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An Indian Morning
Sunday June 28th, 2015 with Dr. Harsha V. Dehejia and Kishore aka "Kish"
Classical, Devoitional, Ghazal, Old/New Bollywood Film Songs, Community Announcements and more...

Celebrating not only the Music of India, but equally so its varied rich art, culture and people and keeping the "Spirit of India" alive... एक बार फिर हार्दिक अभिनंदन आप सबका, शुक्रिया, घन्यावाद और Thank You इस प्रोग्राम को सुनने के लिए। 25-26 जून की रात में सन् 1975 में लगा आपातकाल भारतीय लोकतंत्र की ऐसी घटना है जिसने भारतीय राजनीति के स्वरूप को स्थायी रूप से बदलने का ऐतिहासिक कार्य किया है। 40 साल के अंतराल के बाद आज भारतीय राजनी‍ति जहां पहुंच गई है, उसके मूल में आपातकाल के गर्भ के निकली राजनीतिक धाराओं का बड़ा योगदान है। क्या मिल गया सरकार इमरजंसी लगा के - नसबंदी - 1978 फिल्मों के नाम काफी लंबे समय से लीक से हट कर रखे जाने लगे हैं. सन २००० के बाद तो नाम ऐसे ऐसे सुनने को मिलते हैं कि आप दांतों तले उँगलियाँ दबा लें. आज आपको ऊँगली फिल्म से ही एक गीत सुनवाते हैं. ये सन २०१४ की फिल्म है यानि पिछले साल की. गीत मनोज यादव ने लिखा है और इसकी धुन के साथ गायकी भी की है गुलराज सिंह ने. ऊँगली फिल्म के निर्माता करन जौहर हैं. इसमें इमरान हाशमी, कंगना रानावत और रणदीप हूडा जैसे कलाकार हैं. पाकीज़ा-ऊँगली २०१४ कुछ गीत किसी कारण से विशेष बन जाते हैं. विशेष का मतलब कुछ भी हो सकता है. प्रस्तुत गीत ने मेरा ध्यान आकृष्ट किया कुछ शब्दों “तुम थे” के प्रयोग की वजह से. यह गीत है फिल्म वीर ज़ारा से, जिसे शायर जावेद अख्तर साहब ने लिखा है. सोनू निगम की खुशकिस्मती है उन्हें लता मंगेशकर के साथ कुछ गीत गाने का मौका मिला. लता मंगेशकर ने ९३-९४ के बाद गीत गाना बहुत कम कर दिया था, नहीं के बराबर कह सकते हैं. केवल कुछ विशेष आग्रह पर उन्होंने कुछ गीत गाये, जैसे इक्का दुक्का रहमान के लिए. ये धुनें मदन मोहन की हैं, अतः उनका गाना तो ज़रूरी था ही, उसके अलावा फिल्म यश चोपड़ा की है. दो पल रुका-वीर ज़ारा २००४ आज सुनिए गुलाम अली की गाई हुई एक गज़ल. इसे मसरूर अनवर ने लिखा है. ये गुलाम अली की गाई हुयी लोकप्रिय गज़लों में से एक है. दोस्ती और प्यार के नाम ये गज़ल थोड़े ही शब्दों में रिश्तों के पलस्तर उधेड़ देती है. शब्द सरल से ही इस गज़ल के, इसलिए बोल आसानी से समझ आ जाते हैं. लगातार फ़िल्मी गीतों से बदहजमी न हो जाए इसलिए बीच बीच में हम आपको गज़ल या गैर फ़िल्मी गीत सुनवा दिया करते हैं जो पाचक चूर्ण सा काम करते हैं. हमको किसके गम ने मारा - गुलाम अली
Kya Mil Gaya Sarkar Emergeny Laga Ke
Manhedra Kapoor, Manna Dey; Kalyanji-Anandji; Hullad Moradabadi - NASBANDI-1978
Pakeezah
Gulraj Singh; Gulraj Singh; Manoj Yadav - UNGLI-2014
Do Pal Ruka
Sonu Nigam, Lata Mangeshkar; Madan Mohan; Javed Akhtar - VEER ZAARA-2004
Humko Kiske Gham Ne Mara
Ghulam Ali; Masroor Anwar - A JOURNEY-GHULAM ALI-2010
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