के मौजूद होने का निरंतर आभास कराते रहेंगे। क्या आप जानते हैं... कि 'जानम समझा करो' में जब मजरूह साहब के लिखे "लव हुआ", "आइ वास मेड टू लव यू बेबी क्या ख़याल है बोल" और "जानम समझा करो" जैसे गीतों की समालोचना हुई तो उन्होंने कहा था - "These are certainly not objectionable. They only sound like that way because of the English words. I will always maintain that "aati kya khandala" is a 'be-huda' song because the mukhda is like an indecent proposal, and the degenerate element among the youth have got a new weapon in their armour for harassing women"। 03-Rooth Ke Humse Kahin Jab Chale Jaaoge Tum CD MISC-20160410 Track#03 5:14 JO JITHA WOHI SIKANDAR-1991; Jatin; Jatin-Lalit; Majrooh Sultanpuri आगे भी जाने न तू....जब बदलती है जिंदगी एक पल में रूप अनेक तो क्यों न जी लें पल पल को “एक पल की उम्र लेकर” शृंखला# 720- आगे भी जाने न तू.... 'An Indian Morning' की लघु शृंखला 'एक पल की उम्र’ की आज दसवीं और अंतिम कड़ी है। सुबह के पन्नों पर पायी शाम की ही दास्ताँ एक पल की उम्र लेकर जब मिला था कारवाँ वक्त तो फिर चल दिया एक नई बहार को बीता मौसम ढल गया और सूखे पत्ते झर गए चलते-चलते मंज़िलों के रास्ते भी थक गए तब कहीं वो मोड़ जो छूटे थे किसी मुकाम पर आज फिर से खुल गए, नए क़दमों, नई मंज़िलों के लिए मुझको था ये भरम कि है मुझी से सब रोशनाँ मैं अगर जो बुझ गया तो फिर कहाँ ये बिजलियाँ एक नासमझ इतरा रहा था एक पल की उम्र लेकर। जीवन क्षण-भंगुर है, फिर भी इस बात से बेख़बर रहते हैं हम, और जैसे एक माया-जाल से घिरे रहते हैं हमेशा। सांसारिक सुख-सम्पत्ति में उलझे रहते हैं, कभी लालच में फँस जाते हैं तो कभी झूठी शान दिखा बैठते हैं। कल किसी नें नहीं देखा पर कल का सपना हर कोई देखता है। यही दुनिया का नियम है। इसी सपने को साकार करने का प्रयास ज़िंदगी को आगे बढ़ाती है। भविष्य तो किसी नें नहीं देखा, इसलिए हमें आज में ही जीना चाहिए और आज का भरपूर फ़ायदा उठाना चाहिए, क्या पता कल हो न हो, कल आये न आये! इसी विचार को गीत के रूप में प्रस्तुत किया था साहिर नें फ़िल्म 'वक़्त' के रवि द्वारा स्वरवद्ध और आशा भोसले द्वारा गाये हुए इस गीत में - "आगे भी जाने ना तू, पीछे भी जाने ना तू, जो भी है बस यही एक पल है"। 04-Aage Bhi Jaane Na Tu CD MISC-20160410 Track#04 4:43 WAQT-1964; Asha Bhosle; Ravi; Sahir Ludhianavi भँवरे ने खिलाया फूल, फूल को ले गया राजकुंवर....एक क्लास्सिक गीत जिसका कोई सानी नहीं “गान और मुस्कान” शृंखला # 660- भँवरे ने खिलाया फूल, फूल को ले गया राजकुंवर.... 'An Indian Morning' के दोस्तों, नमस्कार! गायक गायिकाओं की हँसी का मज़ा लेते हुए 'गान और मुस्कान' लघु शृंखला की अंतिम कड़ी में आज हम आ पहुँचे हैं। इस आख़िरी कड़ी के लिए हमने वह गीत चुना है जिसमें लता जी सब से ज़्यादा हँसती हुई सुनाई देती हैं, यानी कि सबसे ज़्यादा अवधि के लिए उनकी हँसी सुनाई दी है इस गीत में। सुरेश वाडकर के साथ उनका गाया यह है १९८२ की फ़िल्म 'प्रेम-रोग' का गीत "भँवरे ने खिलाया फूल, फूल को ले गया राजकुंवर"। फ़िल्म में सिचुएशन कुछ ऐसा था कि नायिका (पद्मिनी कोल्हापुरी) विवाह की पहली ही रात में विधवा हो जाती है और कुछ ही दिनों में ससुराल को छोड़ कर मायके वापस आने के लिए मजबूर हो जाती है। मायके में भी उसका आदर-सम्मान नहीं होता और एक दुखभरी जीवन गुज़ारने लगती है। ऐसे में उसके चेहरे पर मुस्कान वापस लाता है उसका बचपन का साथी (ऋषी कपूर)। किसी बहाने से जब पद्मिनी ऋषी के साथ घर से बाहर निकलती है, एक अरसे के बाद जब खुली हवा में सांस लेती है, हरे लहलहाते खेतों में दौड़ती-भागती है, ऐसे में किसका मन ख़ुशी के मारे मुस्कुराएगा नहीं। जो एक खुले दिल से हँसने वाली बात होती है, उस हँसी की ज़रूरत थी इस गीत में, और लता जी नें उसे पूरा पूरा निभाया है इस गीत में। गीत तो आपने कई कई बार सुना होगा, आज इस शृंखला में एक बार फिर से इस गीत को सुन कर देखिए, मज़ा कुछ बढ़के ही आयेगा। राज कपूर की फ़िल्म 'प्रेम रोग' में संगीत था लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का। प्रस्तुत गीत के गीतकार हैं पंडित नरेंद्र शर्मा। जो सिचुएशन अभी उपर हमनें उपर बताया, उस पर कितना सुंदर गीत पंडित जी नें लिखा है। मुखड़ा तो है ही कमाल का, अंतरों में भी कितना सुंदर वर्णन है। हिंदी के शुद्ध शब्दों के प्रयोग से गीत में और भी मधुरता आ गई है। और बाकी की मधुरता लता और सुरेश की आवाज़ों नें ला दी है। आज का यह गीत सुनिये और मुझे अनुमति दीजिए 'गान और मुस्कान' शृंखला को समाप्त करने की। क्या आप जानते हैं... कि राज कपूर और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का जो नाता 'बॉबी' से शुरु हुआ था, वह 'प्रेम रोग' पर आकर टूट गया। 05-Bhanware Ne Khilaya Phool, Phool Le Gaya Rajkoonwar CD MISC-20160410 Track#05 7:47 PREMROG-1982; Lata Mangeshkar, Suresh Wadkar; Laxmikant-Pyarelal; Pandit Narendra Sharma 1) “ दस थाट, दस राग और दस गीत” 2) “एक मैं और एक तू” 3) “...और कारवाँ बनता गया” 4) “एक पल की उम्र लेकर” 5) “गान और मुस्कान” 15 अप्रैल को शाहरुख खान अभिनीत 'फैन' रिलीज होने वाली है और फिल्म का प्रमोशन शुरू हो गया है। फिल्म का एकमात्र गाना जारी हुआ है जिसमें शाहरुख ऐसे किरदार में हैं जो सुपरस्टार शाहरुख खान का दीवाना है। शाहरुख इसमें छोटे शहर के 25 वर्ष के युवक के समान नजर आ रहे हैं। 'जबरा' सांग को शाहरुख के फैंस ने हाथों-हाथ लिया है और फिल्म के प्रति उत्सुकता अचानक बहुत बढ़ गई है। The music for Fan is composed by Vishal-Shekhar with lyrics written by Varun Grover. The first song "Jabra Fan", was released on 16 February 2016.[22] The full soundtrack album was released on 22 February 2016 which included 7 songs, all of which were different versions of the song "Jabra Fan". The song was in 7 different prominent Indian languages sung by regional singers. 06-Jabro Fan (Gujarati) CD MISC-20160410 Track#07 3:45 FAN-2016; Arvind Vegda; Vishal-Shekhar; Varun Grover THE END समाप्त
Chali Gori Pee Ke Milan Ko Chali
Hemant Kumar; Majrooh Sultanpuri - EK HI RAASTA-1956
Tu Mera Jaanu Hai Tu Mera Hero Hai
Anuradha Paudwal, Manhar Udhas; Laxmikant-Pyarelal; Anand Bakshi - HERO-1983
Rooth Ke Humse Kahin Jab Chale Jaaoge Tum
Jatin; Jatin-Lalit; Majrooh Sultanpuri - JO JITHA WOHI SIKANDAR-1991
Aage Bhi Jaane Na Tu
Asha Bhosle; Ravi; Sahir Ludhianavi - WAQT-1964
Bhanware Ne Khilaya Phool, Phool Le Gaya Rajkoonwar
Lata Mangeshkar, Suresh Wadkar; Laxmikant-Pyarelal; Pandit Narendra Sharma - PREMROG-1982
Jabro Fan (Gujarati)
Arvind Vegda; Vishal-Shekhar; Varun Grover - FAN-2016 New
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