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An Indian Morning
Sunday February 28th, 2016 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore "Kish" Sampat
Devotional, Classical, Ghazals, Folklore, Old/New Popular Film/Non-Film Songs, Community Announcements and more...

While keeping the "SPIRIT OF INDIA" alive, celebrating the Music of India along with its rich art, culture and people. एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। करुणा सुनो श्याम मोरी...जब वाणी जयराम बनी मीरा की आवाज़ दस थाट, दस राग और दस गीत’ शृंखला # 745- करुणा सुनो श्याम मोरी... आधुनिक भारतीय संगीत में प्रचलित थाट पद्धति पर केन्द्रित श्रृंखला “दस थाट, दस राग और दस गीत” की पाँचवीं कड़ी में आपका हार्दिक स्वागत है। इस श्रृंखला में हम पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे द्वारा प्रवर्तित उन दस थाटों की चर्चा कर रहे हैं, जिनके माध्यम से रागों का वर्गीकरण किया जाता है। आइए, अब हम आज के थाट “पूर्वी” के विषय में थोड़ी जानकारी प्राप्त करते हैं। इस थाट में प्रयोग होने वाले स्वर हैं- सा, रे॒, ग, म॑, प ध॒, नि। पूर्वी थाट का आश्रय राग पूर्वी है। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ प्रमुख राग हैं- “पूरिया”, “धनाश्री”, “जैतश्री”, “परज”, “श्री”, “गौरी”, “वसन्त” आदि। राग पूर्वी के आरोह के स्वर- सा, रे, ग, म॑प, ध, निसां और अवरोह के स्वर- सां, नि ध, प, म॑ ग, रे, सा होते हैं। इसे दिन के अन्तिम प्रहर में गाया-बजाया जाता है। आज के अंक में हम राग “पूर्वी” पर आधारित जो फिल्मी-गीत आपको सुनवाने जा रहे हैं, उसे हमने १९७९ में प्रदर्शित फिल्म “मीरा” से लिया है। गीतकार गुलज़ार द्वारा निर्मित और हेमा मालिनी द्वारा अभिनीत इस फिल्म की संगीत रचना पण्डित रविशंकर ने की थी। विख्यात सितार वादक के रूप में पहचाने जाने वाले पण्डित रविशंकर ने कुछ गिनी-चुनी फिल्मों में ही संगीत दिया है, परन्तु जो दिया है, वह अविस्मरणीय है। पण्डित जी इस फिल्म में लता मंगेशकर से मीरा के पदों गवाना चाहते थे, परन्तु लता जी ने अपने भाई हृदयनाथ मंगेशकर के संगीत में मीरा के अधिकतर पदों को लोकप्रिय बना दिया था, अतः रविशंकर जी ने फिल्म में वाणी जयराम से मीरा के पदों का गायन कराया। फिल्म के सभी गीत विविध रागों पर आधारित थे। आज प्रस्तुत किया जाने वाला पद अर्थात गीत- “करुणा सुनो श्याम मोरी...” राग “पूर्वी” के स्वरों पर आधारित है। सितारखानी ताल में निबद्ध “मीरा” के इस भक्तिपरक गीत के सौंदर्य और माधुर्य का अनुभव आप भी कीजिये- 01-Karuna Suno Shyam Mori CD MISC-20160228 Track#01 2:16 MEERA-1979; Vani Jayram; Pandit Ravi Shankar; Gulzar आसमां के नीचे हम आज अपने पीछे, प्यार का जहाँ बसा के चले...लता और किशोर दा 'एक मैं और एक तू' शृंखला # 555- आसमां के नीचे हम आज अपने पीछे, प्यार का जहाँ बसा के चले... फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर के कुछ सदाबहार युगल गीतों से सज रही है 'An Indian Morning' की महफ़िल इन दिनों। ये वो प्यार भरे तराने हैं, जिन्हे प्यार करने वाले दिल दशकों से गुनगुनाते चले आए हैं। ये गानें इतने पुराने होते हुए भी पुराने नहीं लगते। तभी तो इन्हे हम कहते हैं 'सदाबहार नग़में'। इन प्यार भरे गीतों ने वो कदमों के निशान छोड़े हैं कि जो मिटाए नहीं मिटते। आज इस 'एक मैं और एक तू' शृंखला में हमने एक ऐसे ही गीत को चुना है जिसने भी अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की सदाबहार जोड़ी का यह सदाबहार नग़मा है फ़िल्म 'ज्वेल थीफ़' का - "आसमाँ के नीचे, हम आज अपने पीछे, प्यार का जहाँ बसाके चले, क़दम के निशाँ बनाते चले"। मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे इस गीत को दादा बर्मन ने स्वरबद्ध किया था। इस युगल गीत के फ़िल्मांकन की आपको ज़रा याद दिलाते हैं। हमारी फ़िल्मों में कई फ़ॊरमुला पहलुएँ हुआ करती हैं। जैसे कि एक दौर था कि जब रोमांटिक गीतों में नायक नायिका को बाग़ में, पहाड़ों में, वादियों में, भागते हुए गीत गाते हुए दिखाए जाते थे। आज वह परम्परा ख़त्म हो चुकी है, लेकिन आज के प्रस्तुत गीत में वही बाग़ बग़ीचे वाला मंज़र देखने को मिलता है। फ़िल्मांकन में कुछ कुछ हास्य रस भी डाला गया है, जैसे कि गीत के शुरु में ही देव आनंद साहब वैजयंतीमाला की टांग खींच कर उन्हे गिरा देते हैं। इसका बदला वो लेती हैं देव साहब के पाँव में अपनी पाँव जमा कर और यह गाते हुए कि "क़दम के निशाँ बनाते चले"। देव साहब के मैनरिज़्म्स को किशोर दा ने क्या ख़ूब अपनी गायकी से उभारा है इस गीत में। तो चलिए जो गीत हमने चुना है उसे सुन लेते हैं। लता जी, किशोर दा, बर्मन दा और मजरूह साहब के साथ साथ याद करते हैं देव साहब और वैजयंतीमाला जी के प्यार भरे टकरारों की भी। क्या आप जानते हैं...कि लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने साथ में कुल ३२७ युगल गीत गाए हैं। 02-Aasmaan Ke Niche Hum Aaj Apne Pichhe CD MISC-201600228Track#02 6:45 JEWEL THIEF-1967; Lata Mangeshkar, Kishore Kumar; S.D.Burman; Majrooh Sultanpuri मेरा तो जो भी कदम है.....इतना भावपूर्ण है ये गीत कि सुनकर किसी की भी ऑंखें नम हो जाए “...और कारवाँ बनता गया” शृंखला # 665- मेरा तो जो भी कदम है..... '...और कारवाँ बनता गया'... मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीतों का कारवाँ इन दिनों चल रहा है 'An Indian Morning' में। पिछली चार कड़ियों में हमनें ४० और ५० के दशकों से चुन कर चार गानें हमनें आपको सुनवाये, आज क़दम रखेंगे ६० के दशक में। साल १९६४ में एक फ़िल्म आयी थी 'दोस्ती' जिसनें न केवल मजरूह को उनका एकमात्र फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिलवाया, बल्कि संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को भी उनका पहला फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिलवाया था। एल.पी के साथ भी मजरूह साहब नें काफ़ी अच्छा काम किया है, इसलिए दस संगीतकारों के साथ उनके लिखे गीतों की इस शृंखला में एल.पी का स्वरबद्ध एक गीत सुनवाना अत्यावश्यक हो जाता है। और ऐसे में फ़िल्म 'दोस्ती' के एक गीत की गुंजाइश तो बनती है। इस फ़िल्म से सुनिये रफ़ी साहब की आवाज़ में "मेरा तो जो भी क़दम है, वो तेरी राह में है, कि तू कहीं भी रहे तू मेरी निगाह में है"। वैसे जिस गीत के लिये मजरूह साहब को यह पुरस्कार मिला था, वह था "चाहूँगा मैं तुझे सांझ सवेरे"। मजरूह सुल्तानपुरी नें उस दौर के सभी दिग्गज संगीतकारों की धुनों पर गानें लिखे हैं। वो किसी भी सिचुएशन पर बड़ी ही सहजता से गीत लिख सकते थे, जो अलग से सुनने पर भी एक अलग ही जज़्बात की गहराई महसूस होती है। वक़्त के साथ साथ किसी भी गीतकार की लेखनी में गहराई आती चली जाती है। मजरूह साहब के गीतों में भी ऐसी गहराई देखने को मिलती है, चाहे वो उस दौर में लिखे गीत हों, या इस ज़माने का। उनके गीतों में कुछ न कुछ ज़रूर है जो हमारे ख़यालों को महका जाते हैं। तो आइए सुनते हैं मजरूह-एल.पी-रफ़ी की तिकड़ी का यह यादगार गीत। क्या आप जानते हैं...कि मजरूह सुल्तानपुरी की लिखी एकमात्र किताब 'ग़ज़ल' प्रकाशित हुई थी १९५६ में। इसके बाद इस किताब के कई एडिशन प्रकाशित हुए, जिनमें से एक का शीर्षक था 'मशाल-ए-जान'। 03-Mera To Jo Bhi Kadam Hai CD MISC-20160228 Track#03 4:03 DOSTI-1964; Mohammad Rafi; Laxmikant-Pyarelal; Majrooh Sultanpuri कोई होता जिसको अपना.....शोर के "जंगल" में कोई जानी पहचानी सदा ढूंढती जिंदगी “एक पल की उम्र लेकर” शृंखला# 715 कोई होता जिसको अपना..... 'An Indian Morning' में हमने शुरु की है फ़िल्मी गीतों पर आधारित लघु शृंखला 'एक पल की उम्र लेकर' । आज इसकी पाँचवीं कड़ी प्रस्तुत है । हम अपने जीवन में कितने ही लोगों के संस्पर्श में आते हैं, जिन्हें हम अपना कहते हैं, पर समय समय पर पता चलता है कि जिन्हें हम अपना समझ रहे थे, वो न जाने क्यों अब ग़ैर लगने लगे हैं। हमारे अच्छे समय में रिश्तेदार, सगे संबंधी और मित्र मंडली हमारे आसपास होते हैं, पर बुरे वक़्त में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो हमारे साथ खड़े पाये जाते हैं। किसी नें ठीक ही कहा है कि बुरे वक़्त में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है। जीवन की अँधेरी गलियों से गुज़रते हुए अहसास नहीं होता कि कितनी गंदगी आसपास फैली है, पर जब उन पर रोशनी पड़ती है तो सही-ग़लत का अंदाज़ा होता है। कई बार दिल भी टूट जाता है, पर सच तो सच है, कड़वा ही सही। और इस सच्चाई को जितनी जल्दी हम स्वीकार कर लें, हमारे लिए बेहतर है। पर टूटा दिल तो यही कहता है न कि कोई तो होता जिसे हम अपना कह लेते, चाहे वो दूर ही होता, पर होता तो कोई अपना! गुलज़ार साहब नें इस भाव पर फ़िल्म 'मेरे अपने' में एक यादगार गीत लिखा था। किशोर कुमार को याद करते हुए यह गीत सुनते हैं जिसकी धुन बनाई है सलिल चौधरी नें। 04-Koi Hota Jisko Apna CD MISC-20160228 Track#04 3:26 MERE APNE-1971; Kishore Kumar; Salil Choudhary; Gulzar चेहरे से जरा आँचल जो आपने सरकाया....एक प्रेम गीत जिसमें हँसी भी है और अदा भी 'गान और मुस्कान' शृंखला # 655- चेहरे से जरा आँचल जो आपने सरकाया.... 'गान और मुस्कान' शृंखला में इन दिनों आप सुन रहे हैं कुछ ऐसी फ़िल्मी रचनाएँ जिनमें गायक की हँसी सुनाई पड़ती है। गायिका आशा भोसले के गायकी के कई आयाम हैं, हर तरह के गीत गाने में वो सक्षम हैं, गायन की कोई ऐसी विधि नहीं जिसको उन्होंने आज़माया न हो। शास्त्रीय, पाश्चात्य, भजन, ग़ज़ल, क़व्वाली, देशभक्ति, मुजरा, शरारती, सेन्सुअस, लोक-संगीत आधारित, हर वर्ग में उन्होंने शीर्ष पर अपने आप को पहुँचाया है। उनकी आवाज़ में जो लोच है, जो खनक है, जो शोख़ी है, वही उनको दूसरी गायिकाओं से अलग करती हैं। गायन तो गायन, उनकी हँसी भी कातिलाना है। आशा जी नें भी बहुत से गीतों में अपनी हँसी बिखेरी है, जिनमें से कुछ गीत छेड़-छाड़ वाले हैं, तो कुछ हल्के फुल्के रोमांटिक कॉमेडी वाले, कुछ सेन्सुअस या मादक, और कुछ गीत ऐसे भी हैं जिनमें वो खुले दिल से हँसती हैं, और ऐसी हँसी हैं कि सुनने वाला भी कुछ देर के लिए अपने सारे ग़म भूल जाये! ऐसा ही एक गीत है १९७२ की फ़िल्म 'एक बार मुस्कुरा दो' का, जिसमें उनसे अनुरोध तो किया जा रहा है मुस्कुराने की, पर वो हँसती हैं, पूरे खुले दिल से हँसती हैं। मुकेश के साथ गाया यह युगल गीत इस फ़िल्म का शीर्षक गीत भी है। "चेहरे से ज़रा आंचल जब आपने सरकाया, दुनिया ये पुकार उठी लो चांद निकल आया"; नायक का नायिका की ख़ूबसूरती की तारीफ़ फ़िल्मी गीतों की एक प्रचलित शैली रही है और यह गीत भी उन्हीं में से एक है। 'एक बार मुस्कुरा दो' फ़िल्म के संगीतकार थे ओ. पी. नय्यर। ओ. पी. नय्यर की पहली पसंद हमेशा मोहम्मद रफ़ी ही रहे हैं, लेकिन जब दोनों में कुछ अन-बन हो गई थी, तब मजबूरन नय्यर साहब को अन्य गायकों की तरफ़ झुकना ही पड़ा। १९६९ की उनकी फ़िल्म 'संघर्ष' में उन्होंने हेमन्त कुमार, महेन्द्र कपूर और मुकेश से गीत गवाये। दोस्तों, आज हम अपना दिल उदास नहीं करेंगे, बल्कि आशा जी की हँसी के साथ इस गीत का आनंद लेंगे। इस गीत को लिखा है शमसुल हुदा बिहारी, यानी एस. एच. बिहारी नें। क्या आप जानते हैं...कि आशा भोसले के साथ संबंध समाप्त होने के बाद ओ. पी. नय्यर नें जिन गायिकाओं से अपने गीत गवाये उनमें शामिल थे कृष्णा कल्ले, वाणी जयराम, पुष्पा पागधरे, दिलराज कौर, कविता कृष्णमूर्ती। 05-Chehre Se Zara Aanchal Jo Aapne Sarkaya CD MISC-20160228 Track#05 3:45 EK BAAR MUSKURA DO-1972; Mukesh, Asha Bhosle; O.P.Nayyar; S.H.Bihari 1)“ दस थाट, दस राग और दस गीत” 2) “एक मैं और एक तू” 3) “...और कारवाँ बनता गया” 4) “एक पल की उम्र लेकर” 5) “गान और मुस्कान” तो मेहरबान और कद्रदान हो जाइए तैयार An Indian Morning की वार्षिक संगीतमाला के साथ। पिछले साल प्रदर्शित मेरी पसंद के पच्चीस गीतों का ये सिलसिला कुछ महीनों तक ज़ारी रहेगा। हर हफ्ते एक या दो गीत प्रस्तुत होंगे, आपकी खिदमत में। वार्षिक संगीतमाला 2015 पॉयदान # 19 : अफ़गान जलेबी, माशूक फ़रेबी .. Afghan Jalebi वार्षिक संगीतमाला के दो हफ्तों के सफ़र को पार कर हम जा पहुँचे है इस गीतमाला की उन्नीस वीं सीढ़ी पर। यहाँ जो गीत बैठा है वो मेरा इस साल का चहेता डॉन्स नंबर है। जब भी ये गीत सुनता है मन झूमने को कर उठता है। ये गीत है फिल्म फैंटम का और इसके संगीतकार हैं प्रीतम। आजकल जो गाने थिरकने के लिए बनाए जाते हैं उसमें ध्यान बटोरने के अक़्सर भोंडे शब्दों का इस्तेमाल जनता जनार्दन में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने में होता रहा है। मेरा मानना है कि नृत्य प्रधान गीत भी अच्छे शब्दों के साथ उतना ही प्रभावी हो सकता है। बंटी और बबली का गीत कजरारे कजरारे तेरे काले काले रैना जो एक ऐसा ही गीत था । अफ़गान जलेबी में भी शब्दों का चयन साफ सुथरा है और इसका जानदार संगीत संयोजन इस गीत को संगीतमाला में स्थान दिलाने में कामयाब रहा है। गीत तालियों की थाप से शुरु होता है और फिर अपनी लय को पकड़ लेता है जिससे श्रोता एक बार बँधता है तो फिर बँधता ही चला जाता है। अमिताभ भट्टाचार्य ने फिल्म के माहौल के हिसाब से गीत में उर्दू के शब्दों का इस्तेमाल किया है। प्रीतम ने इस गीत को कई गायकों से थोड़ी बहुत फेर बदल के साथ गवाया है। पर जो वर्सन में आपको सुनाने जा रहा हूँ वो पाकिस्तान के गायक सैयद असरार शाह ने गाया है। प्रीतम ने असरार की आवाज़ कोक स्टूडियो पर सुनी और इस गीत के लिए उन्हें चुन लिया। असरार कहते हैं कि इस गीत को गाना उन्होंने इसलिए स्वीकार किया क्यूँकि इसमें नायिका की खूबसूरती को एक तरीके से उभारा गया है और अल्लाह की बनाई किसी चीज़ की तारीफ़ करना ख़ुदा की ही इबादत करना है। तो आइए सुनते हैं ये मज़ेदार नग्मा 06-Afghan Jalebi CD MISC-20160228 Track#06 3:50 PHANTOM-2015; Syed Asrar Shah, Akhtar Channal; Pritam; Amitabh Bhattacharya वार्षिक संगीतमाला 2015 पॉयदान # 18 : दिल की मान के, सीना तान के इश्क़ करेंगे, इश्क़ करेंगे Ishq Karenge कुछ संगीतकार, गीतकार व गायक ऐसे होते हैं जिनकी हर नई प्रस्तुति का हम सभी को बड़ी बेसब्री से इंतज़ार होता है। गुलज़ार, स्वानंद किरकिरे, प्रसून जोशी जिस फिल्म में हों उनसे ये उम्मीद हमेशा रहती है कि उनके शब्द जाल से कोई काव्यात्मक सा नग्मा निकलेगा । अमित त्रिवेदी, सचिन जिगर, प्रीतम के कुछ नए से संगीत संयोजन व रहमान, विशाल शेखर और एम एम करीम सरीखे संगीतकारों से कुछ मधुर गीतों की अपेक्षा तो रहती ही है। अगर गायिकी की बात करूँ तो सोनू निगम, राहत फतेह अली खाँ, अरिजित सिंह व श्रेया घोषाल भी ऐसी आशा जगाते हैं। पर इन गायकों के साथ एक और नाम है एक शख़्स का जिनकी आवाज़ का जादू ऐसा है कि उनके गीतों का इंतज़ार मुझे हमेशा होता है। ये आवाज़ है सोना महापात्रा की। सोना हिंदी फिल्मों में ज्यादातर अपने पति संगीतकार राम संपत की फिल्मों में ही गाती दिखाई पड़ती हैं। सत्यमेव जयते में उनके गाए गीतों को तो खासी लोकप्रियता मिली ही, पिछली संगीतमालाओं में उनके गाए गीत मन तेरा जो रोग है, अम्बरसरिया व नैना नूँ पता भी काफी सराहे गए। पिछले साल MTV के कोक स्टूडियो में भी उन्होंने धमाल मचाया। पर इतना सब होते हुए भी मुझे हमेशा लगता है उनमें जितना हुनर है उस हिसाब से उनके और गाने हम संगीतप्रेमियों को सुनने को मिलने चाहिए। इस साल उनका गाया जो गीत इस संगीतमाला में दाखिल हुआ है वो एक समूह गीत है। ये गीत है फिल्म बंगिस्तान का । अब जिस फिल्म का नाम इतना अटपटा हो उसके गीतों में हास्य की झलक तो मिलेगी ना। बंगिस्तान फिल्म का ये गीत लोगों को इश्क़ करने को बढ़ावा देता है और वो भी एक अलग और अनूठे अंदाज़ में। इस गीत को लिखा है नवोदित गीतकार और मेरठ के बाशिंदे पुनीत कृष्ण ने। इस गीत में सोना मोहापात्रा का साथ दिया है अभिषेक नैलवाल और शादाब फरीदी की तिकड़ी ने। गीत को जिस जोश खरोश की जरूरत थी वो अपनी उर्जा से इस तिकड़ी ने उसमें भर दी है। राम संपत ने गीत का अंदाज़ कव्वालियों वाला रखा है। मुखड़े और इंटल्यूड्स में राम हारमोनियम का खूबसूरत प्रयोग करते हैं खासकर तीसरे मिनट के बाद आने वाले टुकड़े में। तो आप भी थोड़ा इश्क़ कर लीजिए ना इस गीत से.. 07-Ishq Karenge CD MISC-20160228 Track#07 4:28 BANGISTAN-2015; Sona Mohapatra, Abhishek Naiiwal, Shaadab Faridi; Ram Sampath; Punit Krishna 15 अप्रैल को शाहरुख खान अभिनीत 'फैन' रिलीज होने वाली है और फिल्म का प्रमोशन शुरू हो गया है। फिल्म का एकमात्र गाना जारी हुआ है जिसमें शाहरुख ऐसे किरदार में हैं जो सुपरस्टार शाहरुख खान का दीवाना है। शाहरुख इसमें छोटे शहर के 25 वर्ष के युवक के समान नजर आ रहे हैं। 'जबरा' सांग को शाहरुख के फैंस ने हाथों-हाथ लिया है और फिल्म के प्रति उत्सुकता अचानक बहुत बढ़ गई है। The music for Fan is composed by Vishal-Shekhar with lyrics written by Varun Grover. The first song "Jabra Fan", was released on 16 February 2016.[22] The full soundtrack album was released on 22 February 2016 which included 7 songs, all of which were different versions of the song "Jabra Fan". The song was in 7 different prominent Indian languages sung by regional singers. 08-Jabra Fan CD MISC-20160228 Track#08 3:45 FAN-2016; Nakash Aziz; Vishal-Shekhar; Varun Grover THE END समाप्त
Vani Jayram; Pandit Ravi Shankar; Gulzar
Vani Jayram; Pandit Ravi Shankar; Gulzar - MEERA-1979
Aasmaan Ke Niche Hum Aaj Apne Pichhe
Lata Mangeshkar, Kishore Kumar; S.D.Burman; Majrooh Sultanpuri - JEWEL THIEF-1967
Mera To Jo Bhi Kadam Hai
Mohammad Rafi; Laxmikant-Pyarelal; Majrooh Sultanpuri - DOSTI-1964
Koi Hota Jisko Apna
Kishore Kumar; Salil Choudhary; Gulzar - MERE APNE-1971
Chehre Se Zara Aanchal Jo Aapne Sarkaya
Mukesh, Asha Bhosle; O.P.Nayyar; S.H.Bihari - EK BAAR MUSKURA DO-1972
Afghan Jalebi
Syed Asrar Shah, Akhtar Channal; Pritam; Amitabh Bhattacharya - PHANTOM-2015 New
Ishq Karenge
Sona Mohapatra, Abhishek Naiiwal, Shaadab Faridi; Ram Sampath; Punit Krishna - BANGISTAN-2015 New
Jabra Fan
Nakash Aziz; Vishal-Shekhar; Varun Grover - FAN-2016 New
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